दूसरी महिला यूपी की पूर्व नौकरशाह नीरा यादव हैं...नीरा यादव ने नोएडा की सर्वेसर्वा रहते सोना उगलने वाली ज़मीन अपने चहेतों और उद्योगपतियों को कौड़ियों के दाम ऐसे बांटी कि सारे नियम-कायदे ताक पर धरे रह गए...नीरा राडिया के ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी कर रही है...नीरा यादव को सीबीआई की विशेष अदालत ने चार साल की सज़ा सुनाकर जेल भेज दिया...लेकिन नीरा यादव को चार दिन में ही हाईकोर्ट से ज़मानत मिल गई...
आज की पोस्ट के शीर्षक के मुताबिक अब मैं आपको नीरा राडिया के बारे में बताता हूं...
पचास साल से ऊपर की नीरा राडिया की कहानी भारत से बहुत दूर केन्या में जन्म लेने से शुरू होती है...सत्तर के दशक में नीरा राडिया केन्या से लंदन पहुंची...उत्तरी लंदन के फाइव स्टार स्कूल हेबरडैशर से नीरा ने स्कूली पढ़ाई पूरी की...फिर वारविक यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया...इंग्लैंड के गुजराती मूल के कारोबारी जनक राडिया से नीरा ने शादी की..ये रिश्ता लंबा नहीं चला और नीरा राडिया नब्बे के दशक के मध्य में भारत आ गईं...यहां नीरा ने सहारा की लायज़न आफिसर के तौर पर करियर की शुरुआत की...इसके बाद नीरा सिंगापुर एयरलाइंस, केएलएम और यूके इंटरनेशनल जैसी एयरलाइंस के लिए भारत में प्रतिनिधि के तौर पर काम करने लगीं...ये वही दौर था जब एविएशन सेक्टर को निजी एयरलाइंस के लिए खोलने की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी....मोबाइल ने भी भारत में तेजी से पैर पसारने शुरू कर दिए थे...
यहीं से नीरा राडिया को आगे बढ़ने की राह दिखने लगी...कई इंटरनेशनल एयरलाइंस की प्रतिनिधि होने की वजह से नीरा राडिया ने सिविल एविएशन मंत्रालय में अपने काम के मोहरे ढूंढने शुरू किए...इन्हीं तार को पकड़ते-पकड़ते नीरा की सत्ता के गलियारों में पैठ होने लगी...नब्बे के दशक का आखिर आते-आते एनडीए की केंद्र की सत्ता पर मज़बूत पकड़ हो गई थी...ऐसी रिपोर्ट भी मीडिया में आ चुकी हैं कि नीरा ने उस दौर में आगे बढ़ने के लिए बीजेपी नेता अनंत कुमार और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दत्तक दामाद रंजन भटटाचार्य का सहारा लिया...कहा तो ये भी जाता है कि नीरा राडिया का सन 2000 में हौसला इतना बढ़ चुका था कि वो क्राउन एयर के नाम से अपनी एयरलाइंस बनाने के लिए ही हाथ-पैर मारने लगी थीं....वो सपना बेशक पूरा नहीं हुआ लेकिन नीरा राडिया ने इक्कीसवीं सदी की शुरुआत के साथ ही कॉरपोरेट लायज़निंग में वो हुनर दिखाना शुरू किया कि बड़े से बड़े कॉरपोरेट घराने नीरा की कंपनी की सेवाएं लेने लगे...
नीरा ने 2001 में वैष्णवी कॉरपोरेट कम्युनिकेशन्स के नाम से अपनी कंपनी की शुरुआत की...फिर इसमें नोएसिस, विटकॉम और न्यूकॉम कंसल्टिंग जैसी कंपनियां भी जुड़ती गईं...सत्ता के गलियारों से तार जोड़ने का कमाल ही था कि 2001 में नीरा राडिया को टाटा ग्रुप की नब्बे कंपनियों के एकाउंट्स मिल गए...2008 आते-आते कॉरपोरेट के एक और महारथी मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंड्रस्ट्रीज़ लिमिटेड भी नीरा राडिया के क्लाइंट्स की फेहरिस्त से जुड़ गई...
नीरा राडिया ने अपने क्लाइंट्स के लिए सत्ता के गलियारों मे ऐसी बढि़या लायज़निंग दिखाई कि कॉरपोरेट सेक्टर में इन क्लाइंट्स के प्रतिद्वंद्वियों को अपने लिए खतरा महसूस होने लगा...ऐसे ही किसी प्रतिद्वंद्वी की ओर से नीरा राडिया की नौ साल में जमा की गई अकूत दौलत का ब्यौरा चिट्ठी के तौर पर वित्त मंत्रालय तक पहुंचा...उस वक्त वित्त मंत्री पी चिदंबरम थे...खैर नीरा राडिया के फोन टैप किए जाने लगे....आज वही टेप बम बनकर एक से बड़े एक धमाके कर रहे हैं...कभी मीडिया के सम्मानित माने जाने वाले चेहरों का असली सच दुनिया के सामने आ रहा है...तो कभी ये हकीकत सामने आ रही है कि कैबिनेट में मंत्री बनाने का विशेषाधिकार बेशक प्रधानमंत्री का बताया जाता हो लेकिन ए राजा को तमाम विरोध के बावजूद कॉरपोरेट-मीडिया-राजनीति का शक्तिशाली गठजोड़ दूरसंचार मंत्री बनाने की ठान ले तो वो मंत्री बन कर ही रहते हैं...मंत्री ही नहीं बनते बल्कि खुल कर अपनी मनमानी भी करते हैं..यहां तक कि प्रधानमंत्री की सलाह भी उनके लिए कोई मायने नहीं रह जाती है...यानि नीरा राडिया का सिस्टम प्रधानमंत्री के सरकारी और सोनिया गांधी के राजनीतिक सिस्टम से भी ऊपर हो जाता है...शायद यही वजह है कि अपनी साख बचाने के लिए प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी को नीरा राडिया, राजा और उनके करीबियों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापे डलवाने पड़ रहे हैं...लेकिन ये साख तभी बचेगी जब जनता के लूटे गए करीब दो लाख करोड़ रुपये को सूद समेत गुनहगारों से वसूल किया जाए...साथ ही सत्ता के दलालों को ऐसी सख्त सज़ा दी जाए कि दोबारा कोई नीरा राडिया, राजा, प्रदीप बैजल, बरखा दत्त, प्रभु चावला, वीर सांघवी बनने की ज़ुर्रत न कर सके...और अगर ऐसा नहीं होता तो फिर छापों की इस पूरी कवायद को हाथी निकल जाने के बाद लकीर पीटने की कवायद ही माना जाएगा....
भाड मै जाये यह लोग जी, जो आम लोगो का खुन चुस कर दोलत के अमबार खडे कर लेते हे,
जवाब देंहटाएंkya likha hai bhaia!!!
जवाब देंहटाएंअभी तो कई नीरा राडिया दिल्ली मे है .
जवाब देंहटाएंचलो कम से कम एक मछली फ़ँसी पर ये तो छोटी लगती है।
जवाब देंहटाएंपर विवेक भाई एक मछली के निकलने से तालाब साफ हो जाएगा, यह भी तो ठीक नहीं लगता। मगरमच्छों की भी चिकित्सा की जानी चाहिए।
जवाब देंहटाएंहिन्दी टूल किट : आई एम ई को इंस्टाल करें एवं अपने कम्प्यूटर को हिन्दी सक्षम बनायें
सत्ता का अंध खेल, धन-मद का नशा।
जवाब देंहटाएंइने बड़े बड़े घोटाले यह लोग कितनी आसानी से हज़म कर जाते हैं.... बेहद अफ़सोस जनक है यह प्रकरण... क्या इन लोगो को सजा मिलेगा? और क्या जनता के खून-पसीने का पैसा वापिस मिलेगा? लगता तो नहीं है...
जवाब देंहटाएंप्रेमरस.कॉम
ये नीरा कौन है जी.. बली का बकरा
जवाब देंहटाएंफ़लसा वाला हाथ तो सोनिया का है उसे कौन पकडेगा..
can i please repost it on naari blog
जवाब देंहटाएंनीरा राडिया इस भारतीय सागर की केवल एक मछली है, ना जाने कितने मगरमच्छ अभी और भरे हैं। मेरा यह अनुभव है कि पत्रकार और नौकरशाह तथा ये दलाल मिलकर ईमानदार व्यक्ति को टिकने नहीं देते और चुनचुनकर ऐसे भ्रष्ट लोगों को सत्ता में बिठाने में सहयोगी बनते हैं। जिस दिन इस देश की जनता वो भी पढी-लिखी जनता समझदार हो जाएगी उस दिन से शायद इस देश का भविष्य बदलेगा।
जवाब देंहटाएं@Rachana ji,
जवाब देंहटाएंOfcourse you can...
Jai Hind...
इसका मतलव नीरा को मजबूत करने मे बी जे पी का भी पूरा हाथ और साथ रहा है। शायद शरीफ प्रधान मन्त्री इस देश को मंजूर नही। न ही बाजपयी जी और न ही मनमोहन सिंह। इन्हें तो केवल इन्दिरा गान्धी जैसी नेता ही नकेल डाल सकती थी। अच्छी जानकारी धन्यवाद।
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आदरणीय खुशदीप जी,
मगर, चोर तो हम सभी हैं...
इसलिये... 'चोरो' द्वारा शासित होने और लुटने को अभिशप्त एक बेईमान कौम हैं हम... बन्द करिये यह रोज रोज का घोटालों पर स्यापा करने का ढोंग...
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@प्रवीण शाह भाई,
जवाब देंहटाएंआप का कहना अपनी जगह ठीक है...अंगूर खट्टे वाली कहावत हम सब पर चरितार्थ होती है...अंगूर नहीं मिलते तो हम सब उनके खट्टे होने का रोना रोने लगते हैं...हम अपने बच्चों को ही बी प्रैक्टिकल, बी स्मार्ट का पाठ पढ़ाते रहते हैं...उसी का नतीजा है कि सब का समुच्चय जो़ड़ा जाए तो बनाना रिपब्लिक सामने आता है...ऐसे में घर का मुखिया ईमानदार होने के साथ कड़क भी हो तो स्थिति को काफी कुछ तक सुधारा जा सकता है....मिसाल के तौर पर मैं दिल्ली मेट्रो का नाम आपको देता हूं...ई श्रीधरन के हाथ में जब तक मेट्रो की बागडोर रहेगी, भ्रष्टाचार की संभावना कम रहेगी...सिस्टम सुचारू रूप से चलता रहेगा...जिस दिन श्रीधरन हट जाएंगे, मेट्रो की साख पर भी सवाल लग जाएगा...
जय हिंद...
हालात बहुत ही खराब हैं!
जवाब देंहटाएंराज्य पर कब्जा तो कारपोरेट का ही है। चुनाव वगैरा तो जनता के मनबहलाव का साधन हैं। अब राज पर पकड़ बनाए रखने के लिए सूत्र तो चाहिए ही। वही सूत्र नीरा राडिया हैं।
जवाब देंहटाएंनीरा यादव और नीरा राडिया मे किसको ज्यादा और कितने जूते मारने का मन करता हैं ?
जवाब देंहटाएंhttp://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2010/12/blog-post_16.html
मुझे नहीं लगता है की नीरा राडिया इस खेल में कोई इतनी बड़ी मछली है की उनकी इतनी चर्चा की जाये या उनके पकडे जाने पर इतना खुश हुआ जाये साफ दिख रहा है की बड़े बड़े मगरमच्छो को बचाने के लिए निरा को सबसे बड़ा विलेन बना कर प्रोजेक्ट किया जा रहा है ताकि इस हो हल्ले के बीच कुछ लोगो को साफ बचाया जा सके | किसी चीज के लिए लाबिंग करना ना तो गैर क़ानूनी है और ना ही गलत ये राष्ट्रिय नहीं अन्तराष्ट्रीय तौर पर भी होता है और सभी उससे वाकिफ है और ये करने वाली निरा कोई पहली व्यक्ति नहीं है | गलत तो वो है जो अपने निजी फायेदे के लिए देश की संपत्ति को कौड़ियो के दाम बेच देते है यदि निरा खुद इस घोटाले में शामिल है (लोबिंग के आलावा) तो उन पर केस चलाना चाहिए |
जवाब देंहटाएंमहिलाओ के इन कारनामो को देख कर कहना पड़ेगा....
जवाब देंहटाएंखूब लड़ी मर्दानी.वो तो .;))
वैसे अब अपने देश का भगवान ही मालिक है..
क्या कहा जाये...कितने ही खिलाड़ी और हैं..जिन पर अभी नजर भी नहीं गई है.
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी, किसी खुशफहमी में मत रहिये.. ये राजनीतिज्ञ कहीं अधिक बड़े गुनाहगार हैं जो अभी भी इन्हें बचाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं...
जवाब देंहटाएंजानकारी से भरपूर बढ़िया पोस्ट
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से, आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - विजय दिवस पर विशेष - सोच बदलने से मिलेगी सफलता,चीन भारत के लिये कितना अपनापन रखता है इस विषय पर ब्लाग जगत मौन रहा - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
bharat desh mahaan hai-------
जवाब देंहटाएंनीरा के साथ साथ जिहोने उनका साथ दिया वे भी भर्त्सना के अधिकारी है लेकिन" खूब लड़ी मर्दानी वो तो "ऐसा कहकर झाँसी की रानी का गलत दिशा में उदाहरन दिया जाना भी अपमानजनक है |
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