लो चुटकियों में कश्मीर मुद्दे का हल...खुशदीप
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शुक्रवार, मार्च 19, 2010
भारत भलमनसाहत दिखाते हुए जब भी पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, पाकिस्तान किसी न किसी बहाने कश्मीर को बीच में ले आता है...63 साल से यही कहानी चली आ रही है...दोनों देशों के बीच 176 बार बातचीत हो चुकी है...लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात...
लेकिन जिस मुद्दे को बड़े बड़े तीसमारखां नहीं सुलझा सके, उसे एक समझदार राजनयिक ने कैसे चुटकियों में सुलझा दिया...आप खुद ही पढ़िए...
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक चल रही थी...भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों को भी बैठक को संबोधित करना था...पहले भारतीय प्रतिनिधि ने बोलना शुरू किया...
मैं अपने देश का नज़रिया रखने से पहले ऋषि कश्यप का ज़िक्र करना चाहूंगा...वही ऋषि कश्यप जिनके नाम पर कश्मीर का नाम पड़ा...ऋषि कश्यप ने एक चट्टान पर तीर मारा तो वहां से निर्मल जल का झरना फूट पड़ा...दूध की तरह जल देखकर ऋषि महाराज का नहाने का मन कर आया....उन्होंने चट्टान पर कपड़े उतार कर रखे और झरने में कूद गए...स्नान से अच्छी तरह तृप्त होने के बाद ऋषि बाहर आए, तो ये क्या...उनके कपड़े ही गायब...दरअसल एक पाकिस्तानी ने उनके कपड़े चुरा लिए थे...
भारतीय प्रतिनिधि के मुंह से जैसे ही पाकिस्तान का नाम सुना, आदत के मुताबिक पाकिस्तानी प्रतिनिधि टोकने के लिए झट अपनी सीट से खड़ा हो गया और फुंकारते हुए बोला....
ये क्या बेहूदा झूठे आरोप लगा रहे हैं आप...वहां पाकिस्तानी कहां से आ गए...
भारतीय प्रतिनिधि ने मुस्कुराते हुए कहा....
यही तो मैं अपने काबिल दोस्त को समझाना चाहता हूं...पाकिस्तान कश्मीर में कहां से आ गया...लेकिन न तो ये समझने को तैयार हैं और न ही पिछले छह दशक से इनकी हुकूमत...
भारतीय प्रतिनिधि की बात सुनकर संयुक्त राष्ट्र के बाकी सभी सदस्य मु्स्कुराने लगे और पाकिस्तानी प्रतिनिधि को मायूस होकर अपनी सीट पर बैठना पड़ा...
हो गया कश्मीर का हल...लेकिन ये क्या इतना अच्छा सपना देखते हुए मेरी नींद क्यों खुल गई....
चलिए जाने दीजिए फिलहाल तो कश्मीर पर मेरा पसंदीदा गीत सुनिए....
स्लॉग गीत
कितनी खूबसूरत ये तस्वीर है,
ये कश्मीर है, ये कश्मीर है....
फिल्म....बेमिसाल 1982
अगर हमारी सरकार की इच्छा शक्ति हो तो यह काशमीर समस्या दो दिन मै सुलझ जाये... लेकिन फ़िर उन्हे अपनी सीट ओर वोट की फ़िक्र पड जाती है
जवाब देंहटाएंलेकिन आप ने यह समस्या तो पलो मै सुलझा दी तुसी ग्रेट हो जी
इतना सरल हल और नाहक परेशान हुए ६३ साल से..हूंह्ह!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत सपना.... एक अंगरेजी की क़ोट लिखना चाहूंगा.... Carl Sandburg ने कहा था:
जवाब देंहटाएं"Nothing happens unless first we dream."
आपका पसंदीदा गीत.... सोने पर सुहागा
हम तो दुआ करते हैं आपका सपना सच हो.....
जय हिंद
आज कल आप सपना बहुत देख रहे हैं...
जवाब देंहटाएंजानते तो हैं....
'सपना कभी न अपना'...हाँ नहीं तो..!!
हा हा हा हा
लेकिन हम यही दुआ करेंगे कि आपका ये सपना ज़रूर सच हो ही जाए....
वैसे ये समस्या लालू जी भी सुलझा चुके हैं....कश्मीर के साथ बिहार फ्री देकर ....:):)
मैं सोकर उठा और फिर सपना!..... नहाने जाता हूँ बस पकड़नी है।
जवाब देंहटाएंek dost ne bahut pahle suanaya tha ye.. lekin sunkar bhi itna maza nahin aaya jitna aapke likhe hue ko padh kar aaya.
जवाब देंहटाएंaapke kahne ka tareeka hi aapko auron se juda banata hai bhaia. :)
nice
जवाब देंहटाएंलगता है राजनीति ज्वाईन करने का मन बना रहे है. समस्याएं चुटकियों में सुलझाने लगे हैं
जवाब देंहटाएंमुझे तो अनिल कपूर की वो फिल्म याद आ गयी क्या नाम था उसका???? बस नाम नही याद आ रहा जल्दी मे --- काश कि ये सपना सच हो जाये। आशीर्वाद । देखो फिर कब मिलते हैं
जवाब देंहटाएंआपका सपना सच हो सकता है जब ऐसा कोई चतुर राजनयिक हमारे यहाँ हो। अब आपको क्या कहें हमारे राजनेता तो हुकुम के गुलाम है उनकी सारी चतुराई तो जी-हजूरी में ही चले जाती है। इसलिए ही तो हमारे सैनिक युद्ध में जीतते हैं और ये राजनयिक टेबल पर हार जाते हैं। बढिया और रोचक जानकारी।
जवाब देंहटाएंbahut accha sapna..........
जवाब देंहटाएंjaankaree bhee acchee lagee mujhe nahee pata tha ki Kashmir naam kis par hai .
रोचक आलेख. वैसे मैं भाटिया जी से पूर्णत सहमत हूँ. कमी केवल इच्छा शक्ति की है.
जवाब देंहटाएंअब समझ आई बात हमारी खोपडी में.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आपको भी लगता है भेजना पड़ेगा राजनीति में।बैक डोर एण्ट्री ही ठीक रहेगी मेरे ख्याल से जैसे पहले अपने भाई लोग गये हैं।वैसे वे लोग भी तो रिटायर नही हो रहे हैं खैर देखते हैं और क्या किया जा सकता है इस मामले में आपकी तरह खूबसूरत सपना देखने के अलावा।बहुत बढिया लिखा मज़ा आ गया,खुशदीप भाई इसिलिये तो कहता हुं आप डिफ़रेंट हो सास की तरह नही भई ओरिजनली।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत सपना
जवाब देंहटाएंमैनें भी एकबार ऐसा ही सपना देखा था जी उसमें
काश्मीर पाकिस्तान को दे दिया गया था, बढिया ये रहा कि साथ में पूरे भारत के सभी मुस्लमानों को भी पाकिस्तान जाना पडा था।
प्रणाम
सपना तो सभी देख रहे हैं मगर पूरा ही नही हो पा रहा सब राजनीति है ।
जवाब देंहटाएंअंतर सोहिल भाई,
जवाब देंहटाएंआप जिस सपने का ज़िक्र कर रहे हैं क्या उसमें एपीजे अब्दुल कलाम, कैप्टन अब्दुल हमीद, दिलीप कुमार, शाहरूख़ खान, आमिर ख़ान, सलमान ख़ान, ज़हीर ख़ान, इरफ़ान पठान, यूसुफ़ पठान, सानिया मिर्ज़ा, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, मोहम्मद रफ़ी, नौशाद, जावेद अख्तर, कैफ़ी आज़मी, शबाना आज़मी, कार्टूनिस्ट इरफ़ान, ब्लॉगर महफूज़ अली, सरवत भाई, शहरोज़ आदि आदि को भी देखा था...ये उतने ही भारतीय है जितने कि हम...शायद हमसे भी ज़्यादा...पाकिस्तान का जहां उल्लेख हो वहां साथ मुसलमानों का ज़िक्र करना गलत ही नहीं बल्कि सच्चे भारतीय मुसलमानों के दिल पर चोट पहुंचाने वाला भी है...आगे आप समझदार हैं...
जय हिंद...
ओह् ये सपना था .......देखिये ये सपना कब हकीकत होता है
जवाब देंहटाएंकाश ये सपना सच होता!
जवाब देंहटाएंchalen सपना से हकीकत ki or.
जवाब देंहटाएंभाई वाह ! आनंद आ गया ..
जवाब देंहटाएंमज़ेदार सपना
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
एक पान वाले ने अपनी दुकान के बाहर बोर्ड लिखवा रखा था कि ..."कश्मीर समस्या का हल होने तक उधार बंद है"...
जवाब देंहटाएंशायद वो बेचारा भी जानता था कि हमारे यहाँ की और उनके यहाँ की अफसरशाही के चलते और हमारे-उनके नेताओं की दृढ इच्छाशक्ति के बिना इस समस्या का हल होना नामुमकिन है
बहुत ही बढ़िया पोस्ट
लीजिये... आप कों तो कब से खोज रहे थे. सपने देखते रहिये और समस्यांए सुलझाते रहिये
जवाब देंहटाएं63 साल मे 176 बार बातचीत ,,तो एक साल मे कितनी बार 176/63 = 2.7936507937...भई या तो 2 बार होती या 3 बार ? अब अधूरी तो रहेगी ही ना ?
जवाब देंहटाएंसाहिल जी से मेरा भी विरोध है....कलाम कहां से खास मुसलमान हो गये.....भारतीय हैं असली.... हर मां कलाम पैदा कर दे..तो भारत जगत गुरु बस बन ही जाएगा.....पर देश की आबादी कम नहीं खत्म हो जाएगी....हे भगवान कुछ करो
जवाब देंहटाएंbahut accha sapna..........
जवाब देंहटाएंjaankaree bhee acchee lagee mujhe nahee pata tha ki Kashmir naam kis par hai .