ब्लागरों के लड़ने झगड़ने की आदत यहां भी नहीं गयी
http://visfot.com/blog/archives/876
इलाहाबाद से लौट कर :कुछ खरी कुछ खोटी और कुछ खटकती बातें !
इलाहाबाद ही क्यों , अहमदाबाद या हैदराबाद क्यों नहीं ?
ब्लागरों की ब्ला-ब्ला
ये चारो लिंक इलाहाबाद मे ब्लॉगर जमावड़े से लौट कर लिखी गई कुछ रिपोर्ट के हैं...आज का ब्लॉग ओवर भी इसी से प्रेरित है...स्लॉग ओवर नहीं...इसे ब्लॉग ओवर कहना ज़्यादा बेहतर रहेगा...
ब्लॉग ओवर
जहां एक ब्लॉगर मौजूद... आवाज़ देकर हमें तुम बुलाओ
जहां दो बलॉगर मौजूद... ब्लॉगर मीट
जहां तीन ब्लॉगर मौजूद... रौला-रप्पा
जहां चार ब्लॉगर मौजूद... तेरी ये...तेरी वो...तेरा फलाना...तेरा ढिमकाना...
जहां चार से ज़्यादा ब्लॉगर मौजूद... शांति...बीच-बीच में कराहने की आवाज़ें...एंबुलेस में सारे ढोए जा रहे हैं...
(रौला रप्पा पंजाबी में शोर-शराबे या हो-हुल्लड़ को कहते हैं)
वाह वा'
जवाब देंहटाएंहा हा!! बहुत जल्दी जान गये सब कुछ. :)
जवाब देंहटाएंitne shortcut me itna acha samjhana sahi me prashanshania hai
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी थीसिस है-आपका शोध पत्र प्रस्तुतिकरण उम्दा है
जवाब देंहटाएंपसंद आया इसलिए एक चटका मेरी तरफ़ से, बधाई। जारी रहे
भाई जहां चार बर्तन होंगे वहां खडकेंगे ही !
जवाब देंहटाएंब्लॉगर जमावड़े में तो सभी महाज्ञानी ही होंगे..........:)
haam shaayad naa sun sake aapki aawaaz..
जवाब देंहटाएंhamaaraa system hi aisaa hai..
log kahte hain to aapki aawaz achchi hi hogi..
baaki hame aapki is post ke baare me nahi pataa...
ham ek blogger ho ker bhi blogger ki zindgi nahi jee sake hain...
भाई पहली और चौथी में लिंक लगाना भूल गये या कोई वजह है?
जवाब देंहटाएंजहां चार से ज़्यादा ब्लॉगर मौजूद... शांति...बीच-बीच में कराहने की आवाज़ें...एंबुलेस में सारे ढोए जा रहे हैं...
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ha ha ha ha hah ah ah a ha ha
JAI HIND
ऐसा ही होता है, एकदम सही फरमाया जी
जवाब देंहटाएंजहाँ ब्लोगर मीट तो हो पर ब्लोगर ही न हो तो ----------????
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.,
जवाब देंहटाएंरूपेश श्रीवास्तव जी,
जवाब देंहटाएंसबको पता है ये लिंक वगैरहा कॉपी करने में मैं अनाड़ी हूं...बहुत कोशिश करने पर भी जिन चार टाइटल का मैंने जिक्र किया है उनमें से दो के लिंक ठीक तरह से कॉपी नहीं कर पा रहा हूं...आप चाहें तो ब्लॉगवाणी एग्रीगेटर पर ये दोनों पोस्ट मौजूद हैं...आप वहां पढ़ सकते हैं...
जय हिंद...
ha ha maara maari kaisi rahi phir :)
जवाब देंहटाएंचार लिंक का उल्लेख करना .. तीन ही शीर्षकों के नाम देना.. और दो में ही लिंक बनाना .. जल्द ही स्लोग ओवर लिखकर पोस्ट को समाप्त करना .. बहुत हडबडी थे आप क्या ?
जवाब देंहटाएंसारी .. लिंक न बनने का उलाहना आपको मिल चुका था .. मैं ही हडबडी में थी .. अभी अभी आपका जबाब पढा .. पर लिंक लगाना तो काफी आसान है !!
जवाब देंहटाएंफरीदाबाद वाली ठीक निबट गई
जवाब देंहटाएंगाजियाबाद साहिबाबाद वाली भी सही निपटेगी
इलाहाबाद वाली क्यों सुलगेगी
वहां भी चिंगारी चिंगारी ही रहेगी शोला बन नहीं धधकेगी
यहां माधुरी दीक्षित वाला गाना सटीक बैठता है
एक दो तीन चार
ब्लॉगर का करूं मैं इंतजार
जहां करता नहीं कोई प्यार
बस रहता है टिप्पणियों का इंतजार
5 से 13 तक
और 13 से 1300 तक
पर 1300 तो बिग बी के ब्लॉग पर मिलती हैं
और 300 उड़नतश्तरी के ब्लॉग पर।
और अपनी पोस्ट लगाने को बेकरार
ब्लॉगबाज।
संगीता जी,
जवाब देंहटाएंऊपर रूपेश श्रीवास्तव जी के सवाल के जवाब में दी गई मेरी सफाई
से आप मेरी परेशानी समझ जाएंगी...
जय हिंद...
ये भी खूब रही
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
ये ब्लॉग ओवर तो बहुतों को आउट कर सकता है .
जवाब देंहटाएंभैया नहा लिये गंगा..हम तो सोच रहे थे कि अच्छा हुआ जा नहीं पाए..वर्ना तो पहले ही सूर्य देवता को अर्घ्य देने निकल जाते गंगा घाट पर ....वैसे इन सबका एक सार ये निकलता है कि हम जैसे हैं ..वैसे ही हैं असल में ..काहे कि आभासी दुनिया जी..सब कुछ असली है जी एक दम खांटी...हमको नहीं पता कि पंजाबी में खांटी को का कहते हैं..ई मखनवा और उसकी वोट्टी ही बताएगी
जवाब देंहटाएंअभी तो तेल देखा है मित्र...
जवाब देंहटाएंतेल की धार अभी बाकी है...
बहुतों ने तो दिखा दिया अपना हुनर
बहुतों के वार अभी बाकी हैँ ...आमीन
खूब पहचाना ।
जवाब देंहटाएंभाई ने भाई को जाना ।
क्या कहे हमारी तो बोलती हि बन्द हो गै है
जवाब देंहटाएंअच्चा हुआ पहले दिन कार्यक्रम मे नही शामिल हो पाया
वीनस केशरी
सुनो सुनो सुनो अगला ब्लॉगर सम्मेलन .... ... फलाने फलाने अस्पताल मे होने जा रहा है । हमे तो यहाँ का न्योता नहीं आया वहाँ का क्या आयेगा ?
जवाब देंहटाएंशरद कोकाश जी बिलकुल; सही और अस्पताल होगा पी जी आई :)
जवाब देंहटाएंदुनिया हँसे हँसती रहे मैं हूँ ब्लाग्गर मुझे ख़ुद से है प्यार
जवाब देंहटाएंकुछ भी कहे कहती रहे मैं हूँ ब्लाग्गर मुझे ख़ुद से है प्यार
नगरी-नगरी जाता हूँ बस अपना राग सुनाता हूँ
जब भी मुझको मौका मिला लक्षण अपने दिखता हूँ
सुनो न सुनो तुम मेरी पुकार....
ब्लाग जगत में विचरूं मैं ब्लाग जगत का हूँ वासी
सामाजिक प्राणी नहीं मैं, गुण हैं मेरे बनवासी
चलता हूँ लिए कलम की धार....
जब भी मुझको मौका मिला लक्षण अपने दिखाता हूँ
जवाब देंहटाएंkripya is pankti ko aise padhein..
Jai Hind
हा हा इसलिए ही तो ज्ञान जी धीरे से खिसक लिए थे !
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंफोनेटिक टिप्पणी हो ही ली तो जय हो....
जवाब देंहटाएंआप परम ज्ञानी हैं, बात को फ़टाफ़ट समझ लिये.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
Mazedar vargeekaran...
जवाब देंहटाएंJai Hind
आज अपना तो मूड ही आफ़ हो गया है और सब पढ कर कंही भी कुछ भी कहने की इच्छा नही हुई मगर आपको पढ कर मुझे भी कुछ कहने की इच्छा हो रही है,
जवाब देंहटाएंएक ब्लागर, ब्लागर्।
द्प ब्लागर फ़ौज,
तीन ब्लागर क़यामत,
चार ब्लागर मौत्।
दप को दो पढियेगा प्लीज़्।
जवाब देंहटाएंब्लोगर मीट का कच्चा चिठ्टा दिखाने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंभाई हम ने तो बहुत कुछ सोचा था, कि भारत आ कर एक ब्लांग सम्मेलन करेगे, अपने ब्लांग के जरिये सभी को बुलावा भेजेगे, रात ठहरने का, रात का खाना चाय नाशता, ओर दोपहर का खाना भी ह्मारी तरफ़ से होगा...... लेकिन इस सम्मेलन को देख कर मुझे भी समझ आ गई... भाई पेसे भी खर्च करो ओर मुंह भी काला करवाओ ना बाबा ना हम मै इतनी हिम्मत नही... अरे छोटी मोटी गलतियां हर जगह हो जाती है, हमे उन्हे नजर आंदाज करना चाहिये, ओर मदद करनी चाहिये... ना कि दुसरो का मजाक बनाना चाहिये.
जवाब देंहटाएंतो भाईयो आप सब इस बात से सवक ले ओर कान खींचे ऎसी भलाई करने से.... हम चार मिल कर कभी नही बेठ सकते... बस हमे टांग खींचने की आदत जो है सॊ खींचेगे? क्योकि कल मेरी किसी ओए ने टांग खींची थी उस का बदला भी तो लेना है. सुंदर ओर शिक्षा भरे लेख लिखने का क्या लाभ जब हम ही उन पर अमल नही करते.