ब्लॉगवाणी छुट्टी पर, अंगना में आई हमारीवाणी...खुशदीप

सांची कहे तोरे आवन से हमरे,
अंगना में आई बहार भोजी...

नदिया के पार का बड़ा हिट गाना है ये...लेकिन आज मुझे क्यों याद आ गया...इसकी बात पोस्ट के आखिर में करूंगा... पहले बात ब्लॉगवाणी की...दरअसल, मयखाना ब्लॉग वाले मुनीश जी की एक पोस्ट पढ़ी...सुनकर बड़ा दुख हुआ कि अब ब्लॉगवाणी पर हमेशा के लिए विराम लग गया है...पिछले साल अगस्त में जब से मैंने ब्लॉगिंग शुरू की, ब्लॉगवाणी से खास लगाव रहा...हमेशा ऐसा ही लगा कि ब्लॉगवाणी बड़ा परिवार है और मैं इसका सदस्य हूं...बीच में एक बार ब्लॉगवाणी बंद भी हुई लेकिन ब्लॉगजगत के ज़बरदस्त आग्रह के बाद मैथिली जी और सिरिल जी ने इसे नए तेवर और कलेवर में शुरू किया...

लेकिन इस बार लगता है समस्या गंभीर है...कम से कम मुनीश जी की पोस्ट से तो ऐसा ही लगता है कि ब्लॉगवाणी हाल-फिलहाल में दोबारा शुरू नहीं होगी...वैसे मैं अब भी यही दुआ करता हूं कि मेरे गुरुदेव समीर लाल समीर जी की बात सच हो और ब्लॉगवाणी जल्दी ही दोबारा शुरू हो...मुझे लगता है बाकी सभी ब्लॉगर भी दिल से यही चाहते हैं...

लेकिन इतने आग्रह के बाद भी ब्लॉगवाणी दोबारा शुरू नहीं होती तो हमें इनके संचालकों के फैसले का सम्मान करना चाहिए...हो सके तो सभी को मिलकर एक प्रस्ताव पारित कर मैथिली जी और सिरिल जी का आभार व्यक्त करना चाहिए कि उन्होंने इतने लंबे अरसे तक निस्वार्थ भाव और पूरे समर्पण से हिंदी ब्लॉगिंग की सेवा की...ये आभार जताने के लिए रवींद्र प्रभात जी ब्लोगोत्सव का मंच उपलब्ध कराएं तो सोने पर सुहागे वाली बात होगी...ब्लॉगवाणी के बाद चिट्ठा जगत ने ब्लॉगर्स के फ्लो को अच्छी तरह संभाला है...ब्लॉगवाणी के साथ चिट्ठा जगत के संचालकों का भी सम्मान किया जाए तो दोहरी खुशी वाली बात होगी...


खैर, जीवन तो चलने का नाम है...अब रुका तो जा नहीं सकता...ब्लॉगिंग की गंगा तो बहती रहनी चाहिए...कहते हैं न कि एक रास्ता बंद होता है तो ऊपर वाला साथ ही दूसरे रास्ते भी खोलता है...ब्लॉगवाणी के छुट्टी पर जाने के कुछ वक्त पहले ही इंडली एग्रीगेटर का आगमन हुआ...इंग्लिश के एग्रीगेटर की तर्ज पर इंडली हवा के ताजा ठंडे झोंके की तरह लगा...इसमें कुछ ऐसे अभिनव प्रयोग दिखे जो पहले किसी एग्रीगेटर में नहीं दिखे थे...इसके लिए एग्रीगेटर की टीम वाकई बधाई की पात्र है....

अब आपको बताता हूं कि मुझे ऊपर वाला गाना क्यों याद आया....सांची कहे तोरे आवन से....दरअसल कल मेरी पोस्ट पर एक नए एग्रीगेटर हमारीवाणी की ओर से कमेंट आया था...मैंने तत्काल हमारी वाणी पर जाकर क्लिक किया...देखने में बड़ा सीधा, सच्चा और तड़क-भड़क से दूर एग्रीगेटर लगा...ऐसा लगा कि यहां ब्लॉगरों की पोस्ट ही यूएसपी हैं...बिना कोई झंझट जितनी भी पोस्ट दिन में आती हैं, सब एक ही पेज़ पर ऊपर से नीचे दिखती रहती हैं...ढूंढने में कोई झंझट नहीं...साथ वाली साइड पर हिंदी के सभी ब्लॉग की फेहरिस्त भी दी गई है...आपको जिसे पढ़ना है, जिसे कमेंट देना है, सीधे वहीं से किया जा सकता है...मैं तो अब जब भी ब्लॉगिंग के लिए नेट पर आऊंगा, सबसे पहले हमारीवाणी को खोलकर साथ रख लूंगा...ब्लॉग्स को ढूंढने की मशक्कत ही खत्म हो जाएगी...इसलिए हमारीवाणी देखकर तो यही गाने को मन कर रहा है...सांची कहे तोरे आवन से, ब्लॉगवुड के अंगना में आई बहार, हमारीवाणी....




खत्म करने से पहले एक बात और...आजकल मेरे ब्लॉग पर ब्लॉग प्रहरी का लिंक भी नहीं खुल रहा...मैं इसके संचालक कनिष्क कश्यप से दो-तीन बार मिल चुका हूं...बहुत ही प्रतिभावान और काम के प्रति समर्पित युवा है...लगता है कनिष्क भी ब्लॉग प्रहरी को नया रंग-रूप देने में लगे होंगे...उनसे भी आग्रह है, ब्लॉग प्रहरी को जल्दी शुरू कीजिए...अब जितने ज़्यादा एग्रीगेटर होंगे, ब्लॉगरों के लिए उतना ही फायदेमंद होगा...एक तो पाठक ज़्यादा आएंगे और फिर किसी एक एग्रीगेटर के भरोसे बैठे रहने की आदत भी छूटेगी...

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40 टिप्पणियाँ
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  1. अच्‍छी जानकारी, हमने भी अपना ब्‍लाग इसपर डाल दिया है।

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  2. अच्‍छी जानकारी..
    पर देर सवेर ब्लॉगवाणी अवश्य आयेगी

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  3. हम इन्तजार करेंगे तेरा कयामत तक..खुदा करे कि कयामत हो और ती आये...


    ये ब्लॉगवाणी के लिए है...

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  4. कयामत हो न हो . पर तु जरुर आए...

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  5. अच्छी जानकारी के लिये शुक्रिया। मैने भी अपना निवेदन भेजा है हमारी वाणी को।

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  6. अच्छी जानकारी है मै भी देखती हूँ। शुभकामनायें

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  7. खुशदीप जी, अगर ब्लोग्वानी पर आपकी खबर सही है, तो वाकई यह बहुत ही दुखद है. ब्लोग्वानी और चिटठा जगत जैसे संकलकों ने हमें ब्लॉग जगत की आदत डाली है. जबसे ब्लोग्वानी बंद है, तभी से कुछ भी लिखने में मज़ा ही नहीं आ रहा है.

    "सच बात तो यह है की ब्लोग्वानी की आदत है हमें."

    ब्लोग्वानी पर मेरी हास्य कविता: चर्चा-ए-ब्लॉगवाणी

    आशा है यह जल्द ही वापसी करेगी. वहीँ हमारी वाणी का प्रयास भी अच्छा है और उस पर आपके सुझाव बेहतरीन हैं.

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  8. @शाहनवाज़ भाई,
    ये मेरी ख़बर नहीं है...ये मयखाना ब्लॉग के मुनीश जी की है...ऊपर मैंने उनकी पोस्ट का लिंक दिया है...उसमें उन्होंने सिरिल जी से हुई बातचीत का हवाला दे रखा है...

    जय हिंद...

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  9. हमारीवाणी की तुलना ब्लागवाणी से करना बिल्कुल अनुचित है।
    फीडक्लस्टर पर आप खुद का एग्रीगेटर खुशदीपवाणी या आकाशवाणी कुछ भी बना सकते हैं और जिस मर्जी ब्लाग की फीड ले सकते हैं।

    प्रणाम

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  10. मुनीश जी की खबर सही प्रतीत होती है…

    लेकिन ब्लॉगवाणी ने जो लोकप्रियता और मुकाम हासिल किया उतना पहले किसी भी एग्रीगेटर ने नहीं किया। अब नये आने वाले इंडली, हमारीवाणी आदि में भी कई लोचे हैं, मेरे मत में किसी भी एग्रीगेटर को सफ़ल होने के लिये कुछ बातें जरूरी हैं -

    1) सर्वर की स्पीड अच्छी होना चाहिये, अभी चिठ्ठाजगत भी काफ़ी स्लो चलता है, जबकि ब्लागवाणी के साथ यह समस्या नहीं थी…

    2) एग्रीगेटर पर पोस्ट अपने-आप आ जाना चाहिये, या एक क्लिक करने से आ जायें, ऐसा नहीं कि इंडली की तरह लिंक भेजना पड़े…

    3) रजिस्ट्रेशन और ब्लॉग का पंजीकरण एकदम आसान होना चाहिये।

    4) पसन्द-नापसन्द अथवा ऊपर-नीचे वाला फ़ण्डा पूरी तरह खत्म करके, सिर्फ़ "अधिक पढ़े गये" या "इतनी बार पढ़े गये" का एक ही कालम होना चाहिये। इसमें भी यदि कोई एक ही कम्प्यूटर और आईपी से अपनी ही पोस्ट खोले-बन्द करे तो उसे "पढ़े गये" की गिनती में शामिल नहीं किया जाये। "टिप्पणी संख्या" वाली सुविधा भी बेकार सिद्ध हुई है, क्योंकि कुछ "मूर्ख" तो अपने ही ब्लॉग पर खामखा ही या तो बेनामी टिप्पणियाँ करते रहते हैं या उनके चमचे उसी लेख में से एक-दो लाइन उठाकर टिप्पणी के रुप में चेंप देते हैं।

    5) आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि "यह मेरा एग्रीगेटर है, मैं जिसे चाहूंगा रखूंगा, जिसे चाहूंगा निकाल दूंगा, जिसे मेरी नीतियाँ पसन्द ना हो वह भाड़ में जाये…" वाला Attitude रखना पड़ेगा, पड़ने वाली गालियाँ ignore करने की क्षमता भी विकसित करनी होंगी, क्योंकि भारत के लोग "इतने हरामखोर" हैं कि मुफ़्त में मिलने वाली चीज़ में भी खोट निकालने से बाज नहीं आते।

    जो भी एग्रीगेटर इन बिन्दुओं का ख्याल रख लेगा, वह निश्चित ही सफ़ल होगा…

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  11. बढ़िया प्रस्तुति!



    क्या आपने हिंदी ब्लॉग संकलन के नए अवतार हमारीवाणी पर अपना ब्लॉग पंजीकृत किया?



    हिंदी ब्लॉग लिखने वाले लेखकों के लिए हमारीवाणी नाम से एकदम नया और अद्भुत ब्लॉग संकलक बनकर तैयार है।

    अधिक पढने के लिए चटका लगाएँ:

    http://hamarivani.blogspot.com

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  12. Suresh Chiplunkar ji आप भी तो भारतीय ही है फिर भी आप ने ऐसा लिखा " भारत के लोग "इतने हरामखोर" हैं कि मुफ़्त में मिलने वाली चीज़ में भी खोट निकालने से बाज नहीं आते। " तो फिर आप ने ये क्या लिखा है " अभी चिठ्ठाजगत भी काफ़ी स्लो चलता है, " ऐसा नहीं कि इंडली की तरह लिंक भेजना पड़े… अब आप खुद ही सोच लो की हरामखोर किसे कहते है !

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  13. सुरेश चिपलूनकर जी का कथन "पसन्द-नापसन्द अथवा ऊपर-नीचे वाला फ़ण्डा पूरी तरह खत्म करके, सिर्फ़ "अधिक पढ़े गये" या "इतनी बार पढ़े गये" का एक ही कालम होना चाहिये" बिल्कुल सही है! पसन्द नापसन्द करवाया जा सकता है और टिप्पणी भी करवाई जा सकती है किन्तु अपने पोस्ट को जबरन किसी को पढ़वाना यद्यपि असम्भव नहीं है फिर भी मुश्किल जरूर है। इसलिये लोकप्रियता का पैमाना सिर्फ "अधिक पढ़े गये" ही होना चाहिये।

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  14. साजिद साहब चिपलूनकर जी मुफ्त की चीज चिटठाजगत में खोट निकाल रहे हैं कहते हैं कि यह स्लो चलता है, यह जो कहें उसे मसवरा माना जाये हम आप जो कहें वह खोट है, बस इतनी सी बात है,

    पसंद नापसंद तो होना चाहिये ब्‍लागवाणी से कम तो हमें कतई मन्‍जूर नहीं बस साथ में यह खुला रखा जाये कि पसंद नापसंद कमेंटस का क्‍या कैलकुलेशन है

    अगर पसंद नापसंद नहीं होगा तो ब्‍लागर्स ब्‍लागिंग में नहीं डूबेंगे जैसे ही पोस्‍ट करेंगे उन्‍हें फोन करने होगें, मेल करनी होंगी और बहुत से जुगाड करने होंगे, इस डूबने को ही कहते हैं मेरी नजर में ब्‍लागिंग

    वर्ना चिटठाजगत में मस्‍त रहो इसमें एक यही कमी है कि वाकई यह एग्रीगेटर है

    'हमारीवाणी' पर मेरा ब्‍लाग add नहीं हो रहा है, कृपया 'हमारीवाणी' जवाब दे

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  15. शुक्रिया नई जानकारी के लिए....ब्लोगवाणी की कमी तो सबको खल रही है.

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  16. ब्लोगवानी की कमी तो सभी को खल रही है और उसका इंतज़ार है और रहेगा।

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  17. अच्छी जानकारी है,इस को भी देखते है!

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  18. KAIRANVI AUR SAJID SE SAHMAT !!! AUR HAAN KHUSHDEEP JEE NE JO BHOPURIYA GANE KA REMIX KIYA WAH QABILE TAREEF HAI

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  19. चलोम पहले हम लड ही ले.... अरे इसी लडाई झग’डे ओर खीचा तानी से तंग आ कर ब्लांग बाणी चली गई, अब जो मिल रहा है, उन का धन्यवाद करने के वजाये उन्हे राय देने के वजाये हम आपस मै लड रहे है, ओर एक अच्छी राय़ को लडाई का मुद्दा बना रहे है, हर काम को समय लगता है, यह नये एग्रीगेट्र भी धीरे धीरे समभल जायेगे, उन्हे वक्त तो दो, हम लोग भी जब नये नये ब्लांगर बने तो कितनी गलतियां करते थे, उस समय हमे कोई गुस्से से राय देता तो कितना बुरा लगता, तो हमे आपस मै प्यार से रहना है, ओर नये एग्रीगेट्र को राय देनी है ना कि उस कि गलतियां निकाल कर उसे भगाना है, वर्ना हम ओर तुम रहेगे वाकी सब भाग जायेगे, क्योकि पागलो के संग कोई रहना नही चाहता

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  20. भाटिया जी, अच्छी राय को "जेहादी गैंग" कभी नहीं लेती… क्योंकि उन्हें अच्छी चीज़ खाने की आदत ही नहीं है।

    साजिद, सलीम और कैरानवी को कौन समझाये कि मैंने यह बात इंड्ली या चिठ्ठाजगत पर जाकर शिकायत के तौर पर नहीं कही है, यह सिर्फ़ सलाह है, जिसे मानना नहीं मानना इंडली और चिठ्ठाजगत के हाथों में है। जिस तरह से ब्लागवाणी को लोगों ने कोसा, गालियाँ दीं, विरोध में पोस्टें लिखीं, वैसा मैंने कभी चिठ्ठाजगत या इंडली के लिये कभी नहीं किया…।

    शायद अब "हरामखोरी" का मतलब साजिद को समझ में आ गया होगा…। ब्लागवाणी को बन्द करवाने में सबसे बड़ा हाथ इसी "जेहादी गैंग" का है, जिसने अपने कपड़े फ़ाड़-फ़ाड़ कर, चिल्ला-चिल्लाकर आसमान सिर पर उठा लिया था…

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  21. काफ़ी समय से, और आज भी चिठ्ठाजगत में मेरा सक्रियता क्रमांक 30 दिखा रहा है, जबकि उससे ऊपर जितने चिठ्ठे हैं… उनके ब्लॉग खोलकर देखा जाये कि वाकई में वे कितने सक्रिय हैं, किसने कितनी पोस्ट लिखीं।

    लेकिन क्या कभी इस बात को लेकर मैंने हंगामा मचाया है? नहीं।

    मैंने तो कभी चिठ्ठाजगत से यह नहीं पूछा कि, भाई आपका "सक्रियता" नापने का पैमाना क्या है? यह चिठ्ठाजगत की अपनी मर्जी है कि वह किसे रखे, किसे निकाले, किसका चिठ्ठा ऊपर रखे, किसका नीचे रखे…। मुझे शिकायत करने का हक ही नहीं है…

    लेकिन लोग पूछें कि -
    ब्लागवाणी का पसन्द-नापसन्द का क्या गणित है?
    मेरी पोस्ट नीचे कैसे आई, क्यों आई?
    ब्लागवाणी ने मेरा चिठ्ठा बन्द क्यों कर दिया?
    ब्लागवाणी मेरी बातों का जवाब क्यों नहीं दे रही?……………… ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला…

    समझे साजिद, इसे कहते हैं "हरामखोरी"।

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  22. ब्लागवाणी का स्थगन दुखद है।

    सुरेश जी "जेहादी गैंग" भाईयों से कोई पूछे कि क्या फ़्री का मिले तो वो फ़िनाईल भी पी लेंगे???

    इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान बना "हरामखोरी" इसके बाद शुरू हुई॥

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  23. सुरेश जी की उपरोक्त सभी टिप्पणियों से पूर्णरूपेण सहमत.

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  24. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  25. हमारी वाणी देखा है ..पर ब्लोग्वानी का फिर भी इंतज़ार है.

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  26. साजिद भाई सीखो चिपलूनकर भाई से सबकुछ कह कर, कहते हैं मैने कुछ नहीं कहा, कभी नहीं कहा,

    समझो साजिद, इसे कहते हैं "हरामखोरी"

    'हमारीवाणी' पर मेरा ब्‍लाग add नहीं हो रहा है, कृपया 'हमारीवाणी' जवाब दे, वर्ना अपनी दूकान समेट ले

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  27. आदरणीय Suresh Chiplunkar जी मुझे आप के इस कथन से समस्या है
    क्योंकि भारत के लोग "इतने हरामखोर" हैं
    मेरा नाम किसी के साथ न जोड़े मैं पहले एक भारतीय हु

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  28. ऐ बिङू ये सब क्या हो रेला

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  29. मैथिली जी और सिरिल जी का हृदय से आभार.

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  30. मैं भी मैथिली जी का आभार व्यक्त करता हूं…

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  31. @ साजिद - मैंने सिर्फ़ आपकी बात का जवाब दिया है, और साबित कर दिया है कि जो मैंने कहा वह पूरी तरह सही है…। वरना ब्लागवाणी बन्द ही न होता।

    @ कैरानवी - जो लोग "सुझाव", "शिकायत" और "हताशा में कपड़े फ़ाड़ने" में अन्तर नहीं समझ सकते, उन्हें समझाना मुश्किल है।

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  32. ब्लोगवाणी का स्थान हिंदी ब्लोग्गिंग में अद्वितीय और अमिट ,था और रहेगा भी , चाहे वो वापस आए या न आए , और उसकी कमी भी इसलिए खलती ही रहेगी । यदि कोई ये समझ रहा है कि फ़िलहाल हिंदी ब्लोग्स पर पाठकों को भेजने में कोई भी ब्लोगवाणी जितना सक्षम है या हो पाएगा तो गलत है । और हर नए प्रयास को लट्ठ दिखाते रहे सब इसी तरह तो वो समय दूर नहीं जब सब खुद ही लिखेंगे और खुद ही पढेंगे ।

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  33. Suresh Chiplunkar जी आप ने कुछ भी साबित नहीं क्या है आप गलत हो आप ने ये क्यों कहा क्योंकि भारत के लोग "इतने हरामखोर" हैं क्या आप भारतीय नहीं हो
    आप ने मेरा नाम "जेहादी गैंग" के साथ कैसे जोड़ दिया ! आप मेरे ब्लॉग पर देखिये मेरे कमेंट्स पढये कोई भी कही भी कुछ ऐसा लिखा हो जिससे आप मेरा नाम
    "जेहादी गैंग" के साथ जोड़ सके तो तो बताइए ! या फिर सारे मुस्लिम को आप "जेहादी गैंग" समझते है क्या यही सच्ची भारतीयता है आप के लिए !
    एक सच्चे नागरिक के दिल को उसकी देशभक्ति को ठेस पहुचना !

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  34. ज़रूरत आविष्कार की जननी कहलाती है , हमारी वाणी इसी ज़रुरत की कोख से जन्मी है . उम्मीद है कि यह ब्लोग्वानी से बेहतर साबित होगी . हमारा हाथ इसके साथ है . दुआ भी करते हैं . मालिक सबके लिए इसे "शुभ" बनाये .

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  35. आच्छा लगा ये सुनकर कोई तो है हमारी बात सुनने के लिए बरना अब हम तो आधोरे ही रहे जाते
    मुबारक हो आपको यह दुनिया 'हमारी वाणी'और हम सबको भी ....सूचना देने का शुक्रिया..
    मेरी तरफ से आपको शुभ कामनाये..

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  36. सब बातें छोड कर 'हमारीवाणी'का स्वागत करें

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  37. @सुज्ञ - सब छोडकर कैसे 'हमारीवाणी' का स्‍वागत करूं, जब तक मेरा ब्‍लाग islaminhindi.blogspot.com इस पर add नहीं होगा मैं स्‍वागत नहीं करूंगा, ब्‍लागवाणी ने 10 महीने लगाये थे add करने में यह बतायें कितना समय लगेगा, मैं प्रतीक्षा कर सकता हूं

    again:
    'हमारीवाणी' पर मेरा ब्‍लाग add नहीं हो रहा है, कृपया 'हमारीवाणी' जवाब दे

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