दिल्ली ब्लॉगर्स मीट से पहले मन भारी है...खुशदीप

आज भारी मन के साथ ये पोस्ट लिखनी पड़ रही है...दिल्ली में पहले भी ब्लॉगर्स मीट हुई हैं...अजय कुमार झा और अविनाश वाचस्पति जी के अथक प्रयासों से हर बार जमकर दिलों की महफ़िल जमीं...औरों की कह नहीं सकता, मैंने तो इन महफ़िलों का जमकर मज़ा लिया...राजीव कुमार तनेजा भाई और संजू भाभी जी ने अलबेला खत्री जी के दिल्ली आने पर घर पर ही लंच पर दिल्ली के तमाम ब्लॉगर्स का जिस प्यार के साथ सत्कार किया, वो मैं कभी भुला नहीं सकता...


संगीता पुरी जी, मेरे शेर सिंह (आप सबके ललित शर्मा) और शायद महफूज़ मास्टर भी कल नांगलोई में बुलाई गई इंटरनेशनल ब्लॉगर मीट में दिल्ली और आसपास के तमाम ब्लॉगर्स के साथ मौजूद रहेंगे...संगीता जी, ललित भाई और महफूज़ प्यारे से पहली बार रू-ब-रू होने के लिए बेताब हूं...लेकिन अविनाश भाई से माफ़ी मांगते हुए कहूंगा कि इस बार मीट से पहले ही जिस तरह कुमार जलजला, ढपोर शंख या पोल खोल की टिप्पणियां सभी के ब्लॉग्स पर आ रही हैं, उसने माहौल को कुछ भारी कर दिया है...

कुमार जलजला और ढपोर शंख ढंके की चोट पर कह रहे हैं कि हम कल मीट में मौजूद रहेंगे लेकिन कोई हमें पहचान नहीं पाएगा...राज कुमार सोनी जी ने भी अपनी पोस्ट पर बिगुल बजाया है कि अविनाश जी के आयोजन को नाकाम करने के लिए राजनीति का खेल भी शुरू हो गया है...हो सकता है कि एक समानांतर मीट का आयोजन किया जाए...उदय जी ने भी अपनी पोस्ट पर कुमार जलजला की जमकर क्लास ली है...

मेरा अंदेशा ये है कि अगर ब्लॉगवुड इस तरह के ओछे हथकंडों में फंस गया तो फिर राजनीति और इसमें कोई फर्क नहीं रह जाएगा...कुछ भी सार्थक नहीं हो पाएगा...अविनाश जी के घर पर ही पिछली बार एक छोटी सी ब्लॉगर महफिल में मेरे मुंह से निकला था कि हम जहां भी रहते हैं वहां बुज़ुर्गों को खुश करने के लिए कोई छोटा सा ही प्रयास करना चाहिए...मुझे खुशी है कि सतीश सक्सेना भाई इस काम को शुरू करने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं...उनके विदेश से आने के बाद इस योजना पर तेज़ी से काम किया जाएगा...ऐसा कोई भी छोटी सी कोशिश जिससे समाज में छोटा सा भी बदलाव हो, वो ब्लॉगिंग का उद्देश्य होना चाहिए...न कि लेगपुलिंग, सम्मान-सम्मान, गुटबाज़ी इस तरह के नकारात्मक भावों को हम ब्लॉगवुड में पनपने दें...

कल की ब्लॉगर्स मीट को लेकर मैंने इससे संबंधित जितनी भी पोस्ट थीं, उन पर टिप्पणी के ज़रिए ये चिंता जाहिर की है...उसे फिर रिपीट कर दे रहा हूं...

@कुमार जलजला


यार तुम्हारी हरकतों से तो उस ब्लॉगर की याद आ गई जो आईपीएल के पहले एडीशन में कोलकाता नाइटराइडर्स की अंदर की बातें ब्लॉग पर लिखता था...सब सोचते रहे वो ब्लॉगर कौन सा खिलाड़ी है, लेकिन उसकी पहचान आखिर तक नहीं खुल पाई...इसी तरह अब तुम कह रहे हो कि कल तुम ब्लॉगर्स मीट में मौजूद रहोगे...लेकिन तुम्हे कोई पहचान नहीं पाएगा...ये बात कह कर तुमने मेरे सामने एक धर्मसंकट पैदा कर दिया है...इस तरह तो ब्लॉगर्स मीट में जो जो ब्लॉगर्स भी पहुंचेंगे, उन सब पर ही शक किया जाने लगेगा कि उनमें से ही कोई एक कुमार जलजला है...मान लीजिए पच्चीस-तीस ब्लॉगर्स पहुंचते हैं...वैसे ब्लॉगवुड में इस वक्त पंद्रह से बीस हज़ार ब्ल़ॉगर्स बताए जाते हैं...यानि इन पंद्रह से बीस हज़ार से घटकर कुमार जलजला होने की शक की सुई सिर्फ पच्चीस-तीस ब्लॉगर्स पर आ जाएगी...तो क्या तुम इस तरह कल की मीटिंग में मौजूद रहने वाले दूसरे ब्लॉगर्स के साथ अन्याय नहीं करोगे...अविनाश वाचस्पति भाई से भी कहूंगा कि इस विरोधाभास को दूर किया जाए, अन्यथा पूरे ब्लॉगवुड में गलत संदेश जाएगा...


जय हिंद..

मैंने जो शंका ज़ाहिर की है उसका निवारण होना ज़रूरी है...नहीं तो मुझे एक बार फिर भारी मन से अविनाश जी, संगीता पुरी जी, ललित शर्मा भाई, महफूज़ मास्टर और दिल्ली के तमाम ब्लॉगर्स भाइयों से माफ़ी मांगनी पड़ेगी कि मैं चाह कर भी कल की मीट में उपस्थित नहीं हो पाऊंगा...

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29 टिप्पणियाँ
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  1. मैं आपके विचार से सहमत हूँ |
    जय हिंद !!

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  2. जलजला ने तो ये भी घोषणा की है की अविनाश जी उसे जानते हैं ?
    चिंता छोड़ो और मन को हल्का करो .
    वैसे ये अदृश्य मन बड़ी भारी चीज है :)

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  3. .हरि शर्मा जी का लेख मैने भी पढा है , ओर जल जले की टिपण्णी भी मैने पढी है, शायद मेरे ब्लांग पर भी आई है, तो इस मै आप लोग क्यो चिंता कर रहे है, चिंता तो उन्हे होनी चाहिये कि अगर इतने सारे लोगो मै वो पहचाने गये तो क्या इज्जत बचेगी, ओर फ़िर कोई हाथो पायी करने लगे तो आप सब इतने सारे क्या उसे पकड नही सक्ते, इस लिये कल की मिटिंग ओर भी धुम धाम से ओर ओर भी जोर शोर से करे, मन भारी मत करे, आप लोगो को तो कोई फ़िक्र नही होनी चाहिये.
    तो खुश हाल भाजी कल फ़िर से वेसा ही मजा आये जो उस दिन आया था वही रंग हो इस मिटिंग का, ढेर सारी फ़ोटो के संगब हुत अच्छी रिपोर्ट मिले पढने को...... इस से अगली मिटिंग मै हम परिवार समेत शामिल होंगे, तो अब शेर बन कर जाये ओर रंग लगा दे इस मिटिंग को.
    मै कल अजय झा जी या आप के या जिस का भी फ़ोन मिला फ़ोन करुंगा, ओर आप सब से नमस्ते जरुर करुंगा.
    मेरी तरफ़ से बहुत ढेर सी शुभकामानये कल की मिटिंग की सुपर सफ़लता के लिये

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  4. खुशदीप जी आप सारी चिंताएं छोडिए और अच्छे मन से हमारे साथ इस मुलाक़ात में शामिल हों...विघटनकारी ताकतें तो चाहती ही हैं कि हम में एक ना हो..उनको इन कुत्सित प्रयासों को दरकिनार करते हुए हमें सबको दिखा देना है कि ऐसे घटिया हथकंडों से हम घबराने वाले नहीं...बस!..हमें खुद को पता होना चाहिए कि हम जो कर रहे हैं...वो ठीक है या नहीं....
    कल आपने ज़रूर आना है...ज़रूर आना है...ज़रूर आना है...इसे छोटे भाई का आग्रह समझ लें या फिर हठ लेकिन आपको आना ही है

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  5. खुशदीप जी
    आपकी चिंता जायज है पर यदि आप नहीं आते हैं तो यह उन मकसदों की कामयाबी होगी जिसने 'कुमार जलजला' या इस तरह के अन्यों का जन्म दिया है. किसी समस्या से दूर रहने से किसी समस्या का समाधान होने से रहा. कहीं ऐसा तो नहीं कि हम बेवजह ही जरूरत से ज्यादा इस मसले पर तूल दे रहे हैं. कुछ लोगों की आदत है कि वे बेवजह की सनसनी पैदा करें और उथल-पुथल को मजे लेकर देखें.
    आप से अपील आप जरूर पधारें.
    धन्यवाद

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  6. कहां पड़ गए पचरे में खुशदीप जी.....अरे जिसने आना है आए जिसने नहीं आना है न आए....हर कोई ऐसा सोच रहा है कि उसके आने या न आने से मीट पर फर्क पड़ेगा, तो यह वही बात हुई कि छिपकली समझे कि सारी छत उसने उठाई है......मैने एक पोस्ट में कहा था कि कितने ब्लॉगर है जो नियमित है. महज कुछ सौ..तो इतने लोगो से क्या फर्क पड़ेगा....सागर में पत्थर मारने से कोई लहर नहीं उठती.....अरे आप आइए मैं भी आता हूं बिन बुलाए.....फिर देखते हैं क्या कुछ अच्छा करते हैं हम..नहीं तो मिलन का एक नया मंच तो हो गया है न.....आगे के लिए कोई न कोई पक्का प्लान भी बना लेंगे, नहीं तो डिस्कस तो कर ही सकते हैं....चिंता काहे को करते हैं आप....

    @ नई चिंता पर

    भई चंद सौ लोगो में कोई मठाधिश नहीं होता..कोई बनना चाहता है तो बना करे...हमें क्या....अपने को शंहनशाह कहने वाले जाने कितने रांची में ईलाज करा रहे हैं....औऱ न जाने कितने ही दिल्ली की जमीं में दफन पड़े हैं..जरा
    जरा सी जिंदगी में सिर्फ उनसे मिलिए जिनसे मन मिले....
    नहीं तो तू अपने ब्लॉग पर खुश, हम अपने ब्लॉग पर.....

    ब्लॉग पर ईनाम ऐसे ही लगता है जैसे भई तू अपने मोहल्ले का चैंपियन मैं अपने मोहल्ले का .

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  7. जिन डरपोक लोगों में हिम्मत नहीं सामने तक आने की और जो अपना नाम या अपनी शक़्ल तक दिखाने की हिम्मत तक जुटा नहीं सकते; क्यों समय ख़राब करना उनके बारे में सोच कर या बात कर.

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  8. निश्चय ही ये गंभीर चिंता का विषय है और दुर्भाग्यजनक भी / हम सब को मिलकर ऐसे लोगो को सही राह पर लाना ही होगा / मेरा आग्रह है ऐसे लोगों से की अगर पहचान छुपानी ही है तो सभा में आना,ब्लॉग लिखना ,बड़ी-बड़ी बातें बनाना ,इत्यादि का कोई फायदा नहीं है / इसलिए आप भले इन्सान की तरह सब को अपनी पहचान बताइए और देश व समाज की लिए सार्थक कदम के साथ चलिए /

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  9. .
    .
    .
    आदरणीय खुशदीप जी,

    आप भी... दो टके का सरफिरा और शक की सुई आप पर ???...

    क्षमा करिये, इस सरफिरे-बुलबुले को इतना सीरियसली क्यों ले रहे हैं आप...क्या बेचते हैं ये जनाब ?...मैं तो इनका नाम तक लिखने को तैयार नहीं कीबोर्ड पर...जुबान पर लेना तो बहुत बड़ी चीज है!

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  10. जलजला की बात को सच क्यों माना जाए?

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  11. यकीं जानिये ऐसा कुछ नहीं होने वाला और न ही ऐसा कोई पहुँचने वाला है.

    कल को मैं लिख दूँ कि मैं किसी और नाम से वहाँ रहूँगा और कुझे अगर पहले कोई न मिला हो तो क्या??

    आप नजर अंदाज करें इस बात को..और खुशी कुशी आयोजन में जायें. इस तरह की घोषणा मात्र इस आयोजन को नाकामयाब करने की कोशिश है और कुछ नहीं.

    आपके न जाने से उनकी ही विजय है और आपकी हार..ऐसा मत होने देना.

    कोई न प्रश्न उठा रहा है, न शक की सुई उस तरफ घूमेगी. बहुतेरे जान चुके होंगे कि कुमार जलजला कौन है? मगर चुप रहते हैं कि कौन झंझट में पड़े. ये कुछ दिन में यूँ भी हमेशा की तरह शांत हो जाने वाले हैं.

    कल तुमको जाना है, यह जान कर चलो!!

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  12. राजभाटिया और हम सबके खुशहाल भाजी।

    चिंता को त्‍यागे सिर्फ चिंतन को धारें।

    चिंतित तो मुझे होना चाहिए और मैं बिल्‍कुल निश्चिंत हूं।

    मुझे मालूम है कि जो अपनी पहचान जाहिर नहीं कर रहा है और न करना चाहता है, उससे कभी नहीं डरना चाहिए। वो डराना चाह रहा है आप आप डर कर उसकी हिम्‍मत में बेवजह इजाफा कर रहे हैं। आपसे तो मेरे मन में खुशियों के दीप जल जाते हैं और आप दीप की खुशियों की ज्‍वाला को इन झोंको का डर, समझ नहीं आ रहा है । भाई सतीश सक्‍सेना का विदेश में होना - हमारी एक अच्‍छाई का इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर दूर होना, उन्‍हें दूर न समझें, वे मन में अपनी समस्‍त अच्‍छाईयों के साथ बसे हुए हैं जिस प्रकार आपकी खुशहाल छवि मेरे मन में सदा के लिए छपी हुई है।

    कुमार जलजला को तो हम वैसे ही ठंडा पानी डालकर हम बुझाने में समर्थ हैं आयोजन स्‍थल पर पानी के दो टैंकरो का इंतजाम किया गया है जिनमें प्रत्‍येक में पांच-पांच बर्फ की सिल्लियां डालकर पानी को ठंडा करने की प्रक्रिया सुबह से ही चालू है। उस जला को सिल्लियों का ठंडा जल डालकर दलदल करने की पूरी क्षमता मुझ में मौजूद है। वो अगर वहां आता है तो अपने पूरी माफीनामे के साथ खेद व्‍यक्‍त करते हुए अपनी बुराईयों को छोड़ने और हमारी अच्‍छाईयों को अवश्‍य अपनाएगा। मुझे अपने सच पर पूरा भरोसा है और ये यूं ही नहीं है, इसमें आप अजय कुमार झा सहित सब भाईयों का सच्‍चा साथ है।

    अब ढपोरशंख की क्‍लास लेता हूं - ढपोरशंख वाली ज्ञान की बातें मेरे सामने कोई वजूद नहीं रखती हैं। मात्र नाम के अंत में शंख चस्‍पा कर लेने से शंख के गुणों की काबलियत नहीं आ जाती। जिस प्रकार अविनाश के अंत में नाश का होना मेरी अच्‍छाईयों का अंत नहीं कर सकता उसी प्रकार ढपोर ढोर तो बन सकता है पर शंख नहीं। उसके इंसानी न होने तक में मुझे संपूर्ण विश्‍वास है।

    बात पोलखोलू की, जब वो अपनी और अपने बेनामी और नामधारी साथियों की पोल खोलने में ही समर्थ नही है। वो जो भी बोलेगा जिसकी पोल भी खोलना चाहेगा। नहीं खोल सकता है क्‍योंकि इन सबको अपने बनाये हुए खोलों में रहने की आदत हो गई है। सच्‍चाई है कि ये सब वहां रहकर पोल जानने में ही समर्थ नहीं हैं। जिसको जानकारी ही नहीं है वो खोलेगा क्‍या और छिपाएगा क्‍या ? टिप्‍पणियों में ही ये आ सकते हैं और अगर वहां पर इन पर ध्‍यान न दें तो ये वहां आना भी बंद कर देंगे।


    इसलिए ये तीनों अपनी बेनामी टीम के साथ छिपे ही रहेंगे क्‍योंकि ये बुराईयों के प्रतीक हैं और इन बुराईयों के समूल नाश के लिए हमें चाणक्‍य बनकर इनकी जड़ों में मट्ठा डालने का कार्य करना होगा। वो मुश्किल नहीं है, बहुत आसान है। उनकी टिप्‍पणियों, उनकी बातों पर बिल्‍कुल गौर न किया जाए और जहां वे नजर आएं उन्‍हें डिलीट कर दिया जाए। या बनी भी रहें तो क्‍या फर्क पड़ता है जब हम उनकी तरफ गौर ही नहीं कर रहे हैं। अगर ये मिलन समारोह में अपनी पहचान भी जाहिर कर दें तो भी इन्‍हें उत्‍सुकता न देखा जाए और न इन पर कोई तवज्‍जो दी जाए। समारोह की कार्यवाही में तो इनका जिक्र आना ही नहीं चाहिए। अगर आएगा भी सिर्फ उपहास उड़ाने के तौर पर ही इनका जिक्र किया जा सकता है इससे अधिक तनिक भी नहीं।

    इन्‍हें हमारी अच्‍छाईयों से डरना चाहिए। इनकी बुराईयों से हम क्‍यों डरें, क्‍या हमें इनकी बुराईयों के डर से अपने हिन्‍दी ब्‍लॉगजगत का मैदान खाली कर देना चाहिए। अगर हम अपनी अच्‍छाईयों के साथ डटे नहीं रहेंगे तो ये लोग जरूर वहां पर भी कब्‍जा जमा लेंगे। जैसे इन्‍होंने आपके मन पर कब्‍जा जमा लिया है। इन्‍हें काबिज मत होने दें। अपनी काबलियत के जोर पर हम अपनी अच्‍छाईयों के बल पर इनकी बुराईयों का सत्‍यानाश करने में पूर्ण सक्षम बनें और संपूर्ण विश्‍वास के साथ बेभय होकर माननीय मेहमानों संगीता पुरी, ललित शर्मा, प्रशांत (थाईलैंड) महफूज अली इत्‍यादि के सम्‍मान के लिए हाजिर हों।
    इसकी पूरी अलग से भी एक पोस्‍ट लगाई है लिंक देखें http://nukkadh.blogspot.com/2010/05/blog-post_23.html

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  13. आप लोग मेरी वजह से ब्लागर मीट में आने का कार्यक्रम न छोड़े. वह तो अविनाश वाचस्पति साहब ने ही अपनी पोस्ट में लिखा था कि जलजला मौजूद रहेगा इसलिए मैं दिल्ली पहुंच गया था. अब लौट रहा हूं. आप सभी लोग लाल-पीली-नीली जिस तरह की टीशर्ट संदूक से मिले वह पहनकर कार्यक्रम में पहुंच सकते हैं.
    यह दुनिया बड़ी विचित्र है..... पहले तो कहते हैं कि सामने आओ... सामने आओ, और फिर जब कोई सामने आने के लिए तैयार हो जाता है तो कहते हैं हम नहीं आएंगे. जरा दिल से सोचिएगा कि मैंने अब तक किसी को क्या नुकसान पहुंचाया है. किसकी भैंस खोल दी है। आप लोग न अच्छा मजाक सह सकते हैं और न ही आप लोगों को सच अच्छा लगता है.जलजला ने अपनी किसी भी टिप्पणी में किसी की अवमानना करने का प्रयास कभी नहीं किया. मैं तो आप सब लोगों को जानता हूं लेकिन मुझे जाने बगैर आप लोगों ने मुझे फिरकापरस्त, पिलपिला, पानी का जला, बुलबुला और भी न जाने कितनी विचित्र किस्म की गालियां दी है. क्या मेरा अपराध सिर्फ यही है कि मैंने ज्ञानचंद विवाद से आप लोगों का ध्यान हटाने का प्रयास किया। क्या मेरा अपराध यही है कि मैंने सम्मान देने की बात कही. क्या मेरा यह प्रयास लोगों के दिलों में नफरत का बीज बोने का प्रयास है. क्या इतने कमजोर है आप लोग कि आप लोगों का मन भारी हो जाएगा. जलजला भी इसी देश का नागरिक है और बीमार तो कतई नहीं है कि उसे रांची भेजने की जरूरत पड़े. आप लोगों की एक बार फिर से शुभकामनाएं. मेरा यकीन मानिए मैं सम्मेलन को हर हाल में सफल होते हुए ही देखना चाहता हूं. आप सब यदि मुझे सम्मेलन में सबसे अंत में श्रद्धाजंलि देते हुए याद करेंगे तो मैं आपका आभारी रहूंगा. मैं लाल टीशर्ट पहनकर आया था और अपनी काली कार से वापस जा रहा हूं. मेरा लैपटाप मेरा साथ दे रहा है.

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  14. राई को पहाड़ बना दिया है , सब लोगों ने मिलकर ।
    लगता है हम ब्लोगिंग में अपना समय नष्ट कर रहे हैं ।

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  15. @ डॉ. टी एस दराल

    मिलन समारोह में यही बतलाया जाना है
    पहाड़ को राई में कैसे बदला जाता है
    या पूरा का पूरा पहाड़ कैसे गायब होता है।

    हमें अपनी सकारात्‍मकता के लिए रचनात्‍मकता से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। आपकी शंका जायज है, पर इन सवालों का एक हल है और उसी को सबके सामने बतलाया जाएगा। आपकी सादर प्रतीक्षा है।

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  16. गुरुदेव समीर लाल जी और राज भाटिया जी का आदेश है, इसलिए न मानने का कोई सवाल ही नहीं, थोड़ी तबीयत ढीली है, लेकिन फिर भी जाऊंगा ब्लॉगर मीट में...

    बाकी जो मेरे मन में शंका थी, उसका अविनाश भाई ने अच्छी तरह निवारण कर दिया है...

    राजीव तनेजा भाई का प्यार वाकई अभिभूत करने वाला है...

    द्विवेदी सर, डॉ महेश सिन्हा, प्रवीण शाह, एम वर्मा जी, बोले तो बिंदास वाले रोहित, काजल कुमार, ऑनेस्टी प्रोजेक्ट डेमोक्रिसी का आभार, मेरी चिंता पर इतना ध्यान दिया...

    जय हिंद...

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  17. यकीं कीजिए खुशदीप जी
    यह सभी मौज लेने वाले छ्द्मनामी हैं
    आप ही को क्यों कहा जाए, हरेक इच्छुक उत्साही ब्लॉगर को कहा जाना चाहिए कि बिंदास हो निश्छल मन से इस सम्मेलन में शामिल हों
    काश मैं पहुँच पाता

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  18. @डॉ दराल सर,
    जो बात आपने लिखी है, कल से वही बात मेरे मन में भी रह-रह कर उठ रही है...कहीं हम अपनी ऊर्जा को व्यर्थ ही तो नहीं ब्लॉगवुड में खपा रहे...अगर यहां भी राजनीति ही होनी है तो क्यों न इतना वक्त हम किसी और सार्थक या समाज की भलाई के काम में लगाएं...चलिए देखते हैं आज की बैठक में क्या मंथन होता है...

    जय हिंद...

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  19. लोज्जी

    आप तो तैयार भी हो गए! टिप्पणी की चमकार बार बार लगातार!!

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  20. @ खुशदीप सहगल


    मन आपका हल्‍का हुआ और मन हमारा आभारी हुआ। स्‍वागत है आप सबका। वैसे आपने ही सबका स्‍वागत करना है। जय ब्‍लॉगिंगाबाद।

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  21. @कुमार जलजला
    मेरा तुमसे कोई व्यक्तिगत बैर नहीं है...बात सिर्फ उसूलों की है...तुम्हारी टिप्पणियों से साफ़ है कि कुछ भी हो तुम्हारे लेखन में प्रवाह है, बांधने की ताकत है...फिर तुम क्यों पहचान छुपा कर ये सब कर रहे हो...सबसे पहले अपना ब्लॉग बनाओ और वहां से अपनी बातें सबके सामने रखो...फिर कोई वजह नहीं कि तुम पर कोई ऊंगली उठाए...लेकिन पहचान छुपा कर टिप्पणियों के माध्यम से भ्रम फैला देना, मेरी नज़र में सर्वथा अनुचित है...ये तुम भी सही मानोगे कि किसी दूसरे पर तुम्हारी वजह से आंच न आए...फिर क्यों ये कहकर कि मैं मीट मे रहूंगा और कोई मुझे पहचान भी नहीं पाएगा...इससे तो मीट में पहुंचने वाले हर शख्स को परेशानी होती अलग और विवाद को न्यौता मिल जाता अलग...तुम अपना ब्लॉग बनाओ, फिर सबसे पहले तुम्हारा स्वागत करने वाला मैं हूंगा...

    जय हिंद...

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  22. @पाबला जी,
    तुसी मल्टीस्टारर फिल्म विच नहीं सिर्फ सोलो लीड फिल्म करण ते यकीन रखदे हो...होए क्यों न भई तुसी ब्लॉगवुड दे शाहरूख खान तो घट थोड़े ही ओ...तुसी जदो वी आओगे, साणू ते खिदमत विच खड़ा पाओगे ही...हूण साणू अगले महीने दा इंतज़ार वे...

    जय हिंद...

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  23. अजीब दास्ताँ है ये............

    कहाँ शुरू कहाँ ख़त्म ?

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  24. @ अलबेला खत्री

    ये अंत नहीं शुरूआत है।

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  25. खुशदीप जी,
    नमस्ते
    जिन्दगी तेरे दर पे हार आए
    सर से एक बोझ सा उतार आए
    इक कहानी और क्या
    जिन्दगानी और क्या
    अगर मुमकिन हो तो सौ-सौ जतन से
    अजीजों काट लो यह जिन्दगी लेकिन....
    मुझको समझा नहीं किसी ने भी
    और तो और जिन्दगी ने भी

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  26. @कुमार जलजला,
    जहां तक मुझे ध्यान पड़ता है, पहले एक बार सतीश सक्सेना भाई ने तुमसे मुलाकात करने की पेशकश की थी...आज मैं तुमसे उसी पेशकश को दोहरा रहा हूं...सतीश भाई अभी विदेश में हैं...इस महीने के अंत तक लौटेंगे...उसके बाद कभी भी आकर मिलो...दावा तो नहीं करता लेकिन कोशिश ज़रूर करूंगा कि तुम्हारी सोच
    बदल जाएं...दुनिया को पॉजिटिवली देखोगे सब पॉजिटिव दिखेगा...नेगेटिवली देखोगे तो सब नेगेटिव देखेगा...

    दुनिया इतनी भी बुरी नही है यार...

    जय हिंद...

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  27. खुशदीप जी...ब्लागर सम्मेलन में पिटने के डर से भागे जलजला..! इस पर एक मेरी भी चित्रमय पोस्ट है ...मेरे ब्लाग पर अपको देखने मिलेगी...

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  28. भई चंद सौ लोगो में कोई मठाधिश नहीं होता..कोई बनना चाहता है तो बना करे...हमें क्या..
    ब्लॉग पर ईनाम ऐसे ही लगता है जैसे भई तू अपने मोहल्ले का चैंपियन मैं अपने मोहल्ले का .
    'हम' जिनको कोई
    पूछता तक ना था
    ब्लॉगजगत में आकर
    मुखिया ही बन गए

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  29. हम कल मीट मे मौजूद रहेंगे लेकिन कोई हमे पहचान नही पायेगा .....वाह पुरानी हिन्दी जासूसी फिल्मो की स्टोरी याद आ गई

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