चीन और भारत में 1962
में युद्ध हुआ था तो मेरा जन्म भी नहीं हुआ था...एक साल बाद मैं इस दुनिया में
आया...1964 में प्रख्यात निर्देशक चेतन आनंद ने इसी युद्ध की विभीषिका को बयां
करने वाली बेहतरीन फिल्म बनाई- ‘हक़ीक़त’…जब 8-9 साल का था तब पहली बार ‘हक़ीक़त’ देखी...ज़्यादा समझ ना होने के बावजूद इस फिल्म के माध्यम से जाना कि
युद्ध का क्या मतलब होता है...जाना कि देश की ड्यूटी के लिए समर्पित जवान भी हमारी
तरह ही हाड-मांस के इऩसान होते हैं...उनकी भी अपने प्रियजनों के लिए वैसी ही
भावनाएं होती हैं जैसे कि आपकी-हमारी...
’हक़ीक़त’ बेशक ब्लैक एंड व्हाईट थी लेकिन चेतन आनंद साहब ने इसमें युद्ध की
पृष्ठभूमि में इनसानी रिश्तों के जज़्बात को बड़ी शिद्दत के साथ पर्दे पर उकेरा
था...’हक़ीक़त’ को यादगार फिल्म बनाने
में कैफ़ी आज़मी के गीतों और मदन मोहन के संगीत ने भी अहम योगदान दिया...
‘हक़ीक़त’ के माध्यम से ही जाना कि चीन के साथ युद्ध
में भारत को किस पैमाने की हार का सामना करना पड़ा था...इस हार ने ही तत्कालीन
प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भीतर से तोड़ कर रख दिया था...युद्ध के दो महीने
के बाद लता मंगेशकर ने दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में 27 जनवरी 1963 को कवि प्रदीप
के लिखे गीत ‘ए मेरे वतन के लोगों, ज़रा
आंख में भर लो पानी , जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी’ को गाया तो पूरे देश के साथ पंडित नेहरू की आंखों से भी झर झर आंसू बह
निकले...
भारत-चीन युद्ध के 55
साल बाद एक बार फिर डोकलाम विवाद को लेकर ड्रैगन के साथ संबंधों को तनावपूर्ण
बताया जा रहा है...चीन की ओर से सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में सड़क बनाने की
कोशिशों पर भारत के साथ भूटान ने आपत्ति दर्ज़ कराई है. इसी को लेकर बीते कुछ समय
से गतिरोध बना हुआ है. अब कूटनीति क्या कर रही है, क्या नहीं, मीडिया के लिए ये
मायने नहीं रखता...उसके लिए युद्धोन्माद टीआरपी है तो वो इसके लिए कोई कसर नहीं
छोड़ता...ऐसे में तर्क और विवेक के लिए गुंजाइश ही कहां बचती है...
खैर इसे छोड़िए, अगर
आप से कोई ये कहे कि भारत ने 1962 युद्ध में चीन को शिकस्त दी थी तो आपकी क्या
प्रतिक्रिया रहेगी? तथ्यों
को ताक पर रख कर सीबीएसई से मान्यता प्राप्त मध्य प्रदेश के स्कूलों में बच्चों को यही पढ़ाया जा
रहा है…कक्षा 8 की संस्कृत की पाठ्य पुस्तक में यही लिखा है कि 1962 युद्ध में
भारत ने चीन को हराया था...
पाठ्य पुस्तक में देश
के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर लिखे अध्याय ‘सुकृतिका’ में कहा गया
है कि ‘नेहरू के प्रयासों से भारत ने चीन को हराया था…’
‘श्री जवाहर लाल
नेहरू’ शीर्षक वाले अध्याय में पहले प्रधानमंत्री और
कांग्रेसी दिग्गज की उपलब्धियों का बखान किया गया है… साथ ही चीन के 1962 में
आक्रमण के दौरान उनकी सूझबूझ को भी सराहा गया है. लिखा है- ‘जवाहर
लाल नेहरू के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान चीन ने 1962 में भारत के ख़िलाफ़
युद्ध छेड़ा, नेहरू के प्रयासों से भारत ने चीन को हरा दिया…’
पाठ्य पुस्तक को
छापने वाले कृति प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी ‘गलती’ को मानते हुए इसे ‘मानवीय भूल’ बताया है… प्रकाशन संस्थान के मुताबिक
गलती को बीते महीने पकड़ा गया और इस संबंध में अपनी वेबसाइट पर शुद्धिपत्र भी जारी
कर दिया गया है…
प्रकाशन संस्थान का
कहना है कि ‘सुकृतिका’ को विभिन्न राज्यों में विभिन्न कक्षाओं में पढ़ाया जा रहा है…मध्य प्रदेश
स्कूल शिक्षा विभाग ने इस त्रुटि को लेकर सीबीएसई को पत्र लिखा है…
अब देश के सबसे बड़े
स्कूली बोर्ड के संचालित स्कूलों में पाठ्य पुस्तकों में बच्चों को इस तरह का
इतिहास पढ़ाया जाएगा तो कैसे कह सकते हैं- ‘पढ़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया’…
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
सब जगह धुरंधर लोग बैठे हैं।
जवाब देंहटाएंसत्य सत्य ही रहता है , और अधिक देर उसे छिपाया नहीं जा सकता ...
जवाब देंहटाएंप्रिय ब्लॉगर,
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छपने के लिए अंश ईमेल के माध्यम से भेजें और कोई सुझाव हो तो पूरे अधिकार से बताएँ।
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (13-08-2017) को "आजादी के दीवाने और उनके व्यापारी" (चर्चा अंक 2695) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हक़ीक़त..कभी न भूल पाने वाली फिल्म
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