अजी बिना दिल के ही लिख दी आप ने पोस्ट? अजी चांद का मुंह तो इस लिये उतरा है कि इस कमीने अमेरिका ने वहां भी धमाका कर दिया, वर्ना उसे क्या दुख था, अब वो हमे देख कर डरता है...लेकिन पहले दिल का ध्यान रखे, चांद तारो को छोडे...
अजी खुशदीप जी...! कौन , कब , कैसे , कहाँ, क्यूँ ?????? ये लो आप गीत गा रहे हैं....और हम यहाँ सोच सोच कर परेशान है कि आप कहाँ हैं ??? ये चक्कर क्या है ..? आप ठीक तो हैं न ?
फिलहाल तो खुश रहने वाले खुशदीप सहगलजी की तबियत नासाज है। चार-पांच दिन की छुट्टी। फिलहाल तो हरारत लगती है कमरतोड़ (या बंदातोड़) काम..और फिर आराम को तिलांजलि....ऐसे में होगा क्या? उम्मीद है कि दो-तीन दिन में वो इस लायक हो जाएंगे कि कुछ घंटे काम कर सकें। लेकिन आराम....???????????????????????? अब क्या कहूं......समझ जाइए....
दिव्या की बात सही है ....चलता है अपनो के बीच ऐसा ....वैसे भी मिलजुल कर रहने की आदत तो पड़ चुकी होगी ....ब्लोगिंग के एक साल में .....ये तो थी मजाक की बात ...अब गंभीर ......शीघ्र स्वस्थ हो ....यही कामना ........दिल से ...
आज आप जैसे सभी लोगों का हाल यही है ,जिन्दगी जीने के लिए संवेदनहीनता जरूरी हो गयी है और संवेदना रखने पर लोगों के दुखों को देखकर दिल बैठ जाता है ...! इसी का नाम जीवन है ...देखिये इन साले भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों को संवेदना के व्यापारी बनकर ऐश कर रहें हैं और पूरा देश और समाज का दिल धरकना बंद होता जा रहा है ...
पेस मेकर वगैरह के विकल्प तो हैं ही..आजकल इस बात से टेंशन नहीं होती कि घड़कना छोड़ दिया. :)
जवाब देंहटाएंअच्छी पंक्तिया है ....
जवाब देंहटाएं....
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com
भैया......... आपकी तबियत कैसी है अब?
जवाब देंहटाएंक्यों मज़ाक करते हो यार ....
जवाब देंहटाएंअजी बिना दिल के ही लिख दी आप ने पोस्ट? अजी चांद का मुंह तो इस लिये उतरा है कि इस कमीने अमेरिका ने वहां भी धमाका कर दिया, वर्ना उसे क्या दुख था, अब वो हमे देख कर डरता है...लेकिन पहले दिल का ध्यान रखे, चांद तारो को छोडे...
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई,
जवाब देंहटाएंतबियत कैसी है आपकी? अपनी तो खराब चल रही है.... डॉक्टर ने हाईपर थायराइड बताया है.... :-(
कोई बात नहीं , वो सुबह फिर आएगी ।
जवाब देंहटाएंअजी खुशदीप जी...!
जवाब देंहटाएंकौन , कब , कैसे , कहाँ, क्यूँ ??????
ये लो आप गीत गा रहे हैं....और हम यहाँ सोच सोच कर परेशान है कि आप कहाँ हैं ???
ये चक्कर क्या है ..?
आप ठीक तो हैं न ?
उम्दा पोस्ट-सार्थक लेखन के लिए आभार
प्रिय तेरी याद आई
आपकी पोस्ट ब्लॉग4वार्ता पर
सभी ब्लॉगर साथियों के लिए सूचना....
जवाब देंहटाएंफिलहाल तो खुश रहने वाले खुशदीप सहगलजी की तबियत नासाज है। चार-पांच दिन की छुट्टी। फिलहाल तो हरारत लगती है कमरतोड़ (या बंदातोड़) काम..और फिर आराम को तिलांजलि....ऐसे में होगा क्या? उम्मीद है कि दो-तीन दिन में वो इस लायक हो जाएंगे कि कुछ घंटे काम कर सकें। लेकिन आराम....???????????????????????? अब क्या कहूं......समझ जाइए....
पोस्ट पढ़कर कुछ गड़बड़ तो लग ही रही है, रोहित के कमेंट ने खुलासा कर दिया।
जवाब देंहटाएंशीघ्र स्वास्थ्यलाभ के लिये कामना।
.
जवाब देंहटाएंलीवर के कह दीजिये , ड्यूटी इंचार्ज बन जायें...धड़क लें कुछ दिन दिल की जगह [for a change ] । मिल जुल कर काम चलता रहेगा।
.
दिव्या की बात सही है ....चलता है अपनो के बीच ऐसा ....वैसे भी मिलजुल कर रहने की आदत तो पड़ चुकी होगी ....ब्लोगिंग के एक साल में .....ये तो थी मजाक की बात ...अब गंभीर ......शीघ्र स्वस्थ हो ....यही कामना ........दिल से ...
जवाब देंहटाएंआज आप जैसे सभी लोगों का हाल यही है ,जिन्दगी जीने के लिए संवेदनहीनता जरूरी हो गयी है और संवेदना रखने पर लोगों के दुखों को देखकर दिल बैठ जाता है ...! इसी का नाम जीवन है ...देखिये इन साले भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों को संवेदना के व्यापारी बनकर ऐश कर रहें हैं और पूरा देश और समाज का दिल धरकना बंद होता जा रहा है ...
जवाब देंहटाएंKya Bat hai . Sab theek to hai naa
जवाब देंहटाएंतो फिर,,,, चांद तोरों को ज़मीन पर लाइए... ब्लागर जो बैठे हैं चमकाने के लिए :)
जवाब देंहटाएंअपना ख्याल रखें भाई जी !
जवाब देंहटाएंजय हिंद !!
दिल धड़कना छोड़ दे तो दिल नहीं रह जाता।
जवाब देंहटाएंपूरे एक हफ्ते बाद पोस्ट...वो भी चार लाईनों की?...
जवाब देंहटाएंतबियत तो ठीक है ना भाई जी?