बधाइयां जी बधाइयां...समूचे ब्लॉगवुड के लिए खुशियां मनाने का मौका जो आया है...आरतियां उतारो...मंगलगीत गाओ...आज हमारे बीच नया मेहमान जो आया है...नाम जानना चाहते हैं...तो नाम है...मियां जी...ज़रा सुनो !...क्या कहा नाम अजब सा है...अरे नाम अजब-गज़ब नहीं होगा तो क्या होगा...इन्होंने इंसान योनि से कोई जन्म लिया है...ये नन्हे मियांजी तो बहुत पहुंची हुई आत्मा हैं...ये दुनिया पर अवतरित होने से पहले गर्भ में नौ महीने नहीं रहे हैं...पैदा होते ही मुखारबिंद से मधुर वचनों की बरसात करने वाले मियां जी खुद दावा कर रहे हैं कि वो पिछले पांच साल से ब्लॉगवुड की हर हरकत पर नज़र रख रहे हैं...इन्होंने दुनिया में आने से पहले ही कई बरसाती नदी-नालों को ब्लॉगवुड में आने के बाद वक्त के थपेड़े खाने के बाद गुम होते देखा है...अब ये कलयुगी अवतार नहीं तो और क्या हैं...अब आप सोचेंगे कि ऐसी महान आत्मा को दुनिया में लाने के लिए ज़िम्मेदार कौन होगा...धन्य है वो जनक जिसने मियां जी को जन्म दिया...अब आप उस जनक को बधाई देने के लिए बेचैन होंगे...लेकिन मुश्किल यही है मियां जी भी अपने प्रोफाइल में ज़्यादा कुछ नहीं बता रहे और उनका जनक भी सामने नहीं आ रहा...न जाने क्यों वो जनक बदनामी के डर से घुला जा रहा है...ब्लॉगवुड से आंखें मिलाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा...
ये मियां जी बॉलीवुड, हॉलीवुड, टॉलीवु़ड, लॉलीवुड और ब्लॉगीवुड, न जाने कौन-कौन से वुड की ख़ाक़ छान चुके हैं...अगर आप इनके अनमोल वचनों के बारे में ज़्यादा नहीं जानते तो आज मेरी पोस्ट पर जाकर इनकी टिप्पणियों को पढ़ आइए...
अब आप मेरे बारे में इनकी राय जान चुके होंगे...अब मियांजी की ओर से मुझे दिए गए आशीर्वादों और उन पर मेरे जवाबों को सुनिए...
मियांजी का आशीर्वाद नंबर 1
मैं आत्ममुग्ध हूं....
मेरा जवाब
मियां जी मेरी आंखे खोलने के लिए धन्यवाद...मैं तो यही समझता था कि ब्लॉगिंग में मैंने ऐसा कोई तीर नहीं मारा कि आत्ममुग्ध होता फिरूं...वैसे मियांजी मेरी किसी एक पोस्ट का भी हवाला दे देते जिसमें मेरी महानता का बखान होता...
मियांजी का आशीर्वाद नंबर 2
पिछले कुछ दिनों से मैं रोज़ ब्लॉगवुड शब्द का इजाद करने के लिए अपनी पीठ ठोक रहा हूं...वरिष्ठ और गरिष्ठ ब्लॉगर भी इस काम के लिए मुझे दाद पर दाद दिए जा रहे हैं...
मेरा जवाब
अगर मेरी याददाश्त साथ दे तो मैंने महफूज और सलमान खान की तुलना करते हुए 12 जनवरी को अपनी पोस्ट..महफूज इक झूमता दरिया... में अनायास ब्लॉगवुड और बॉलीवुड शब्दों का इस्तेमाल किया था...उसी पोस्ट पर अदा जी ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि उन्हें ब्लॉगवुड शब्द अच्छा लगा...उस पोस्ट के बाद मैंने अपनी किसी पोस्ट में नहीं कहा कि मैंने ब्लॉगवुड शब्द को इजाद किया...हां, ब्लागर बिरादरी के लिए ज़रूर तीन-चार जगह ब्ल़ॉगवुड शब्द इस्तेमाल करता रहा...हां, कल...हर ब्लॉग कुछ कहता है...वाली पोस्ट पर मैंने ब्लॉगर बिरादरी से ये जानना चाहा कि
ब्लॉग जगत के लिए ब्लॉगवुड शब्द इस्तेमाल करने पर सबकी राय क्या है...इसी बात को विवाद का रंग देने के लिए मियांजी को इस दुनिया में आना पड़ा...
मियांजी का आशीर्वाद नंबर 3
इसे आशीर्वाद की जगह दावा कहा जाए तो ज़्यादा अच्छा होगा...स्वयंभू गुरु की तरह मियांजी ने मुझे बताया कि ब्लॉगवुड नहीं सही शब्द ब्लॉगीवुड होता है...इस व्युत्पत्ति के लिए मियां जी ने मुंबई से बॉलीवुड, अमेरिका से हालीवुड, कोलकाता से टॉलीवुड और लाहौर से लॉलीवुड शब्द निकलने का हवाला दिया...बकौल मियां जी मुझे झटका देने वाला एक और बम बाकी था कि कुश जी बहुत पहले ही ब्लॉगीवुड शब्द को इजाद कर चुके हैं और सारे गरिष्ठ ब्लॉगर इस बात को जानते हैं...
मेरा जवाब
शुक्र है मैंने अनजाने में ब्लॉगीवुड का इस्तेमाल नहीं कर दिया, ब्ल़ॉगवुड ही किया...नहीं तो मुझ पर आज कॉपीराइट, पेटेंट न जाने कौन कौन से कानूनों के तहत मुकदमा दर्ज हो जाता...भइया ब्ल़ॉगीवुड हो या ब्ल़ॉगवुड, कोई इन शब्दों के पहले इस्तेमाल के लिए किसी को माला तो पहनाने जा नहीं रहा ...अब अगर कुशजी ने पहली बार ब्लॉगीवुड इस्तेमाल किया तो बड़ी अच्छी बात है कि हमारे ख्याल मिलते जुलते हैं...पिछले पांच महीने से मैं ब्लॉगिंग में हूं, कम से कम मैंने तो किसी को ब्लॉगवुड या ब्लॉगीवुड का इस्तेमाल करते देखा नहीं...और अगर दो साल पहले कुशजी ने ब्लॉगीवुड का इस्तेमाल किया था तो वो मुझे कैसे पता चल जाता...और ये ऐसा मुद्दा ही कहां है जिसे विवाद की शक्ल दे कर मेरी तरफ बंदूक तानी जा रही है...मियांजी ने तो उस पोस्ट का लिंक दिया नहीं जिसमे कुश जी ने बोलीवुड़ या ब्लागीवुड़ जैसे शब्दों का इस्तेमाल एक व्यंग्य में किया था...लेकिन कल जैसे ही बेनामी मियांजी ने मेरे पर तोप दागी वैसे ही बिना वक्त गंवाए कुश जी ने आकर पहली टिप्पणी में अपने उस व्यंग्य का लिंक दिया
http://chitthacharcha.blogspot.com/2008/10/blog-post_2006.html
आज की चर्चा बोलीवूड़ स्टाइल में.
कुश जी का एक बेनामी टिप्पणी पर अचानक ऐसा करना मुझे आश्चर्यजनक लगा...मेरी एक बात समझ नहीं आई कि कुश जी ने पहली टिप्पणी में सिर्फ लिंक क्यों दिया...वहां एक भी शब्द क्यों नहीं लिखा...वहीं मियांजी की भर्तस्ना क्यों नहीं की...इसलिए मैंने टिप्पणी कर कुश जी से पूछा...
"@कुश जी,
आपने सिर्फ लिंक देकर छोड़ दिया...बाकी एक भी शब्द नहीं लिखा...मुझे याद पड़ता है तो आप पिछले पांच महीने में सिर्फ एक बार मेरी किसी पोस्ट में कमेंट करने आए थे...आज...मियां जी...ज़रा सुनो!!! के जन्म लेने के साथ आप फिर अचानक अवतरित हो गए...कहीं इस नवजात शिशु से आपका कोई संबंध तो नहीं..."
जय हिंद...
मेरा कुश जी से इससे पहले संवाद सिर्फ बबली प्रकरण में हुआ था...पुराने सब ब्लॉगर तो उस प्रकरण के बारे में जानते हैं लेकिन नये ब्ल़ॉगर जो नहीं जानते उनके लिए मैं वो लिंक दे देता हूं....कि किस तरह बबली जी की पोस्ट पर कमेंट करने को लेकर कई वरिष्ठ ब्लागर्स की टांग खींचने की कोशिश की गई थी...मैं तो उस वक्त खैर नया नया था लेकिन मुझे भी बाकायदा एक हिटलिस्ट बनाकर उसमें डाल दिया गया था.....इस पोस्ट पर कुश जी और मेरे बीच टिप्पणियों के ज़रिए हुए संवाद पर खास तौर पर गौर कीजिएगा...
हां, मैं हूं बबली जी का वकील...
ये जो मैं लिंक दे रहा हूं, ये चिट्ठाचर्चा की 16 सितंबर 2009 वाली पोस्ट है इसे पढ़ेंगे तो आपको पता चल जाएगा बबली जी का नाम लेकर किस तरह कई वरिष्ठ और कनिष्ठ ब्लॉगर्स को निशाना बनाने की साज़िश रची गई थी...
कौन है आज का ब्लोगर ऑफ़ द डे?
जैसे उस विवाद का अंत हुआ था...कल भी कुश जी ने मेरी पोस्ट पर दूसरी टिप्पणी में मियांजी जैसे बेनामी टिप्पणीकारों की भर्त्सना करते हुए उनका आईपी अड्रैस पता करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया था...मैं भी यही चाहता हूं कि एक बार माहौल खराब करने वाले या दो ब्ल़ॉगर के बीच कटुता पैदा करने की साजिश करने वाले इन मियांजी जैसे बेनामियों का सिर गंजा कर सरे बाज़ार जूते लगने चाहिए...कुश जी की दूसरी टिप्पणी जस की तस...
"मैं एक वेब डेवेलपमेंट कंपनी में हु.. कई बार किसी वेबसाईट के लिए डोमेन बुक करते है तो पता चलता है किसी ने बहुत पहले ही लिया हुआ है.. इसका ये मतलब नहीं कि हमने कोपी किया.. बस हमारी सोच और उनकी सोच मिलती है.. वैसे भी जो कुछ हम सोचते है वो कोई और भी कही ना कही सोच रहा होता है... ऐसा कई बार हो जाता है...सागर ने इस पोस्ट का लिंक दिया था.. लंच से पहले अपना लिंक तो दे ही दिया था जहाँ मैंने ये शब्द खोजा था.. आपने भी खोज लिया.. अच्छी बात है..फेक प्रोफाईल से काम लेना बहुत गलत है.. मेरे खिलाफ तो कई लोगो ने इस्तेमाल किया है... एक बार किसी ने डिम्पल के बारे में कायरता पूर्ण टिपण्णी की थी बहुत ही घटिया.. महफूज़ भाई से गुज़ारिश है कृपया उन लोगो के आई पी का पता लगाये.. ताकि इस ब्लोगिंग से कुछ तो गन्दगी दूर हो.. मेरी आवश्यकता पड़े तो बताइयेगा महफूज़ भाई..
खुशदीप भाई से कोई शिकायत नहीं.. ख़ुशी हुई कि अपनी सोच वाले और भी कई है.."
इस बीच मेरे पास सागर का भी फोन आया...जिसमें उसने बताया कि बेनामी की हरकत और मेरे कमेंट से कुशजी आहत हुए हैं...सागर ने ये भी कहा कि इस प्रकरण को यहीं खत्म कर देना चाहिए....सागर ने पोस्ट पर मुझे टिप्पणी में इस प्रकरण पर कुछ न लिखने की सलाह भी दी...
"शुक्रिया खुशदीप बाबू,
देर से आने के लिए मुआफी... सबसे पहले मेरा नाम का जिक्र अपने पोस्ट में किया इसके लिए शुक्रिया... सुबह से देख रहा हूँ इस पोस्ट को लेकिन फुर्सत निकल कर कमेन्ट नहीं कर पाया... कुश जी को लिंक मैंने ही दिया था क्योंकि आज वो चिठ्ठाचर्चा करने वाले थे... दुःख इस बात पर हुआ कि कुछ वरिष्ठ ब्लॉगर भी बड़े छोटे मन के हैं... इसपर ज्यादा कुछ नही कहूँगा ... बस इतना याद दिलाना है कि कल आप कुछ और लिखने वाले हैं जिसका आपने वादा किया है... आप उस पर एकाग्र हों.. आप खुद इतना अच्छा माहौल बना कर लिखते हैं... पत्रकारिता का स्टुडेंट होने के नाते मैंने हमेशा से आपको पढ़ा... और आपने जिस तरेह से ब्लॉग को नियमित और मेंटेन रखा है वो प्रशंशनीय है... आपके पढने वाले कुछ नियमित पाठक हैं... उसे एक बेहतरीन पोस्ट से वंचित ना करें... बांकी सब चीजें आती जाती रहती हैं... अभी ज्यादा नहीं लिख सकता बॉस शनिवार को ऑफिस में ही होते हैं... .).).) हाँ सोमवार को नयी पोस्ट मत लिखिए... मैं सन्डे को पढ़ नहीं पाता... अपनी ब्लॉग्गिंग दफ्तर से खाली समय में होती है..."
लेकिन इसी बीच मेरे सवाल पूछने से नाराज होकर कुश जी ने तीसरी और आखिरी बार मेरी पोस्ट पर आकर ये टिप्पणी दी....
"@खुशदीप जी
मैंने अपने कमेन्ट के ऊपर आपका कमेन्ट पढ़ा नहीं था.. अगर पढ़ लिया होता तो कमेन्ट ही नहीं करता.. गलती थी जो यहाँ पर कमेन्ट किया.. जो लोग कान बंद करके बैठते है उन्हें आप कुछ समझा नहीं सकते.. आपको आपका शब्द मुबारक..और हाँ अपनी बात कहने के लिए मुझे बेनामी बनने की जरुरत भी नहीं.. गलती के लिए माफ़ी यहाँ दोबारा आ गया.."
अब लो कल्लो बात की तरफ से फाइनल ब्लास्ट..
मैंने तो कहीं नहीं कहा कि मेरा ब्लॉगवुड पर पेटेंट है, लेकिन कुश जी की आठ अक्टूबर
2008 से पहले भी 19 जुलाई 2008 को तरुण जी ब्लॉगीवुड नहीं ब्लोगवुड शब्द का इस्तेमाल कर चुके हैं...लिंक ये रहा...
भले ही फ्लाप आश्रम चलायें लेकिन इन ब्लोग को मत पढ़िये
अब आपने सब कुछ पढ़ लिया...मैंने अपनी तरफ से सब कुछ साफ करने की कोशिश है...अब अगर मैं गलत हूं तो सभी बड़े और सम्मानित जन मेरे कान पकड़ सकते हैं...मेरा इस पोस्ट को लिखने का आशय यही था कि ये बेनामी टिप्पणीकार किसी भी पोस्ट पर आकर ज़हर बुझे तीर चलाकर ब्ल़ॉगवुड में सौहार्द के माहौल को तार-तार करना चाहते हैं...इस गंदगी को रोकने के लिए ज़रूर कुछ न कुछ किया जाना चाहिए...
बाकी ब्लॉगवुड के इस विवाद को यहीं दफन कर देना चाहिए...किसी को ब्ल़ॉगवुड शब्द अच्छा लगता है तो इस्तेमाल करे, नहीं लगता तो न करे...ये अपनी-अपनी सुविधा का सवाल है...मेरे पास वैसे भी ऐसे पचड़े पालने के लिए वक्त नहीं है...गलत बात न किसी से करता हूं और न ही गलत बात किसी की सहता हूं...अब इस मसले पर मैं आगे कुछ नहीं कहूंगा...चलिेए छोड़िए ये सारा चक्कर, आइए मूड बदलने के लिए स्लॉग ओवर पर...
स्लॉग ओवर
मक्खन ने मक्खनी को आगाह करते हुए कहा कि अगर उसके लिए कोई फोन आए
तो कहना कि घर पर नहीं हूं...फोन आता है...मक्खनी फोन उठाती है... कहती
है...वो घर पर है...मक्खन घूरते हुए कहता है...ये क्या कहा, मैंने क्या कहा था...
मक्खनी...फोन तुम्हारे लिए नहीं मेरे लिए था....
slog over bahut badhiya rahaa . vaise naam me kyaa rakhaa hai . pyaar ko pyaar rahane do koi naam na do .naam diya to log buraa mante hai
जवाब देंहटाएंस्लॉग ओवर जानदार रहा।
जवाब देंहटाएंये 'ब्लॉग' शब्द ही अभिशप्त सा लगता है। इसके साथ कुछ भी जोड़ों बवाल हो ही जाता है। अब तक प्रत्ययनुमा जोड़ ट्राई किए गए, कोई उपसर्गनुमा जोड़ ट्राई करो भाया, हिम्मत दिखाओ।
खुशदीप भाया, इस मसले पर आगे कुछ नहीं कहने का निर्णय ठीक लिया। आगे एक झकास पोस्ट की प्रतीक्षा है।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने ऐसी फ़ाल्तू बातों पर ध्यान लगाना समय की बरबादी है।
जवाब देंहटाएंमियांजी तो लगता है पुर्वग्रसित थे और आज आप "हर ब्लॉग कुछ
कहता है...खुशदीप" की जगह कुछ और भी लिखते वह तब भी यही हरकत करते। अवतरित जो हैं जी।
एक बार फ़िर कहुंगा कि:
'होंठ घुमा सीटी बजा, सीटी बजाकर बोल, भइया आल इज वेल'
स्लॉग ओवर - मस्त जी
जय हिंद
खुशदीप जी कल से आपके ब्लॉग में कमेन्ट करने के लिए प्रॉब्लम हो रही हैं...इसीलिए कल आपको मैंने ईमेल किया था अपना कमेन्ट.....
जवाब देंहटाएंमुझे अपने दोस्त से कहना पड़ा कमेन्ट देने के लिए...
जब भी मैं firefox से लोगिन कर रही हूँ कमेन्ट बॉक्स आपका काम नहीं कर रहा है...
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जय हो खुशदीप जी,
क्या पोस्ट लिख दी....
मियाँ जी की जूती मियाँ जी के सर....हा हा हा हा
मियाँ जी पिछले ५ साल से जुत्तिय्याँ चटका रहे हैं और आप ५ महीने में उस मकाम पर पहुँच गए...क्या बात है..वाह...!!
We are proud of you...!!:):)
तभी न कहा जाता है..शरीफ इंसान से पंगा लोगे तो वाट लग जाएगी ...हा हा हा
हम तभी तो कहते हैं...पोलिटिक्स ज्वाइन कीजिये न....हम भी आपके साथ साथ ज्वाइन कर लेवेंगे....फिर मिलकर 'गन्दा और गन्दगी साफ़ करेंगे' ...
I am all for it....
लिखते रहिये ऐसे ही....हमेशा ढंग की चीज़....
भाई अच्छी खबर ली मियाँ जी की...
जवाब देंहटाएंबीती ताही बिसार के आगे के सोचिए....विवादों में कुछ नहीं धरा है
जवाब देंहटाएंब्लॉग की खबर लें
जवाब देंहटाएंब्लॉग की खबर दें
ब्लॉगिंग के खुशनुमा
दीप जलें।
हमें अभी लीगल नोटिस मिल चुका है। जिसका भविष्य है कि वारंट जारी होने ही वाले हैं। तब तक दो चार कमेंट और एक आध पोस्ट तो पब्लिश कर लें। फिर मिलते हैं .... ब्रेक के बाद नहीं ..... जेल के बाद ........
मियाँ जी, बहुत ज्ञानी हैं। अभी अभी पैदा हुए और ज्ञान दे गए। अभिमन्यु का तो पता था कि वह किस के गर्भ से पैदा हुआ और किसने उसे यह ज्ञान दिया। यह तो सच है कि कोई तो मियाँ जी को ज्ञान देने वाला रहा ही होगा।
जवाब देंहटाएंइतना ही काफी है। मुझे तो सांख्य का तीसरा तत्व अहंकार'स्मरण' हो रहा है। समूची सृ्ष्टि का वही सूत्रधार है और अक्सर मानव मन में अनायास प्रकट होता रहता है।
अदा जी,
जवाब देंहटाएंमैंने अभी-अभी इस पोस्ट को एडिट कर...कौन है आज का ब्लॉगर ऑफ द डे...लिंक जोड़ा है...उसे भी पढ़िएगा ज़रूर...
जय हिंद...
कभी हमे भी ब्लागर आफ़ द डे बना देना खुशदीप भैया।कंहा आप भी लफ़्ड़ो मे पड़ गये।सब आपको पढते हैं और आपके चाहने वालों की कमी नही है,उनमे एक हम भी हैं।
जवाब देंहटाएंस्लाग ओवर सब पर भारी.
जवाब देंहटाएंखुश दीप जी, यह मियां जी कोई हम मै से ही है, जो आप से जलता है, वरना अपनी पहचान ना छूपाता अरे बाबा आप कोई भी हो सामने आ कर खुल कर बात करो, यू छूपा छुपी के खेल मै मजा नही, अगर सब को आप की असलियत पता चल गई तो या चेहरा कहां छुपाओगे/ गी
जवाब देंहटाएंअजी आप मस्त रहे... ओर मकखनी बेचारी सच बोल कर भी फ़ंस गई:) तभी तो कहते है कि सच भी सोच कर बोलना चाहिये
इसीलिये ब्लॉग संतो ने कहा है
जवाब देंहटाएंटिप्पणी नियंत्रण लगाई लो
सब छलनी होइ जाए
कनक्ड पत्थर अलग करो
कहे बाबा गूगल राय
स्लोग ओवर में बाउंसर फेकना मना है :)
Ghor Kaliyugwa aawe rahe.. aaur ghor confusionwa hui raha...
जवाब देंहटाएंslog over mast tha bhaia
Jai Hind...
slog over majedar hai kheshdeep...baki hamen kuch samjh nahi aaya.:)
जवाब देंहटाएंKhus raha karo Sahgal Ji
जवाब देंहटाएंkis pachde me pad gaye Khusdeep ji......JIsne jalna hai jalne do....
Koi ho kia fark padta hai.....Apna likho koi jalta hai to jalne do....
स्लॉगओवर मजेदार रहा...
जवाब देंहटाएंमियाँ जी अभिमन्यू हैं, पेट से ही सारी कथा सुनकर निकले हैं. :)
लो जी एक और निरं कुश ब्लॉग वुड विवाद !
जवाब देंहटाएंइतना वाद विवाद अगर देश और समाज से जुड़े मुद्दों पर लिखी सार्थक प्रविष्टियों पर कर लिया जाए तो कितना उचित रहे ...ब्लॉग , ब्लोगारा , ब्लॉगवुड ...ये भी कोई बहसके मुद्दे हैं ...?
जवाब देंहटाएंमियां को भली भांति जवाब मिल ही गया ...आपभी इस टॉपिक पर मिटटी डालें ...
स्लोग ओवर तो हमेशा की तरह मस्त है..मक्खनी और फ़ोन के किस्से को ब्लोगर और चैटिंग से जोड़ कर भी देखने में हर्ज़ नहीं ..:)
खुशदीप भाई,
जवाब देंहटाएंलिखते रहिए और बुलंदियों पर पहुँचिए।
ध्यान रहे, कहीं से महर्षि पाणिनी भी ना आ जाएं और कहें कि जिन शब्दों का प्रयोग आप कर रहे हैं उनकी रायल्टी मुझे दी जाए, निरुक्तकार ना आ जाएं और कहें कि जिन शब्दों का आप प्रयोग कर रहे हैं उसके मायने मैने बनाए हैं मेरा भी कापी राईट का हक बनता है रायल्टी दीजिए।:)
अभी दिखी यह पोस्ट
जवाब देंहटाएंब्लॉगर मिलन कार्यक्रम से निपट कर आराम से,इससे पहली वाली भी, पढ़ता हूँ
खुशदीप जी, विघ्नसंतोषियों का काम ही होता है अच्छे काम में विघ्न डालना। ऐसे लोगों की ओर ध्यान देना अपना समय बरबाद करना है। ऐसे लोगों में इतना दम भी तो नहीं होता कि खुल्लमखुल्ला कुछ कह सकें इसीलिये चेहरा छिपाते फिरते हैं।
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी,
जवाब देंहटाएंआपने आज की पोस्ट का शीर्षक गलत दिया है मियांजी पधारो म्हारे ब्लॉगवुड. जबकि इसका शीर्षक होना चाहिये था "मियांजी जूते खाने आवो म्हारे ब्लॉगवुड."
आपकी इस पोस्ट पर मैं आपकी ही पिछली पोस्ट हां, मैं हूं बबली जी का वकील.. पर मेरे द्वारा की गई टिप्पणि के अंश ही यहां लिखना चाहुंगा जो कि आज भी सामयिक है.
शायद मेरे ब्लाग-जीवन का यह पहला ही अवसर है. जो ऐसी परिस्थितियों से दो चार होना पड रहा है.
पर कुछ लोग नही जानते कि उनकी एक छोटी सी मजाक भी किसी को हर्ट कर सकती है. और बिना बात का तूफ़ान खडा कर सकती है.
पर यहां सब अपनी मर्जी के मालिक हैं, दूध पीता बच्चा तो यहां पर कोई है नही... तो कोई यह समझे कि कोई किसी को प्रभावित कर सकता है. तो मुश्किल है.
फ़िर भी यह स्थितियां खुशी मनाने की तो कतई नही हैं, इस से कुछ भला होने वाला तो नही है.
और अंत मे इतना ही कहूंगा कि सभी जानते हैं कि असल तकलीफ़ क्या है? किसी को बताने समझाने की जरुरत नही है. आपने बहुत मेहनत और समय खर्च करके "बबली जी का वकील" वाले मामले से यहां तक की बात रखी है.
और सारा मंतव्य स्पष्ट है. पता नही मुझे आपको राय देने का हक है या नही है...या देना भी चाहिये कि नही....फ़िर भी मेरा आपसे यह निवेदन है कि जिस मियां जी ने भी यहां कल आपकी पोस्ट पर बवाल खडा किया वो उनके मंतव्य मे सफ़ल हुये और आप और आपके साथ साथ सब अमन पसंद ब्लागर हार गये.
मियांजी कौन हैं? ज्यादा गहराई मे ना जाये तो भी ये समाज से कटे फ़टे लोगों का गिरोह है और इन का मंतव्य ही प्रसिद्धि पाना था. और आप जैसे लोकप्रिय ब्लागर को इन पर पोस्ट लिखनी पडी, तो यह इनकी जीत है और आप बुरा ना मानिये, आप और हम हारे हैं इनके सामने.
खुशदीप जी, इन हालातों से हर लोकप्रिय ब्लागर गुजर चुका है और आज भी गुजर रहा है. शायद ही कोई दिन ऐसा जाता होगा जो इन सिरफ़िरो की चवन्नी छाप से लेकर ५ किलो तक की गालियां ना आती हों. अगर उन पर ध्यान देकर हम लोग पोस्ट लिखने लग गये तो होगया काम.
मेरी राय सिर्फ़ इतनी ही है कि ऐसे जलीलों के कमेंटस को तुरंत डिलिट किजिये और अपना नियमित लेखन किजिये.
विवेकानंद जी ने एक जगह कहा है कि जिस दिन तुम्हारे सामने कोई समस्या नही आई..समझ लो उस दिन तुम ने कुछ नही किया. तो ऐसी समस्याये आयें... रोज आयें..पर उनसे निपटने का यह उचित तरीका नही है कि हम उनको इतने भाव देने लगें और अपना धैर्य और संयम खो बैठे.
हमारे समीरानंद जी आश्रम के बाबा महफ़ूजानंद की कल की टिप्पणीयां देखी तो बाबा महफ़ूजानंद जी की क्लास तो हम अपने आश्रम में ही लेंगे.:)
भाई आज की आपकी पोस्ट मे मक्खन और मक्खन्नी ने सब ठीक कर दिया. कुछ गलत कह गया हूं तो आप मेरी टिप्पणी डिलिट करने के लिये स्वतंत्र हैं...मुझे बुरा नही लगेगा. मैने जो मुझे उचित लगा वही बिना लाग लपेट के कह दिया है.
रामराम.
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमक्खन मक्खनी की जय हो।
जवाब देंहटाएंबाकि तो दुनिया है, होता है, चलता है।
अरे आज फिर मोडरेशन लग गया।
जवाब देंहटाएंबस यही ब्लोगिंग का दुर्भाग्य है, की ऐसे हालात अभी भी हैं की मोडरेशन लगाना पड़ गया।
इंतज़ार है उस दिन का जब सभी बिना किसी डर के ब्लोगिंग कर पाएंगे।
मैंने अपना शब्द छोड़ आपका शब्द शुरू कर दिया..बस उसको ब्लॉगवुड ही रहने देना यार..ब्लॉगीवुड मत करना..नहीं तो मुझे अपने वाले शब्द ब्लॉगहुड का ही इस्तेमाल अच्छा लगेगा।
जवाब देंहटाएंताऊ जी,
जवाब देंहटाएंआपको राय नहीं हमारे कान पकड़ कर आदेश देने का पूरा हक़ है...आप जैसे कुछ की वजह से तो हम जैसे
नौसिखियों की आगे चलने की राह प्रशस्त होती है...इसीलिए कल जो हुआ, उसकी आप विवेचना करें या मेरी टिप्पणियों पर गौर करें तो मैं कुश की दूसरी टिप्पणी (जिसमें बेनामी की निंदा की गई थी) के बाद उसी वक्त इस पचड़े को खत्म करना चाहता था...जैसा कि बबली प्रकरण में किया था...लेकिन कुश की तीसरी टिप्पणी के बाद मुझे
लगा कि यहां चुप रहना सही नहीं होगा...अन्याय करना गलत है तो अन्याय सहना भी गलत है...ये बेनामी बहुत ज़हर
फैला चुके, अब इन्हें दंतविहीन, विषविहीन करना ही होगा...नहीं तो ये रह-रह कर सौहार्द के माहौल को चोट पहुंचाते
रहेंगे...महफूज मुझे भाई की तरह दिल से करीब मानता है...कल वो आपे से बाहर होता दिखा तो मैंने तत्काल उसे
एक शब्द भी और न लिखने के लिए आगाह किया...मुझे खुशी है, उसने मेरी बात का मान रखा...मैं इस पोस्ट पर
ही साफ़ कर चुका हूं कि अब इस विषय पर आगे कोई पोस्ट नहीं लिखूंगा...मेरे पास सार्थक करने के लिए आगे भी बहुत कुछ है...नकारात्मक बातों को न मैं पसंद करता हूं और न ही मेरे पास इसके लिए वक्त है...इस सब के बावजूद अगर बड़ों को लगता है कि कहीं मैं मर्यादा से बाहर निकला हूं तो मैं क्षमाप्रार्थी हूं...
जय हिंद...
ताऊ रामपुरिया जी की इस बात से तो हम भी पूरी तरह सहमत:
जवाब देंहटाएं"मेरी राय सिर्फ़ इतनी ही है कि ऐसे जलीलों के कमेंटस को तुरंत डिलिट किजिये और अपना नियमित लेखन किजिये."
आप तो बस बिंदास लिखिये और वही लिखिये जो आपका दिल कहता है। आप दिल से लिखते हैं और आपकी हर बात दिल को छू जाती है।
अपनी ही कही हुई बात एक बार फ़िर कहना चाहूंगा"
माँ सरस्वती आपकी लेखनी को और समृद्ध करे...इसी कामना के साथ..
जय हिंद
इसी बहाने तमाम पुराने लिंक देख लिये। कभी-कभी यह सोचकर बड़ा सुकून सा भी मिलता है कि पुरानी पोस्टें लोग इतनी दिलचस्पी से बांचते/सहेजते हैं।
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंप्रदीप जी,
जवाब देंहटाएंयंहा तो घमासान और भारी रोल्ला मचा है /
फिलहाल तो माजरा समझने की कोशिश कर रहा हूँ अस्तु अभी मौन रहना ही शुभफलदायी है /
फिर मिलते है ..../
मैं आपका हर कहना मानता हूँ और मानता रहूँगा... फिलहाल इतना ही कहूँगा.... कि हमें अपना लेवल डाउन नहीं करना चाहिए... हाँ! यह है कि कभी कोई भी मेरे परिवार के बारे में कुछ भी बोलेगा तो मैं चुप नहीं रहूँगा....तकरीबन सभी ब्लोगगर्ज़ से मेरी बात होती है... सबसे मेरे सम्बन्ध हैं.... और यही मेरा परिवार है....
जवाब देंहटाएंऔर आपको मैं बहुत प्यार करता हूँ....
जय हिंद....
महफूज़,
जवाब देंहटाएंकभी-कभी संयम बरतना भी ज़रूरी होता है...अभी थोड़ी देर में एक पोस्ट डालने जा रहा हूं...मेरा दावा है, गौर से पढ़ोगे तो सोच बदल जाएगी...
जय हिंद...
@खुशदीप जी
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट के इन्तजार में.......
@महफूज़ जी
कहां रह गये थे भाई....
बड़ी देर कर दी मेहरबां आते-आते....
खैर देर आये दुरुस्त आये.....
जय हिंद...
खुशदीप एक दिन ब्लागवुड से दूर क्या रहूँ कोई न कोई बखेडा खडा कर देते हो --- ये बच्चे भी न कब तक इन बच्चों के साथ साथ घूमती रहूँगे अरे ऐसे लोगों से बच के रहा करो। बस समझ लो कि बलागवुड मे तुम्हारी शोहरत इन लोगों के गले नहीं उतर रही। भगवान बचाये मेरे बच्चों को इनकी नज़र से । स्लाग ओवर बहुत अच्छा लगा । परवाह किये बिना लगे रहो आशीर्वाद्
जवाब देंहटाएं@निर्मलाजी,
जवाब देंहटाएंये बच्चे इतना अच्छा लिखते हैं कि दूसरे बच्चे इनसे जलने लगे हैं. आप चिंता मत करिये, ताऊ लठ्ठ लिये इन बच्चों पर पूरी नजर रखता है. :)
रामराम.