समारोह में किसी का सम्मान हो गया है,
क्या आदमी वाकई इनसान हो गया है...
सिर पर पत्थर उठाता है बबुआ,
क्या बचपन सच में जवान हो गया है...
क्या आदमी वाकई इनसान हो गया है...
बूढ़े बाप का ख़ून जलाता है बेटा,
क्या सही में लायक संतान हो गया है...
क्या आदमी वाकई इनसान हो गया है...
नारी है आज इस देश की राष्ट्रपति,
क्या चंपा का घर में बंद अपमान हो गया है...
क्या आदमी वाकई इनसान हो गया है...
आज़मगढ़ में पंचर लगाता है जमाल,
क्या किस्मत का शाहरुख़ ख़ान हो गया है....
क्या आदमी वाकई इनसान हो गया है...
समारोह में किसी का सम्मान हो गया है...
जमाल,क्या किस्मत का शाहरुख़ ख़ान हो गया है....
mast..
जवाब देंहटाएंअरे क्या बात है खुशदीप जी
जवाब देंहटाएंकविता की ओर भी रुझान हो गया ..!!!
ज़बरदस्त..
ये इश्टाईल भी जमा गुरूजी।आज ही राष्ट्रपति महोदय के घर के सामने से निकले,इस इलाके मे क्या बिजली पानी सब आम आदमी के हो गये?
जवाब देंहटाएंक्या बात है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
एकदम नई स्टाइल पर मिशन वहीं समाज का आईना प्रस्तुत करता आपका यह पोस्ट.....इंसान बनना बहुत कठिन है...बिल्कुल सच कहा आपने..
जवाब देंहटाएंकाहे का इंसान सीधे सीधे शैतान कहिये न
जवाब देंहटाएंसभी प्रश्न सार्थक और अनुत्तरित रहने वाली श्रेणी के हैं, कौन दे पायेगा भला इनका जबाब. उम्दा रचना.
जवाब देंहटाएंक्या आदमी वाकई इनसान हो गया है.....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब्!! एकदम आईना दिखाती रचना......
बहुत खुब खुश दीप जी, बहुत अच्छी कविता कही , बहुत से सवाल छोड रही है. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवाहा वाहा भाई जी... कविता क्या बनाई...
जवाब देंहटाएंजय हिंद... जय बुंदेलखंड...
आपकी मान्यता पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
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जवाब देंहटाएंग़ज़्ज़ब, आज माड्डाला पापड़ वाले को
आदमी इनसेन हो गया है, कोई शक ?
क्या आदमी इंसान हो गया है ?
जवाब देंहटाएंनहीं जी वो तो भगवान भी हो चला है...
बहुत बढ़िया कविता...
वाह ...क्या आदमी इंसान हो गया है ...
जवाब देंहटाएंनारी राष्ट्रपति बन गयी ...क्या चंपा का बंद अपमान हो गया है ...
बहुत बढ़िया ....!!
तो आप को भी हवा लग गई :)
जवाब देंहटाएंलोग टेप से नापेंगे
हाव भाव ताव देखेंगे
ठहर कर उफ करेंगे -
ये ऐसे होता
वो वैसा होता
हम तुक्कड़ों की बात सुनेंगे?
समझेंगे ? - जरूर समझेंगे
लेकिन
फिर उफ करेंगे
चल देंगे।
"सिर पर पत्थर उठाता है बबुआ,
जवाब देंहटाएंक्या बचपन सच में जवान हो गया है..."
या भूख और गरीबी ने असमय ही बचपन को जवानी पर ला पटका है?
भैया ....आपको कविता लिखते देख बहुत अच्छा लगा..... यह जानकर बहुत ख़ुशी हुई कि आप भी हर विधा में पारंगत हैं..... बहुत अच्छी लगी यह कविता.....दिल को छू गई....
जवाब देंहटाएंमाय भैया ईज़ ग्रेट ......
जय हिंद....
मैं कहीं कवि न बन जाऊं ---
जवाब देंहटाएंयार सच बताओ, कल किस से मिले थे।
ओवर नाईट कवि बन गए !
बहुत मस्त लिखा है भाई।
khushdeep ji
जवाब देंहटाएंkya baat kahi hai........hats off.
गिरिजेश राव भाई,
जवाब देंहटाएंये कौन सी गुगली दाग़ी है...न डिफेंड करते बन रहा है, न स्ट्रोक खेलते...आपने वर्तनी सुधारो अभियान छेड़ रखा है, क्या बंदे से कोई गुस्ताख़ी हो गई है...नंबर ग्यारह बैट्समैन हूं, इसलिए गूगली, दूसरा, चाइनामैन, ऑफ ब्रेक, लेग ब्रेक जैसी फिरकी की बारीकियों को कम समझता हूं...सीखने के लिए किसी स्पिन के महारथी का पता बताइए न...
जय हिंद...
bahut khoob .
जवाब देंहटाएंसमाज की विसंगतियों को दर्शाती बहुत ही सुन्दर कविता...
जवाब देंहटाएंनारी राष्ट्रपति बन गयी .क्या चंपा का बंद अपमान हो गया है/ वाकई बात तो आपकी सही है लाजवाब, चिन्तन परक कविता लिख डाली बधाई ,शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग यहाँ ब्लॉगवुड जोड़ दिया गया है शायद आपको जानकार खुशी हो। शायद न भी हो।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya, ekdam naya andaaz....jai hind...
जवाब देंहटाएंकुलवंत पापे,
जवाब देंहटाएंआप भी हैप्पी, मैं भी खुश...फिर नाखुशी बीच में कहां से आ गई...आप के पंजाबी नावल के नायक का नाम खुशदीप है...ब्लॉगवुड जितना प्रचारित होगा, मुझे उतनी ही ज़्यादा खुशी होगी...बधाई अभिनव प्रयास के लिए...
जय हिंद...
Very nice !!!
जवाब देंहटाएंबस इंसान बनने की जुगत ........ ढूंढते फिर रहे हम................ !! बहुत बेहतरीन !!
जवाब देंहटाएंबस इंसान बनने की जुगत ........ ढूंढते फिर रहे हम................ !! बहुत बेहतरीन !!
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