ऑल टाइम बेस्ट एक्टर कौन....खुशदीप

आपका सबसे पसंदीदा अदाकार या अदाकारा कौन है...दिलीप कुमार या मधुबाला....शाहरुख ख़ान या काजोल...या फिर कोई और...आज मैं आपको बताने जा रहा हूं कि भारत के वो कौन-कौन से अदाकार-अदाकारा हैं जिन्हें एशिया के 25 ऑल टाइम ग्रेट की फेहरिस्त में जगह मिली है...इस फेहरिस्त को खास मौके के लिए तैयार किया है इंटरनेशनल न्यूज़ की दुनिया में सबसे बड़े नाम सीएनएन ने...7 मार्च को न्यूयॉर्क में ऑस्कर अवार्ड समारोह होना है...उससे पहले जारी की गई एशिया के बेहतरीन कलाकारों की सर्वकालिक सूची में पांच नगीने भारत के हैं...गुरुदत्त, प्राण, नर्गिस, मीना कुमारी और अमिताभ बच्चन...एशिया के किसी भी देश से ये सबसे ज़्यादा कलाकार हैं...इसके बाद चीन से तीन अदाकारों को सूची में शुमार किया गया है...पाकिस्तान से मोहम्मद अली और जेबा बख्तियार को जगह मिली है...दिलचस्प बात ये है कि मोहम्मद अली (क्लर्क) और जेबा बख्तियार (हिना) दोनों ही बॉलीवुड में भी काम कर चुके हैं...जापान, कंबोडिया, सिंगापुर, थाईलैंड मलयेशिया और कोरिया से भी कुछ अदाकारों के नाम इस फेहरिस्त में है...लेकिन यहां बात सिर्फ़ भारत के पांच अनमोल रत्नों की...



नर्गिस दत्त


असल नाम- फ़ातिमा रशीद


जन्म- 1 जून 1929


निधन- 3 मई 1981


करियर- 1942-1967





सीएनएन ने ऑल टाइम बेस्ट की फेहरिस्त में नर्गिस को शामिल करते हुए लिखा है कि उनकी जैसी अदाकारी की रेंज सिनेमा के इतिहास में कम ही मिलती है...उन्हें परदे पर देखना हमेशा हवा के ताज़ा झोंके की तरह लगता था...निर्माता-निर्देशक महबूब ख़ान ने जिस तरह नर्गिस को मदर इंडिया में राधा के किरदार में पेश किया, वो खुद ही इतिहास बन गया...मदर इंडिया न सिर्फ ऑस्कर के लिए नामिनेट हुई बल्कि इस फिल्म की तुलना विश्व सिनेमा में कालजयी फिल्म गॉन विद द विंड से की गई...ये नर्गिस की फिल्म में बेमिसाल अदाकारी ही थी कि 53 साल बाद भी मदर इंडिया को ऑस्कर समारोह से पहले याद किया जा रहा है....



मीना कुमारी


असल नाम- महज़बीन बानो


जन्म- 1 अगस्त 1932


निधन- 31 मार्च 1972


करियर- 1939-1972







मीना कुमारी...ट्रेजिडी क्वीन...इसी नाम के साथ मीना कुमारी को याद किया है सीएनएन ने...1962 में आई साहिब, बीवी और गुलाम में नशे में डूबी पत्नी के किरदार ने मीना कुमारी को एशिया के 25 ऑलटाइम बेस्ट कलाकारों की फेहरिस्त में शामिल करा दिया...सर्वे में खास तौर पर ज़िक्र किया गया है कि फिल्म में निभाया गया मीना कुमारी का किरदार असल ज़िंदगी में भी काफ़ी कुछ उनसे मेल खाता था...रिश्ते टूटने के दर्द को शराब में डूब कर भुलाने की कोशिश...मीना कुमारी ने जिस अहसास के साथ इस किरदार को जिया वो 48 साल बाद आज भी महसूस किया जा सकता है...मीना कुमारी बेशक अब इस दुनिया में नहीं है....



प्राण


असल नाम- प्राण कृष्ण सिकंद


जन्म- 12 फरवरी 1920


करियर- 1940-2003 (रिटायर्ड)







नाम के मुताबिक ही किरदार में जान डालने वाले प्राण ने छह दशक से भी लंबे करियर में तीन सौ से ज़्यादा फिल्मों में काम किया...2003 में खुद ही अभिनय को अलविदा कह देने वाले प्राण को सीएनएन ने ऐसा अदाकार बताया है जो विलेन बनता था तो आंखों से ही इतनी क्रूरता टपकाता था कि देखने वालों के दिल दहल जाते थे....लेकिन यही प्राण जब चरित्र अभिनेता बन कर मनोज कुमार की फिल्म में मलंग बाबा का रोल करते हैं तो दर्शक जार जार रो उठे...ये इत्तेफ़ाक ही है कि सीएनएन की फेहरिस्त में प्राण के साथ एक नाम अमिताभ बच्चन का भी है...अगर प्राण न होते तो अमिताभ बच्चन वो न होते जो आज हैं...दरअसल प्रकाश मेहरा को ज़जीर में इंस्पेक्टर विजय के किरदार के लिए एंग्री यंगमैन की तलाश थी...धर्मेंद्र, देवानंद, राजकुमार सभी इस रोल को ठुकरा चुके थे...तभी प्राण ने प्रकाश मेहरा से कहा...एक फिल्म लगी है बॉम्बे टू गोवा...उसमें अमिताभ का एक सीन देखकर आओ...उस सीन में शत्रुघ्न सिन्हा अमिताभ को मुक्का मारते हैं...अमिताभ मुक्का खाने के बाद च्युइंग गम खाते हुए ज़मीन से जिस तरह उठते हैं, प्राण को उसी सीन से पता चल गया था कि अमिताभ के अंदर कैसी आग है...प्रकाश मेहरा ने अमिताभ को साइन किया और इतिहास बन गया...ये खुद ही बताता है कि प्राण खुद ही अभिनय की खान ही नहीं रहे बल्कि अदाकारी के नगीने पहचानने वाले जौहरी भी रहे हैं...



अमिताभ बच्चन


असल नाम- अमिताभ हरिवंश श्रीवास्तव


जन्म- 11 अक्टूबर 1942


करियर- 1969 से जारी






फेहरिस्त में अमिताभ बच्चन ही इकलौता नाम है जो भारतीय सिनेमा के आकाश पर आज भी उसी शिद्दत के साथ चमक रहा है जैसा कि 1973 में जंज़ीर में इस्पेक्टर विजय के किरदार में बिजली की तरह कौंधा था....सत्तर के दशक का एंग्री यंगमैन अस्सी का दशक आते-आते वन मैन इंडस्ट्री बन चुका था...67 साल की उम्र में अमिताभ आज भी काम में वैसे ही व्यस्त हैं जैसे कि अपने उत्कर्ष पर हुआ करते थे...41 साल इंड्रस्ट्री में बिता देने के बाद भी अमिताभ का सुपरस्टार का दर्जा कायम है...और शायद यही है वो पहलू जो अमिताभ को और कलाकारों से अलग कर देता है...



गुरुदत्त


असल नाम- वसंत कुमार पादुकोण


जन्म- 9 जुलाई 1925


निधन- 10 अक्टूबर 1964


करियर- 1944-1964






गुरुदत्त...वो नाम जो भारतीय सिनेमा के गोल्डन युग की सबसे बड़ी पहचान है...सीएनएन ने गुरुदत्त की तुलना विश्व सिनेमा के शिखरों में से एक ओरसन वेल्स से की है...प्यासा (1957) में वजूद के लिए जद्दोजहद करते शायर के गुरुदत्त के किरदार को अल्टीमेट माना गया है...फेहरिस्त में प्यासा के साथ गुरुदत्त की एक और फिल्म कागज़ के फूल का भी जिक्र किया गया है...गुरुदत्त को इस दुनिया को अलविदा कहे बेशक 46  साल हो गए लेकिन विश्व में जहां कहीं भी भारतीय सिनेमा की बात आती है तो पहला नाम गुरुदत्त का ही जेहन में आता है...

आखिर में इस महान कलाकार को आइए प्यासा के उन्ही के एक गीत से याद करते हैं...


ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है...

एक टिप्पणी भेजें

20 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
  1. Meri all time best 'ada'kaara :

    1. Meena Kumaari
    2. Meena Kumaari
    3. Meena Kumaari
    4. Meena Kumaari
    5. Meena Kumaari
    6. Meena Kumaari
    Last ..Meena Kumaari

    ab aur kaa saboot devein...han ek aur hai ..jo ham sang sang liye firte hain..haan nahi to...!

    जवाब देंहटाएं
  2. ....सभी एक से बढकर एक हैं ....हर एक का अपना-अपना स्टाईल ....वैसे दिल और दिमाग की आपस मे तुलना करना उचित नहीं है वो इसलिये दिल का अपना अलग काम है और दिमाग का अपना अलग ... ठीक इसी तरह ये सभी कलाकार अलग-अलग फ़न के उस्ताद रहे हैं..... सच तो यही है ये सभी के सभी "आल टाईम बेस्ट" हैं!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. हमें तो तुलना बेमानी लगती है। फिर भी प्राण रुचते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  4. महान कलाकारों के विषय में बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने खुशदीप जी!

    जवाब देंहटाएं
  5. जान्कारी के लिये धन्यवाद, वैसे हमारे आदर्श तो ताऊ प्राण साहब हैं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  6. यह समाचार आज के समाचार पत्र में भी है लेकिन आपने विस्‍तृत जानकारी दी, इसके लिए आभार। गाना सुनकर तो आनन्‍द ही आ गया। मन कर रहा था कि बार-बार सुनते ही रहें।

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी रिसर्च, बेहतरीन जानकारी खुशदीप बाबू, शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  8. इन पाँचों नाम पर तो किसी को आपत्ति हो ही नहीं सकती...पाँचों नाम एक से बढ़कर एक...अपने फन में माहिर...गुरुदत्त के असली नाम की जानकारी के लिए शुक्रिया....पर बड़ा बोरिंग नाम था..अच्छा किया बदल लिया,उन्होंने :)

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर
    मेरि पसंद
    नर्गिस दत्त
    मीना कुमारी
    प्राण कृष्ण सिकंद
    गुरुदत्त

    जवाब देंहटाएं
  10. अपने को तो सारे पसंद हैं. किरदार में जो अभिनेता या अभिनेत्री जान डाल दे और उस किरदार को अपनी पहचान से रंग दे और सदियों तक लोग कहें ---- यह रोल तो इन्ही के लिए था खास

    जवाब देंहटाएं
  11. nice.
    ha ha ha ha.
    khushdeep bhai apan to dharamendra ke fan rahe hai.

    जवाब देंहटाएं
  12. .
    .
    .
    इन पाँच में से केवल एक नाम मेरे मन का है और वह हैं गुरूदत्त...
    समझ नहीं आता कि राज कपूर कैसे इस तरह की किसी लिस्ट से बाहर रह जाते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  13. गुरुदत्त केवल एक कलाकार ही नहीं थे वे एक ऐसे इंसान थे जो इस दुनिया को बेहतर देखना चाहते थे और जब यह दुनिया उनकी सोच के अनुसार नही बन सकी तो उनके पास तीन विकल्प थे या तो वे आउटसाइडर बन जाते या इस दुनिया के रंग ढंग मे शामिल हो जाते या आत्महंता दर्शन अपना कर इस दुनिया को अलविदा कह जाते । अफसोस उन्होने तीसरा रास्ता चुना और हम एक अच्छा कलाकार खो बैठे ।
    यह स्थितियाँ हर लेखक कलाकार और रचनाकार के साथ आती है ।

    भविष्य में ब्लॉगर के साथ भी आनेवाली है ..?

    जवाब देंहटाएं
  14. Sharad ji,
    aap ne sahi bhavishywaani ki hai..Gurudutt ji ke teesre raaste ka khayal to aaj hi mere man mein bhi aaya tha...itni galeez jo dekh li gayi ekdam se..

    जवाब देंहटाएं
  15. अदा जी,
    आपको दिल तोड़ने वाली बात नहीं करनी, बल्कि ज़माने में दिलों को तोड़ने वालों को सही रास्ते पर लाना है...

    एक बार भी नहीं सोचा, ऐसी बेमुरव्वत बात लिखते हुए अपने चाहने वालों के बारे में...

    क्यों सुन रहे हो न महफूज़ मियां...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं