प्रोफेसर टी जे जोसेफ पूरी तरह हताश हैं...जोसेफ ने खुद को इतना टूटा हुआ तब भी नहीं पाया था जब इस्लामी कट्टरपंथियों ने उनका दाहिना हाथ काट दिया था...केरल के इडुक्की ज़िले में थोडुपुझा के न्यूमैन कॉलेज में मलयालम पढ़ाने वाले जोसेफ़ को उनके कॉलेज प्रबंधन ने बर्खास्त कर दिया है...उन पर एक समुदाय विशेष की भावनाओं को आहत करने का आरोप है...4 जुलाई 2010 को कोट्टायम ज़िले के मुवाट्टुपुझा में जोसेफ़ का दाहिना हाथ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े कट्टरपंथियों ने काट दिया था...दक्षिण भारत में सक्रिय इस्लामी संगठनों के परिसंघ पीएफआई की कथित कोर्ट के निर्देश पर ये कार्रवाई की गई थी...कट्टरपंथी जोसेफ़ से कथित तौर पर इसलिए नाराज़ थे क्योंकि उन्होंने इस साल मार्च में कॉलेज के बी कॉम के आंतरिक इम्तिहान में ऐसा पेपर सेट किया था जिसमें पैगम्बर मोहम्मद का ज़िक्र किया गया था...इसी पेपर को लेकर जमात-ए-इस्लामी हिंद ने अपने स्थानीय हिंदी अखबार में रिपोर्ट छापी...कुछ मुस्लिम संगठनों ने जोसेफ के सेट किए गए सवाल को पैगम्बर मोहम्मद की अवमानना माना...
कोट्टायम की महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी से जुड़े न्यूमैन कॉलेज में पॉपुलर फ्रंट के स्टूडेंट विंग कैम्पस फ्रंट ने प्रोफेसर जोसेफ़ के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया...इस प्रदर्शन में युवा कांग्रेस और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के छात्र संगठनों ने भी पूरा साथ दिया...इसे देखकर स्थानीय प्रशासन भी हरकत में आया...जिलाधिकारी ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर जोसेफ़ के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया...केरल पुलिस ने आईपीसी की धारा 295 के तहत जोसेफ के खिलाफ केस दर्ज किया... एक हफ्ते की तलाश के बाद प्रोफेसर को गिरफ्तार किया गया...अप्रैल में जोसेफ को ज़मानत पर रिहाई मिल गई...न्यूमैन कॉलेज प्रशासन ने जोसेफ़ को निलंबित कर दिया और मुस्लिम संगठनों से माफ़ी मांगी...
4 जुलाई 2010 को जोसेफ अपनी बहन और 85 वर्षीय मां के साथ कार पर चर्च से घर वापस आ रहे थे...मुवाट्टुपुझा में घर के पास ही उनका रास्ता मारूति वैन में आए आठ लोगों ने रोका...चाकू, तलवार और कुल्हाड़ी से जोसेफ पर हमला किया गया... जोसेफ़ का दाहिना हाथ काट कर कई मीटर दूर एक घर के कंपाउंड में फेंक दिया गया... हमले में जोसेफ की बहन और मां को भी चोटें आईं.. हमले के बाद जोसेफ के एक पड़ोसी ने उन्हें पास के निर्मला अस्पताल पहुंचाया... जोसेफ का कटा हाथ भी बर्फ में डालकर अस्पताल लाया गया... इसके बाद जोसेफ को कोची के स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल ले जाया गया... वहां सर्जनों की टीम ने 16 घंटे के ऑपरेशन के बाद जोसेफ के हाथ को जोड़ने में कामयाबी पाई...
जोसेफ ने अस्पताल से ही मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने पेपर में जो सवाल सेट किया था वो यूनिवर्सिटी की अधिकृत किताब से लिया गया था और उन्हें सफाई का मौका भी नहीं दिया गया... जोसेफ के मुताबिक उन्होंने किताब के मूल लेखक पी टी कुंजु मोहम्मद को मोहम्मद कह कर उद्धृत किया था जिसे गलतफहमी में कुछ और ही रंग दे दिया गया.. जोसेफ के परिवार ने एक बयान में हमलावरों को क्षमा करने का भी ऐलान किया... 24 जुलाई 2010 को महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी ने न्यूमैन कालेज की ओर से किए गए जोसेफ के निलंबन को रद्द कर दिया...यूनिवर्सिटी के मुताबिक इस मुद्दे को गैर इरादतन भूल के तौर पर लिया जाना चाहिए... यूनिवर्सिटी ने जोसेफ पर हमले और उनकी माली हालत पर गौर करते हुए ये फैसला किया...लेकिन अब 4 सितंबर को न्यूमैन कॉलेज प्रबंधन ने जोसेफ को सेवा से बर्खास्त कर दिया... कालेज के मुताबिक ये फैसला 1 सितंबर से लागू माना जाएगा... कालेज प्रबंधन के मुताबिक जोसेफ को पैगंबर मोहम्मद पर की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी को हर्गिज प्रश्नपत्र में शामिल नहीं करना चाहिए था...
कालेज के मैनेजर फादर थॉमस मेलेक्कुडी ने एक बयान में कहा है कि कॉलेज और चर्च दोनों ही सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने को बहुत अहमियत देते हैं लेकिन जोसेफ का कथित आचरण इस भावना के विपरीत रहा... ये मुद्दा ऐसा नहीं कि जो जोसेफ के माफी मांग लेने से ही खत्म हो जाए... जोसेफ को माफ नहीं किया जा सकता... हालांकि कालेज जिस कोठामंगलम रोमन कैथोलिक डॉयोसीज़ से जु़ड़ा है, उसके प्रवक्ता ने कहा है कि जोसेफ को अगर मुस्लिम संगठनों के नेता माफ कर देते हैं तो उनकी बर्खास्तगी के आदेश को वापस लिया जा सकता है...
प्रोफेसर जोसेफ का कहना है कि इलाज में भारी खर्च की वजह से उन्हें आर्थिक दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है... अब कॉलेज की ओर से 1 सितंबर से बर्खास्तगी का आदेश दिए जाने से वो नहीं जानते कि घर का खर्च कैसे चलेगा... लेकिन साथ ही जोसेफ ने कॉलेज प्रबंधन को इस फैसले के लिए अपनी ओर से क्षमा करने की बात कही... ठीक वैसे ही जैसे कि उन्होंने अपने हमलावरों को किया था...मुसीबत की इस घड़ी में कॉलेज में जोसेफ के सहकर्मी प्रोफेसर उनके साथ डटे हैं और कॉलेज से बर्खास्तगी का फैसला वापस लेने की मांग कर रहे हैं...
हमलावरों ने हाथ काटा, कॉलेज ने नौकरी से बर्खास्त किया...खुशदीप
15
रविवार, अक्टूबर 03, 2010
ये खबर कई जगह पढ़ चुकी हु क्या कहु समझ नहीं आ रहा है क्या हम किसी स्लामिक देश में रह रहे है या ये कहु की हद है वोट के लिए तुष्टिकरना की निति का | पर प्रोफ़ेसर साहब कानून का सहारा क्यों नहीं ले रहे है |
जवाब देंहटाएंइस प्रदर्शन में युवा कांग्रेस और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के छात्र संगठनों ने भी पूरा साथ दिया.वाह मेरे नेता ओर वहा युवा कांग्रेस, यह सब पढ कर बहुत दुख हुआ
जवाब देंहटाएंक्या यह इसी देश में हो रहा है ?
जवाब देंहटाएंpata nhi kya hoga is desh ka....hum to bahut achchhe se jante hai ki justice is desh me nhi mil sakta....yahan har koi apna apne ke chakkar me hi pada hai...humne to kafi kareeb se dekha hai ki kis tarah log kanoon aur satta chalate hai. roz yahi dekh kar pathar ho gaye hai...bas paisa hi hai jisase aap kuch bhi khareed sakte ho...kya kahe bahut gandagi hai humare desh me...
जवाब देंहटाएंमेरा भारत महान ...
जवाब देंहटाएं:-(
प्रो जोजफ को उनका पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया। पर ये समझ नहीं आया कि उनके हाथ काटने का मौका क्यों दिया गया। अगर ये विरोध का तरीका है तो तालिबान और हिंदुस्तान में क्या अंतर रह जाएगा। मगर इसके बाद भी किसी को शर्म नहीं आई है औऱ न ही आएगी। प्रोफेसर साहब ने तो ईसामसीह की तरह माफ कर दिया, मगर जिन लोगो ने हाथ काटा है क्या उन्हें तत्काल सजा मिल पाएगी ताकि दुनिया में भारत की छवि साफ रहे, कि यहां तालिबानी नहीं रहते। जिस तरह राजस्थान की एक अदालत ने विदेशी महिला से बलात्कार के मामले पर देश कि छवि को बचाने के लिए तीव्रता से न्याया किया था।
जवाब देंहटाएंमेरा भारत महान ... :(
जवाब देंहटाएंकेरल की स्थिति इतनी ही भयावह है। ऐसी ही पूर्वांचल की भी है। देश में ऐसी कितनी ही ताकतें हैं जो देश को टुकड़े-टुकडे कर देना चाहती हैं। लेकिन सरकार केवल वोट बैंक की राजनीति के चलते मौन साधे बैठी है। दुखद प्रसंग हैं लेकिन इससे भी अधिक दुखद प्रसंग केरल में रोज ही घटित होते हैं जो समाचार भी नहीं बनते।
जवाब देंहटाएंBehad dukhad ghatana...........
जवाब देंहटाएंkoi hai jo barbarta ke virodh me aawaz uthae...........
Media ............?
.
जवाब देंहटाएंवो दिन दूर नहीं जब सुबहे बनारस और शामे अवध नहीं होगी। बल्कि जब आँख खुलेगी तो करांची में अजान हो रही होगी।
हम पहले भी गुलाम थे, और अब वापस गुलामी की तरफ बढ़ रहे हैं। अभी तो एक हाथ कटा है , घर घर हाथ कटेंगे ।
हो सके तो पढ़िए....http://zealzen.blogspot.com/2010/09/blog-post_30.html
आपके [देश के ] ]काम की जानकारी है यहाँ !
आभार
.
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही विकृत मानसिकता के लोगों का कुकृत्य है. जब लेखक स्वयं कह रहा है की गलत फ़हमी में लिखा गया, तो उसको अपनी बात कहने का पूरा मौका देना चाहिए. पहली बात तो यह किसी ने कुछ गलत किया अथवा लिखा भी है तो सजा देने या ना देने का हक केवल और केवल न्यायलय को ही होना चाहिए. ऐसे धर्म के स्यम्भु नेताओं को दौड़ा-दौड़ा कर मारना चाहिए. बहुत ही घटिया और दुःख देने वाली घटना है.
जवाब देंहटाएंइस पर मुझे एक बहुत ही मशहूर घटना याद आ गई है, एक बार मुहम्मद (स.) (जिनका नाम लेकर लोग ऐसे घटिया कामों को अंजाम देते हैं) अरब के तीन कबीलों के सरदारों से मिले और धर्म की तरफ बालय, लेकिन उन तीनों ने ही बात सुनने की जगह उनके साथ गलत-जुबानी की और बच्चों को उनके पीछे लगा दिया. वह उनको गलियां देते और पत्थर मारते थे. यहाँ तक की मुहम्मद (स.) का शरीर खून से लहू-लुहान हो गया. वह कबीलें दो पहाड़ों की बीच में बसे हुए थे. उनकी यह हालत देख कर अल्लाह ने उन पहाड़ों पर तैनात फरिश्तों को भेजा, जिन्होंने आप (स.) से कहा कि अगर इजाज़त दें तो इन पहाड़ों को मिला दें और यह लोग यहीं कुचल कर मर जाएँ. तो मुहम्मद (स.) ने कहा कि मैं दुनिया के लिए रहमत बनाकर भेजा गया हूँ, ज़हमत (परेशानियों का सबब) बनाकर नहीं. यह लोग आज अधर्म पर हैं तो क्या हुआ, हो सकता है कल को इनकी औलादें ईश्वर को मानने वाले बन जाए.
ज़रा देखिये खून से लथ-पथ कर देने वालों के लिए उनका प्रेम और आज उनके तथा-कथित मानने वाले उनको रहमत की जगह ज़हमत बनाने पर ज़बरदस्ती तुले हुए हैं. जल्द ही इस्लाम को मानने वाले नहीं जागे तो ऐसे विकृत मानसिकता के लोग पूरी दुनिया में ना सिर्फ इस्लाम को बदनाम करेंगे बल्कि पुरे विश्व के लिए खतरा बन जाएंगे.
जब भी इस खबर के बारे में कहीं पढ़ती हूँ...मन क्षोभ से भर जाता है...
जवाब देंहटाएंये जंगल राज है क्या...किस युग में जी रहें हैं हम
किस युग में जी रहें हैं हम?
जवाब देंहटाएंहद है!
जवाब देंहटाएं