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सोचो क्या पाया इनसां होके...खुशदीप
पंछी, नदिया, पवन के झोंके, कोई सरहद न इनको रोके, सरहदें इनसानों के लिए है, सोचो तुमने और मैंने क्या पाया इनसां होके.…
शनिवार, जून 26, 2010पंछी, नदिया, पवन के झोंके, कोई सरहद न इनको रोके, सरहदें इनसानों के लिए है, सोचो तुमने और मैंने क्या पाया इनसां होके.…