मैं कौन हूं...मैं असीमा हूं...इस सवाल की तलाश में तो बड़े बड़े भटकते फिरते हैं...फिर चाहे वो बुल्लेशाह हों-बुल्ला कि जाना मैं कौन..या गालिब हों...डुबोया मुझको होने ने...ना होता मैं तो क्या होता...सो इसी तलाश में हूं मैं...मुझे सचमुच नहीं पता कि मैं क्या हूं...बड़ी शिद्दत से यह जानने की कोशिश कर रही हूं...वैसे कभी कभी लगता है...मैं मीर,फैज और गालिब की माशूका हूं तो कभी लगता है कि निजामुद्दीन औलिया और अमीर खुसरो की सुहागन हूं...शायद लोगो को लग रहा होगा कि पागल हूं...होश में नहीं हूं...मुझे ये पगली शब्द बहुत पसंद है..,कुछ कुछ दीवानी सी...
ये ऊपर की पंक्तियां पढ़ कर आपको कुछ हुआ...मेरे अंदर तो सिहरन सी दौड़ गई...लगा कि क्या कोई शब्दों से भी अभिनय कर सकता है...ऊपर लिखा पढ़ कर खुद को रोक नहीं सका इस शख्सियत के बारे में और जानने से...असीमा भट्ट...प्रोफेशन- अभिनय...मुंबई में डेरा...अल्फाज़ों से ये क्या जादू जगा सकती हैं, चांद, रात और नींद में देखिए...
एक बार इनके यहां जाकर देखिए, मुझे याद रखेंगे...और हां इनकी हौसला-अफ़ज़ाई करना मत भूलिएगा...
अभी जा रहे है ...
जवाब देंहटाएंएक सम्पूर्ण पोस्ट और रचना!
जवाब देंहटाएंयही विशे्षता तो आपकी अलग से पहचान बनाती है!
हो तो आये पर कुछ कह ना पाए ... पुष्टिकरण के लिए दिया गया शब्द ही अधूरा दिख रहा था और काफी कोशिशो के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला ... वैसे वहाँ जाना सार्थक रहा ... असीमा भट्ट जी इस आमद के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं ... आपका आभार !
जवाब देंहटाएंये चलेल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ले................
जवाब देंहटाएंउस रात
जवाब देंहटाएंतुम कहां थे चांद ???????
jai baba banaras........
असीमा जी,
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट को आप पढ़ रही हैं तो अपने ब्लॉग से वर्ड वैरीफिकेशन या शब्द पुष्टिकरण हटा दीजिए...इससे कमेंट देने वालों को परेशानी होती है...
वर्ड वैरीफिकेशन हटाने के लिए अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड पर जाकर सैटिंग्स पर जाइए...वहां कमेन्ट्स का कॉलम दिखेगा...उसे क्लिक कीजिए, सबसे नीचे होगा वर्ड वैरीफिकेशन (शब्द पुष्टिकरण) ज़रूरी है या नहीं...वहां नहीं वाले ऑप्शन को टिक कर दीजिए...वर्ड वैरीफिकेशन दिखना बंद हो जाएगा...
जय हिंद...
पढ़वाने का आभार।
जवाब देंहटाएंनई ब्लोगर से परिचय करने के लिए आभार ।
जवाब देंहटाएंकैसे ढूंढ लेते हो यार ।
असीमा जी से परिचय कराने का शुक्रिया खुशदीप भाई.
जवाब देंहटाएंअसीमा जी की दावत मे हम भी चले जी राम राम....
जवाब देंहटाएंक्या सही जगह पहुंचा दिया आपने.. मज़ा ही आ गया.. धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंतीन साल ब्लॉगिंग के पर आपके विचार का इंतज़ार है..
आभार
खुशदीप जी ,
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ..वहाँ से लौट कर आए हैं ..खूबसूरत ब्लॉग का पता दिया
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जवाब देंहटाएंअसीमा वही
जवाब देंहटाएंजिनके अच्छे विचारों की नहीं है
कोई भी सीमा।
आज पागलपन ही सबसे अच्छी चीज है..सब इसे अपना रहें हैं...नेता देश को बेचने का पागलपन अपना रहें हैं,उद्योगपति देश व समाज का खून चूसने का पागलपन अपना रहें हैं तो हम जैसे लोग इंसान बन्ने के पागलपन के शिकार बनकर संघर्षरत हैं...असीमा जैसे पागल से मिलवाने के लिए आपका आभार...ये पागलपन भी अजीब है...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ ही व्यक्त कर सकता हूँ!
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (18-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
असीमा जी अभिनय की धनी और बहुत टेलेन्टेड हैं...उन्होंने ज़िन्दगी को क़रीब से जाना-समझा है...
जवाब देंहटाएंशानदार तरीक! विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जवाब देंहटाएंअसीम जी के परिचय के लिए हार्दिक आभार।
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