एक जर्मन नागरिक ऐसे मंदिर में गया जहां निर्माण कार्य अभी चल रहा था...वहां उसने देखा कि एक मूर्तिकार बड़ी तन्मयता से भगवान की मूर्ति को अंतिम रूप देने में लगा है...वहीं साथ में ही उसी भगवान की हू-ब-हू एक मूर्ति और रखी थी...जर्मन थोड़ा हैरान हुआ...आखिर उससे अपने को रोका नहीं गया और उसने मूर्तिकार से पूछ ही लिया...क्या मंदिर में एक ही भगवान की दो मूर्तियों की आवश्यकता है...
ये सुनकर मूर्तिकार काम में लगे लगे ही मुस्कुराया...बोला...नहीं बिल्कुल नहीं...एक मंदिर में एक भगवान की एक ही मूर्ति होती है...लेकिन पहले मैंने जो मूर्ति बनाई, वो मुझसे क्षतिग्रस्त हो गई...
जर्मन ने साथ रखी मूर्ति को बड़े गौर से देखा...कहीं क्षतिग्रस्त होने जैसी कोई बात नज़र नहीं आ रही थी...जर्मन ने कहा... मूर्ति तो बिल्कुल सही सलामत नज़र आ रही है...
मूर्तिकार ने काम में ही मगन रहते हुए कहा...मूर्ति की नाक गौर से देखोगे तो वहां बाल जैसी दरार नज़र आएगी...
बड़ी मुश्किल से जर्मन को वो दरार दिखी...
जर्मन ने फिर पूछा... इस मूर्ति को मंदिर में लगाया कहां जाएगा...
मूर्तिकार....बीस फीट ऊंचे स्तंभ पर...
जर्मन....अगर मूर्ति को इतनी ऊंचाई पर लगाना है तो किसे पता चलेगा कि मूर्ति की नाक पर बाल के बराबर छोटी सी दरार है...
मूर्तिकार ने पहली बार नज़र उठाकर जर्मन को देखा और बोला...सिर्फ़ दो को ये पता होगा...मुझे और मेरे भगवान को...
स्लॉग चिंतन
अगर आप अपने काम में माहिर बनने की ठान लें तो ये इस पर कतई निर्भर नहीं करता कि कोई आप की तारीफ़ करता है या नहीं...
किसी काम को साधने की कला आपको अपने अंदर से ही मिलेगी...किसी बाहर वाले की बातों से वो न बढ़ेगी, न घटेगी..
उत्तमता वो गुण नहीं जो दूसरों के नोटिस करने से निखरे...ये खुद पर भरोसे और तसल्ली की बात है...
इसलिए कड़ा परिश्रम करो और अपने-अपने कार्य-क्षेत्र में छा जाओ...
(ई-मेल से अनुवाद)
क्या बात है खूशदीप भईया आज तो आपने दिल खुश कर दिया , सच में हम कुछ भी किसी से भी छिपा लें या चोरी कर लें परन्तु उपर वाला सब देखता है , स्लोग भी लाजवाब लगा ।
जवाब देंहटाएंसफ़लता का मन्त्र
जवाब देंहटाएं"लगे रहो"
याद दिलाने के लिए आभार
खुशदीप भाई आप का ये सन्देश और लिखने का ये अंदाज़ मुझे बहुत पसंद आया !
जवाब देंहटाएंसचमुच प्रेरणादायी !
उत्तमता वो गुण नहीं जो दूसरों के नोटिस करने से निखरे...ये खुद पर भरोसे और तसल्ली की बात है...
जवाब देंहटाएंसही कहा है ये खुद को भरोसा और तसल्ली देने की बात है......दूसरों की नजर वैसे भी कमियां ही ढ़ढती हैं ज्यादातर
दुःख की बात है के आज की पोस्ट में कोई भी छुपा सन्देश नहीं दे पाए आप... :(
जवाब देंहटाएं..
..
ये तो एक उजागर सन्देश है..
बहुत ही स्पष्ट और आज के समय में निहायत ही जरूरी..
आभार भईया
जय हिंद... जय बुंदेलखंड...
इसलिए कड़ा परिश्रम करो और अपने-अपने कार्य-क्षेत्र में छा जाओ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!
आज का चिंतन बहुत ही प्रेरणास्पद है ...
जवाब देंहटाएंमेरे लिए तो बहुत ही ...!!
बहुत प्रेरक प्रसंग और स्लॉग ओवर.
जवाब देंहटाएंजिस बात के लिए दिल आज्ञा न दे वो कभी नहीं करना चाहिए...
जवाब देंहटाएंअंतरात्मा की आवाज़ सबसे सही आवाज़ होती है....इन्सान को हमेशा खुद के साथ ईमानदार होना चाहिए...
क्या खुशदीप जी..अरे कभी तो बेकार पोस्ट लिखा कीजिये.....रोज़ -रोज़ फर्स्ट आकर आप थक नहीं गए हैं क्या ...???
कहिये तो ..हाँ नहीं तो...
चिंतनीय और प्रेरणादायक स्लाँग ओवर
जवाब देंहटाएंवाकई बहुत उपयोगी और प्रेरक. हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वाह आज तबियत प्रसन्न हो गई ...बड़ी अच्छी सीख है.
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंकलाकार की तन्मयता , एकाग्रता , मेहनत और लगन को सलाम।
जवाब देंहटाएंसब के लिए अच्छा सन्देश।
चित्रकथा पर सही लिखा , खुशदीप भाई।
तब दोष सिर्फ एक ही व्यक्ति को पता होगा। जब कलाकार का बोध इस स्तर तक चला जाए तो मैं और मेरा भगवान दो कैसे रह सकते हैं?1
जवाब देंहटाएंस्लॉग ओवर पोस्ट पूरी होते हुए भी उस का पूरक बन गया है।
behtar !!! bahut hi zyada behtar !!!
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रसंग के साथ चिन्तन मनन योग्य स्लाग ओवर बहुत अच्छा लगा धन्यवाद और शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंउत्तमता वो गुण नहीं जो दूसरों के नोटिस करने से निखरे...क्या बात!
जवाब देंहटाएंnice post
जवाब देंहटाएंखुश किया खुशदीप सहगल जी।
जवाब देंहटाएंसबसे ज़रूरी है खुद के प्रति ईमानदार रहना....बहुत प्रेरणादायक पोस्ट...
जवाब देंहटाएंहम अक्सर बहुत सारे कार्य ऐसे ही करते हैं जब कहते हैं कि अरे कर लो कौन देखता है या सब चलता है। लेकिन आपकी आत्मा देखती है और हमेशा ही धिक्कारती भी रहती है। बढिया प्रेरक प्रसंग।
जवाब देंहटाएंkhushdeep ji
जवाब देंहटाएंgazab ka prernadayi prasng likha hai.........amazing.
कर्म किये जा फल की ईक्षा मत कर ऐ इंसान .
जवाब देंहटाएंप्रेरणा देती पोस्ट...
सचमुच यदि इन्सान इसे जीवन का मूल मन्त्र मान ले तो कैसी भी परिस्थितियाँ उसके सफलता के मार्ग को अवरोधित नहीं कर सकती....
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने हम खुद ही जानते हैं कि हम कहां गलत हैं और अपनी गलतियों को सुधार कर और कडे परिश्रम से ही हम सफलता पा सकते हैं।
जवाब देंहटाएंसुन्दर पोस्ट के लिये शुक्रिया
प्रणाम स्वीकार करें
IT LOOKS VERY SIMPLE BUT VERY HARD TO FOLLOW BUT ITS REALITY AND FOR SUCCESSFUL LIFE WE ALL SHOULD FOLLOW IT....WE ALL KNOW BUT VERY FEW AMONG US FOLLOW..........ISN'T IT?????
जवाब देंहटाएंभैया ...यह बात तो सही है...हम लाख गलती खुद से व दुनिया से छुपा लें..... लेकिन उस उपरवाले से नहीं छुपा सकते....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी यह पोस्ट...
जय हिंद...
कड़ा परिश्रम करो और अपने-अपने कार्य-क्षेत्र में छा जाओ...सफलता का मूल मंत्र है यहि तो....मन तो दर्पण है, हम अपने अच्छे बुरे कर्मो कि छ्वी खूद अपने मन मे ही तो देख पाते है !
जवाब देंहटाएंआभार
खुशदीप भैया.... यह टिप्पणी मैंने.... ताम्ड़े जी के ब्लॉग पर दी है.... पर उन्होंने छापा नहीं है.... इसलिए यहाँ छाप रहा हूँ.... माफ़ी चाहता हूँ... इसके लिए...
जवाब देंहटाएंभाई.... आप शायद भूल रहे हैं.... मेरे पर्सनालिटी के अलावा मैं एक आम इंसान भी हूँ.... मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा है.... आप नाहक ही नाराज़ हो रहे हैं.... आपने कभी मुझसे ...बात नहीं की....कभी मिले भी नहीं.... कभी देखा भी नहीं.... फिर आप कैसे मेरे बारे में एनालिसिस कर सकते हैं? किशोर जी को मुझसे कोई प्रॉब्लम नहीं है.... फिर यह सब क्यूँ? आपने इतना कुछ लिख दिया..... मैंने कहा कुछ? मुझे ज़रूरत भी नहीं है.... लेकिन अब ज्यादा हो रहा है.... और मेरी ज़बान अगर आपको सुन्नी है तो पॉडकास्ट लगा है.... इस ब्लॉग जगत में तकरीबन सबसे मेरी बात होती है....अगर कोई यह कह देगा कि मैं बदतमीज़ हूँ ,...... तो ब्लॉग्गिंग छोड़ दूंगा... आपसे गुज़ारिश है .... बेईज्ज़ती करने की कोशिश मत करिए.... मैंने बहुत मुश्किल से गुस्सा कंट्रोल करना सीखा है.... आपको मेरे बारे में जानना है तो मेरा प्रोफाइल पढ़िए...ब्लॉग देखिये.... उस पर भी आप पूरे लखनऊ में जान सकते हैं मेरे बारे में.... हाँ! जो मुझे नहीं जानता होगा लखनऊ में तो यह समझ जाईयेगा कि उसका स्टेटस नहीं है कि वो मुझे जाने....
रही बात खूबसूरती की...तो भाई... तो यह मुझे मेरे माता-पिता से मिली है.... मैं ऊपरवाले का शुक्रगुज़ार हूँ.... की मुझे खूबसूरत बनाया.... और इस खूबसूरती को मैंने मेनटेन किया.... खूबसूरत हूँ ....यह तो देख के ही लगता है.... पर क्या यह ऐसा है कि इसे शीर्षक बनाया जाये....? कातिलाना तो हूँ ही .... इसमें भी कोई शक नहीं है... पर आप यह सब क्यूँ कर रहे हैं....? मैंने ऐसा क्या कर दिया है.... यह बताइए... यहाँ तो लोग ऐसी ऐसी गालियाँ देते हैं ... कि वो मैं सोच भी नहीं सकता.... उनको बोलिए.... साला...कुत्ता... बहुत कॉमन है.... और जो लड़का ....गाली नहीं देता ...तो वो डाउटफुल कैरेक्टर है.... तो भाई आप मुझे लड़का ही रहने दें.... आप मेरे बोलने पर अंकुश नहीं लगा सकते.... हाँ! अगर मैं बदतमीजी कर रहा हूँ ..... तो मेरे बड़े हैं यहाँ हैं मुझे समझाने वाले.... आपको पहले मुझसे बात करनी चाहिए थी... फिर कुछ लिखना चाहिए था... लखनऊ की पूरी तहजीब है मेरे पास.... यह जो मुझसे बात करते हैं...वो जानते हैं.... और मेरी बात यहाँ तकरीबन सबसे होती है....
क्यूँ यह सब करना... आप अगर सही होते... तो पहले मुझे जानने की कोशिश करते... फिर यह सब लिखते.... मेरी आपसे गुज़ारिश है कि बिना जाने समझे.... अब आप नहीं लिखेंगे... मुझे आपकी उम्र नहीं पता है... फिर भी आपकी इज्ज़त करता हूँ.... प्लीज़ यह सब बंद करिए... मैंने ऐसा भाई.... आप शायद भूल रहे हैं.... मेरे पर्सनालिटी के अलावा मैं एक आम इंसान भी हूँ.... मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा है.... आप नाहक ही नाराज़ हो रहे हैं.... आपने कभी मुझसे ...बात नहीं की....कभी मिले भी नहीं.... कभी देखा भी नहीं.... फिर आप कैसे मेरे बारे में एनालिसिस कर सकते हैं? किशोर जी को मुझसे कोई प्रॉब्लम नहीं है.... फिर यह सब क्यूँ? आपने इतना कुछ लिख दिया..... मैंने कहा कुछ? मुझे ज़रूरत भी नहीं है.... लेकिन अब ज्यादा हो रहा है.... और मेरी ज़बान अगर आपको सुन्नी है तो पॉडकास्ट लगा है.... इस ब्लॉग जगत में तकरीबन सबसे मेरी बात होती है....अगर कोई यह कह देगा कि मैं बदतमीज़ हूँ ,...... तो ब्लॉग्गिंग छोड़ दूंगा... आपसे गुज़ारिश है .... बेईज्ज़ती करने की कोशिश मत करिए.... मैंने बहुत मुश्किल से गुस्सा कंट्रोल करना सीखा है.... आपको मेरे बारे में जानना है तो मेरा प्रोफाइल पढ़िए...ब्लॉग देखिये.... उस पर भी आप पूरे लखनऊ में जान सकते हैं मेरे बारे में.... हाँ! जो मुझे नहीं जानता होगा लखनऊ में तो यह समझ जाईयेगा कि उसका स्टेटस नहीं है कि वो मुझे जाने....
रही बात खूबसूरती की...तो भाई... तो यह मुझे मेरे माता-पिता से मिली है.... मैं ऊपरवाले का शुक्रगुज़ार हूँ.... की मुझे खूबसूरत बनाया.... और इस खूबसूरती को मैंने मेनटेन किया.... खूबसूरत हूँ ....यह तो देख के ही लगता है.... पर क्या यह ऐसा है कि इसे शीर्षक बनाया जाये....? कातिलाना तो हूँ ही .... इसमें भी कोई शक नहीं है... पर आप यह सब क्यूँ कर रहे हैं....? मैंने ऐसा क्या कर दिया है.... यह बताइए... यहाँ तो लोग ऐसी ऐसी गालियाँ देते हैं ... कि वो मैं सोच भी नहीं सकता.... उनको बोलिए.... साला...कुत्ता... बहुत कॉमन है.... और जो लड़का ....गाली नहीं देता ...तो वो डाउटफुल कैरेक्टर है.... तो भाई आप मुझे लड़का ही रहने दें.... आप मेरे बोलने पर अंकुश नहीं लगा सकते.... हाँ! अगर मैं बदतमीजी कर रहा हूँ ..... तो मेरे बड़े हैं यहाँ हैं मुझे समझाने वाले.... आपको पहले मुझसे बात करनी चाहिए थी... फिर कुछ लिखना चाहिए था... लखनऊ की पूरी तहजीब है मेरे पास.... यह जो मुझसे बात करते हैं...वो जानते हैं.... और मेरी बात यहाँ तकरीबन सबसे होती है....
जवाब देंहटाएंक्यूँ यह सब करना... आप अगर सही होते... तो पहले मुझे जानने की कोशिश करते... फिर यह सब लिखते.... मेरी आपसे गुज़ारिश है कि बिना जाने समझे.... अब आप नहीं लिखेंगे... मुझे आपकी उम्र नहीं पता है... फिर भी आपकी इज्ज़त करता हूँ.... प्लीज़ यह सब बंद करिए... मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है कि सबसे घूम घूम कर माफ़ी मांगू... और आप चूंकि मेरे बारे में नहीं जानते हैं...इसलिए आपने ऐसा कह दिया है.... मैं अगर किसी से माफ़ी मांग रहा हूँ...तो यह बहुत बड़ी बात है... पर कोई रीज़न तो हो....
बहुत बढ़िया लगा! कमाल का लिखा है आपने! शानदार!
जवाब देंहटाएंखुश दीप भाई आप ने तो बहुत ही सुंदर बात लिख दी, ऎसी बाते तो मेरे पिता जी मुझे आज तक समझाते थे, आप का धन्यवाद, ओर छा जाने वाली बात भी बहुत अच्छी लगी फ़िर से धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंनीचे आ रहा था तो तामरे सहब ओर महफ़ुज भाई की टिपण्णी पढी, ताम्रे साहब लगता है आप को कोई बात महफ़ुज की चुभ गई, अजी यह तो हम सब के लिये एक शरारती बच्चा है लेकिन बहुत स्याना भी, फ़िर हमे जब ब्लांगिग मै रहना है तो एक दुसरे की बाते सह लेनी चाहिये, प्यार का महोल बना रहता है, अगर किसी की कोई बात चुभ जाये तो ऎसा मामला मेल से सुलझ जाता है, सब को बताने से क्या लाभ, चलिये अब बात को यही खत्म करे ओर बाकी गलत फ़ेहमी मेल से ओर प्यार से सुलझा ले.
तामड़े जी,
जवाब देंहटाएंपहले तो मेरी गुस्ताख़ी माफ़ कीजिएगा मैं आपको तामरे जी लिख गया था...आपने मेरी टिप्पणी को सही संदर्भ में लिया, उसके लिए आभार प्रकट करता हूं...मैं जानता हूं जब आप सामाजिक और देशहित के मुद्दों पर लिखेंगे तो कमाल लिखेंगे...सिर्फ इसलिए अपने विचार आप तक पहुंचाए...रही बात किशोर अजवाणी और महफूज़ अली की, दोनों बहुत ही सुलझे हुए इनसान हैं...मुझे यकीन है, इन दोनों ने आपस में संवाद कायम कर जो भी गलतफहमी हुई होगी उसे दूर कर लिया होगा...आप ने लखनऊ की तहज़ीब के बारे में जो भी लिखा सच लिखा...लेकिन लखनऊ भी अब पहले वाला लखनऊ नहीं रहा...पिछले दो दशक में जात-पात की राजनीति ने लखनऊ का क्या हाल किया है, सब जानते हैं, इसी लखनऊ कि सरजमीं पर विधानसभा में माइक उखाड़ कर एक दूसरे पर हाथ भांजते माननीय विधायकों को भी हम देख चुके हैं...ऐसे में सिर्फ़ महफूज़ को दोष देना कहां तक उचित है...वैसे एक बात आपको बताऊं महफूज़ की जन्मभूमि लखनऊ नहीं गोरखपुर है...लखनऊ तो महफूज़ की कर्मभूमि है...महफूज़ का ज़िक्र आते ही न जाने क्यों मुझे मदर इंडिया का बिरजू याद आ जाता है...वो बिरजू जो अपनों के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता है...आपने भी महफूज़ को ठीक तरह समझना है तो एक बार मदर इंडिया में बिरजू के उस किरदार को ज़रूर देखिए जो बड़ा होकर सुनील दत्त बनता है...और हां, मैंने अगर कुछ ऐसा लिख दिया हो जिससे आपको कुछ असहजता महसूस हुई तो माफ़ी चाहता हूं...बस इस प्रकरण को यही खत्म कर दीजिएगा...और अब ऐसा कुछ सार्थक लिखिए, जैसा कि हम सब आपसे उम्मीद कर रहे हैं...आपकी पोस्ट के इंतज़ार में...
जय हिंद...