अक्स नंबर 1
महानगर का पांचसितारा होटल...रंगीन जलती बुझती रौशनियों से नहाया समां...चारों ओर फिज़ा में फैली हुई एक से बढ़कर एक विदेशी परफ्यूम की खुशबू...तरह की तरह खुशबू मिलकर नथुनों को चीरती हुई बेहोश कर देने की हद तक पहुंच रही थी...वैसे भी यहां होश में कौन था...रात 11 बजकर 30 मिनट...डीजे का शोर कान फाड़ने वाले डेसीबल्स तक पहुंच गया था...नौजवान जोड़े इस तरह चिपक कर नाच रहे थे कि बीच से हवा को गुज़रने की भी जगह न मिले...उन्मुक्त व्यवहार सार्वजनिक वर्जनाएं तोड़ने की सीमा तक पहुंच चुका है...कपड़े ऐसे कि शरीर ढकता कम दिखता ज़्यादा...जो कपड़े मुश्किल से टिके भी हुए हैं वो भी सरकने को तैयार...जश्न में मौजूद अधेड़ सब कुछ देखते हुए भी नज़रअंदाज कर रहे हैं...तभी स्टेज पर वो पहुंच चुकी है़ जिन्हें इस मौके के लिए खास तौर पर थिरकता देखने को सभी बेचैन थे...बैचेन क्यों न हो हज़ारों खर्च कर सिर्फ एक झलक जो मिलनी थी...जी हां यहां बात बॉलीवुड की एक सेक्सी सुपरस्टार की हो रही थी...जिसे बीस-पच्चीस मिनट तक ठुमके दिखाने के लिए दो करोड़ रुपये में साइन किया गया था...अब बारह बजने में बस 5 मिनट रह गया है...सभी का जोशोखरोश अब चरम पर है...सब इस इंतज़़ार में कि बारह बजते ही न जाने वो कौन सी दुनिया में पहुंच जाएंगे...बारह बजने को हैं...बत्तियां बंद कर दी जाती हैं...हैप्पी न्यू ईयर का हर गले से ऐसे शोर उठता है कि सिवाय हल्ले के कुछ सुनाई नहीं देता...दो-तीन मिनट तक अंधकार रहता है...इस अंधकार में कई सार्वजनिक वर्जनाएं भी टूट गई हो तो कोई बड़ी बात नहीं...बिजली आ जाती है..कई गुब्बारे फूटते हैं...गुलाब की पंखुडियों से फर्श अट जाता है...अब कई शैंपेन एक साथ खुल जाती है...एक दो घंटे तक ज़ोर-ज़ोर से हाथ-पैर मारने का खेल (जिसे हिपहॉप, रैप, सालसा न जाने क्या क्या नाम देकर डांस कहा जाता है) चलता है...इसके बाद सब निढ़ाल होते जा रहे हैं...कुछ ऐसे भी हैं जो मदहोश होकर पैरों पर चलने लायक ही नहीं रह गए हैं...जो खुद गिर रहे है वही दूसरों को सहारा दे-देकर गाड़ियों तक ले जा रहे हैं..घर सही सलामत पहुंच जाएं...वही बड़ी बात है...
अक्स नंबर 2
नोएडा के मशहूर चौराहे के पास फुटपाथ...वक्त रात दो बजे...चाय वाले के खोखे के पास कुछ मज़दूर मुंह तक चादर ओढ़े अलाव सेंक रहे हैं...थोड़ी थोड़ी देर बाद अलाव में गत्ते कागज डालकर आग को न बुझने देने की मशक्कत भी चल रही है...उन्हीं के बीच से एक अधेड़ कहता है ओस में भीगकर मरे ये गत्ते भी जलने का नाम नहीं ले रहे हैं...सर्द हवा ऐसी कि शरीर को अंदर तक चीरे जा रही है...दूसरा हां में हां मिलाते कहता है...अब तो कई बरस की सर्दी झेल झेल कर ये कमबख्त गरम चादर भी सूत हो गई है....भला हो उस रहमदिल सेठ का जिसने कभी दान मे ये चादर दी थी....ये सब चल ही रहा था कि सामने से नागिन की तरह बल खाती एक चमचमाती बड़ी सी कार ज़ोरदार ब्रेक के साथ झटके से रुकती है...कार में फुल वोल्यूम में स्टीरियो चल रहा है और अंदर बैठे लड़के लड़कियों मस्ती में एक दूसरे के ऊपर लुढ़के जा रहे है...तभी एक रईसजादा कार से मुंह निकाल कर अलाव सेंक रहे मज़दूरों से तंज के लहजे में कहता है...विश यू वैरी हैप्पी टू थाउसेंड टेन...कार फिर तेज़ी से बैक कर निकल जाती है...एक कम उम्र का मज़दूर बड़ों से पूछता है...चचा क्या कह रहे थे ये बबुआ...एक बुज़ुर्ग जवाब देता है...कुछ नहीं भैया, सब अमीरों के चोंचले हैं...हम गरीबों के लिए क्या नया और क्या पुराना साल...हमारे लिेए तो हर साल इस वक्त ठंड मुसीबत बन कर आए है...पिछले साल सरकार ने रात को चौराहे पर लकड़ियां जलवाने का इंतज़़ाम करवाया था, इस बार वो भी गायब...
अक्स नंबर तीन
एक मिडिल क्लास फैमिली का लिविंग रूम...घर के सभी लोग बेड और सोफे पर धंसे फ्लैट टीवी स्क्रीन पर नववर्ष के प्रोग्राम देख रहे हैं...बीच-बीच में चाय, कुरकुरे और मुंगफली-गुड़पट्टी के दौर भी चल रहे हैं...रिमोट के ज़रिेए बीच-बीच में चैनल भी बदले जा रहे हैं...साथ ही सब की रनिंग कमेंट्री भी चल रही है...एक चैनल पर गोवा के रिसॉर्ट से नववर्ष का कार्यक्रम लाइव दिखाया जा रहा है...अंगूर खट्टे है की तर्ज पर एक आवाज़ सुनाई देती है...हद हो गई भई बेशर्मी की...कैसे कैसे अश्लील स्टैप्स दिखाए जा रहे हैं...क्या होगा इस देश का...लेकिन यहां भी सिर्फ जुबानी खर्च ही हो रहा है...टीवी को स्विच-ऑफ कोई नहीं कर रहा...घर का एक युवा ख्याली पुलाव बना रहा है कि शायद इस साल अच्छी नौकरी मिल जाए तो अगले नववर्ष पर ज़रूर किसी न्यूईयर पार्टी का टिकट खरीदूंगा...
ये तीन अक्स जो मैंने खींचे...करीब करीब देश के हर बड़े शहर में कल रात देखने को मिले होंगे...अब कुछ कहने का नहीं सोचने का वक्त है...अगले नववर्ष के आने में अभी पूरा एक साल बाकी है...क्या इतने वक्त में हमारी सोच में ऐसा कोई बदलाव आएगा कि हम नए साल के स्वागत को कोई सार्थक आयाम दे सके...अनाथालय, वृद्धाश्रम या ऐसे ही वंचितों-पीड़तों के किसी संस्थान के बाशिंदों के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान ला सकें...विश्वास करिए ये मुस्कान बिपाशा बसु के दो करोड़ रुपये के ठुमके से कहीं ज़्यादा कीमती होगी....
स्लॉग ओवर
एक साल में...
बारह महीने...
365 दिन...
8760 घंटे...
52560 मिनट...
3153600 सेकंड...
सिर्फ आपको ही याद किया...
और सिर्फ दो मिनट लगे इस झूठ को टाइप करने में....
(मज़ाक एक तरफ़....आप सभी को मेरी ओर से नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं...आप से अगली मुलाकात अब 4 जनवरी को होगी...तब तक ब्रेक तो बनता है न बॉस...)
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आज मेरे अंग्रेज़ी ब्लॉग Mr Laughter पर है
हमारे पुरखे रूसी-अमेरिकियों से ज़्यादा आधुनिक थे...
ऐसे सीन सालों साल से बन रहे हैं और बनते रहेंगे, समाज में हर वर्ग के लोग हैं...तो यह तो होगा ही.
जवाब देंहटाएंस्लॉग ओवर बढ़िया.
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
Noida se hi gujarate huye comment kar rahe hain. Yahan koi alaav vaala seen nahi dikha sabere 5 baje. Happy new year.
जवाब देंहटाएंशुक्र है हमारा परिवार, अंतिम पैराग्राफ़ के अनुसार, कहीं एक हल्की सी मुस्कान ला पाता है
जवाब देंहटाएंआपको, आपके परिवार को पाश्चात्य नववर्ष की शुभकामनाएँ
बी एस पाबला
आज कोई भी टेंशन लेने का मूड नहीं है...
जवाब देंहटाएंइसलिए २ करोड़ का रगड़ा बाद में देखेंगे....
और हाँ...बहुत पहले एक गाना बड़ा हिट हुआ था...
झूठ बोले कौवा काटे काले कौवे से डरियो...!!
आज भी ये गाना उतना ही हिट है....
ना जाने कहाँ कहाँ से आ जाते हैं...!!!!
हां नहीं तो...!!
नव वर्ष मंगलमय हो...!!!
समाज के हर तबके का बहुत बढिया विश्लेषण....ये विसंगतियाँ तो हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुकी हैँ...
जवाब देंहटाएंस्लॉग ओवर मज़ेदार रहा
आपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंतीनो अक्स यथार्थ के तीन रूप हैं!
जवाब देंहटाएंपढ़ने के बाद याद आ गयाः
(1)
टुकड़े टुकड़े दिन बीता धज्जी धज्जी रात मिली
जिसका जितना आँचल था उतनी ही सौगात मिली
(2)
सकल पदारथ है जग माही
कर्महीन नर पावत नाही
आपने इस आलेख में यथार्थ को चित्रित किया है .. आपके और आपके परिवार के लिए भी नया वर्ष मंगलमय हो !!
जवाब देंहटाएंएक वर्ष में उच्च वर्ग मध्यम वर्ग निम्न वर्ग के एक जैसे विचार हों यह संभव नहीं है। लेकिन हम सभी को इन बातों को महसूस तो करना ही चाहिए ताकि वर्जनाओं के टूटने या न टूटने के बीच बहस जिंदा रहे।
जवाब देंहटाएं--नववर्ष मंगलमय हो।
निश्चिन्त रहें ...
जवाब देंहटाएंकलियुग के कौवे झूठ बोलने वाले को बिलकुल नहीं काटते
नव वर्ष की बहुत शुभकामनायें ...!!
अपनी अपनी किस्मत से मनाते है नया साल य कहे पुरा साल
जवाब देंहटाएंआपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.
जवाब देंहटाएंसुख आये जन के जीवन मे यत्न विधायक हो
सब के हित मे बन्धु! वर्ष यह मंगलदयक हो.
(अजीत जोगी की कविता के अंश)
वाह !
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा
नव वर्ष अभिनन्दन !
आपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंनए साल के नए दिन में दिमाग को क्या झटका दे डाला जी आपने खुशदीप जी....खुद तो चलते बने ब्रेक लेने यहाँ हमें उलझा दिया...
जवाब देंहटाएं(कृप्या अटल जी के स्टाइल में पढ़े..)
"ये अच्छी बात नही है"
नए साल की शुभकामनाएँ...
बहुत साल पहले एक फ़िल्म देखी थी "गोपी" उस फ़िल्म मै एक गीत था, कभी ध्यान से सुने... हे सिये.... राम चंद्र कह गये,
जवाब देंहटाएंआप को ओर आप के परिवार को नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाए
अरे! चौथा सीन तो छोड़ ही दिये जिसमें हम है...... रोज़ की तरह चादर तान के सो रहे हैं :)
जवाब देंहटाएंहकीकत तो यही है....
जवाब देंहटाएंलेकिन
सच पूछो तो हम सब
इस से बच कर
निकलना चाह रहे हैं.....
इसी लिए
हैप्पी न्यू ईयर गा रहे हैं।
बहुत सुन्दर पोस्ट है। इसे पढ़ कर कुछ पंक्तियां रची गई...। नया साल मुबारक हो।
ये तीन अक्स जो मैंने खींचे...
जवाब देंहटाएंज़नाब ये नहीं बताया की ये तीनो फोटोज भी आपने ही खीचे या नहीं। खैर ,नसीब अपना पाना। वैसे बात विचारणीय है।
बहुत खूब। सार्थक लेख । आपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष मंगलमय हो।
नव वर्ष मंगलमय हो...
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई, तुमको पढ़ने में ऎसा लगता है कि मैं अपने ही विचारों को किसी अपने के शब्दों में पढ़ रहा हूँ, शायद इसी वज़ह से मैं नेट पर लिखने में आलसी होता जा रहा हूँ । और हाँ, इस टिप्पणी में टाइप किया हुआ एक भी शब्द झूठ नहीं है । यह वर्ष और आने वाला हर वर्ष तुम्हारे नाम का हो !
शुभकामनायें !
खु्शदीप भाई ये झुठ भी कितना उम्दा किस्म का है-लेकिन सच यह है 365 दिनों मे 2 मिनट याद किया।:)
जवाब देंहटाएंनये साल की शुभकामनाएं।
बात तो सही है जी. नये साल की घणी रामराम.
जवाब देंहटाएंरामराम.
पत्रकार पारखी होते हैं , सुना था आज देख भी लिया , एक रात में दो आखों ने तीन बहुत ही गहरी गहरी बातें देख भी ली और दिखा भी दी ॥
जवाब देंहटाएंइस नए साल पर आपको, आपके परिवार एवं ब्लोग परिवार के हर सदस्य को बहुत बहुत बधाई और शभकामनाएं । इश्वर करे इस वर्ष सबके सारे सपने पूरे हों और हमारा हिंदी ब्लोग जगत नई ऊंचाईयों को छुए ॥
bahut khoob..
जवाब देंहटाएंhappy new year
नये वर्ष की शुभकामनाओं सहित
जवाब देंहटाएंआपसे अपेक्षा है कि आप हिन्दी के प्रति अपना मोह नहीं त्यागेंगे और ब्लाग संसार में नित सार्थक लेखन के प्रति सचेत रहेंगे।
अपने ब्लाग लेखन को विस्तार देने के साथ-साथ नये लोगों को भी ब्लाग लेखन के प्रति जागरूक कर हिन्दी सेवा में अपना योगदान दें।
आपका लेखन हम सभी को और सार्थकता प्रदान करे, इसी आशा के साथ
डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
जय-जय बुन्देलखण्ड
बढिया यथार्थ का चित्र खींचा है आपने । मौज सब मनाना चाहते हैं कोई मना पाते हैं कोई नहीं । कमी एक यही है कि जो मौज कर रहे हैं वे मौज न कर पाने वालों के बारे में जरा भी नहीं सोच पाते ।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाऍं ।
वाह वाह खुशदीप भाई क्या लेख लिखा है।
जवाब देंहटाएंमगर ...........अब हटाइए। हा हा।
नव वर्ष शुभ हो।
सबके दिलों में हो सबके लिये प्यार,
जवाब देंहटाएंआनेवाला हर दिन लाये खुशियों का त्योहार,
इस उम्मीद के साथ आओ भूल कर सारे गम,
पाश्चात्य नव वर्ष २०१० का स्वागत करें हम।
आपके और आपके परिवार के लिए एवं ब्लोग परिवार के हर सदस्य के लिए नव वर्ष मंगलमय हो......
जय हिंद।
खुशदीप भाई नये साल के स्वागत के तीन अक्स हमारे समाज के ही अलग अलग तबकों के हैं । हद हे बेशर्मी की कहां तक कहेंगे न्यूज पेपर मैगझीन कुछ भी उठाओ बेशर्मी ही खिलखिला रही होती है । मेरे ख्याल से हमने चक्र पूरा कर लिया है जानवर से इन्सान और इन्सान से फिर जानवर बनने का चक्र । खैर छोडें आपका सुझाव गौरतलब है वही करेंगे । नववर्ष शुभ हो आपको और आपके परिवार को ।
जवाब देंहटाएंDear Khushdip Ji,
जवाब देंहटाएंI wish you and all the family members a very happy and prosperous 2010.
Your post today portraits the harsh realities faced by the deprived society and definitely invokes self introspection.
JAI HIND! JAI BHARAT!
पूरे परिवार को नये साल की बहुत बहुत शुभकामनायें और आशीर्वाद। पोस्ट पढने फिर आती हूँ।
जवाब देंहटाएंयही तो समाज का तीन मुख्य वर्गीकरण है.
जवाब देंहटाएंवैसे मैंने इस नव वर्ष में राष्ट्रीय कवि संगम(महरौली) में देश के कोने कोने से आये बुजुर्ग कविओं के बीच बैठ ढेर सारी मुस्कान बांटी.
आपको अंग्रेजी नववर्ष की बहुत बधाई.
- सुलभ
बेहतर होता यदि आपने पहले फोटो पर चिपके वेब url को मिटा देते.
जवाब देंहटाएंआप हिंदी मीडिया ब्लॉगर है मेरे भाई.
- सुलभ