अर्थ का अनर्थ...खुशदीप

कहने को सिर्फ पूर्ण विराम है...लेकिन ये छोटा सा पूर्ण विराम अगर सही जगह पर न रहे तो गजब ढा सकता है...क्या गजब ढा सकता है आज अपनी माइक्रोपोस्ट में यही आपको बताने जा रहा हूं...इस पोस्ट के साथ एक और सिलसिला शुरू हो रहा है...आज पहली बार स्लॉग ओवर भाई शिवम मिश्रा के सौजन्य से है...मेरे आग्रह पर उन्होंने ये मज़ेदार किस्सा भेजा है...

स्लॉग ओवर
एक गांव की सीधी-साधी महिला की एक शहरी बाबू से शादी हो गई । उसके पति शहर में किसी संस्थान में कार्यरत थे। महिला पति को चिट्टी लिखना चाहती थी पर अल्पशिक्षित होने के कारण उसे यह पता नहीं था कि पूर्णविराम कहां लगेगा । इसीलिये उसका जहां मन करा, वहीं चिट्ठी में पूर्ण विराम लगा दिया। उसने चिट्ठी में अर्थ का क्या अनर्थ किया, आप खुद ही पढ़िए...

मेरे प्यारे जीवनसाथी मेरा प्रणाम आपके चरणो मे । आप ने अभी तक चिट्टी नहीं लिखी मेरी सहेली कॊ । नोकरी मिल गयी है हमारी गाय को । बछडा दिया है दादाजी ने । शराब की लत लगा ली है मैने । तुमको बहुत खत लिखे पर तुम नहीं आये कुत्ते के बच्चे । भेड़िया खा गया दो महीने का राशन । छुट्टी पर आते समय ले आना एक खूबसूरत औरत । मेरी सहेली बन गई है । और इस समय टीवी पर गाना गा रही है हमारी बकरी । बेच दी गयी है तुम्हारी मां । तुमको बहुत याद कर रही है एक पड़ोसन । हमें बहुत तंग करती है तुम्हारी बहन । सिर दर्द मे लेटी है तुम्हारी पत्नी...

(साभार...शिवम मिश्रा, मैनपुरी)

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33 टिप्पणियाँ
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  1. इसलिए बहुत लोगों ने विराम चिन्हों का प्रयोग करना बंद कर दिया है।

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  2. "वादा करो छोडोगी नहीं तुम मेरा साथ....."

    yeh aaj ki nayi post hai......... dekhiyega....

    JAI HIND...

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  3. आप के अन्दाजे बयां ने इस स्लॉग ओवर में जान डाल दी है ।

    बधाई हो ।

    जय हिंद ।

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  4. गंभीर व्य्क्तित्व के लोगो भी हसने पर मजबूर करे यह पोष्ट
    बढिया रहा पुर्ण विराम का अर्थ अनर्थ
    धन्यवाद

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  5. शिवम भाई ने भी गज़ब का स्लाग ओवर फ़ेंका है।क्लीन बोल्ड कर दिया है।

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  6. आपने सही कहा...अर्थ का अनर्थ होने में देर नहीं लगती ...

    आप नीचे के दोनों वाक्यों को ही देखिए..

    पकड़ो...मत जाने दो

    पकड़ो मत...जाने दो

    आपके अन्दाज़े ब्याँ ने पुरानी शराब को नई बोतल में बखूबी डाल के पेश किया है

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुतीकरण खुशदीप भाई, शिवम् जी को भी बधाई...
    ऐसा ही एक और है-
    एक सरकारी राशन भण्डार(जो कि बेईमानी और कालाबाजारी के पर्याय होते हैं) के बाहर लगे बोर्ड को जो भी कोई आने-जाने वाला पढ़ता वो हँसे बिना न रह पाता, क्योंकि उसपे बात ही कुछ ऐसी लिक्खी थी-
    ''रविवार को भण्डार बन्दर खा जायेगा....
    आज्ञा से- सेठ जी..''

    जब सेठ जी से लोगों ने पूछा कि 'क्या सेठ खुले आम धोखेबाज़ी चल रही है, क्या गड़बड़ होने वाली है रविवार को?' बेचारे सेठ का तो हलक सूख गया कि इन्हें कैसे पता चल गया?
    शाम को दुकान से बाहर निकला तो पता चला नए नवेले नौकर साहब ने जल्दबाज़ी में ऐसा लिख दिया लिखना तो था-
    ''रविवार को भंडार बंद रखा जायेगा...
    आज्ञा से- सेठ जी....''
    तब कहीं सेठ जी ने राहत की सांस ली.
    अब बताइए बेचारे सेठ जी की क्या गलती,, नौकर ने अनजाने में ही पोल खोल दी तो...

    जय हिंद....

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  10. Khushdeep bhai, Mahfooz bhai ki pyaar ki dastan ka shesh bhaag swarnimpal.blogspot.com par jaroor padhen.....

    Jai Hind.....

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  11. हाहा हा हा!!! बहुते मजेदार खुशदीप भाई..शिवम मिश्रा जी को बहुत बधाई.

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  12. कही वह जो लिखना चाह रही थी वही तो नही लिखा. अर्थात कही पूर्णविराम सही जगह पर तो नही लगा.

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  13. मजेदार सलग ओवर भाई खुशदीप जी शिवम् मिश्रा जी आप दोनों को बधाई

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  14. शिवम मिश्रा जी को और उनके साथ-साथ दीपक जी को भी मज़ेदार किस्सा बताने के लिए बहुत-बहुत...बहुतायत में बधाई

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  15. बहुत ही सुन्दर एवं निर्मल हास्य!

    इसे पढ़ाने के लिए शिवम् जी और खुशदीप जो को धन्यवाद!!

    एक सच्ची घटना याद आ रही है स्पेलिंग की गलती वाली। मेरे स्व. पिताजी एक बार विद्यार्थियों की अंग्रेजी की उत्तर पुस्तिकाएँ जाँच रहे थे। एक विद्यार्थी ने अपनी उत्तरपुस्तिका में GANDHI को त्रुटिवश GADHI लिखा था। अब क्या पढ़ा जाये इसे?

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  16. बहुत बढिया लगा .. पहले सुना हुआ था .. फिर से एक बार याद आ गयी .. आपका और शिवम मिश्राजी का आभार !!

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  17. खुशदीप भाई,
    बहुत बहुत धन्यवाद स्लोग ओवर में जगह देने के लिए !!
    सभी को भी बहुत बहुत धन्यवाद पसंद करने के लिए !
    ब्लॉग जगत में युही एकता बनी रहे यही कामना है |

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  18. अर्थ का अनर्थ..भी कभी कभी इस चिट्ठी की तरह हँसाने का बहुत शानदार जरिया बन जाता है। बहुत शानदार रही चिट्ठी और आपकी पोस्ट पर मेरी यात्रा

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  19. बहुत अच्छा किया जो यह गोपनीय पत्र पढवाकर एक हंसी की लहर दौडवा दी, काहे से कि आजकल माहोल काफ़ी गमगीन है.

    रामराम.

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  20. हाहा हा हा हा हा ह हहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
    लाजवाब शिवम मिश्रा जी को हमारी बधाई दे दें कई दिन बाद खुल कर हंसी हूँ हा हा हा ।

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  21. हा हा हा !!!
    पूर्ण विराम ने तो कमाल कर दिया.
    बढ़िया रहा.

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