नाम में क्या रखा है, ज़रा इन दो बहनों से पूछिए...खुशदीप

नाम में क्या रखा है...मरहूम शेक्सपीयर चचा आज ज़िंदा होते, फिर ये बात कह कर देखते...नाम में क्या रखा है, ये जानना है तो ठाणे की दो सगी बहनों से पूछो...ये दोनों गिरी बहनें आजकल घर से पैर भी बाहर नहीं निकालती...क्यों नहीं निकालती...एक का नाम मुन्नी है तो दूसरी का नाम शीला...जहां जाती हैं, वहां इन्हें देखकर बस...मुन्नी बदनाम हुई.... और...शीला की जवानी...का बैंड बजने लग जाता है...दोनों इतनी परेशान है कि दोनों को अपने नाम से ही नफ़रत हो गई है...मुन्नी गिरी 35 साल की है और शीला 27 साल की...दोनों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि नाम को लेकर ऐसी मुसीबत का सामना करना पड़ेगा...

                          
                                                                 मुन्नी और शीला

छेड़ने वालों ने इस कद्र नाक में दम कर दिया कि दोनों कल सरकारी गज़ेट आफिसर के पास नाम बदलवाने के लिए पहुंच गईं...मुन्नी अब सीमा बनना चाहती है तो शीला ने अपने लिए शीतल नाम चुना है...दोनों बहनें शादीशुदा हैं...मुन्नी ठाणे ईस्ट के कोपरी में और शीला ठाणे वेस्ट के नौपाडा में रहती है...

शीला को अब तक अपनी बहन मुन्नी से ही सुनने को मिलता था कि एक गाने ने उसे किस मुसीबत में डाल रखा है...शीला को अब खुद उसी हालात से गुजरना पड़ रहा है...शीला का कहना है कि औरों के लिए ये मज़ाक हो सकता है लेकिन इन गानों ने दोनों बहनों का जीवन नर्क बना दिया है...

शीला अब अपने बेटे को पहले की तरह स्कूल छोड़ने भी नहीं जा पाती...वहां बच्चे देखते ही गाना शुरू कर देते हैं...शीला और बेटे दोनो के लिए ये बड़ा शर्मसार कर देने वाला होता है...मुन्नी और शीला दोनों को शिकायत है कि उन्हें बिना कोई कसूर किए ये किस बात की सज़ा मिल रही है...दोनों बहनों को मीडिया पर मुन्नी और शीला की तुलना किए जाने पर भी बेहद गुस्सा है...कई जगह तो बाकायदा वोटिंग कराई जा रही है कि कौन ज़्यादा पापुलर है मुन्नी या शीला...

दोनों बहनों को जानने वालो से एसएमएस और ई-मेल पर मुन्नी और शीला के चुटकुले भी खूब मिल रहे हैं...मुन्नी का कहना है कि पता नहीं लोग क्या सोच कर उन्हें ये एसएमएस भेजते हैं, लेकिन उन्हें इनमें सेंस ऑफ ह्यूमर की जगह मानसिक दीवालियापन ज़्यादा नज़र आता है...मुन्नी की 10 साल की बेटी का इसी बात को लेकर स्कूल-कॉलोनी के बच्चों से कई बार झगड़ा भी हो चुका है...मुन्नी के पति निर्मल गिरी पत्नी के सम्मान से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ अदालत जाने का मन बना रहे हैं...निर्मल गिरी के मुताबिक गानों ने मुन्नी और शीला नाम को इतना चीप बना दिया है कि अब भविष्य में कोई भी मां-बाप बच्चों का ये नाम रखने से कतराएंगे...

वाकई मुन्नी और शीला की शिकायत वाजिब है...बॉलीवुड वाले तो इन नामों पर गानों को सुपरहिट बना कर चांदी कूट रहे हैं...लेकिन मुन्नी और शीला के कानों पर ये गाने जो हथौड़े सी चोट कर रहे हैं, उसकी फिक्र कौन करेगा...क्या सेंसर बोर्ड या सरकार को नहीं चाहिए कि गानों में जिंदा व्यक्तियों के प्रचलित नामों के इस्तेमाल की हर्गिज इजाजत न दी जाए...फिर कोई मुन्नी या शीला दिक्कत में न पड़े...हमारे कहने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा...फर्क पडे़गा अगर इस मुद्दे पर कोई अदालत का दरवाज़ा जाकर खटखटाए...दिनेशराय द्विवेदी सर से जानना चाहूंगा कि इस मुद्दे पर क्या पहल की जा सकती है....

आज के फिल्मकारों को इस मामले में बीते हुए कल से सीख लेनी चाहिए...गाने का पाज़िटिवली भी इस्तेमाल किया सकता है...यकीन नहीं आता तो राज कपूर साहब का ये गीत सुनिए...

मेरा नाम राजू, घराना अनाम...

है न राजू शब्द का सटीक चुनाव....थ्री चियर्स फॉर राज कपूर साहब...

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36 टिप्पणियाँ
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  1. द्विवेदी सर की राय का इंतज़ार हमे भी रहेगा !
    जय हिंद !

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  2. यह फ़िल्म भी हिट हुयी, उस फ़िल्म से क्या नसीयत मिलेगी? समझ मै नही आया... आज कल गंदगी लोगो को ज्यादा पसंद आ रही हे,मेरी सहानुभुति हे इन नामो वाली बच्चियो , महिलाओ से, लेकिन क्या करे.

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  3. सर इतनी रात गये तक जागकर पोस्ट दे रहे हैं ?

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  4. लोकप्रियता भी तो ऐसे ही गानों को मिल रही है

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  5. नामचीन, घरानेदार राजुओं के दिल पर क्‍या बीती, आपको शायद खबर नहीं है.

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  6. @बाकलीवाल जी,
    आपने इतनी रात को मेरी पोस्ट पढ़कर कमेंट दिया...बस यहीं मेरा रात को देर तक जागना सार्थक हो गया...

    जय हिंद...

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  7. दोष नाम में नहीं है, पागल भींड़ में है जिनके माँ-बाप का पता नही होता। आवश्यकता उन्हें सुधारने की है जिनके चलते ये बहनें इतनी दुःखी हैं।

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  8. अब तो नाम का पेटेन्ट लेना पडेगा नही तो किसी दिन खुश्दीप भी बदनाम हो सकते है और उनकी जवानी .............

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  9. shi khaa nama to kaam se hotaa he .
    पूजा या नमाज़ कायम करो .....
    जिसकी पूजा
    या नमाज़ सच्ची
    तो उसकी
    जिंदगी अच्छी ,
    जिसकी जिंदगी अच्छी
    उसकी म़ोत अच्छी
    जिसकी म़ोत अच्छी
    उसकी आखेरत अच्छी
    जिसकी आखेरत अच्छी
    उसकी जन्नत पक्की
    तो जनाब इसके लियें
    करो पूजा या नमाज़ सच्ची ।
    अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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  10. हर नाम को पेटेंट कर देना चाहिए...

    जय हिंद..

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  11. मेरा नाम तो हर ऐरा गैरा ..नत्थू खैरा... यूज़ कर लेता है...

    हाँ नहीं तो....

    जय हिंद...

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  12. अब बताईये कि इनका क्या दोष। मानसिक वेदना का हर्जाना मिले इन्हें।

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  13. बरसों पहले एक गाना आया था...
    'मोनिका!...ओ माय डार्लिंग'...
    जिसे गा कर 'मोनिका' नाम की लड़कियों का आज तक मजाक उडाया जाता है...
    'कविता' नाम को लेकर एक एड भी आती थी 'कविता साड़ी फाल' वालों की कि...
    'कविता!...अहा एक नई कविता सुनो' ...

    जिसके आने के बाद ‘कविता' नाम की लड़कियों का सड़क पर चलना दूभर हो गया था
    उसके बाद 'रूपा' नाम को लेकर अंडर गारमेंट्स तक बना दिए गए...
    सोचिये!…जब 'रूपा' नाम की लड़कियों पर इसे लेकर फब्तियां कसी जाती होंगी तो उन बेचारियों का क्या हाल होता होगा?

    ये नहीं है कि इस तरह की फब्तियों का शिकार सिर्फ लड़कियाँ ही होती हैं …मेरे बेटे ‘माणिक’ को ‘माणिकचंद पान मसाला’ या ‘गुटखा' कह के मजाक उड़ाने वाले यदा-कदा मिल जाते हैं …



    तरस आता है ऐसे रचनाकारों और ऐसे लोगों की मानसिकता पर जो महज़ पैसा कमाने के लिए इस तरह के नामों को लेकर अपनी रचनाएँ रचते हैं या फिर अपने उत्मादों के नाम रखते हैं …क्यों नहीं वो इन रचनाओं में या इन उत्पादों के नाम अपनी माँ…बहन…बेटी या बहू के नाम रख खुद को गौरान्वित महसूस करते?…

    ‘दबंग' फिल्म से सलमान खान एण्ड कंपनी ने अरबों रुपया कमाया …इस फिल्म की कामयाबी में इस ‘मुन्नी बदनाम हुई' गाने का बहुत बड़ा हाथ है…

    क्या सलमान खान में इतनी हिम्मत है या होती कि अपनी दबंगियत को सार्थक करते हुए इस गाने के बोलों को ‘मुन्नी बदनाम हुई' से बदलकर ‘हैलन बदनाम हुई' या फिर ‘अल्वीरा बदनाम हुई' रख पाता?…यहाँ गौरतलब है कि ‘हैलन' उसकी सौतेली माँ का नाम है और ‘अल्वीरा’ उसकी बहन का

    या फिर ‘शीला की जवानी' गाने को अपनी फिल्म ‘तीसमार खान' में रख कर फूल के कुप्पा होने वाली ‘फराह खान' में इतनी हिम्मत है कि वो इस गीत के बोलों को बदलकर ‘शीला' की जगह खुद अपना नाम फिट ले?…

    मेरे ख्याल से नहीं…

    ना ‘सलमान' में और ना ही ‘फराह’ में या किसी अन्य में इतनी हिम्मत है या होगी कि वो अपना या अपने किसी सगे वाले के नाम का ऐसा भद्दा इस्तेमाल अपनी फिल्म या उत्पाद में कर पाए …

    मेरे ख्याल से कानूनन इसे रोक पाना मुमकिन नहीं होगा लेकिन कम से कम विरोध तो किया ही जा सकता है ऐसे ओछी हरकतों का …

    आप क्या कहते हैं?

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  14. यह हम लोगों की ही कमी है..गानों को गाने की तरह उसका आनंद उठाते नहीं बल्कि उसको अपनी जाती ज़िंदगी मैं ले आते हैं.

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  15. यह सब हमारी सोच पर निर्भर करता है ...की हम किस चीज के बारे में क्या सोचते हैं ...शुक्रिया

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  16. @ बाकलीवाल जी ! रात को उठे तो होंगे 'शीला की जवानी' का आनंद उठाने के लिए और जब निपट लिए होंगे तो नींद आई नहीं होगी , तब कूट डाला होगा कीबोर्ड और दे डाली यह करूणाजनक पोस्ट ?

    @ K. सहगल जी ! राजू जी खुद लुच्चे थे , उनसे सीख लेने की आपने भली कही ?

    कितनी गंगा और मंदाकिनी मैली कर डालीं उस शोमैन ने ?

    क्या आपने उसका नाम किसी अपनेपन की वजह से ले डाला या कि भोलेपन की वजह से ?

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  17. हम जिस परिवेश मे रहते हैं वहाँ अपने "नाम" से जाने जाते हैं । शीला और मुन्नी दो आम नाम हैं लेकिन उनके लिये विशिष्ठ हैं जो इस नाम से जानी जाती हैं । हम सलमान और फराह के ऊपर डंडा लाठी ले कर इसलिये चढ़ सकते हैं क्युकी वो हमारे कोई नहीं हैं लेकिन जब हमारे हमारे अपने या हम खुद यही करते हैं तो उसको गलत नहीं मानते हैं और जिसके प्रति हम ये अश्लीलता / असमानता या जो चाहे नाम दे ले करते हैं उसे ही प्रवचन देते हैं कि वो कुछ गलत समझा । दिनेश जी के जवाब का मै भी इंतज़ार करूगीं ताकि मै भी इस बार कोई ठोस कदम उठा सकूँ ।
    काफी इग्नोर कर लिया हैं जब आप लोग समाज के लिये इतना कदम उठाने का सहास रखते हैं तो मै भी एक पहल कर लम्बी लड़ाई कि तयारी क्यों ना करूँ

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  18. काले जी की बातों का अवश्य उत्तर दीजिये..हरएक नाम का पेटेंट तो नहीं कराया जा सकता लेकिन इस तरह के गाने और विज्ञापन बनाने वालों के विरुद्ध कुछ कदम उठाया जाना आवश्यक है...

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  19. एक बात समझ नहीं आ रही कि ये दोनों नाम तो भारत में लाखों महिलाओं के हैं। और महिला का नाम पूरे शहर में कैसे उजागर हो गया? जो इन्‍हें ही लोग छेड़ रहें हैं, एसएमएस कर रहे हैं? कहीं ये स्‍वयं ही तो प्रसिद्ध नहीं होना चाहती। फिल्‍मों में तो ऐसे नाम आते ही रहते हैं, कभी-कभी किरदार का नाम भी बहुत प्रसिद्ध हो जाता है, तब क्‍या करें?

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  20. @काले शूद्र जी,
    पहले तो अपने इतने सुंदर नाम के लिए बधाई स्वीकार कीजिए...

    आपकी टिप्पणी को हटा भी सकता था, लेकिन जानबूझकर रहने दे रहा हूं...

    आपने जो सदविचार व्यक्त किए हैं, उसके बारे में इतना ही कहूंगा...जाकी जैसी भावना, वैसो ही सब नज़र आए...

    राज कपूर के बारे में जवाब इसलिए नहीं दे रहा कि तुमने मांगा है बल्कि इसलिए दे रहा हूं क्योंकि भारतीय नागरिक ने कहा है, जिनका मैं बहुत सम्मान करता हूं...

    राज कपूर क्या थे, ये जानना है तो श्री ४२०, बूट पालिश, जागते रहो, जिस देश में गंगा बहती है...जैसी फिल्में आपको पहले देख लेनी चाहिए...मेरा नाम जोकर को बारीकी से देखना चाहिए...कभी आपने सोचा कि राजकपूर को डिंपल कपाड़िया, जीनत अमान या मंदाकिनी का सहारा लेकर फिल्मों को क्यों हिट कराना पड़ा...मेरा नाम जोकर में राज कपूर ने ज़िंदगी भर की कमाई लगा दी थी...फिल्म पिट गई...राज कपूर कर्ज में डूब गए...फाइनेंसर्स ने पैसे के लिए परेशान करना शुरू कर दिया...फिर राज कपूर ने कहा कि लो अब ऐसा कुछ देता हूं कि तुम्हारी तिजौरियां भर जाएंगी लेकिन पैसा आना खत्म नहीं होगा...राज कपूर ने बॉबी बनाई, कामयाबी के सारे रिकार्ड टूट गए...फिर सत्यम शिवम सुंदरम और राम तेरी गंगा मैली बनाई...सत्यम..पिटी लेकिन राम तेरी गंगा मैली सुपर डुपर हिट...राज कपूर को आंकना है तो उनके कामर्शियल आस्पेक्ट से पहले जाकर उनके शुरूआती बीस-पच्चीस साल के करियर में जाइए..
    आपको अपनी बातों का जवाब मिल जाएगा...मेरे दो पसंदीदा कलाकार हैं राज कपूर और गुरुदत्त...ये मैं डंके की चोट पर कहता हूं...

    जय हिंद...

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  21. ऐसा तो नहीं होना चाहिए .. सिनेमा और नाटक में अच्‍छे और बुरे पात्रों के लिए किसी भी नाम का प्रयोग किया जा सकता है .. और उससे उस नाम के सैकडों हजारो लोग नहीं प्रभावित हो सकते !!

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  22. मुझे नहीं लगता नाम में कुछ रखा है...काम करना चाहिये...
    दो चार दिन बाद फ़िर एक नया नाम आ जायेगा...आज तो ये गीत--
    नाम गुम जायेगा,चेहरा ये बदल जायेगा ....

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  23. सच है दादा
    नोट के चक्कर में फ़िल्मी गीतकार भांड हो गये
    उससे प्रभावितो के दर्द को समझा जा सकता है

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  24. एक बात और---एक ही नाम के कई लोग होते है जो स्वभाव व आचरण मे भिन्न हो सकते है...कुछ समय पहले एक कहानी रिकार्ड की थी आज याद आ गई,अगर सुनना चाहें ---- http://archanachaoji.blogspot.com/2010/05/blog-post_15.html

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  25. हमारे समाज की मानसिकता बताने की कोशिश करती हुई एक अच्छी पोस्ट के लिए बधाई खुशदीप भाई !
    कोर्ट क्या करेगा ...इसमें हम सब जिम्मेवार है जिसमें एक दूसरे का आदर करना नहीं सिखाया जाता ...हाँ हमें दूसरों से आदर अवश्य चाहिए ! यही विडम्बना है !
    सादर

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  26. वैसे अजीव जी का प्रश्न भी जायज है……………॥

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  27. वैसे इस तरह की बातें क्षणिक हैं...एक हाईप की तरह ये आया है और चला भी जाएगा, हाँ अगर इसे कोई बहुत तूल दे तो बेशक ये थोड़ा लम्बा खिंच सकता है...ये गाने ऐसे नहीं हैं जिन्हें लोग सारी उम्र याद रखेंगे...
    हमारे इतने छोटे से ब्लॉग जगत में भी मानसिक दीवालियापन बरकरार है ...जब ३०-४० सक्रीय ब्लोग्गर्स ही इस गरिमा को नहीं सम्हाल पाते तो पूरे भारत को सुधारने का ठेका कौन ले रहा है...?
    खुशदीप जी, मुन्नी-शीला की फ़िक्र में पूरे भारत को सुधारने की जगह अगर हम अपना ही घर ठीक कर लें तो वही बहुत बड़ी उपलब्धि होगी...नाम का दुरूपयोग हिंदी ब्लॉग्गिंग में भी धड़ल्ले से हो रहा है...आशा है आप मेरा आशय समझ रहे हैं...

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  28. बेचारी मुन्नी और शीला ।
    अब उन्हें भी अपना हिस्सा मांग ही लेना चाहिए ।

    खुशदीप भाई , कुछ कमेंट्स को हटा देना ही अच्छा है ।
    मेरे विचार से अशोभनीय टिप्पणी को प्रकाशित नहीं करना चाहिए ।

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  29. @दराल सर
    आपका कहना बिल्कुल सही है ऐसी टिप्पणियों को हटा देना चाहिए...लेकिन ये बेनामी टिप्पणी करने वाले आसमान से नहीं आए हैं...हमारे बीच के ही हैं...बस चेहरा छुपा कर वार करना चाहते हैं...इसलिए ये किस मानसिकता के है, कभी-कभी उसके भी दर्शन कर लेने चाहिए...नहीं बेचारे पेट में मरोड़ लिए घूमते रहेंगे...ये जनाब जो आज बेनामी बनकर टिप्पणी करने आए हैं, ये नवी मुंबई से मेरे ब्लॉग पर पधारे हैं...अब इनके लिए बस इतना ही जान लेना काफी है क्योंकि...

    मुखालिफ़त से और संवरती है हस्ती मेरी
    दुश्मनों का भी मैं बहुत एहतेराम करता हूं...

    जय हिंद...

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  30. @अदा जी,
    गाने बेशक ये चंद दिनों का क्रेज़ है...लेकिन ये छेड़ लंबे अरसे के लिए छोड़ जाते हैं...और कोई बेशक ये गाने भूल जाएं लेकिन असल जिंदगी में जितनी मुन्नी और शीला हैं, वो कभी नहीं भूलेंगी...

    अदा जी, ये जो समझने वाली बात कही है, आज वाकई नहीं समझ पाया...आप डंके की चोट पर अपनी बात कहने के लिए मशहूर हैं...खुल कर कीजिए नकाब लगाकर घूमने वाले चेहरों को...मैं इस मुहिम में आपका पूरा साथ दूंगा...

    अगर रचना (क्रिएशन) नाम के बेजा इस्तेमाल की ओर आपका इशारा है तो उस बात की सबसे पहले भर्त्सना मैंने ही की थी...रचना जी की पोस्ट पर मेरी पहली टिप्पणी होना उसका सबूत है...

    जय हिंद...

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  31. मैं ajit Gupta ji से पूरी तरह सहमत हूं, इन बातों से किसी के निजी जीवन पर प्रभाव नहीं पड़ता.....
    plz visit http://irfanurs.blogspot.com

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  32. ajit gupta जी की टिप्पणी विचारणीय है।

    रही बात ब्लॉग जगत की तो इसे किनारे कीजिए। यहाँ बहुत कुछ ऐसा हो चुका और किया जा रहा जिसकी बात ना ही की जाए तो बेहतर

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  33. बदनाम होंगे तो क्‍या नाम न होगा
    मेरी तरह मुश्किल नाम रखो
    गाने में डालना आसान नहीं होगा
    नहीं तो लिखकर दिखलाओ
    लिख पाए तो फेमस नहीं होगा
    कोई नहीं पूछेगा उस फिल्‍म को
    गीतकार भी नुकसान में रहेगा

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  34. इंतजार कीजिए अगले हिट गाने का...। शीला-मुन्नी का डंका थमेगा जरुर। इस शो-बिज का यही दस्तूर है। कुछ भी स्थाई नहीं है।

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  35. यह बाज़ार का दस्तूर है कि जो चमकता है वही बिकता है कल इन फूह्ड गानों की चमक ख्त्म हो जायेगी और इनका बिकना बन्द हो जायेगा साथ ही बन्द हो जायेगा इनकी वज़ह से कतिपय लोगो का परेशान होना । बस बन्द नही होगा तो इस तरह के गीत बनना और इनके सहारे लोगों का पैसा कमाना । जनता तो कुछ दिनो बाद सब भूल जाती है । ज़रूरी है इस मानसिकता को बदलना ।

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