पहला दृश्य...
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी मिशन के सलाहकार ताहिर हुसैन अंद्राबी ने मंगलवार को यूएन महासभा में बहस में हिस्सा लेते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का कभी अभिन्न अंग नहीं रहा है और कश्मीर घाटी में शांति चुनाव से नहीं संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के मुताबिक जनमत संग्रह से आएगी...
दूसरा दृश्य...
दिल्ली में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट परिसर में मशहूर वकील और टीम अन्ना के सदस्य प्रशांत भूषण की ताबड़तोड़ लाइव पिटाई...हमला करने वाला एक शख्स 24 साल का इंद्र वर्मा मौके पर ही धरा गया...दो हमलावर भाग गए...उनके नाम तेजिंदर सिंह बग्गा और विष्णु बताए जा रहे हैं...इंद्र वर्मा का कहना है कि प्रशांत भूषण पर इसलिए हमला किया क्योंकि उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान को देने की बात की थी...ये लोग प्रशांत भूषण के 25 सितंबर को वाराणसी में दिए गए एक बयान से नाराज़ थे....
इन दोनों दृश्यों का यहां उल्लेख इसलिए कर रहा हूं कि यूएन में पाकिस्तान के कश्मीर मुद्दे को उठाने को किसी ने गंभीरता से लिया हो या न हो लेकिन प्रशांत भूषण की पिटाई के बाद कश्मीर का मुद्दा पूरी दुनिया के नोटिस में ज़रूर आ गया होगा...यानि कश्मीर पर आज भारत के रवैये की वही तस्वीर पूरी दुनिया में गई जिसका ढिंढोरा कश्मीरी अलगाववादी या पाकिस्तान बरसों से पीटते आ रहे हैं...यही संदेश गया कि कश्मीर के हित की जो बात करता है उसका वैसे ही दमन किया जाता है जैसे कि प्रशांत भूषण का दिल्ली में किया गया...
अब उस बयान की पूरे संदर्भ में बात कर ली जाए जो प्रशांत भूषण ने 25 सितंबर को वाराणसी में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में कश्मीर के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में दिया था...ये रहा वो बयान...
जम्मू-कश्मीर को बल के ज़रिए देश में रखना हमारे लिए घातक होगा...देश की सारी जनता के लिए घातक होगा...सिर्फ वहां की जनता के लिए नहीं पूरे देश की जनता के हित में नहीं होगा...मेरी राय ये है कि हालात वहां नार्मलाइज़ करने चाहिए...आर्मी को वहां से हटा लेना चाहिए...आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल पावर एक्ट को खत्म करना चाहिए...और कोशिश ये करनी चाहिए कि वहां की जनता हमारे साथ आए...अगर उसके बाद भी वो हमारे साथ नहीं है...अगर वहां की जनता फिर भी यही कहती है कि वो अलग होना चाहते हैं...मेरी राय ये है कि वहां जनमत संग्रह करा के उन्हें अलग होने देना चाहिए...
प्रशांत भूषण के इसी बयान की वजह से उनकी वहशियाना अंदाज़ में थप्पड़-घूंसे-लात से पिटाई की गई...
ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा कि हमला करने के पीछे असल में कौन से संगठन का हाथ है और उसका असली मकसद क्या था...पकड़े गए शख्स इंदर वर्मा ने खुद को श्रीराम सेने की प्रदेश इकाई का मुखिया बताया है...जबकि फेसबुक और ब्लॉग पर सक्रिय भगतसिंह क्रांति सेना के प्रमुख तेजिंदर सिंह बग्गा ने हमले के लिए अपने संगठन को ज़िम्मेदार ठहराया है...प्रशांत भूषण पर हमला करने के बाद जो दो शख्स फरार होने में कामयाब रहे, उनमें विष्णु नाम के हमलावर के साथ खुद तेजिंदर को भी शामिल बताया जा रहा है...
जहां तक श्रीराम सेने की बात है तो इस संगठन और इसके मुखिया प्रमोद मुतालिक का नाम देश ने दो साल पहले जनवरी 2009 में सुना था...तब इस संगठन के सूरमाओं ने मैंगलोर के एक पब में बैठे लड़के-लड़कियों पर हमला किया था...और दूसरा संगठन भगतसिंह क्रांति सेना आज ही पहली बार प्रमुखता से मीडिया में हाईलाइट हुआ है...इस संगठन का फेसबुक पर एकाउंट होने के साथ हिंदी में अपना ब्लॉग भी है...ट्विटर पर भी संगठन का मुखिया बग्गा ट्विट करता रहता है...ये संगठन छह और लोगों...सैयद अली शाह गिलानी, मीर वाइज़ उमर फारूख़, यासीन मलिक, एस ए आर गिलानी, अंरुधति राय और स्वामी अग्निवेश के खिलाफ भी फरमान जारी कर चुका है...भगतसिंह क्रांतिसेना का कहना है कि इन छह लोगों का देश में कहीं भी कार्यक्रम होगा, उसे संगठन रोकेगा...
दैनिक भास्कर डॉट कॉम से बातचीत में भगतसिंह क्रांति सेना के मुखिया तेजेंद्र बग्गा ने कहा कि भगत सिंह क्रांति सेना का निर्माण का एक साल पहले ही किया गया है....इससे पहले वह भाजपा में ही शामिल थे... लेकिन भाजपा ऐसे कामों की इजाजत नहीं देती थी, जिसके कारण सेना का निर्माण किया... संगठन ने अपने ब्लॉग और फेसबुक पर परिचय में लिखा है-हमने ये तय किया है, देश के किसी भी कोने में हम राष्ट्रविरोधी और भारतीय सेना के विरोध में कोई कार्यक्रम नहीं चलने देंगे...संगठन का ऑफिस नई दिल्ली के विष्णु गार्डन के मंगल बाजार में स्थित है...इसके कई कार्यकर्ता पहले भी कई बार हिरासत में लिए जा चुके हैं...इसके अलावा इनके ऊपर कई मुकदमे भी दर्ज हैं...
20 मई को दिल्ली के हैबिटेट सेंटर में जब अरुंधति राय अपनी किताब ब्रोकन डेमोक्रेसी के लांच पर पहुंची थी तो तेजेंद्र बग्गा, विष्णु गुप्ता समेत चार लोगों ने उनका विरोध किया था जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था...इससे पहले पिछले साल 30 नवंबर को दिल्ली में ही हुर्रियत के नेता मीरवाइज उमर फारुख पहुंचे थे तो सेना के कार्यकर्ताओं ने विहिप,भारतीय जनता युवा मोर्चा के साथ पहुंच कर उनकी कार के ऊपर अंडे,पत्थर और पानी की बोतलें फेंकी थी...
प्रशांत भूषण पर बुधवार को हुए हमले के बाद भगत सिंह क्रांति सेना के कार्यकर्ता लगातार सोशल नेटवर्किग साइट्स के जरिए इस घटना पर गर्व महसूस कर रहे हैं....फेसबुक पर घटना से छह घंटे पहले ही इस बात का संकेत दे दिया गया था कि आज वह किसी मिशन को अंजाम देने जा रहे हैं...घटना के ठीक कुछ मिनट बाद लिखा गया कि मिशन प्रशांत भूषण कामयाब रहा.. यदि तुमने मेरे देश को तोड़ने की कोशिश की तो मैं तुम्हारा सिर फोड़ दूंगा...
प्रशांत भूषण पर हमले के बाद से कई सवाल एकसाथ ज़ेहन में कुलबुला रहे हैं...लेकिन उनका ज़िक्र अगली पोस्ट में...आज सिर्फ एक सवाल...क्या शहीदे आज़म भगत सिंह के नाम का इस्तेमाल कर किसी को भी फेसबुक या ब्लॉग के ज़रिए इस तरह की हरकतों का प्रचार-प्रसार करने की इजाज़त दी जा सकती है...अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर कोई भी कहीं भी कुछ भी लिख सकता है क्या...
अभिव्यक्ति की आज़ादी को भी विवेक एवं संयम के साथ ही इस्तेमाल किया जाना चाहिये...अन्यथा इसी तरह की बातें सामने आती हैं.
जवाब देंहटाएंइसतरह का व्यवहार कम से कम सही नहीं कहा जा सकता। खासतौर पर भगत सिंह का नाम तो इन लोगो को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। शहीदे आज़म के आदर्श को सही से समझा होता तो इस तरह की घटना अंजाम नहीं दी होती इन लोगो ने।
जवाब देंहटाएंवैसे व्यक्गित तौर पर मैं प्रशांत भूषण जी के बयान का समर्थन नहीं करता।
1. गुंडागिर्दी किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिये
जवाब देंहटाएं।
2. अपराधी को कानूनी तरीके से अपराध की सज़ा मिलनी चाहिये न कि किसी राजनीतिक पार्टी से अफ़िलियेशन की - हाँ जिन पार्टियों की विचारधारा में हिंसा या आतंकवाद स्वीकृत है उन पर पूर्ण प्रतिबन्ध होना चाहिये।
3. जहाँ तक मुझे मालूम है, पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला करते समय वहाँ की जनता या प्रशांत भूषण से नहीं पूछा था।
3. जिन लाखों कश्मीरियों को मार दिया गया है या विस्थापित कर दिया गया है कभी किसी ने उनकी राय जानने की चेष्टा की?
4. रायशुमारी से मसले हल किये जाने लगे तो अपराधियों के गैंग बहुत से मसले यूँ ही हल करा ले जायेंगे अपने-अपने पाकिस्तान बनाकर।
5. पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में बसे पाकिस्तानियों को बाहर निकालकर केवल कश्मीरियों की रायशुमारी कराने के बारे में मि. भूषण के पास कोई प्लान है क्या?
6. गुंडों को तुरंत पकड़ा जाये मगर ज़िम्मेदार लोग भी अति-जटिल राजनीतिक-आर्थिक-मानवीय समस्याओं के अति-सरलीकरण से बचें।
@ उड़न तश्तरी,
जवाब देंहटाएंवास्ते अभिव्यक्ति की आजादी का संयमित और विवेकपूर्ण इस्तेमाल :)
महाराज इतना कूटनीतिक स्टेटमेंट क्यों देना है ! क्या आपको याद नहीं कि जो बंदे 'अभिव्यक्ति की आजादी' का इस्तेमाल ही नहीं कर रहे हैं वे भी पिट रहे हैं , मसलन महाराष्ट्र में :)
तो बेहतर हो कि 'इस तरह की बातों के सामने' आने की निंदा की जाये ! यह एक प्रवृत्ति है जिससे सहमत होना सभ्य और स्वस्थ समाज के लक्षण नहीं हैं !
प्रशांत भूषण एक वकील हैं उन्होंने जो भी कहा है सोच समझ कर पूरे होश-ओ-हवास में कहा होगा अगर उनका कहना संविधान की सीमायें लांघता हो तो उनके विरुद्द कानूनी कार्यवाही का मार्ग खुला हुआ है , वर्ना असहमति अभिव्यक्त करने की आजादी हम सबको है !
@ खुशदीप जी ,
अगर भगत सिंह आज जीवित होते तो ऐसे अनुयाइयों को देखकर खुदकुशी कर लेते :(
@ स्मार्ट इन्डियन,
जवाब देंहटाएं(१)
काश्मीर मसले पर आपकी चिंताओं से हज़ार प्रतिशत सहमत ! वहां सेना अपने पूरे कानूनी अधिकारों से लैस होकर मौजूद है ! हमें उसकी क्षमताओं पर भरोसा करना चाहिए ! श्री प्रशांत भूषण के कुछ कह देने मात्र से काश्मीर का बाल भी बांका हो जाएगा ऐसा तो नहीं लगता !
(२)
असहमति के विरुद्ध अतिवाद चाहे लादेन की शक्ल में हो या बग्गा की , हर हाल मे निंदनीय होना चाहिए !
इस सब बखेड़े के बाद ऐसा लग रहा है की जिनकी पिटाई की गई है वे कश्मीर मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए सर्वेसर्वा हों |
जवाब देंहटाएंरकाबत की जमाने में कोई हद भी तो होती है
जवाब देंहटाएंरकीबों ने जला डाले , मेरी तसवीर के टुकड़े !!
मानवाधिकार, अभिव्यक्ति की आजादी आदि सिर्फ़ देश विरोधी बातें करने वालों के लिए आरक्षित होने चाहियें।
जवाब देंहटाएंजब रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के साथ निहत्थे लोगों पर शासन की तरफ़ से बल प्रयोग किया गया था तो वह शायद उचित ही था।
आप ही का कमेंट पढ़ा था कहीं कि उत्तराखंड में बाबा पर लाठीचार्ज नहीं होगा क्योंकि वहाँ बाबा भक्त की सरकार है। मालूम नहीं यह कमेंट आश्वस्ति का कमेंट था या आह भरता कमेंट था।
बाबा के बच निकलने का भी बड़ा रोचक वर्णन आपकी पोस्ट में और उनपर आये कमेंट्स में था।
सार-सार को गहि करे, थोथा देय उड़ाय वाली नीर-क्षीर को अलग करती आपकी शैली अप्रतिम, अद्वितीय है।
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की क्या कोई लक्ष्मण रेखा हो?
जवाब देंहटाएं१- सबसे पहले तो प्रशांत भूषण ने कभी भी कश्मीर को पाकिस्तान को देने की बात की ही नहीं है फिर ये बात किस ने जोड़ दी |
जवाब देंहटाएं२- सेना हटा कर ताकत के बल की जगह कश्मीर के लोगो के दिलो को जितने की बात की है जहा तक मुझे याद है करीब करीब यही बात हम लोगो ने कही थी जब आप के इसके पहले कश्मीर के हालात पर एक पोस्ट लिखी थी बस हम लोगो ने कश्मीर में जनमत संग्रह करा कर अलग करने की बात नहीं की थी बल्कि हर हाल में दिलो को जीत लेने तक प्रयास करते रहने का पक्ष लिया था |
३-इस तरह के "टटपूंजियो" की हरकतों से देश की इज्जत पर कोई बट्टा नहीं लगने वाला है |
४- क्या वाकई ये बस कश्मीर के कारण हुआ हमला है या बाकायदा प्लान करके प्रशांत भूषण से वाराणसी में कश्मीर के बारे में सवाल किया गया (क्योकि इस बारे में उनके विचार सभी को पता हे वो अरुंधती राय के वकील भी है ) फिर उस नाम पर उन पर हमला करा कर अन्ना टीम के मुद्दों से सभी का ध्यान हटाने का प्रयास किया जा रहा है |
५- कहा जा रहा है अन्ना के पीछे आर आर एस है बी जे पी के और कांग्रस विरोधी लोग भी है और युवा शक्ति भी है जिनमे से ज्यादातर कश्मीर मसाले को ले कर अति संवेदनशील है और इस तरह का कोई भी बयान अन्ना टीम से लोगो को दूर करने के लिए काफी है तभी ये सवाल प्रशांत से पूछा गया अरविंद या किरण या किसी और से नहीं |
पूरी संभावना है हमला बस अपना नाम कमाने और संगठन को चर्चा में लाने के लिए किया गया था और खुशदीप जी आप ने तो उन तक पहुँचने के सारे रास्ते ही दे दिए | अब जो उनके पक्ष में नहीं है शायद वो भी एक हिट उनके ब्लॉग आदि पर करेगा इतने हिट देख कर उनका उत्साह बढेगा और वो और भी इस तरह के कारनामे करेंगे | इसलिए निवेदन है की यदि संभव है तो अपनी पोस्ट से उन तक पहुँचाने वाले रास्तो को हटा दे | उनके विचार से सहमत लोग तो खुद ही उन तक पहुँच जायेंगे | कुछ समय पहले श्री राम सेना और प्रमोद पर मिडिया ने अघोषित बैन लगा दिया था इसका नतीजा था की वो शांत बैठे है | इन जैसे पर भी बैन लगा दीजिये ये भी शांत बैठ जायेंगे |
जवाब देंहटाएंयही तो भारत है.. अलग संगठन और अलग नाम दे कर कोई राजनैतिक संगठन ऐसे काम करवा रहा है..
जवाब देंहटाएंभगत सिंह का नाम लेकर कोई ऐसा कर रहा है तो क्या बड़ी बात है? महात्मा गाँधी का नाम ले कर जो इस देश को लूट रहे हैं उनकी भी कमी नहीं है..
और अम्बेडकर जी का नाम लेकर जो दलितों को बहकाया गया है वह क्या कम है..
यह देश तो जात और पात में बंट कर ही हमेशा परास्त हुआ है और आज भी आम जनता को नेता परास्त कर रहे हैं वही औजार से..
@अंशुमाला जी,
जवाब देंहटाएंजब हमलावर इंदर वर्मा को पुलिस ले जा रही थी तब उसने ये बयान दिया कि वो (प्रशांत भूषण) कश्मीर को पाकिस्तान को देना चाहते हैं, इसलिए उनकी पिटाई की...
इसीलिए मैंने प्रशांत भूषण का वाराणसी में कश्मीर पर दिए बयान के एक-एक शब्द का उल्लेख इस पोस्ट में किया है...सिर्फ इसलिए कि हमलावरों की ये मानसिकता दिखाने के लिए किस तरह अपनी सुविधानुसार दूसरों के मुंह में शब्द भर दिए जाते हैं...
जय हिंद...
@अंशुमाला जी,
जवाब देंहटाएंये लिंक सिर्फ इसलिए दिए हैं कि किस तरह सोशल नेटवर्किंग साइट्स का दुरुपयोग किया जा रहा है...ये फेसबुक और ब्लॉग कल ही नहीं बहुत पहले से बने हुए हैं...मैं कई बार आगाह कर चुका हूं कि ऐसी कई बातें धड़ल्ले से फेसबुक और ब्लॉग पर प्रकाशित की जा रही है जो क़ानूनन सही नहीं है और अवमानना जैसी कार्रवाई को दावत दे रही है...ताज्जुब तो तब हो रहा है जब ब्लॉग जगत के कुछ पहचाने नाम भी वहां फॉलोअर्स या फ्रेंड सर्किल में बने हुए हैं....फिर निवेदन है कि सावधानी में ही समझदारी है...बाकी सब समझदार हैं, अपना भला बुरा सोच सकते हैं...
जय हिंद...
खुशदीप जी
जवाब देंहटाएं१- सबसे पहले तो प्रशांत भूषण ने कभी भी कश्मीर को पाकिस्तान को देने की बात की ही नहीं है फिर ये बात किस ने जोड़ दी |
मै भी यहाँ हमलावर ( इसमे कुछ टीवी चैनल भी शामिल है जो कल बार बार पाकिस्तान का नाम ले रहे थे ) की ही बात कर रही हूँ सभी अपनी सुविधा से अपनी बात जोड़ लेते है और उसका प्रयोग दूसरो को भड़काने के लिए करते है और दुसरे भी पूरी बात जाने उनकी ही हा में हा मिलाने लगते है | प्रशांत भूषण का पूरा बयान देने के लिए धन्यवाद किन्तु लग नहीं रहा है की लोग उसे ध्यान से पढ़ रहे है | इन ब्लॉग पर हमारी कोई सुनने वाला नहीं है मै एक दो बार इनके लिखे लेखो के विरोधाभाषा पर सवाल खड़े किये इनकी कोई आलोचना नहीं की एक दो बार टिपण्णी प्रकाशित की फिर टिप्पणी ही प्रकाशित नहीं की यानि हम कुछ भी कहे इनको तो कोई भी असर नहीं होने वाला विरोध में इतने तर्क देते है जब हम तर्क देते है तो वो उसे प्रकाशित करने की भी जरुरत नहीं समझते है |
aise drishya-ghatnayen dekhne ke baad
जवाब देंहटाएंsarir me jo jaivik badlaw ate hain...
oos-se lagta hai ke 'hamara khoon abhi thanda nahi hua, samvednayen mari nahi aur ridh ki haddi bachi hue hai.......varna....varna....2 joon ke
roti me hi sari jindgi kat-ti ja rahi
hai........
@ ali-sa + @ mo-sum = dono se poorn
sahmat.........
aur haan is ghatna pe ye pahla post deshnama ko dene ke liye abhar.....
pranam.
kabhi kashmeri pandito ka naam bhee le lo aur unko unke ghar wapas dila de aaisa koie neta nahi kahata hai..
जवाब देंहटाएंjai baba banaras....
सभी महानुभावों को प्रणाम
जवाब देंहटाएंक्या किसी ने ये भी सोचा कि क्यों कोई युवा इस आदमीकी पिटाई करने को मजबूर हो गया |
अब कोई यह मत कहना कि यह कोई राजनेतिक सजिश है .. क्योंकि यह काम तो मैं भी करना चाहता था . और मुझे किसी भी पार्टी ने नहीं भडकाया |
सुब्रमन्यम स्वामी के घर इतना बड़ा अटैक हुआ उस पर तो मीडिया ने कोई हो हल्ला नहीं मचाया कोई गिरफ्तार नहीं हुआ अब देश को तोड़ने की बात करने वाले को दो चार हाथ पड़ गए इन लोगों ने आसमान सर उठा लिया मीडिया के इसी निराशाजनक व्यवहार के कारण आज देश भक्त युवा इतने निराश हो गए हैं की अपनी बात रखने के लिए ऐसे रास्ते को चुनना पड़ रहा है.
समय चाहिए आज आप से,
जवाब देंहटाएंपाई फुर्सत बाढ़ - ताप से |
परिचय पढ़िए, प्रस्तुति प्रतिपल,
शुक्रवार के इस प्रभात से ||
टिप्पणियों से धन्य कीजिए,
अपने दिल की प्रेम-माप से |
चर्चा मंच
की बाढ़े शोभा ,
भाई-भगिनी, चरण-चाप से ||
इस कूटनीती को हिसार चुनाव से जोड़कर देखना चाहिए। प्रशान्त भूषण भी बदनाम और लगे हाथ हिन्दु संगठनों को भी गरिया लिया गया। क्या पता इससे वोट मिल जाएं। कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर किसी को भी कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं होना चाहिए। भारत की जनता आहत है, कश्मीरीयों को बेदर्दी से निकाला गया है इसलिए अब ऐसे बेतुके बयानों से युवाओं की भावनाओं को नहीं भड़काना चाहिए। भगतसिंह ने भी अंग्रेज सरकार के खिलाफ आवाज उठायी थी और गाँधीजी ने उसे गलत माना था इसलिए युवा शक्ति कभी भी भड़क सकती है, बड़ों को सोच समझकर बयान देने चाहिएं।
जवाब देंहटाएंइन युवाओं ने जो किया वह गलत है..... पर शायद उनका तरीका गलत था, भावनाएं नहीं.... वो भी देश को कन्याकुमारी से कश्मीर तक एक हो ये सोचते हैं.... प्रशांत भूषण के बयान को देने के लिए आभार पर हो सकता है कि उनके बयान को कहीं तोड मरोडकर पेश किया गया हो और इसने इन युवाओं को इस तरह की हरकत करने के लिए उकसाया।
जवाब देंहटाएंमैं इन युवाओं की हरकतों के लिए उनका पक्ष नहीं ले रहा पर फिर भी देश में क्या अभिव्यक्ति के नाम पर कोई कुछ भी... कुछ भी नहीं बोले जा रहा है।
सोशल नेटवर्किंग साईट में तो लोग अब जज की भूमिका में आ गए हैं और प्रधानमंत्री से लेकर सार्वजनिक जीवन में रह रहे लोगों पर न जाने किस किस तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं.... ये काफी गंभीर विषय है... इस पर रोक लगनी चाहिए.......
khair kal prashant bhooshan ko jab t.v. par kahate suna to vishvas nahin hua ki vo aisi baat kar sakate hain lekin aaj kal vo bhi rajaneta banane ke sapane dekhane lage hain to aise bhashan dena unaki majabooree hogi lekin is par kisi ka hamala karana bahut buri baat hai.shubhakamanayen.
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