आपके बच्चों का रोल मॉडल कौन...खुशदीप

क्या आपको पता है आपके बच्चे क्या बनना चाहते हैं...कौन है जो आपके बच्चों को सबसे ज़्यादा प्रभावित करता है...कौन है वो जिसके हर काम से बच्चे अपने को जोड़ कर देखते हैं...शाहरुख ख़ान, कैटरीना कैफ़, सचिन तेंदुलकर, महेंद्र सिंह धोनी, सानिया मिर्जा या राहुल गांधी...जी नहीं, इनमें से किसी भी शख्सीयत में वो दम नहीं कि आपके बच्चों पर असर डाल सके...

ये मैं नहीं कह रहा...दिल्ली में पब्लिक स्कूलों के बच्चों पर किए गए एक सर्वे से चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं...इस सर्वे में 13 से 18 साल की उम्र के 500 बच्चों से सवाल पूछे गए...आम धारणा यही है कि बच्चे क्रिकेटर्स और फिल्म स्टॉर्स से सबसे ज़्यादा प्रभावित रहते हैं...जी नहीं सर्वे बताता है कि आदर्शवादी स्वतंत्रता सेनानियों, इतिहास पुरुषों या लैब में काम करने वाले धीर गंभीर वैज्ञानिकों को क्रिकेटर्स या फिल्म स्टार्स के मुकाबले ज़्यादा पसंद मिलीं...और सबसे ऊंचा आंकड़ा रहा बच्चों के खुद मां-बाप का...जी हां...सर्वे में बच्चों ने सबसे ज़्यादा राय अपने मां-बाप जैसा ही बनने की जाहिर की...नीचे पसंद के क्रम के अनुसार फेहरिस्त में वो नाम हैं जिन्हें बच्चों ने अपना रोल मॉडल बनाना चाहा...

माता-पिता 30%
स्वतंत्रता सेनानी इतिहास पुरुष 13%
शिक्षक 13%
वैज्ञानिक सामाजिक कार्यकर्ता 10%
बिज़नेसमैन 9%
मीडिया 7%
खिलाड़ी 6%
राजनेता 2%

मैक्स हेल्थकेयर हॉस्पिटल चेन के सलाहकार और जानेमाने मनोवैज्ञानिक डॉ समीर पारिख की अगुवाई वाली टीम की ओर से जारी किए नतीजों के मुताबिक सर्वे में हिस्सा लेने वाले 500 बच्चों में से सिर्फ 10 ने ही राजनेताओं को अपना रोल मॉडल बताया...

सर्व के नतीजों को देखते हुए विज्ञापन तैयार करने वाले एडगुरु भी मार्केटिंग की रणनीति में बदलाव करने की सोच रहे हैं...रियल्टी चैनल की तरह अब विज्ञापनों में भी मां-बाप ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्ट्स की तारीफ करते नज़र आएं तो कोई बड़ी बात नहीं...बच्चों से अगर माता-पिता कुछ कहते हैं तो उसके मायने धोनी या शाहरुख़ की कही गई बात से ज़्यादा होंगे...

वैसे भी आपने देखा होगा कि माता-पिता में से जो भी कामकाजी है, उसके आचरण का बच्चों पर सीधा असर पड़ता है...इसे ऐसे समझा जा सकता है कि कोई पुलिस इंस्पेक्टर का बेटा है...और इंस्पेक्टर का सारा ध्यान हमेशा ऊपर की कमाई पर लगा रहता है...तो बेटा भी कहीं न कहीं आसान कमाई का रास्ता ढूंढने की कोशिश करेगा...और अगर इंस्पेक्टर ईमानदार है तो बेटा भी ऐसा ही करियर बनाना चाहेगा जहां भ्रष्टाचार या बेईमानी की कोई गुंजाइश न हो...

अब आप भी हमेशा याद रखें कि घर में बच्चों की आप पर नज़र है.. क्या सोच रहे हैं...बस शुरू हो जाएं बच्चों को इम्प्रेस करने के लिए...

स्लॉग ओवर
ये कलयुग नहीं तो और क्या है बच्चे ब्लू फिल्म देख रहे हैं...

मां-बाप उन्हें रोकने की जगह और खुश हो रहे हैं...

कुछ मां-बाप खुश तो क्या बच्चों से फिल्म के सीन्स पर डिस्कशन भी कर रहे हैं...

( अरे जनाब मैं अक्षय कुमार की ताजा रिलीज फिल्म ब्लू की बात कर रहा हूं...आप क्या समझे थे...आप भी न बस...)
(साभार- विवेक रस्तोगी, कल्पतरू)

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29 टिप्पणियाँ
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  1. खुशदीप भाई,
    बढ़िया आलेख पर बहुत बहुत बधाई !
    विवेक जी और आपको एक बढ़िया स्लोग ओवर डालने के लिए मुबारकबाद !

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  2. good news, thanx kuch ummed bandhi.... and slog over mast hai... kuch aisa hi Prabhu Chawla ne bhi Akshay kumar se pucha tha...

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  3. यह तो आशा से अधिक शुभ समाचार है। यदि यह सच है तो बहुत खुशी की बात है।
    घुघूती बासूती

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  4. आप ने बहुत अच्छी खबर दी है। आप के मुहँ में घी-शक्कर। मुझे पता नहीं मेरे बच्चों के रोल मॉडल क्या हैं? लेकिन इतना जानता हूँ कि दोनों में कुछ कर दिखाने का जज्बा है और वह भी अपने खुद के दम पर।

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  5. वाकई चौंकाने वाले परन्तु साथ ही खुश करने वाले नतीजे हैं।

    बच्चों को बधाई अपना रोल मॉडल चुनने में उनकी अच्छी सोच और उनके सही चुनाव के लिये।

    अच्छी जानकारी देने के लिये आपको शुक्रिया।

    स्लॉग ओवर :)

    जय हिंद।

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  6. खुशदीप जी आज मै यही बात घर पर बीबी से कर रहा था, मुझे भी पता नही कि मेरे बच्चो का रोल मांडल क्या है, लेकिन नेता ओर अभि्नेता बिलकुल नही, मै बात कर रहा थ कि हम बच्चो को ईमानदार बना रहे है, क्या कल हमे पश्चताना तो नही पडेगा कि बच्चे साफ़ सुधरे ईमान के है...
    बहुत अच्छी लगी आज की रचना
    धन्यवाद

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  7. दुआ करो कि आज से दस साल बाद लेखक और ब्लॉगर टॉप पर हों ।और नेता लिस्ट से गायब हो जायें ।

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  8. संतोष देने वाला सर्वेक्षण रिपोर्ट

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  9. बिल्कुल सही कहा...सर्वे के मुताबिक वही रेजल्ट आया जो मैं सोचता हूँ..माँ बाप से बढ़कर रोल मॉडल कौन!!


    स्लॉग ओवर वाली ब्लू के बारे में सुना!!

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  10. Bhai ji, Aapke aise hi post aate rahe to dekha dekhi baki bloggers, jo jhagdon me hi fanse rahte hain, bhi bakwas band karke dhang ki post likhna shuru kar denge....
    wah

    Jai Hind

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  11. बच्चे माँ -बाप का संघर्ष करीब से देखते हैं और देखते हैं उन संघर्षों से उनका सफलतापूर्वक निकलना....ये कम हेरोइक है क्या....

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  12. चलिए इस रिपोर्ट ने आश्वस्त किया की भारत का भविष्य अभी बाकी है

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  13. पिता पर पूत...जात पर घोड़ा

    बहुत नहीं...पर थोड़ा-थोड़ा

    तभी मैँ कहूँ कि एक दिन मेरा तीसरी क्लास में पढने वाला बेटा कहानी लिखने की कोशिश क्यूँ कर रहा था? और....

    बड़ा बेटा 'ब्लू' फिल्म देखने की ज़िद क्यों कर रहा था? :-)

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  14. मेरे बेटे का रोल मॉडल तो भारत के संत है, और वह अभी से प्रखर वक्ता हैं, पहली क्लास में पहुँचने वाले हैं।

    ब्लू का वर्शन बढ़िया लगा।

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  15. चलो, इस सर्वे से पता तो चला कि हमारे थोड़े से संस्कार अभी भी बचे हुए हैं।

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  16. चलो,बहुत दिनो बाद अच्छा सर्वे और उससे भी अच्छे उसके नतीज़े और उससे भी अच्छी पोस्ट।ये विवेक भाई तो गुरू छुपे रुस्तम निकले।

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  17. भाई लेख अच्छा है अभी बच्चे नहीं है मेरे :)

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  18. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  19. मेरे बच्चों के रोल माडल हम दोमो पतो पत्नि हैं । मेहनत करना पोता से और रिश्ते निभाना माँ से। है न बडिया बात ? वैसे परसों टी वी पर धेखी थी खबर । धन्यवाद शुभकामनायें

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  20. स्लोग ओवर में फिर गुगली मार दी ...........
    अच्छा लेख है आपका .........

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  21. बच्चों के रोल मोडल माँ- बाप ही होने चाहिए. आखिर, ५०% शिक्षा बच्चों को घर से ही मिलती है.

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  22. A S BINDRA
    As always your blog gave a good message to people.
    Keep it up!

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  23. आज मुझे काफी देर हो गयी टिपण्णी करने में.....
    अब तो शायद आपके नए पोस्ट का भी वक्त हो गया....
    लेकिन कहना चाहेंगे...बहुत ही अच्छी जानकारी मीली ....
    पढ़ कर मनोबल बढा है.....
    हमसे बेहतर तो हमारे बच्चे ही हैं......ज्यादा अच्छी सोच है उनकी....निःसंदेह आनेवाली पीढी ज्यादा संयत है...
    इस आलेख के लिए आपको बधाई...
    जय हिंद...

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  24. अब तो माँ-बाप के भी रोल मॉडल बदल जाते है बच्चे प बच्चे हैं...घरवालों को आज के बच्चों की बदलती पसंद पर नज़र रखनी चाहिए....बढ़िया प्रसंग..धन्यवाद

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  25. मुझे अभी अभी पता चला है कि जिन दस बच्चों ने राजनेता को अपना रोल मौडल माना/बताया है उ सब के सब लालू जी के थे ...बताईये तो भला ..उ तो बतईबे करेंगे ....

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  26. कुछ ही साल पूर्व बच्चों के लिए चलचित्र पर रोमांचक नायक-नायिकाएं ही अधिकांश आदर्श हुआ करता था ,आज खुशदीप जी ने दिल्ली के बच्चों पर किए गए शोध की चर्चा करके हमें खुशी की सागर में डुबो
    दिए , बच्चों की सोच बदलना, इसका अर्थ यह हुआ कि समाज की सोच भी आगे अच्छाई की ओर ही बदलने का सशक्त सूचक हैं । बधाई हो खुशदीप जी ! आप इस तरह की सूचना देते रहें ,ताकि हम आशावादी बने रह सकें ।

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