हिन्दी सिनेमा प्लेबैक सिंगिंग का वो गोल्डन एरा

 


50-60 और कुछ हद तक 70 के दशक को हिन्दी सिनेमा प्लेबैक सिंगिंग का गोल्डन एरा क्यों कहा जाता है? इस दौर में सक्रिय रहे महान गायक-गायिका वाली फ़ेहरिस्त पर ज़रा गौर फ़रमाइए...खुद ही समझ आ जाएगा...


नई दिल्ली (8 फरवरी)।


1. मन्ना डे  (1 मई 1919 – 24 अक्टूबर, 2013



कसमें वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या, कोई किसी का नहीं ये झूठे नाते हैं नातों का क्या




2. मुकेश  (22 जुलाई 1923 - 27 अगस्त 1976) 


 

कल खेल में हम हो न हो गर्दिश में तारे रहेंगे सदा, भूलेंगे हम भूलोगे तुम पर हम तुम्हारे रहेंगे सदा




3. तलत महमूद (24 फरवरी 1924 – 9 मई 1998) 



ऐ मेरे दिल कहीं और चल ग़म की दुनिया से दिल भर गया, ढूंढ ले अब कोई घर नया, ऐ मेरे दिल कहीं...



4. मुहम्मद रफ़ी (24 दिसंबर 1924 – 31 जुलाई 1980)




आदमी मुसाफिर है, आता है जाता है, आते-जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता है



5. किशोर कुमार (4 अगस्त 1929 – 13 अक्टूबर 1987)




 ज़िंदगी का सफ़र, है ये कैसा सफ़र, कोई समझा नहीं, कोई जाना नहीं




6. लता मंगेशकर (28 सितंबर 1929 – 6 फरवरी 2022)



नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा, मेरी आवाज़ ही पहचान है, ग़र याद रहे



7. गीता दत्त  (23 नवंबर 1930 – 20 जुलाई 1972)  



वक़्त ने किया क्या हंसीं सितम, तुम रहे न तुम हम रहे न हम





8. महेंद्र कपूर   (9 जनवरी 1934 -  27 सितंबर 2008) 



संसार की हर शह का इतना ही फ़साना है, इक धुंध से आना है, इक धुंध में जाना है

 


इस मशाल को 8 सितंबर 1933 को जन्मीं आशा भोसले ने आज तक थाम रखा है...भगवान उन्हें स्वस्थ रखे और उनके शतायु होने की प्रार्थना... 



आगे भी जाने न तू, पीछे भी जाने न तू, जो भी है, बस यही एक पल है



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