नई दिल्ली (16 फरवरी)।
क्या 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए
डेमोक्रेटिक उम्मीदवार रह चुकीं हिलेरी क्लिंटन (Hillary Clinton) ने अपने विरोधी रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनल्ड ट्रम्प (Donald Trump) को बदनाम करने के लिए उनके रूस से कथित जुड़ाव को लेकर फ़र्जी कहानी गढ़ी
थी? क्या
इसी इरादे से हिलेरी क्लिंटन के सहयोगियों की ओर से ट्रम्प टॉवर और व्हाइट हाउस के
इंटरनेट ट्रैफिक तक पहुंच बनाई गई थी.
ये सारे सवाल और ट्रम्प की
कथित जासूसी के मुद्दे ने अमेरिका में सियासी भूचाल ला दिया है. इसने अमेरिकी
मीडिया को भी बांट दिया है. व्हाइट हाउस ने इस मामले में उठे सवालों से पल्ला
झाड़ते हुए मीडिया को डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के पास जाने के लिए कहा.
व्हाइट हाउस ने इस तरह के
दावों से जुड़े विवाद में दखल देने से इनकार किया है कि 2016 में क्लिंटन के सहयोगियों
ने ट्रम्प को बदनाम करने के इरादे से उनका रूस से जुड़ाव साबित करने की कोशिश की
और क्या इंटरनेट डेटा कलेक्शन को जासूसी जैसा माना जाए.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की प्रिंसिपल डिप्टी प्रेस
सेक्रेटरी कैरेन जीन
पियरे (Karen jean-pierre) से पूछा
गया था कि क्या राष्ट्रपति ऐसी मुहिमों को लेकर कोई चिंता रखते हैं जिनमें
विरोधियों को बदनाम करने के इरादे से उनके कम्प्यूटर सिस्टम्स को हैक करने की
कोशिश की जाए. डिप्टी प्रेस सेक्रेटरी ने व्हाइट हाउस की दैनिक ब्रीफिंग में उठे
ऐसे सभी सवालों को डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस से पूछने को कहा.
Karen Jean-Pierre (Twitter) |
दरअसल अमेरिका में स्पेशल काउंसल जॉन डरहम (John Durham) की जांच में एक नई लीगल फाइलिंग के बाद बहस छिड़ गई है. इसमें आरोप लगाया गया है कि हिलेरी क्लिंटन के 2016 कैम्पेन से जुड़े एक टेक एग्जेकेटिव ने ट्रम्प टॉवर और व्हाइट हाउस के इंटरनेट ट्रैफिक तक पहुंच बना ली थी. इसका मकसद ट्रम्प की छवि धूमिल करने का था.
Special Counsel John Durham (File) |
ट्रम्प के समर्थक अब कह रहे हैं कि ये घटनाक्रम ट्रम्प के उन दावों
को सही ठहराता है जिसमें वो कहते थे कि अवैध ढंग से उनकी जासूसी की गई और रूस के
साथ उनकी साठगांठ की कहानी कोरी अफवाह थी.
डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस में
स्पेशल काउंसल के ऑफिस ने कहा है कि वो अपनी लीगल फाइंडिग्स के बाहर जाकर कोई
टिप्पणी नहीं करेगा.
स्पेशल काउंसल जॉन डरहम को डोनल्ड ट्रम्प और रूसी अधिकारयों के बीच
लिंक से जुड़ी जांच की जड़ को खंगालने की जिम्मेदारी दी गई थी. उन्होंने ऐसे दावों
पर फोकस किया कि क्लिंटन के कैम्पेन ने ट्रम्प के रूस से संबंधों को इस तरह के
सवालों से ध्यान हटाने के तौर पर देखा जो हिलेरी क्लिंटन की ओर से प्राइवेट ईमेल
सर्वर का इस्तेमाल किए जाने से जुड़े थे.
इस मसले पर अमेरिकी मीडिया से बंटी हुई प्रतिक्रिया सामने आ रही
है. दक्षिणपंथी समाचार संगठनों का कहना है कि अमेरिका का मेनस्ट्रीम मीडिया एक अहम
घटनाक्रम की अनदेखी कर रहा है.
हालांकि कुछ इंटरनेट एक्सपर्ट्स का कहना है कि डीएनएस लुकअप्स जैसे
इंटरनेट डेटा को अक्सर इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स की ओर से थर्ड पार्टीज के साथ
शेयर किया जाता है. इस तरह का कलेक्शन पक्के तौर पर अवैध करार नहीं दिया जा सकता
और न ही इसे हैकिंग कहा जा सकता है.
बता दें कि जब ट्रम्प राष्ट्रपति थे तो उस वक्त के नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर जॉन रैटक्लिफ (John Ratcliffe) ने दावा
किया था कि बाइडेन और बराक ओबामा को पता था कि क्लिटंन का कैम्पेन ट्रम्प के सर्वर
को हैक करने की कोशिश कर रहा है जिससे कि क्रेमलिन से उनके लिंक्स को ढूंढा जा
सके.
रैटक्लिफ के मुताबिक सीआईए के पूर्व डायरेक्टर जॉन ब्रेनन (John Brennan) ने ओबामा और उनके डिप्टी
बाइडेन को 2016 में ऐसे आरोपों के बारे में बताया था कि क्लिंटन की ओर से ट्रम्प
के रूस से जुड़ाव को गढ़ने की कोशिश की जा रही है. ये इसलिए किया जा रहा था कि
क्लिंटन के डिलिट हुए ईमेल्स से जुड़े स्कैंडल से लोगों का ध्यान हटाया जा सके.
डोनल्ड ट्रम्प और हिलेरी क्लिंटन- फाइल |
ट्रम्प ने सोमवार को जारी एक संक्षिप्त
बयान में कहा कि डरहम की फाइलिंग्स से जाहिर तौर पर क्लिंटन के प्लॉट का खुलासा
हुआ है जिसमें उनका रूस के साथ लिंक जोड़ने की कोशिश की गई थी. ट्रम्प
के मुताबिक उनका ये दावा सच साबित हुआ कि उनकी जासूसी कराई गई थी. ट्रम्प ने ये भी
कहा कि 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में धांधली होने के अपने आरोपों में भी एक दिन वो
सही साबित होंगे.