कभी किसी गधे को ध्यान से देखिएगा...वाकई उसके जैसा भोला, शरीफ़ और दीनहीन आपको और कोई प्राणी नहीं दिखेगा...गधे पर पिछले साल 20 दिसंबर को एक पोस्ट लिखी थी...आज फिर किसी ने गधे की व्यथा सुनाई तो इस भोले प्राणी का शिद्दत से ध्यान आ गया...लीजिए आप भी सुनिए गधे की दिल को हिला देने वाली ये गाथा-
एक फॉर्महाउस के मालिक ने गधा और कुत्ता पाल रखा था...गधा पूरे दिन फॉर्महाउस में काम पर गधे की तरह जुटा रहता...कुत्ता खाता-पीता और इधर-उधर मौज मस्ती करता रहता...बस इसी तरह दिन बीत जाता...रात को घर पर आते तो कुत्ता लंबी तान कर सो जाता...गधा तो बेचारा दिन भर पिस कर आता ही था, जल्दी ही उसे भी नींद आ जाती...
एक दिन रात को सोते हुए गधे ने घर के बाहर खटपट सुनी तो उसकी नींद खुल गई...गधे ने देखा, साथ ही कुत्ता ज़ोर से खर्राटे मार रहा था...गधे ने कुत्ते को जगाने की कोशिश की और कहा...लगता है बाहर चोर आए हुए हैं...तेरा काम चौकीदारी का है और तू भौंकने की जगह मज़े से सो रहा है...कु्त्ते ने आंख बंद किए हुए ही गधे से कहा....गधे के बच्चे, चुपचाप सोजा...मेरी नींद खराब मत कर...कुछ नहीं होगा...अब गधा तो ठहरा बेचारा मालिक का वफ़ादार...गधे ने ढेंचू-ढेंचू करना शुरू कर दिया...घर का मालिक थोड़ी देर ढेंचू-ढेंचू बर्दाश्त करता रहा, फिर आकर गधे के ज़ोर की लात मारी और बोला...तू रहा गधे का गधा ही, बिना बात रात को शोर मचा रहा है...
अगले दिन मालिक जगा तो उसे पता चला कि कॉलोनी में एक उसके घर को छोड़कर बाकी सभी घरों में चोरी हो गई थी...मालिक को एहसास हुआ कि गधे के शोर मचाने से ही उसका घर चोरों से बचा रहा...वो फौरन गधे के पास आकर बोला...शाबाश...आज तूने मेरे नमक का कर्ज़ अदा कर दिया...तू तो चौकीदारी का काम भी बड़ी अच्छी तरह कर लेता है...आज से तू दिन मे फॉर्महाउस पर काम करने के साथ रात को घर की चौकीदारी भी करेगा...ये कुत्ता तो किसी काम का नहीं है, इस पर मैं कोई भरोसे वाला काम नहीं छोड़ सकता....
स्लॉग ओवर
ऊंट और आदमी का फ़र्क...
ऊंट हफ्ते भर बिना पानी पिए काम करता रह सकता है...
आदमी हफ्ते भर बिना काम किए पीता रह सकता है...
(बस पानी सोमरस में मिला हुआ हो)
बेचारा गधा.....अजी आदमी भी बिना पानी पिये रह सकता हे, कोक जूस, ओर अन्य पेय पी कर पी कर:)
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई , आज कल वैसे भी नाम वालों का ही ज़माना है ... काम का रहा कौन ??
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएं"जहाँ काम आवे सुई,
कहा करे तलवार।"
हा हा बिल्कुल सटीक तभी तो गधा गधा है, बेचारा काम के बोझ में लदा रहता है।
जवाब देंहटाएंहा हा हा बहुत बढिया।
एंजिल से मुलाकात
खुशदीप भाई , ये गधागिरी ऑफिसों में बहुत देखने को मिलती है ।
जवाब देंहटाएंजो गधे की तरह अपनी जिम्मेदारी समझता है उसी पर तो दुनिया भर का बोझ लाद दिया जाता है। स्लागओवर क्या बात है। आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई आप कुत्तें की बुराई कर रहे हैं, सतीश जी नाराज हो जाएंगे ना।
जवाब देंहटाएं.... इस के बाद गधा सोच में पड़ गया। वह क्या करे। दिन-रात काम करेगा तो काम भी ठीक नहीं कर सकेगा, बदनाम होगा और जल्दी ही मर जाएगा। उस ने फार्महाउस के मालिक को दुलत्ती मारी और जब तक मालिक संभलता फार्म हाउस के बाहर दौड़ लगा दी। मालिक उस उपयोगी गधे को आज तक तलाश रहा है....
जवाब देंहटाएंऐसे गधे ही चला रहे हैं काम..
जवाब देंहटाएंअरे साहब सरकारी कार्यालयों में भी यही तो होता है. जो काम करते हैं (यानि जो गधे होते हैं) उन पर और काम लाद दिया जाता है जबकि दुम हिलाने वाले मौज लेते रहते हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत काम का है गधा।
जवाब देंहटाएंimandar gadha aur wafadar kutta
जवाब देंहटाएंbhai aaj jamana badal gaya hai .
आदमी हफ्ते भर बिना काम किए पीता रह सकता है...
जवाब देंहटाएं(बस पानी सोमरस में मिला हुआ हो) हे हे हे
गधा हमेशा अपना गधा होना साबित नही करता ।
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