टिप्पणियां हुईं बटरफ्लाई...खुशदीप


तू कहां गई थी, तेरा मर जाए सावरिया...

आज सुबह ये गाना रह रह कर याद आ रहा था...जब भी अपनी पोस्ट पर आता, टिप्पणियों वाले बॉक्स को देखकर यही गाना याद आ जाता...पोस्ट पर दिखती 17 टिप्पणियां और कमेंट बॉक्स को खोलो तो दिखतीं सिर्फ 10...दो तीन बार तसल्ली के लिए यही क्रम दोहराया लेकिन कोई फायदा नहीं...अब सवाल ये टिप्पणियां गईं तो गईं कहां थीं ?...

फिर सोचा...टिप्पणी जिनके सम्मान में स्तुतियां गाईं जाती हैं, पूरा ब्लॉगवुड इतना मान देता है, उन्हीं टिप्पणियों को कहीं नए ज़माने की हवा तो नहीं लग गई...आप बड़े मनोयोग से इन टिप्पणियों को मंज़िल के लिए रवाना करते हैं...लेकिन ये निगोड़ी बीच रास्ते में न जाने कौन से बॉयफ्रेंड के साथ चंपत हो जाती है...तीन-चार घंटे मस्ती काटी, फिर चुपचाप आकर चिपक जाती हैं, अपने परमानेंट स्मारक पर...ऐसी शरीफ़ बनी रहती हैं जैसे दीन-दुनिया के बारे में कुछ जानती ही नहीं...कौन न मर जाए ऐसे भोलेपन पर...

ठीक वैसे ही जैसे आजकल फाइव स्टार स्कूलों में कुछ अल्ट्रामॉड छोरे-छोरियां निकलते तो है घर से पढ़ने के लिए...पूरी स्कूल यूनिफॉर्म में...लेकिन घर से निकलते ही किसी मॉल में...यूनिफॉर्म बैग के अंदर और बैग से कोई चटकती मटकती ड्रैस बाहर...मॉल के कूल कूल माहौल में बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड के साथ टाइम पास किया...घर जाने के टाइम पर फिर चटकती ड्रैस बैग के अंदर और यूनिफॉर्म बाहर...घर वापस पहुंचेंगे ऐसे मुंह लटका कर जैसे स्कूल में पढ़-पढ़ कर पता नहीं कितने थक गए हों...तो क्या टिप्पणियां भी इसी राह पर चल निकली हैं...

मैंने सुबह सोचा चलो इस टिप्पणी-रहस्यम को ब्लॉगर बिरादरी के ज़रिए सुलझाता हूं...मैंने टिप्पणी के ज़रिए ही शंका ज़ाहिर की...

ये टिप्पणियां आज बीच में कहां चाय-पानी के लिए अटक रही हैं...क्या औरों के साथ भी ये समस्या आ रही है...

पहला जवाब मिला सतीश पंचम जी से...

टिप्पणियां  मेरे यहां भी प्रकट, नेपथ्य में आ जा रही है...लगता है ब्लॉगर में कोई सुधार आदि की कवायद चल रही है...

फिर अपने स्टाइल में अविनाश वाचस्पति भाई ने मेरी शंका का निवारण करने की कोशिश की...

ब्‍लॉगस्‍पाट की मरम्‍मत के कारण टिप्‍पणियां कभी कभी बीच में खड्ढे में गिर जाती हैं फिर किसी तरह बाहर निकल आती हैं क्‍योंकि कुंए का मेंढक नहीं बनना चाहती हैं...पर एक दिन ब्‍लॉगस्‍पाट कुंए का मेंढक बन सकता है इसलिए अपनी सुरक्षा स्‍वयं करें...माह में दो बार अपने ब्‍लॉग का बैकअप अवश्‍य लिया करें...

लेकिन मुझे अब भी इन शोख चंचला टिप्पणियों पर विश्वास नहीं हो रहा...आखिर तीन-चार घंटे के लिए ये गायब हुईं तो हुईं कहा...मेरे शक्की होने की वजह भी है...क्योंकि मैंने कहीं पढ़ा था...



आप हाउसफ्लाई को तो बटरफ्लाई बना सकते हैं लेकिन किसी बटरफ्लाई को आप कभी हाउसफ्लाई नहीं बना सकते...

एक टिप्पणी भेजें

31 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
  1. यही सब मेरे साथ भी चल रहा है भैया.. लगता है ये समस्या जल्दी नहीं हल होने वाली..

    जवाब देंहटाएं
  2. "आप हाउसफ्लाई को तो बटरफ्लाई बना सकते हैं लेकिन किसी बटरफ्लाई को आप कभी हाउसफ्लाई नहीं बना सकते..."



    वाह जी वाह ...................बहुत खूब ..............बढ़िया पोस्ट !!
    हमने तो इस पर गौर ही नहीं किया कभी !!

    जवाब देंहटाएं
  3. ham bhi is samsya ke bhogi hain..par koi baat nahi aa to jati hain na :)

    जवाब देंहटाएं
  4. आज कुछ गुगल की तबीयत गड़बड़ है जी...सभी के साथ नखरे कर रहा है. :)

    जवाब देंहटाएं
  5. ye to hai dikha kuch aur raha hai hai kuch aur aur aakhri baat to bahutahi badhiya...housefly waali...

    जवाब देंहटाएं
  6. हई देखो...
    ख़ुद कितने महीनों से जलवा दिखा रहे हैं तब कोई बात नहीं....और ई टिप्पणी बेचारियों ने ज़रा सी अदा क्या दिखाई ...आसमान सर पर उठा लिया है....
    उनको भी आजादी चाहिए....अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सिर्फ आपको ही चाहिए का...ऊ टिप्पणी को भी पूरा हक है...आपने बिलाग से उठ कर किसी के भी बिलाग का चक्कर लगा सकती हैं....
    आई थीं हमारे पास...चाय-नास्ता कीं...और गयीं अपने घर...
    जाने कहाँ-कहाँ से आ जाते हैं लोग...:)
    हाँ नहीं तो...!!

    जवाब देंहटाएं
  7. हमे तो कुछ पता नही इस गडबड के बारे मे ना ही समझ आया कि क्या हो रहा है। कोशिश करती हूँ देखने की। खुश रहो आशीर्वाद्

    जवाब देंहटाएं
  8. टिप्पणियों के जलवे हैं ये तो.
    हम भी भुगत रहे हैं

    जवाब देंहटाएं
  9. मैंने तो सतर्क करने का प्रयत्‍न किया है। नहीं होना चाहते हैं न हो। सतर्क में भी तर्क तलाश करेंगे तो एक दिन ब्‍लॉग की लाश के भी लाले पड़ जायेंगे। फिर नाले में भी नहीं मिल पायेंगे।

    जवाब देंहटाएं
  10. गूगल कौन से अस्पताल में भर्ती है जी, मिलने जाना है।

    जवाब देंहटाएं
  11. मक्खन की जासूसी कीजिए, सब पता चल जाएगा :-)

    बी एस पाबला

    जवाब देंहटाएं
  12. बटरफ्लाई को आप कभी हाउसफ्लाई नहीं बना सकते..
    ...शुक्र है, वरना दुनियाँ कितनी बेरंग हो जाती..!

    जवाब देंहटाएं
  13. ये सब मौसम का असर है । ४५ डिग्री में भाप बन जाती हैं , फिर जब तापमान थोडा कम होता है तो वापस उसी रूप में आ जाती हैं । साइंस भाई साइंस ।
    वैसे हमारे यहाँ तो टिप्पणियों का भण्डार ही गायब हो गया है।

    जवाब देंहटाएं
  14. टिप्पिणयों पर हैं सब फिदा
    क्योंकि इसकी अदा है जुदा
    सबको मिले टिप्पिणयों का तोहफा
    यही है अपनी रब से दुआ

    जवाब देंहटाएं
  15. हमें तो गिनी चुनी टिप्पणियाँ मिलती हैं भाई इसलिये कल हमारे पोस्ट पर पाँच और कमेंट बॉक्स में सिर्फ दो टिप्पणियाँ दिखने पर भी हम यह सोचकर कि चलो "नहीं मामा से काना काना मामा अच्छा" (Somthing is better then nothing) संतुष्ट रहे।

    जवाब देंहटाएं
  16. जब तक आप लोग जलजला (आपके हिसाब से पानी का जला) की टिप्पणियों को ठीक ढंग से नहीं समझेंगे अपने ब्लाग पर महत्व नहीं देंगे तब तक ऐसा ही होता रहेगा.
    टिप्पणी मिटा सकते है. सर्वाधिकार सुरक्षित.

    जवाब देंहटाएं
  17. आएँगी जरुर टिपण्णी तेरे नाम की ....
    याद रखना

    जवाब देंहटाएं
  18. khushdeep ji ...ye hadsa to pichli post par mere saath hua jab shuru ki 11 tippaniyaan publish karne ke baad bhi show nahi hui..0 comments hi rahe :))))))))

    जवाब देंहटाएं
  19. मै भी ढूंढ रहा हूं एकाध बटरफ़्लाइ जिसे हाऊसफ़्लाइ बनाया जा सके।हा हा हा,मज़ेदार खुशदीप भाई।

    जवाब देंहटाएं
  20. जिसके नाम की टिप्पणी है वही पहुंचेंगी ...थोडा लम्बा चक्कर काट के सही .....:):)

    पेड पौधों को पालने का फायदा नजर आने लगा है ...बहुत सारी बटरफ्लाई नजर आती है आजकल ...मगर ये हाउसफ्लाई ...ये कहाँ होती है ...कैसी होती है ...??...:):)

    जवाब देंहटाएं
  21. रास्ते में ट्राफिक क्यादा है, गर्मी भी है पानी पीने तो कहीं सुस्ताने चली जाती है... ऐसे आरोप लगाना ठीक नहीं, क्यूंकि जब वापस आती है तो सही सलामत ही रहती हैं.

    जवाब देंहटाएं
  22. आशा है इस पोस्ट पर आपका प्यार मिलेगा, 'ब्लोगवाणी' से गलती से ये गायब हो गई..
    http://swarnimpal.blogspot.com/2010/05/blog-post_20.html

    जवाब देंहटाएं
  23. अजी भारत मै इतनी गर्मी पढ रही है इस लिये कुछ टिपण्णियां युरोप की तरफ़ घुमने आ गई, यह पकडो एक टिपण्णी बडी मुश्किल से हाथ मै आई है, इसे अब कस के खूंटे से बांध लो

    जवाब देंहटाएं
  24. एक बार ऐसे ही स्कूल से भाग कर .... कपडे बदल कर.... अपनी दो गर्ल-फ्रेंड के साथ.... पिक्चर देखने गया था.... विवेक मुशरान और पूजा भट्ट कि 'सातवाँ आसमान" पिक्चर देखने के बाद वो दोनों गर्ल-फ्रेंड मुझे छोड़ कर भाग गयीं.... और वार्निंग दी कि आज के बाद से ज़हर दे देना....लेकिन ऐसी पिक्चर मत दिखाना.... अगर किसी से दुश्मनी निकालनी है तो उसे 'सातवाँ आसमां' दिखा दीजियेगा.... या फिर किसी कमरे में बंद कर के स्टार प्लस या फिर कलर्स चैनल लगा दीजियेगा.... ऐसे ही मर जायेगा... ऐसा ही हाल टिप्पणी के साथ होता है..इसीलिए गोल हो जातीं हैं.... ही ही ही ही ही.... वैसे तितलियों का क्या है.... इनका तो काम ही है उड़ जाना ... चाहे वो उड़ने वाली तितलियाँ हों या फिर ज़मीन पर चलने वाली.... ही ही ही ही .....

    जय हिंद,.....

    जवाब देंहटाएं
  25. tippaniyon ki kuch pooja archna bhi karni chahiye thi na tabhi to aayengi.

    जवाब देंहटाएं
  26. अच्छा हुआ मैने कोई पोस्ट लिखी ही नहीं....और इस मुसीबत से बच गयी...:)

    जवाब देंहटाएं
  27. अपन के पास तो वैसे भी गिनी चुनी टिप्पणीया आती है दो चार . और वह भी उड जाये तो क्या फ़र्क पैन्दा ;)

    जवाब देंहटाएं
  28. खुशदीप जी, टिप्‍पणी मेमसाहब मेरे साथ अमेरिका चले आयी थी, मैंने उसे बहुत कहा कि अरे भाई खुशदीप भाई की पोस्‍ट पर जाकर मधुमक्‍खी का छत्‍ता जैसा बना लो लेकिन यह मानी ही नहीं। बोली की मुझे तो अमेरिका में देखना है कि बच्‍चे स्‍कूल जाते हैं या फिर डेटिंग पर निकल जाते हैं। आज मैंने उस वापस आप के पास रवाना कर दिया है और देखो मेरी टिप्‍पणी के साथ ही वो आपके पास आ रही है। उसके अनुभव बाद में लिखूंगी। बेहद खूबसूरत पोस्‍ट थी।

    जवाब देंहटाएं