कुंजली IV मरक्कर के रोल में अभिनेता मोहन लाल |
'बाहुबली' जैसे बड़े कैनवास वाली यह फिल्म 2 दिसंबर को रिलीज हुई. केरल के सबसे बड़े सुपरस्टार मोहनलाल के टाइटल रोल वाली इस फिल्म को मॉलिवुड यानि मलयालम सिनेमा के इतिहास की सबसे मंहगी फिल्म माना जा रहा है. इस पर करीब 85 से 100 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान जताया जा रहा है. मलयालम और तमिल में एक साथ शूट की गई मरक्कर के साउंडट्रैक को कन्नड, तेलुगु और हिन्दी में भी डब किया गया है.
बेस्ट फीचर फिल्म और बेस्ट विजुअल इफेक्ट्स समेत तीन नेशनल अवार्ड जीतने वाले इस पीरियड ड्रामा को प्रियदर्शन ने लिखा और डायरेक्ट किया है. फिल्म में समुद्री फाइट को जिस बड़े पैमाने पर दिखाया गया है, उसका सही आनंद थिएटर के बड़े पर्दे पर ही लिया जा सकता है. स्टारकास्ट में मोहन लाल का साथ इस फिल्म में मंजू वारियर, सुनील शेट्टी, कीर्ति सुरेश, अर्जुन सर्जा और प्रणव मोहनलाल ने दिया.
प्रियदर्शन ने इस फिल्म का तानाबाना सोलहवीं सदी के मरक्कर समुद्री योद्धाओं के युद्ध कौशल के इर्दगिर्द बुना है. फिल्म में मलयालम सुपरस्टार मोहनलाल ने महान समुद्री योद्धाओं कुंजाली मरक्कर की चौथी पीढ़ी यानि एडमिरल कुंजाली फोर्थ का किरदार निभाया हैं. कुंजाली फोर्थ की युवावस्था को बड़े पर्दे पर मोहनलाल के ही बेटे प्रणव मोहनलाल ने निभाया है. फिल्म के प्लॉट को अच्छी तरह समझने के लिए ये जान लिया जाए कि मरक्कर कौन थे. ये कोचीन प्रोविंस के समुद्री व्यापारी थे जो युद्धकला में भी माहिर थे. जब पुर्तगाली कोची आए तो मरक्कर कालीकट यानि कोझीकोड चले गए और पोन्नानी में अपना बेस बना लिया. कोझीकोड के स्मूथिरी यानि ज़ेमोरिन शासकों ने मरक्कर के समुद्री युद्ध कौशल को देखते हुए उन्हें अपनी समुद्री सेना का प्रमुख बनाया. सबसे पहले ये ज़िम्मेदारी कुंजाली फर्स्ट यानि मुहम्मद कुंजली मरक्कर को मिली. फिर यही कमान मरक्कर की चार पीढ़ियों को एक के बाद एक मिलती रही. मरक्कर योद्धाओं की खासियत थी दुश्मन पर अचानक हमला बोल कर फिर दृश्य से गायब हो जाना. ऐसे हमले छोटी नौकाओं से किए जाते और पुर्तगाली जहाजों को आग लगाकर तुरंत वहां से गायब हो जाते. पुर्तगाली जब तक संभलते तब तक उनका बड़ा नुकसान हो जाता था. उस दौर में कोझीकोड से मसाले और अन्य उत्पाद समुद्री रास्ते से मिस्र जैसे देशों में निर्यात किए जाते थे. लेकिन पुर्तगाल की नौसेना के दस्ते इन समुद्री रास्तों पर कंट्रोल करने लगे जिससे समुद्री कारोबार में दिक्कत आने लगी थी.
कुंजाली फोर्थ का जो किरदार मोहनलाल ने फिल्म में निभाया है वो कुंजाली थर्ड के दामाद थे. उस किरदार को पुर्तगालियों के साथ उन ज़ेमोरिन शासकों के अविश्वास का सामना करना पड़ा था, जिन पर वो तीन पीढ़ियों से भरोसा करते आ रहे थे. दरअसल ज़ेमोरिन को पसंद नहीं था कि कुंजाली फोर्थ को समुद्र का लॉर्ड कह कर बुलाया जाए. दूसरी बात पुर्तगालियों की ओर से ये भ्रांति भी फैलाई गई थी कि कुंजाली फोर्थ ने ज़ेमोरिन के एक हाथी की पूंछ काट दी थी, जब एक नायर सहयोगी ने इसका विरोध किया तो कुंजाली फोर्थ ने उसका अपमान किया. ज़ेमोरिन और पुर्तगालियों ने मिलकर ही कुंजाली फोर्थ को निशाना बनाना शुरू किया. कुंजाली फोर्थ ने बहादुरी से सामना किया लेकिन आखिर वर्ष 1600 में उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.
एडमिरल कुंजलि मरक्कर पर आधारित इस फिल्म का विचार सबसे पहले 1996 में आया जब प्रियदर्शन, मोहनलाल और पटकथा लेखक टी. दामोदरन पर इसमें काम करने पर सहमति बनी. दामोदरन ने 1999 में एक प्लॉट का खाका सामने रखा. लेकिन उसके लिए बहुत बड़े बजट की जरूरत होने होने की वजह से फिल्म का निर्माण 21 साल तक ठंडे बस्ते में रहा. इस बीच दामोदरन दुनिया को अलविदा कह गए. प्रियदर्शन ने 2017 फिल्म के रिसर्च वर्क को आगे बढ़ाया, और अंतिम ड्राफ्ट जून 2018 तक पूरा किया गया. फिल्म को दिसंबर 2018 से मार्च 2019 तक हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी में बनाए गए सेट में शूट किया गया. इस फिल्म को मूल तौर पर 19 मार्च 2020 को रिलीज किया जाना था. लेकिन कोविड 19 महामारी की वजह से इसकी रिलीज डेट को चार बार टालना पड़ा. 2 दिसंबर को ये फिल्म बड़े पर्दे का मुंह देख पाई.