हसरतें हैं कि बढ़ती ही जाती हैं...दिल्ली के ट्रेलर के बाद केजरीवाल
एंड कंपनी कह रही है कि पिक्चर अभी बाकी है दोस्त...यानि दिल्ली जीती, अब देश की
बारी है...ग़ालिब दिल बहलाने को ख्याल अच्छा है...वैसे केजरीवाल प्रधानमंत्री बनने
का सपना देख रहे हैं तो इसमे आश्चर्य कैसा...कांग्रेस का छींका टूट रहा है तो वो
किसी भी हद तक जा सकती है...आईआईटी, आईआरएस, आईएसी (इंडिया अगेन्स्ट करप्शन) को
पीछे छोड़ते हुए केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हैं...हरियाणा ज़िले के खेड़ा
गांव में केजरीवाल के परिवार को सेठों के परिवार के तौर पर जाना जाता है...इनके
दादा स्वर्गीय मंगल चंद का सिवानी में दाल की मिल का कारोबार खूब
फला-फूला...
केजरीवाल के पिता गोबिंदराम केजरीवाल कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल के
परिवार की कंपनी ज़िंदल स्ट्रिप्स में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के तौर पर अपनी सेवाएं
दे चुके हैं...ऐसी पारिवारिक पृष्ठभूमि से साफ़ है कि केजरीवाल जी को कभी जीवन में
अभावों का सामना नहीं करना पड़ा...
केजरीवाल लोकतंत्र की सबसे ज़्यादा दुहाई देते हैं...संविधान का हवाला
देते हुए कहते हैं कि देश के लोग संसद से ऊपर हैं...लेकिन जब निर्णय लेने की बात
आती है तो केजरीवाल सिवाए अपने खास एक दो सहयोगियों के अलावा किसी और की नहीं
सुनते...माई वे या हाई वे...ये उनका सिद्धांत है...अगर ऐसा ना होता तो ये सारी
हस्तियां उनका एक-एक करके साथ नहीं छोड़तीं....
पी वी राजगोपाल...गांधीवादी और भूमिहीनों के अधिकारों के लिए लड़ने
वाली संस्था एकता परिषद के संस्थापक
जस्टिस संतोष हेगड़े- कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त
अन्ना हज़ारे- प्रसिद्ध
समाजसेवी, जिनके कंधे पर सवार होकर केजरीवाल एंड कंपनी ने राजनीतिक दल का आधार
तैयार किया...
किरण बेदी....देश की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर
ये तो खैर वो नाम हैं जिनसे केजरीवाल फायदा उठाने के बाद पीछा छुड़ा
चुके हैं...अब एक और नाम पर वॉच करने की ज़रूरत है...ये नाम है प्रसिद्ध वकील
प्रशांत भूषण का...आपको याद होगा जब केजरीवाल राजनीतिक दलों के भ्रष्टाचार को
उजागर करने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेस करते थे तो प्रशांत भूषण ही उनके साथ मंच पर
बैठे नज़र आते थे...चाहे वो रॉबर्ट वाड़्रा के ज़मीन घोटाले से जुड़ा मामला हो या
नितिन गडकरी से जुड़ा पूर्ति प्रकरण...लेकिन अब कम से कम दो मौके ऐसे आ चुके हैं जब
केजरीवाल ने प्रशांत भूषण की राय को उनकी निजी राय बताकर पल्ला झाड़ा है...कश्मीर
में जनमत संग्रह की मांग से पहले प्रशांत भूषण दिल्ली के नतीजे आने के बाद बीजेपी
को समर्थन देने की वकालत कर अपने हाथ जला चुके हैं...यानि सुविधा के अनुसार
केजरीवाल अपने निकटतम सहयोगी को भी दरकिनार करने में पीछे नहीं हटते...तो अब क्या
केजरीवाल का साथ छोड़ने वालों में अगला नंबर प्रशांत भूषण और उनके पिता शांति भूषण
का होगा...
चलते चलते...
केजरीवाल एंड कंपनी के मोटरमाउथ कुमार विश्वास अमेठी लोकसभा सीट पर
राहुल गांधी से दो-दो हाथ करने की तैयारी कर रहे हैं...उन्होंने साथ ही नरेंद्र
मोदी को भी ललकारने के अंदाज़ में कहा है कि दम हैं तो वो भी अमेठी से चुनाव लड़कर
मामले को त्रिकोणीय बना दें...अब इन्हीं कुमार विश्वास का एक पुराना वीडियो देखें
जिसमें वो मोदी की शान में कसीदे पढ़ते हुए उनकी तुलना नीलकंठ (भगवान शिव) से करने
में भी गुरेज़ नहीं कर रहे....
वैसे देखा जाए तो कुमार विशवास अमठी से लड़ने की हिम्मत कर रहे है जबकि वे जानते हैं यहाँ हार का मुँह भी देखना पड़ सकता है जबकि ज्यादातर नेता टाईप लोग हमेशा सुरक्षित सीट से ही चुनाव लड़ते हैं...रही बात मनीष के ब्यान से किनारा करनें की ..सो उन्होनें सही किया है...देशहित पहले है..पार्टी हित बाद मे...किसी के साथ छोड़ने का मतलब किसी का इस्तमाल करना नही होता...विचारो का ना मिलना भी कारण हो सकता है..
जवाब देंहटाएंबाली जी, आप शायद प्रशांत भूषण की जगह मनीष लिख गए है...केजरीवाल और मनीष सिसोदिया तो परम सखा हैं...
हटाएंजय हिंद...
मजे की बात यह है कि आइना झूठ नहीं बोलता।
जवाब देंहटाएंदेवेन्द्र भाई,
हटाएंआइना वही रहता है, चेहरे बदल जाते हैं...
जय हिंद...
आईना हमेशा ही झूठ बोलता :)
हटाएंदायाँ को बायाँ और बायाँ को दायाँ बताता है :)
बस एक ही गलती हम सारी ज़िन्दगी करते रहे मोहसिन,
हटाएंधूल चेहरे पर थी और हम आईना साफ़ करते रहे...
जय हिंद...
आईना हमेशा दायाँ को बायाँ और बायाँ को दायाँ बताता है। कभी गड़बड़ नहीं करता। झूठा वो जो कभी दायाँ कभी बायाँ बताये। एक ही आदमी को कभी भगवान बनाये, कभी भ्रष्ट। :)
हटाएंबच्चे पालने एवं परिवार की जद्दोजहद के बाद आम आदमी के पास न समय रहता न पैसा। अगर ऐसे में उसे राजनीति का चस्का लग जाए तो भूखे पेट वो रह नहीं सकता। कोई अंग्रेजों को भगाने वाला आन्दोलन नहीं है जिसमें सारे परिवार की भी कुर्बानी दी जा सके। राजनीति में जिसके पास खर्चा चलाने के लिए दौलत है वही आम आदमी के बारे में सोच सकता है और यही सत्य है।
जवाब देंहटाएंललित भाई,
हटाएंआम ख़ास और ख़ास आम हो रहे हैं...
जय हिंद...
आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन लाल बहादुर शास्त्री जी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंहर्षवर्धन भाई,
हटाएंआपके लगातार स्नेह के लिेए शुक्रिया...
जय हिंद...
धन कुबेर आज आम आदमी बनने का स्वांग रच रहे हैं। इन सबका मकसद है नरेन्द्र मोदी को रोकना। यदि कल सुदृढ़ भारत बनने की ओर कदम बढ़ते हैं तब एनजीओ द्वारा देश की बहुत बड़ी पूंजी जो हड़पी जा रही है उस पर प्रतिबंध लग सकता है, ऐसा इन्हें डर है। इसीकारण यह लोकपाल के अन्तर्गत एनजीओ को नहीं लाना चाहते। इनका जनलोकपाल यही है कि एनजीओ सरकारी नियन्त्रण में ना आ जाए।
जवाब देंहटाएंगलत बात का साथ ना देना तो सही है !
जवाब देंहटाएंकुल मिलाकर बात यह है की देश का युवा कनफ्यूज़ हो चुका है
जवाब देंहटाएंरोचक परिदृश्य
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