शाम-ए-अवध
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ब्लॉगरों की शाम-ए-अवध, महफूज़ की गोली...खुशदीप
मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं... या लखनऊ हम पर फिदा, हम फिदा-ए-लखनऊ, किसमें है दम इतना, कि हम से छुड़वाए लखनऊ... …
गुरुवार, जनवरी 27, 2011मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं... या लखनऊ हम पर फिदा, हम फिदा-ए-लखनऊ, किसमें है दम इतना, कि हम से छुड़वाए लखनऊ... …
और किसी का सम्मान हो गया, क्या आदमी वाकई इनसान हो गया... ये मेरी उस कविता की पहली दो पंक्तियां हैं जो मैंने सम्मान …