मैंने अपनी पोस्ट पर स्टार ब्लॉगर को न्योता देने का ज़िक्र तो किया था...लेकिन नाम नहीं खोला था...नाम किशोर अजवाणी भाई ने खुद ही पहले मेरी पोस्ट पर कमेंट के ज़रिए और फिर अपनी पोस्ट पर खोला...जी हां, वो स्टार ब्लॉगर किशोर अजवाणी ही थे...इनका अपना एक बिंदास स्टाइल है...जो ठान लिया सो ठान लिया...जो नहीं पसंद सो नहीं पसंद...नांगलोई नहीं जाना था तो नहीं आए...लेकिन ये मत मान बैठिएगा कि खुदा हुस्न देता है तो नज़ाकत आ ही जाती है...किशोर अजवाणी दिल के बिल्कुल खरे हैं...लाग लपेट से कोसो दूर...जो अच्छा लगता है उसे दिल खोल सराहते हैं...जो बुरा लगते हैं उसे सपाट मुंह पर कहते हैं...एक बात और काम के लिए इतना समर्पित इनसान मैंने तो अपनी ज़िंदगी में और कोई नहीं देखा...देखने वालों को बेशक स्टार एंकर्स की लाइफ़ फिल्म स्टार्स की तरह ग्लैमरस दिखे लेकिन पर्दे के पीछे इस मकाम तक पहुंचने के लिए कितनी जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ती है, वो मैं अच्छी तरह जानता हूं...
हां तो किशोर भाई नांगलोई और नांगलराय का तो आपने अच्छा पोस्टमार्टम कर दिया...अगली ब्लॉगर्स मीट दिल्ली में गंदा नाला पर रखने का सुझाव अविनाश वाचस्पति भाई को देता हूं...ये जगह देखी तो मैंने भी नहीं लेकिन उसके बारे में सुना ज़रूर है...क्या ख्याल है किशोर भाई आपका...गंदा नाला इंटरनेशनल ब्लॉगर्स मीट यानि GNIBM...
चलो आप इस बारे में सोचो, मैं अब बात करता हूं 23 मई को नांगलोई में हुई आईडीबीएम को जोशोखरोश से भरने वाले जवां ख़ून ब्लॉगर्स की...घिसे हुए ब्लॉगर्स से आज माफी मांगता हूं...आज वन लाइनर्स मे बात सिर्फ ब्लॉगिंग के जोशीले ब्लॉगर्स की...और उन्होंने मीट में क्या कहा था...
योगेश गुलाटी- मीडि़या का सशक्त विकल्प बने ब्लॉग
जय कुमार झा- ब्लॉग लोकसंघर्ष जैसी मुहिमों की आवाज़ बने
उमाशंकर मिश्र- आंदोलन खड़ा करने का माध्यम बने ब्लॉग
सुधीर- पहले उद्देश्य तय हो फिर ब्लॉगर्स का संगठन खड़ा किया जाए
आशुतोष- मुद्दे विशेष पर ब्लॉगर्स अपनी अपनी पोस्ट पर विचार रखें
डॉ प्रवीण चोपड़ा- आरटीआई.ओआरजी.कॉम की तरह इंडियाब्लॉग.ओआरजी.कॉम बनाया जाए
मयंक सक्सेना- जहां जहां भाषा के लिए चिंता है वहां रंगमंच, साहित्य भी मज़बूत है, हिंदी इससे वंचित क्यों है
राजीव रंजन- हिंदी ब्लॉगिंग में परिपक्वता की कमी है
शाहनवाज़ सिद्दीकी- बिना उद्देश्य ब्लॉगिंग ऐसे ही जैसे मछली की आंख की चिंता छोड़ निशाना लगाया जाए
सुलभ सतरंगी- सामाजिक सरोकार की चिंता हर ब्लॉगर को होनी चाहिए...
वेद व्यथित- प्रतिबद्धता और सहृदयता ब्लॉगर की पहचान बनें
आईडीबीएम में अविनाश वाचस्पति के प्रस्तावना संबोधन के बाद एम वर्मा जी, रतन सिंह शेखावत जी, अजय कुमार झा भाई, इरफ़ान भाई, मैं, प्रतिभा कुशवाहा, चीफ गेस्ट संगीता पुरी जी और ललित शर्मा ने भी अपने विचार रखे...लेकिन हम सब अब घिसे हुए ब्लॉगर्स में आते हैं, इसलिए आज बात सिर्फ जोशीले नए ख़ून की...इसके अलावा नीरज जाट, विनोद कुमार पांडे, अमर ज्योति, चंडीदत्त शुक्ल, अंतर सोहिल, एस त्रिपाठी, राहुल राय, अजय यादव, अभिषेक सागर, प्रवीण कुमार शुक्ला ने भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति से मीट की शोभा बढ़ाई...लेकिन इस मीट में सबको अपना मुरीद बनाने वाला रहा तनेजा परिवार यानि राजीव कुमार तनेजा, संजू तनेजा भाभी और अपने पापा का पॉकेट एडीशन सबका प्यारा माणिक तनेजा...
स्लॉग ओवर
एक बस में काफी भीड़ थी...कंडक्टर जो स्टेशन आ रहा था, उसका नाम लेकर यात्रियों को आगाह कर रहा था...एक स्टेशन से पहले उसने आवाज़ लगाई...चलो, गंदे नाले वाले उतरो...तभी एक बुज़ुर्ग महिला के मुंह से निकला...हाय रब्बा, ऐस मोए नू किवें पता चल्या के मैं सलवार विच गंदा नाला पाया होया वे...( हे भगवान, इस मरे को कैसे पता चला कि मैंने सलवार में गंदा नाला (नाड़ा) डाला हुआ है)....
GNIBM...अब तो आएंगे स्टार ब्लॉगर...खुशदीप
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गुरुवार, मई 27, 2010
खुशदीप भाई जब मैने पहली बार घर छॊडा तो मेरे पिता जी ने मुझे समझाया था, बेटे तुम विदेश जा रहे हो, पहले तो मै नही चाहता कि तुम जाओ, फ़िर भी तुम जा रहे हो तो, अपने आप को कभी मत भुलना, अपने लोगो को ,अपने देश को, ओर वो बात मैने अपने दिल मै रखी ओर मेरे बच्चे भी उसी बात पर है, मै जब भी भारत आया हर तरह के लोगो से मिला, जेसा मिला खाया, कभी घंमड्न नही आने दिया अपने अंदर, अगर सभी हाथ से खा रहे है, तो मै ओर मेरा परिवार भी जमीन पर बेठ कर हाथ से खायेगा, हम वहां गंदगी नही देखेगे, बल्कि मेजबान का प्यार देखेगे, आज मेरे पास सब कुछ है, लेकिन मै आज भी वही हुं जो आज से तीस साल पहले था, सच कहुं आप जहां भी बुलायेगे वही पहुचुंगा, नागलोई, जाट धरम शाला क्या बुराई है इन सब मै... लगता है आप के यह स्टार गलती से भारत मै पेदा हो गये... इन्हे तो चीन य फ़िर थाई लेंड या बंगला देश मै पेदा होना चाहिये था, क्योकि य्रुरोप के काबिल तो यह है नही..... इन्हे सब से पहले इंसानो से प्यार करना आना चाहिये..... मै भगवान का धन्यवाद करता हुं कि मेरे मित्रो मै ऎसा कॊई स्टार नही.पिछली बार एक सिमेंट ढोने वाले ने बीच बजार मुझे बांहो मै भर लिया, ओर मेरे सुट का क्या हाल हुआ यह बताना कठिन है, जब उसे यह अहसास हुआ तो एक दम से दुर हट गया, तो मेने दोवारा उसे बाहो मै भर लिया.... क्योकि वो मेरे बचपन का दोस्त था, अगर कोई स्टार होता हो हाय वाय ही करता, ओर मै उसे वही दुतकार कर आ जाता
जवाब देंहटाएंभैया..... मैं.....गंदा नाला इंटरनेशनल ब्लॉगर्स असोसियेशन का अध्यक्ष बनूँगा.... ही ही ही ....
जवाब देंहटाएंअपने पापा का पॉकेट एडीशन सबका प्यारा माणिक तनेजा...
हा हा हा हा हा हा ..........पॉकेट एडीशन.... शब्द बहुत धांसू लगा..... माणिक बहुत प्यारा है.....
aur स्लोग ओवर के तो क्या kahne .....
jai hind....
जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहाँ हैं???? कहाँ हैं... कहाँ हैं... कहाँ हैं कहाँ....
जवाब देंहटाएंपता था ये स्टार ब्लोगर जैसे ही लोग हैं जो झाँसी के पास पारीछा में चिमनी गिरने से दबकर मरे २५० से ज्यादा मजदूरों की खबर को कवर करने नहीं गए.. क्योंकि वो मजदूर थे और वहाँ आसपास रुकने के लिए कोई पञ्च सितारा होटल भी नहीं.. इसलिए उन गरीबों की जान जान नहीं रह गई. सरकारी आंकड़ों के हिसाब से भी कोई बड़ी क्षति नहीं हुई.. हाँ इंसानियत की छाती जरूर फट रही है..
हाँ विमान हादसे में मरने वाले १५२ की खबर को कमरे में बैठ बड़ा बना सकते थे सो बनाया गया.. shame on such media peoples..
मेरे ख्याल से एक बार किशोर अजवानी जी को भी मौका देना चाहिए किसी पांच सितारे होटल में ब्लोग्गर्स मीट करवाने का....कुछ भी हो मिडिया के स्टार पेर्सोनाल्टी हैं ....सौभाग्यवश एक ब्लोग्गर भी हैं...उनकी पसंद को मद्दे नज़र रखते हुए उन्ही को मौका दिया जाए ...मेरे ख़याल से ५-७ लाख का खर्चा वो वहन कर सकते हैं....जब वो ऐसा इंतज़ाम करें तो हम भी आ जायेंगे ...हमारा क्या है, आदत तो हमें ७ सितारे और सातवें आसमान में बैठने की है...लेकिन हम ५ सितारे से काम चला लेंगे.. :)
जवाब देंहटाएंमजबूरी है...पर क्या करें...हाँ नहीं तो....!!
अच्छा लगा सभी के विचार जानना!!
जवाब देंहटाएंस्लॉगओवर मस्त!!
अच्छा होता स्टार ब्लागर्स की लिस्ट लगा देते. सब भ्रमित हो गये हैं.
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा सभी के विचार जानना!!
जवाब देंहटाएंमुझे तो अपने भाइयों से मिलनें में ही बहुत अच्छा लगता है वैसे विचार सब का बहुत अच्छा है एक बढ़िया पहल हो सब साथ साथ हैं....स्लॉग ओवर भी खूब रही..बधाई
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी कितना घिस चुके हैं? फोरेंसिक जाँच करानी पड़ेगी।
जवाब देंहटाएंजवां ख़ून ब्लॉगर्स ही तो जान और भविष्य है जी ब्लोगिंग के
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई
जवाब देंहटाएंहम तो हर हालत में खुश रहने वाले जीव हैं।
बस मुस्कुराते रहिए और चलते रहिए,जब भी मौका मिले हाथ से ना जानें दें।
गंदा नाला भी शहर के बीच उसकी छाती पर से गुजरता है।
GNIBM वाला आइडिया भी मस्त है !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअलादीन का चिराग भी तो घिसना पड़ता है ना!
जवाब देंहटाएंतनेजा परिवार की भावना व समर्पण वाकई में काबिलेतारीफ़ है।
@कुमार जलजला,
जवाब देंहटाएंतुम बाज नहीं आओगे...बिना सोचे समझे भड़ास निकालना तुम्हारी कुंठा का प्रतीक है...पहली बात तो ये किशोर भाई का मैं प्रोडयूसर नहीं हूं...हमारा रिश्ता हमेशा दो भाइयों वाला रहा है...हम दोनों अलग-अलग संस्थान में है...किशोर भाई ने जो ये मकाम हासिल किया है वो सिर्फ और सिर्फ दिन रात की अपनी जी-तोड़ मेहनत के बल पर किया है...इसलिए पहले अपनी जनरल नॉलेज थोड़ी दुरूस्त करो...दो भाइयों के बीच गलतफहमी पैदा करने की कोशिश मत करो...
और मुझे नांगलोई पर किशोर भाई की पोस्ट को लेकर लगता है कि ब्लॉगरजनों में कुछ भ्रम हो गया है...अरे मैं किशोर भाई के सेंस ऑफ ह्यूमर को अच्छी तरह समझता हूं...वो सपने में भी किसी के दिल को दुखाने की बात नहीं सोच सकते...हां ये ज़रूर हो सकता है कि शब्दों में कहीं कोई चूक हो गई हो...वो हमसे भी होती रहती है...आप सब जो भी भ्रम है दिल से निकाल दे, किशोर भाई वाकई दिल के बेहद अच्छे इनसान हैं...और हां जैसे हर सच्चा इनसान बोलने में साफगोई बरतता है तो थोड़ा कड़वा लगता है, वैसे ही आपको भी भ्रम हो गया लगता है...अब मैं आपसे वादा करता हूं कि अगली मीट झुमरी तलैया में भी होगी तो मैं किशोर भाई को लेकर आऊंगा...चाहे मुझे धरना ही क्यों न देना पड़े....
कुमार जलजला प्लीज मुझे बख्श दो...
जय हिंद...
.लेकिन इस मीट में सबको अपना मुरीद बनाने वाला रहा तनेजा परिवार यानि राजीव कुमार तनेजा, संजू तनेजा भाभी और अपने पापा का पॉकेट एडीशन सबका प्यारा माणिक तनेजा... खुशदीप जी आपके ये शब्द सबसे अनमोल हैं और उन ब्लोगरों के लिए एक सिख जो खाकर थाली में छेदकर इंसानियत को कलंकित करतें हैं ऐसे लोगों की वजह से ही कोई भी सार्थक प्रयास सफलता की उचाईयों तक नहीं पहुंच पता है / उम्दा प्रस्तुती /
जवाब देंहटाएंतो अगली ब्लॉगर मीट का वेन्यू पक्का है
जवाब देंहटाएंछोड़ो खुशदीप सर, नहीं समझेंगे लोग हमारी आपकी ट्यूनिंग। असल में मुझे लगता है कि अपने पर हंसनेवालों को समझने में कुछ मुश्किल हो रही है इन्हें। यार, मैं अपनी दिल्ली के नामों पर हंस रहा हूं, अपने पर हंस रहा हूं तो प्रॉब्लम है इन्हें। अच्छा, मुझे गाली देने तक तो ठीक है, ये सारे मीडियावालों को लपेटना दिखाता है कि ये मशालें क्यों जल रही हैं। आप परेशान न हों। मैं नहीं आऊंगा आपकी मीट में इन लोगों का ज़ायका बिगाड़ने। छोड़ो। टेंशन न लो खुशदीप सर।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा सभी के विचार जानना!!
जवाब देंहटाएंसही दिशा में जा रहे हैं ।
GNIBM, वह क्या बात है! बढ़िया शीर्षक है! :)
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी,
जवाब देंहटाएंहम तो मीट में आने को इसलिये ही तैयार हुए थे कि नाम जाट से शुरू होता है। अगर जाट धर्मशाला ना होकर कोई होटल होता तो हम आने की सोचते भी नहीं।
अपन तो निखद गांव के गवार है . जहा बुलाओगे हमे पाओगे . गांव की मेढ से ७ स्टार डीलक्स तक .
जवाब देंहटाएंमै बचपन मे यह गीत सुनकर सोचा करता था कि नाले को सुना कैसे जा सकता है ...
जवाब देंहटाएंऐ दुनिया के रखवाले सुन दर्द भरे मेरे नाले
लुट गई मेरी ब्लॉग की दुनिया अब तो नीर बहा ले ........
जवाब देंहटाएंGNIBM हो या कही और.... बात तो ब्लोगर की ही होगी.... पुरे गर्मजोशी से होगी.... ये स्टारडस्ट नहीं है.
जवाब देंहटाएंकिशोर जी को पढता हूँ, वो दिल से कहते हैं.
हा...हा...हा....हा....हू....हू.....हू.....हू.....हे.....हे.....हे.....हो....हो.....हो....गनीमत है कि किसी ने हमें वहां देखा नहीं....हम भी वहीँ रोशनदान में बैठे सबको टुकुर-टुकुर निहार रहे थे....अगर गलती से भी वहां सबके बीच टपक पड़ते तो सारे कार्यक्रम की वाट ही लग जाती....खैर मुबारक हो सबको यह सम्मलेन.....!!!
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग एक और कितने दुख ... नानक दुखिया सब संसार ...
जवाब देंहटाएंGNIBM वाला आइडिया मस्त है !
जवाब देंहटाएंवो शाम बहुत याद आएगी...अगली मीटिंग की बारी कब आएगी?
जवाब देंहटाएंहो सकता है कि किशोर जी के ना आने का कारण कुछ दूसरा रहा हो।
जवाब देंहटाएंआपतो उनसे मौज ले रहे हैं और कुछ ब्लागर अलग ही समझ रहे हैं जी।
राजीव जी,संजू जी और माणिक जी के हम आभारी हैं और उनके आतिथ्य के लिये हार्दिक धन्यवाद।
कुछ प्वाईंट मीट में नहीं समझ पाया था, आजकी पोस्ट में जोशिले ब्लागरों के विचार संक्षेप में रखकर आपने बताये, आपका शुक्रिया जी।
प्रणाम स्वीकार करें
@ किशोर जी,
जवाब देंहटाएंआप मिडिया पर्सन हैं...अगर इतनी छोटी सी बात के लिए आपका सन्देश स्पष्ट नहीं था...लोग सचमुच नहीं समझ पाए ....तो फिर गंभीर बातों के लिए आपको और थोड़ा careful होना होगा...
जवाब देंहटाएंघिसे हुये ब्लॉगर को परिभाषित करने वाली एक मौज़दार पोस्ट की प्रतीक्षा में..
वाह वाह क्या बात है ..लडना हमारा धर्म है....कर्म है .....अपने से नहीं....दुशमन से नहीं.....अपने ही लोगो से वाह वाह
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