नई दिल्ली (11 दिसंबर)।
चांद पर अभी तक सिर्फ 12 इनसानों को जाने का मौका मिला है. अब भारतीय मूल के अनिल मेनन को भी यह गौरव मिल सकता है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा यानि नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने अपने मून मिशन के लिए 10 ट्रेनी एस्ट्रोनॉट्स को चुना है, इनमें 45 साल के अनिल मेनन भी शामिल हैं,
अनिल अमेरिकी एयरफोर्स में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं और स्पेसएक्स में फ्लाइट सर्जन भी रहे. 45 साल के अनिल का नाम NASA की क्लास 2021 के लिए चुने 10 लोगों में शामिल हैं. इनमें 6 पुरुष और 4 महिलाएं हैं. अनिल के अलावा चुने गए अन्य 9 ट्रेनी एस्ट्रोनॉट में US एयरफोर्स के मेजर निकोल एयर्स और मेजर मार्कोस बेरियोसो, US मरीन कॉर्प्स मेजर (रिटायर्ड) ल्यूक डेलाने, US नेवी में लेफ्टिनेंट कमांडर जेसिका विटनर और लेफ्टिनेंट डेनिज बर्नहैम, US नेवी कमांडर जैक हैथवे, क्रिस्टोफर विलियम्स, क्रिस्टीना बिर्चो और आंद्रे डगलस शामिल हैं.
मून मिशन के लिए चुने गए अन्य 9 साथियों के साथ अनिल मेनन (पिछली कतार में सबसे लंबे) |
NASA की ओर से 50 साल बाद चांद पर इंसान भेजने के प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है. चंद्रमा पर अभी तक कोई महिला अंतरिक्ष यात्री नहीं गई है. नासा के इस मिशन में चांद पर पहली महिला यात्री को भी भेजने की तैयारी है.
20 जुलाई 1969 को चांद पर कदम रखने वाले पहले इनसान नील आर्मस्ट्रॉंग थे. अपोलो 11 मिशन के तहत आर्मस्ट्रॉन्ग के साथ गए बज एल्ड्रिन ऐसा करने वाले दूसरे इनसान थे. उनके बाद तीन साल में पांच और अपोलो मिशन पर 10 और अंतरिक्ष यात्री चांद पर गए. इनमें पेटे कॉनरॉड, एलन बीन, एलन शेपर्ड, एडगर मिशेल, डेविड स्कॉट, जेम्स इरविन, जॉन यंग, चार्ल्स ड्यूक, यूजीन सेरनन और हैरिसन श्मिट को चांद पर कदम रखने का मौका मिला. श्मिट 1972 में चांद पर कदम रखने वाले आखिरी इनसान रहे.
चंद्रमा पर जाने वाले 12 अंतरिक्ष यात्री |
अनिल भारत में भी करीब एक साल गुजार चुके हैं. तब वे यहां पोलियो अभियान की स्टडी और उसके सपोर्ट के लिए भेजे गए थे. चंद्रमा पर अब तक भारत का कोई अंतरिक्ष यात्री नहीं गया है. हालांकि अब तक भारत और भारतीय मूल के 4 लोग अंतरिक्ष में जा चुके हैं. भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा थे. उनके अलावा भारतीय मूल की कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स और राजा चारी अंतरिक्ष में गए हैं.
राजा चारी, सुनीता विलियम्स, कल्पना चावला, राकेश शर्मा |
मून मिशन के लिए 12 हजार लोगों के आवेदन आए थे, इनमें ट्रेनिंग के लिए सिर्फ 10 को चुना गया है ये लोग अगले साल जनवरी में टेक्सास के जॉनसन स्पेस सेंटर पर रिपोर्ट करेंगे. इसके बाद उन्हें 2 साल की ट्रेनिंग से गुजरना होगा. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद ये सभी नासा की आर्टेमिस जेनरेशन प्रोग्राम का हिस्सा बनेंगे.
कौन हैं अनिल मेनन?
अनिल भारतीय पिता और यूक्रेनियन मां के बेटे हैं. अमेरिका के मिनेसोटा में पले-बढ़े अनिल मेनन ने 1999 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से न्यूरोबायोलॉजी में ग्रेजुएशन किया. 2004 में कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की. स्टैनफोर्ड मेडिकल स्कूल से उन्हें डॉक्टर की डिग्री भी मिली हुई है. उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर NASA के कई अभियानों के लिए क्रू फ्लाइट सर्जन का भी रोल निभाया है.
2014 में उन्होंने NASA के फ्लाइट सर्जन के तौर पर काम करना शुरू किया. वे सोयुज मिशन में भी शामिल रहे। 2018 में उन्होंने एलन मस्क की स्पेसएक्स जॉइन की. कंपनी की पहली ह्यूमन फ्लाइट के मेडिकल प्रोग्राम और तैयारियों में मदद की.
भारतीय खाना पसंद करते हैं अंतरिक्ष यात्री
अनिल मेनन ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू मे ंखुलासा किया कि अंतरिक्ष में अधिकतर एस्ट्रोनॉट्स की पसंद भारतीय खाना होता है, ऐसा ऐसे खाने के मसालों की वजह से होता है. अनिल ने कहा, "जब लोग अंतरिक्ष में होते हैं तो खाना दूसरे तरह का टेस्ट देता है. क्योंकि वहां नाक स्टफी हो जाती है वहां फ्लुइड बहना शुरू हो जाता है. मैंने बहुत से एस्ट्रोनॉट्स से सुना है कि उनका पसंदीदा खाना भारतीय फूड है क्योंकि वो मसालेदार होता है. ये मेडिकल फैक्ट है."