mother-in-law
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सास डूब रही थी, मक्खन खड़ा सोच रहा था...खुशदीप
श्रृंगार, हास्य, वीभत्स, रौद्र, शांत, वीर, भय, करुण, अद्भुत ...यही नौ रस नाट्यशास्त्र का सत्व है...जीवन भी रंगमंच ही तो…
मंगलवार, सितंबर 21, 2010श्रृंगार, हास्य, वीभत्स, रौद्र, शांत, वीर, भय, करुण, अद्भुत ...यही नौ रस नाट्यशास्त्र का सत्व है...जीवन भी रंगमंच ही तो…