चूहे को बड़ा निरीह प्राणी माना जाता है...आप क्या समझते हैं महंगाई की मार हम सिर्फ इंसानों को झेलनी पड़ रही है...चूहे भी हम इंसानों जैसे ही होते हैं...दाल, आटा सब कुछ अब खाने की नहीं लॉकर में सजाने की चीज़ बनते जा रहे हैं..इसलिए घरों में खाने को कुछ नहीं तो चूहा बेचारा डॉर्विन की थ्योरी सर्वाइवल ऑफ फिटेस्ट के सिद्धांत का पालन कैसे करे...एक बात तो आप पाएंगे जैसे अनाज के जमाखोर सेठ खुद फले-फूले होते हैं वैसे ही उनके गोदामों में पल रहे चूहे भी होते हैं...एकदम मोटे ताजे...इन सेठ चूहों के आगे घरों के मरियल चूहे कहां टिकते हैं...
लेकिन चूहा सेठ हो या कंगाल, उनमें होता गज़ब का कॉन्फिडेंस है...एक शेरनी को लाल गुलाब देकर प्रपोज करने वाले कॉन्फिडेंट चूहे की कहानी तो मैं आपको पहले सुना ही चुका हूं, आज इस पोस्ट में आपको दो और शेरदिल चूहों के किस्से सुनाता हूं....
हमारी बात ही कुछ और है....
एक बार चूहों की सभा चल रही थी...चूहों का बॉस बीच में शानदार कुर्सी पर बैठा सिगरेट के कश लगाता हुआ धुएं के छल्ले उड़ा रहा था...आसपास चमचे चूहे घेरा लगाए हुए उसे बड़े गौर से सुन रहे थे...तभी वहां बिल्ली आ गई...सारे चमचे चूहे बिल्ली को देखते ही सिर पर पैर रखकर चंपत हो गए...लेकिन बॉस चूहा टस से मस भी नहीं हुआ...
बिल्ली को सामने देखकर चूहे ने भागने की जगह सिगरेट का बड़ा सा कश लेकर धुंआ बिल्ली के मुंह पर ही छोड़ दिया...बिल्ली चूहे की ये हरकत देखकर मुस्कुराई और बोली...क्यों तुझे अपनी मौत से डर नहीं लगता...
चूहा उसी अंदाज़ में कश लेता हुआ बोला...चल चल अपना काम कर, हम रेड एंड व्हाइट पीने वालों की बात ही कुछ और है....
चूहा गरजा, भागी बिल्ली
एक बार एक मुखिया चूहा अपने लंबे चौड़े कुनबे के साथ सड़क पर कतार लगा कर चला जा रहा था....तभी सामने से बिल्ली आती दिखी...मुखिया चूहे ने कुनबे को हिदायत दी...कोई कहीं नहीं भागेगा...
तब तक बिल्ली सिर पर आ गई...बिल्ली के पास आते ही मुखिया चूहे ने भौंकने के अंदाज़ में कहा...भौं..भौं..
बिल्ली ये सुनकर भाग गई...चूहे का सारा कुनबा ताली बजाने लगा...
मुखिया चूहे ने छाती चौड़ी कर कुनबे से कहा...देखा फॉरेन लैंग्वेज सीखने का कमाल...
अजब है ये चूहे बिल्ली का खेल भी ...!!
जवाब देंहटाएंचूहे होते मस्त है..
जवाब देंहटाएंमजा आया..
ये फॉरेन लेंग्वेज का कमाल हमने भी देखा है। कई बार।
जवाब देंहटाएंफौरेन लैंग्वेज के ऊपर आपने बहुत ही गहरा और सटीक व्यंग किया है.....
जवाब देंहटाएंजय हिंद..........
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जवाब देंहटाएंरैड एण्ड व्हाईट पीने वालों की तरह फॉरैन लैंग्वेज बोलने वालों की बात ही कुछ और है
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी ये पोस्ट .. गणेश जी ने जिसे अपना वाहन चुना है .. उसे हम निरीह समझें तो यह हमारी गल्ती है !!
जवाब देंहटाएंआज के परिपेक्ष में चूहे को यह कहना चाहिए था कि हम दस जनपथ के आस-पास मंडराने वालो की बात ही कुछ और है !
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई! क्या गजब का कांफ़िडेंस है चुहों का भी "रेड़ एण्ड व्हाईट पीने वालों की बात ही कुछ और है। हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा मजा आ गया।
जवाब देंहटाएंआज से रेड एंड व्हाइट पीना शुरू!
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी,
जवाब देंहटाएंआज कल आप चूहों के पीछे क्यूँ पड़े हैं ???
क्या मंहगाई इतनी ज्यादा बढ़ गयी है ???
च च च च च !!!!
फिर भी चूहों का कांफिडेंस मानना पड़ेगा...बेचारे आपका जो सामना कर रहे हैं...!!! :):)
ओ गानेवाले हो सके तो हमको बताना......!!
मुझे तो उम्मीद थी आज राजेंद्र प्रसाद पर पढने को कुछ मिलेगा... !!!!! पूरी डिटेल के साथ आप लिख सकते थे...
जवाब देंहटाएंमैं बाद मे आती हूँ कोई आ गया
जवाब देंहटाएंरोचक ...अति रोचक:)
जवाब देंहटाएंऔर जो चूहा रेड़ एण्ड व्हाईट भी पीता हो और फोरेन लैंग्वेज भी जानता हो..उसकी शान के तो क्या कहने
कमाल है चूहे बिल्ली की गाथा।
जवाब देंहटाएंये फोरेन लेंगुएज तो दुश्मन के दुश्मन की लेंगुएज थी ।
जवाब देंहटाएंऔर दुश्मन का दुश्मन तो दोस्त होता है।
तो भई, दोस्त की लेंगुएज काम आई।
बधाई।
सुबह आपकी पोस्ट क्या खोली कि महमानों का खूब आगमन हुया जओसे सभी ने सोच रखा हो कि एक ही दिन सब को जाना है।ाब थकावट मे कुछ कमेन्ट नहीं सूझ रहा बस बहुत बहुत शुभकामनायें । कहीं इस चूहे ने तो नहीं फारेन लैन्गवेज़ मे हमारे महमानों को न्यौता दे दिया? तभी तो उसे भी खाने पीने को मिलेगा वर्ना हम दोनो बूढे कहाँ मिठाईयाँ आदि खाते हैं
जवाब देंहटाएंहम ब्लॉगिंग करने वालों की बात ही कुछ और है :-)
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
हा हा!!! दोनों मजेदार....
जवाब देंहटाएं:)
खुशदीप भाई आज कल तो बिल्लियां भी फारेन लैन्गवेज़ मै ही.....है, अब चुहे बेचारे कहा जाये...
जवाब देंहटाएंवाह इसे कहते है कॉन्फिडेन्स ..छोटा है पर अंदाज देखिए बिल्ली को भी दहला दिया..बहुत बढ़िया भाई..सुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंकांफिडेंस तो कांफिडेंस है वह कब और किसमे आ जाये क्या पता. वैसे कांफिडेंस आपका भी कम नही है.
जवाब देंहटाएंफारेनलैंग्वेज़ वाला नया लगा..... बढ़िया.... बधाई भगवन..
जवाब देंहटाएंदोनों ही कथाएं विज्ञापन जगत में हिट होने का माद्दा रखती हैं। बहुत ही बढ़िया है बधाई।
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