सरकार अब मौन है...खुशदीप
चलिए सरकार की दुकान... क्या खरीदना है... पेट के लिए रोटी, हाथ के लिए रोज़गार, सिर के लिए छत... सरकार की दुकान से …
गुरुवार, फ़रवरी 11, 2010चलिए सरकार की दुकान... क्या खरीदना है... पेट के लिए रोटी, हाथ के लिए रोज़गार, सिर के लिए छत... सरकार की दुकान से …
एक दिन मैंने आपको शेर सिंह ( ललित शर्मा ) जी के डैन में घुसकर वहां का आंखों देखा हाल सुनाया था...अपने इन शेर सिंह जी की…
आदमी सोचता क्या है...लेकिन होता वही है जो मंज़ूर-ए-खुदा होता है...मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ...कल दिल्ली में ब्लॉगर-ए-बहारा…
ये कहानी इंटरनेट से ही अंग्रेज़ी में मुझे किसी ने ई-मेल की है...ये कहानी अगर देश के हर इंसान को पढ़ा दी जाए, हर टीचर को…
हम अपने-अपने कामों में बड़े मसरूफ़ हैं...अपने बच्चों को ज़िंदगी में कोई मकाम बनाने के लिए हर तरह की मदद देना चाहते हैं.…
दिन है सुहाना आज पहली तारीख है, खुश है ज़माना आज पहली तारीख है, पहली तारीख है जी पहली तारीख है, बीवी बोली घर …
कल आतंक पर व्यंग्य पोस्ट किया था...लेकिन फिर एक सवाल भी जेहन में आया कि हिंदुस्तानी आला दर्ज़े के आतंकवादी क्यों नहीं ब…
गब्बर... अरे ओ सांबा...ज़रा देख तो सरकार हमार लई कौन सा नया पोस्टरवा लगाए रे ब्लॉगगढ़वा में... सांभा ... कोई पोस्…
प्रोफेसर ने क्लास लेना शुरू किया...हाथ में एक पानी से भरा गिलास पकड़ रखा था...पूरी क्लास को गिलास दिखाते हुए प्रोफेसर न…
मैं घर के पास एक डिपार्टमेंटल स्टोर में कुछ ज़रूरी खरीदारी करने गया था...वहां एक बच्चा गुड़िया लेकर खड़ा था और कैशियर उ…