दोस्तों,
एक सज्जन मेरे पीछे हाथ धोकर पड़ गए थे कि मैं केंद्र की मौजूदा सरकार की
बहुत आलोचना करता हूं...इसके लिए उन्होंने और उनके चेले चपाटों ने मुझे
बहुत अपशब्द भी कहे...यहां तक कि मेरी पोस्ट पर कॉमेंट करने वाले मेरे कुछ
सम्मानित मित्रों को भी नहीं बख्शा गया..आज ऐसे ही लोगों की आंखें खोलने के
लिए मैं अपनी दो साल पुरानी एक डिबेट का लिंक दे रहा हूं...डिबेट 1984 के
सिख विरोधी दंगों के 30 साल पूरे होने पर 1 नवंबर 2014 को हुई थी...तब तक मोदी सरकार को सत्ता में आए 6 महीने हो चुके थे...
इस डिबेट से पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दंगा पीड़ित सिखों के लिए 5-5 लाख रुपए मुआवज़े का एलान किया था जिसे उस वक्त मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट की वजह से रोक लिया गया था ...इस डिबेट का मुद्दा था कि क्या 30 साल में पीडित सिखों को इनसाफ़ मिला...या सिर्फ़ राजनीति ही होती रही...
इस डिबेट से पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दंगा पीड़ित सिखों के लिए 5-5 लाख रुपए मुआवज़े का एलान किया था जिसे उस वक्त मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट की वजह से रोक लिया गया था ...इस डिबेट का मुद्दा था कि क्या 30 साल में पीडित सिखों को इनसाफ़ मिला...या सिर्फ़ राजनीति ही होती रही...
पंजाब विधानसभा चुनाव जल्दी होने वाले हैं...आप देखेंगे कि हर चुनाव की तरह इस बार भी इन चुनाव में 1984 के दंगे मुद्दा बनेंगे...पीड़ितों के जो हमदर्द बनते हैं, उनका मकसद पीड़ितों को इनसाफ़ दिलाना नहीं बल्कि इस मुद्दे को ज़्यादा से ज़्यादा देर तक ज़िंदा किए रखना है...आपसे अनुरोध है कि इस डिबेट को पूरा देखिएगा...
एक बात मीडियाकर्मियों के लिए भी, क्या टीवी पर शालीन चर्चा नहीं हो सकती जिसमें हर किसी की बात सुनी जाए और वो साफ़ साफ़ समझ भी आए...साथ ही बहस में आम लोगों को भी हिस्सा लेने का मौका दिया जाए...
देखिए-सुनिए और फिर अपनी राय से मुझे जरूर अवगत कराइएगा, जिससे कि मैं खुद को बेहतर बना सकूं...
... वक्त ठहर गया है :(
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (26-08-2016) को "जन्मे कन्हाई" (चर्चा अंक-2446) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
घोषणाएं होती हैं सिर्फ क्षणिक संतुष्टि के लिए , उनमें से पूरी कितनी होती है , ये उनसे पूछिए तो जिनके लिए घोषित की गईं थीं ।
जवाब देंहटाएंबाते हैं बातों का क्या ...
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