साउथ अफ्रीका में खेले गए जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में मुमताज़ ख़ान का कमाल, भारत ने पूरे टूर्नामेंट में 16 गोल किए जिनमें आठ अकेले लखनऊ की मुमताज़ ने किए; माता-पिता और पांच बहनों को नाज़, अपने नाम की तरह ही अनमोल है मुमताज़
नई दिल्ली (13 अप्रैल)।
लखनऊ के तोपखाना बाज़ार में केसर जहां पिछले शुक्रवार यानि 8 अप्रैल को तपती धूप में अपनी रेहड़ी पर जुमे की नमाज से पहले ग्राहकों को सब्जियां बेचती दिखीं. उस वक्त उनके पति हाफ़िज़ मस्जिद में नमाज़ पढ़ने गए हुए थे. केसर जब सब्जी बेच रही थीं ठीक उसी वक्त उनकी बेटी मुमताज़ ख़ान आठ हज़ार से ज्यादा किलोमीटर दूर साउथ अफ्रीका के पोचेफस्ट्रूम में एक घुटने पर बैठकर जूनियर वर्ल्ड कप हॉकी मैच में स्टिक से गेंद को डायरेक्ट कर साउथ कोरिया का गोलपोस्ट खड़का रही थीं.
लखनऊ में सब्ज़ी बेचने के साथ बेटी का मैच देखतीं मुमताज़ की मां केसर जहां |
इस पूरे टूर्नामेंट में भारत के ज़ोरदार खेल की सूत्रधार फॉरवर्ड पोजीशन पर खेलने वाली मुमताज़ ही रहीं.
मुमताज़ ख़ान (आभार हॉकी इंडिया ट्विटर) |
भारत की टीम ने इस पूरे टूर्नामेंट में 16 गोल किए जिनमें से आधे यानि 8 गोल 19
साल की मुमताज़ ने किए. मुमताज़ के मुश्किलों भरे सफ़र के बारे में आपको बताने से पहले 2 अप्रैल
से 12 अप्रैल 2022 तक दक्षिण अफ्रीका में खेले गए इस जूनियर वर्ल्ड कप के बारे में आपको
थोड़ा और बता दें.
भारत इस पूरे टूर्नामेंट में सिर्फ दो मैच हारा, 10 अप्रैल को सेमीफाइनल में नीदरलैंड से 3-0 से और तीसरे स्थान यानि ब्रॉन्ज मेडल की प्लेसिंग के लिए हुए मैच में 12 अप्रैल को इंग्लैंड से पेनल्टी शूट में, इस मैच में निर्धारित समय तक भारत और इंग्लैंड की टीमें 2-2 से बराबर रहीं थीं जिसमें भारत के दोनों गोल मुमताज़ ने किए लेकिन पेनल्टी शूट आउट मे भाग्य ने भारत का साथ नहीं दिया और उसे चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा.
12 अप्रैल को इंग्लैंड के ख़िलाफ़ खेले गए मैच में अपना दूसरा गोल करने के बाद मुमताज़ |
इस
टूर्नामेंट का खिताब नीदरलैंड्स ने 12 अप्रैल को ही फाइनल में जर्मनी को 3-1 से
हरा कर जीता.
ग्रुप मैचों की बात की जाए तो पूल डी में भारत अपने तीनों मैच जीतकर टॉप पोजीशन पर रहा. 2 अप्रैल को भारत ने वेल्स को 5-1 से हराया, इस जीत में मुमताज़ ने 41वें मिनट में गोल कर अपना योगदान दिया. 3 अप्रैल को अपने दूसरे मैच में भारत ने जर्मनी जैसी ताकतवर टीम को 2-1 से हराया, इस मैच में भी मुमताज ने 25वें मिनट में गोल किया, 5 अप्रैल को पूल के अपने आखिरी मैच में भारत ने मलेशिया को 4-0 से हराया, इस मैच में तीन गोल मुमताज़ ने किए, 8 अप्रैल को क्वार्टर फाइनल में भारत का मुकाबला साउथ कोरिया से था. भारत ने ये मैच 3-0 से जीता, इस मैच में भी मुमताज ने 11 वें मिनट में गोल किया.
India are through to semifinals at the FIH Junior Women's World Cup! 🇮🇳
— The Bridge (@the_bridge_in) April 8, 2022
The Indian girls eased past South Korea with goals from Mumtaz Khan, Lalrindiki and Sangita taking the team to a clinical 3-0 win in the quarterfinal.#Hockey 🏑 pic.twitter.com/DlyUGlGMgR
10 अप्रैल को सेमीफाइनल में नीदरलैंड्स से भारत को शून्य के मुकाबले तीन गोल से मात खानी पड़ी और उसका फाइनल पहुंचने का सपना टूट गया. भारत ने इस जूनियर वर्ल्ड कप में कुल 6 मैच खेले और चार में जीत हासिल की.
अब लौटते हैं
फिर लखनऊ में जहां एक गरीब परिवार में जन्म लेने वाली मुमताज़ का सफ़र शुरू हुआ.
मुमताज़ के पिता हाफिज़ सब्जी का ठेला लगाते हैं. जब वो नमाज़ पढ़ने मस्जिद में
जाते हैं तो मुमताज़ की मां कैसर जहां ये जिम्मेदारी संभालती हैं. दोनों बड़ी
मुश्किल के साथ छह बेटियों वाले अपने परिवार का गुज़ारा करते रहे हैं.
मुमताज की
उपलब्धि पर उसकी पांच बहनों की खुशी का ठिकाना नहीं है. बड़ी बहन फराह ख़ान का
कहना है कि खुशी में उनके पास कहने को अल्फ़ाज़ नहीं हैं. मुमताज ने अपनी हॉकी
स्टिक की कमाल की ड्रिबलिंग और स्प्रिंट दौड़ से उन सभी के मुंह सिल दिए हैं जो
उसके माता-पिता का ये कहकर मज़ाक उड़ाते थे कि उन्होंने बेटी को स्पोर्ट्स में
जाने दिया. मुमताज़ की हॉकी में एंट्री अचानक हुई. 2013 में मुमताज अपने स्कूल की
स्पोर्ट्स टीम के दौड़ के एक टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए आगरा गई थी. वहां
एक लोकल कोच ने मुमताज़ को हॉकी खिलाने के लिए सलाह दी. मुमताज़ को शुरुआती दिनों
में ट्रेंड करने वाली कोच नीलम सिद्दीकी ने एक पोर्टल से बातचीत में कहा- हमने
सोचा कि अगर वो स्प्रिंट के साथ हॉकी के स्किल्स भी सीख ले तो उम्दा खिलाड़ी बन
सकती है. तेज़ दौड़ना जैसी कुछ चीज़ें किसी बच्चे में कुदरती तौर पर होती हैं, डी
में पोजिशनिंग और कब स्टार्ट लेना है ये भी इंस्टिक्ट्स की तरह होते हैं, हां
इन्हीं सब के बीच गोल करने की कला भी बाई प्रोडक्ट के तौर पर डेवेलप होती है.
अपने शानदार खेल की बदौलत मुमताज को 14 साल की उम्र में ही 2017 में यूथ नेशनल टीम सेटअप में जगह मिल गई. 2018 में हुए यूथ ओलिम्पिक्स में मुमताज ने अपनी टीम को सिल्वर मेडल दिलाने के लिए 10 गोल कर अहम योगदान दिया. फराह याद करती हैं जब मुमताज़ ने सिल्वर मेडल हासिल किया था तो उस दिन घर में ईद जैसी खुशी वाला माहौल था. मुमताज शुरू से ही कहती रही है कि उसे ज़रूर देश के लिए खेलना है. 2020 में मुमताज को अपने खेल की ही बदौलत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का मौका भी मिला था.
2020 में मुमताज़ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का मौका मिला था, ट्विटर |
मुमताज का जिस
तरह का परफॉर्मेंस रहा है उन्हें जल्दी ही देश की सीनियर वीमेन हॉकी टीम में भी
खेलने का मौका मिल जाएगा. अब परिवार को इंतज़ार है मुमताज़ के साउथ अफ्रीका से
लौटने का जिससे कि उसका शानदार स्वागत किया जा सके. वाकई मुमताज़ पर हर भारतवासी
को है नाज़...