क्रिएटिवटी कहीं भी मिल सकती है...लेकिन एडवरटाइज़िंग का तो पेशा ही क्रिएटिविटी का होता है...ये बेहतरीन कॉपीराइटिंग या विजुअल्स का ही नतीजा होता है कि हम किसी अनजान ब्रैंड को भी घर की शोभा बना लेते हैं...यही वजह है कि हर कन्ज्युमर ब्रैंड के बजट का निश्चित हिस्सा एडवरटाइज़िंग पर खर्च होता है...नीचे एक मोबाइल नेटवर्क के एड-कैम्पेन की कुछ झलकियां हैं...
आप फोन नहीं बस हाथों से की गई कलाकारी को देखिए...
स्लॉग ओवर
मक्खन गुल्ली से...
तुम्हारा रिज़ल्ट क्या रहा...
गुल्ली...पांच सबजेक्ट में फेल हो गया...
मक्खन...आज से मुझे अपना डैड मत कहना...
गुल्ली...
कम ऑन डैड, मैंने अपना स्कूल रिज़ल्ट बताया है, डीएनए टेस्ट का रिज़ल्ट नहीं...
ही ही ही ही ....... अपना गुल्ली भी तो बहुत क्रियेटिव है... आखिर बेटा जो मक्खन का ठहरा...
जवाब देंहटाएंअरे भैया... आप कभी संजय अनेजा जी के फत्तू से मिले हैं...? मिलिएगा बिलकुल अपने मक्खन जैसा है ...
जय हिंद ........
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www.lekhnee.blogspot.com
बहुत अच्छी कलाकारी है...
जवाब देंहटाएंमुझे याद है बचपन में हम हाथों की छाया देख कर कुछ जानवर बनाया करते थे ....
गुल्ली तो बस अपने बाप ही गया है...कितना भी डी.एन .ए. टेस्ट करवा लेवे...
हाहाहाहाहाहाहाहाहाहा न इंडियन बाप सुधरेंगे न बेटे
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया कलाकारी .. और जबाब देने में तो गुल्ली का जबाब नहीं !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया लगी कलाकारी
जवाब देंहटाएंवाह क्या कलाकारी है, और डीएनए. टेस्ट हा हा हा...
जवाब देंहटाएंइन चित्रों में हाथों के अलावा भी बहुत कुछ है। खास कर इंसान का दिमाग।
जवाब देंहटाएंगुल्लि तो बहुत ही बदमाश है भई!!
जवाब देंहटाएंकलाकारी मस्त रही.
ज़बरदस्त क्रिएटिवटी, पहले भी देख चूका हूँ.... बल्कि मेरे तो काम ही यही है... :-) आज किसी भी ब्रांड को पब्लिक में पेश करने के लिए विज्ञापन जगत में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं, जो की काबिले तारीफ हैं. आखिर विज्ञापन ही तो ब्रांड की पहचान होती है. ब्रांड के गुण तो खरीदने के बाद ही मालूम चलते हैं.
जवाब देंहटाएंऔर गुल्ली ने भी आज कमाल कर दिया है :-) मक्खन की तो बोलती ही बंद हो गई...... :-)
बहुत खूब!
जब भी टीवी पर विज्ञापन आते हैं मैं उन्हें देखने की हमेशा वकालात करती हूँ और कहती हूँ कि क्रियटीविटी देखनी हो तो विज्ञापन देखो। सच में कई विज्ञापन बहुत ही क्रियटिव होते हैं मन तृप्त हो जाता है।
जवाब देंहटाएंएक हास्य लिखा है आपको देखाना आवश्यक है ...
जवाब देंहटाएंhttp://satish-saxena.blogspot.com/2010/08/blog-post_11.html
कलाकारी गज़ब की है और गुल्ली तो है ही अपने बाप जैसा।
जवाब देंहटाएंहा हा हा गज़ब का स्लाग ओवर और गज़ब की कलाकारी। शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंगुल्ली से पार पाना आसान काम नहीं है .......बच के रहना !!
जवाब देंहटाएंजय हिंद !
वाह! वाह! पूंजीवाद !
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