मक्खन का गैरेज का धंधा मंदा चल रहा था...अब भला मक्खन का जीनियस माइंड ऐसे हालात को कैसे बर्दाश्त करता...मक्खन ने साइड बिज़नेस करने की सोची...परम सखा ढक्कन से सलाह ली...कई धंधों पर विचार करने के बाद पोल्ट्री फार्म (चिकन फार्मिंग) शुरू करने पर सहमति बनी...ऊपर वाले का नाम लेकर 100 चिकन खरीद कर मक्खन ने शुरुआत की...
एक महीने बाद मक्खन उसी डीलर के पास आया जिससे 100 चिकन लिए थे...मक्खन ने 100 और चिकन की डिमांड की...दरअसल मक्खन के पहले सारे 100 चिकन दम तोड़ चुके थे...
महीने बाद फिर मक्खन उसी डीलर के पास...100 चिकन और खरीदे...मक्खन का चिकन का दूसरा लॉट भी ऊपर वाले को प्यारा हो चुका था...डीलर ने मक्खन से माज़रा पूछा....मक्खन ने जवाब दिया...ओ कुछ खास नहीं जी, अब मुझे समझ आ गया है कि मैं गलती कहां कर था...दरअसल मैं...
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प्लांटिंग के लिए सारे चिकन को ज़मीन में कुछ ज़्यादा ही नीचे गाड़ रहा था...
चलिए मक्खन ने खुश कर दिया अब एक काम की बात...
परसों अयोध्या पर हाईकोर्ट का फैसला आना है...अगर कल सुप्रीम कोर्ट ने कोई अलग व्यवस्था नहीं दी तो 24 सितंबर को विवादित ज़मीन के मालिकाना हक़ पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच फैसला सुना देगी...वक्त धैर्य और संयम बनाए रखने का है...कोर्ट जो भी फैसला दे, उसका सम्मान किया जाना चाहिए...मुकदमे से जुड़ी किसी पार्टी को फैसले से सहमति न हो तो उसके सामने सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता खुला है...क़ानून अपना काम करे और हम शांति बनाए रखे...ऐसे किसी भी तत्वों के झांसे में हम न आए जो भावनाओं को भड़का कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं...इस वक्त मुझे किसी की कही ये खूबसूरत लाइनें बहुत याद आ रही है...
चेहरे नहीं इनसान पढ़े जाते हैं,
मज़हब नहीं ईमान पढ़े जाते हैं,
भारत ही ऐसा देश है,
जहां गीता और कुरान साथ पढ़े जाते हैं...
यह बहुत ज़रूरी अपील है ,कम से कम उन लोगों के लिये जो मक्खन की तरह सद्भावना , भाईचारा , प्रेम और सौहार्द्र प्लांटिंग के लिए ज़मीन में कुछ ज़्यादा ही नीचे गाड़ चुके हैं ।
जवाब देंहटाएंआमीन
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही बात कही आपने इन खुबसूरत पंक्तियों के माध्यम से .....ईश्वर से यही प्रार्थना है की देश में सदैव शांति बनी रहे ....इन धर्मों से ऊपर उठकर लोग इंसानियत को अपना परम धर्म समझे ....आभार
जवाब देंहटाएंsahi baat kahi hai aapne...
जवाब देंहटाएंaise ahwaan ki aavshyakta hai..
dhanywaad aapka..
aameen..
जवाब देंहटाएंबोलिए मक्खन लाल की जय
जवाब देंहटाएंमक्खन ने तो जो किया सो किया मगर खुशदीप ने आज बहुत सार्थक सन्देश दिया।िसे मैं अपने जी मेल के कस्टम मेसेज मे लगा रही हूँ। आभार और आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंभाई हमें तो शरद जी की बात बहुत सटीक लगी।
जवाब देंहटाएंचेहरे नहीं इनसान पढ़े जाते हैं,
जवाब देंहटाएंमज़हब नहीं ईमान पढ़े जाते हैं,
भारत ही ऐसा देश है,
जहां गीता और कुरान साथ पढ़े जाते हैं...
Kya baat hai!!!!!
मेरे ख्याल से अभी कोई चुनाव निकट नहीं है, तो दंगे फसाद को भुनाने की तो कोई आवश्कता नहीं दिख पड़ती, हाँ, कुछ पैदाइशी पागल होते है मौके के इंतज़ार में, उनके बारे में कुछ निश्चित तौर से नहीं कहा जा सकता .. पर सोचो तो अच्छा ही ...
जवाब देंहटाएंसूचना-
जवाब देंहटाएंकार्टूनिस्ट इरफ़ान के ज़रिए हास्य रस में डूबा कॉमनवेल्थ गेम्स का सच जानना है तो इस लिंक पर ज़रूर जाइए...
http://nukkadh.blogspot.com/2010/09/blog-post_23.html
जय हिंद...
आम आदमी तो कुछ नहीं करेगा तब तक जब तक की उसको समझाया ना जाये की देखो तुम्हारे साथ तुम्हारे धर्म के साथ कैसा अत्याचार हो रहा है और जो विद्वान् उनको ये समझायेगा उसे आप की अपील समझ नहीं आएगी |
जवाब देंहटाएंमक्खन तो मक्खन है जो ना करे थोडा है।
जवाब देंहटाएंईश्वर से प्रार्थना है कि सब सही रहे।
लगता है रात को बड़ी खबर में प्रसून जी नें आपका कि SMS पढ़अ था :
जवाब देंहटाएंचेहरे नहीं इनसान पढ़े जाते हैं,
मज़हब नहीं ईमान पढ़े जाते हैं,
भारत ही ऐसा देश है,
जहां गीता और कुरान साथ पढ़े जाते हैं...
बढिया जनाब.
@दीपक बाबा,
जवाब देंहटाएं'बड़ी ख़बर' का प्रोड्यूसर आपका ये नाचीज़ बंदा ही है...
जय हिंद...
बढिया है - साहिब........ मैं बस एक ये ही प्रोग्राम देखता हूँ. एनडीटीवी पर रवीश और विनोद दुआ को भी देखता था - पर आजकल हमारे केबल वाला ये चनेल दिखा नहीं रहा..........
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति होती है - बड़ी खबर कि - और साथ में एस पी सिंह के स्टाईल में पंडित जी.
बढिया.
‘प्लांटिंग के लिए सारे चिकन को ज़मीन में कुछ ज़्यादा ही नीचे गाड़ रहा था’
जवाब देंहटाएंअच्छी खाद तैयार हो गई... अब उसे ढ्क्कन को गाड़ देना चाहिए :)
bahut khoob........ aameen
जवाब देंहटाएंफ़ेसला कोई भी आये, सभी उस को मानाने को तेयार होंगे, हा यह अपील मकखन ओर उस के जेसे लोगो के लिये जरुरी है, जो इन नेताओ के भडाकऊ भाषण सुन कर दंगा फ़साद करते है,भाई हम ने तो उस ऊपर वाले को पुजना है, अब कोई मस्जिद मै सजदा करे या मंदिर मै बात एक ही है
जवाब देंहटाएंसद्भावना , भाईचारा , प्रेम और सौहार्द्र की बहुत ज़रूरत है देश को। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंआभार, आंच पर विशेष प्रस्तुति, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पधारिए!
अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
चेहरे नहीं इनसान पढ़े जाते हैं,
जवाब देंहटाएंमज़हब नहीं ईमान पढ़े जाते हैं,
भारत ही ऐसा देश है,
जहां गीता और कुरान साथ पढ़े जाते हैं...
बहुत ही खूबसूरत लाइन हैं.... बेहतरीन!
और मक्खन तो मक्क्षण है.... बाज़ नहीं आएगा :-)
मक्खन और ढक्कन दोनों ही कमाल हैं ..सच कहा आपने अभी संयम बरतने का ही समय है
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति होती है - बड़ी खबर
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