इस पोस्ट को मैं क्या नाम दूं...पोस्ट का नाम धांसू है तो आधी फतेह तो वहीं हो गई...अब बड़े-बड़े माल्स वाले हिले हुए थोड़े होते हैं जो शो-विंडो पर इतना पैसा खर्च करते हैं...ग्राहक एक बार आए तो सही दुकान के अंदर, फिर तो मीठी-चुपड़ी बोलकर फंसा ही लेंगे...माल्स ही क्यों आजकल तो फिल्मों वाले भी बड़े समझदार हो गए...पता है मल्टीप्लेक्स में फिल्म दो दिन भी हाउस फुल ले गई तो प्रोड्यूसर, डिस्ट्रीब्यूटर, एक्जीबिटर और स्टार सभी गंगा तर जाएंगे...इसलिए फिल्म चाहे डिब्बा हो लेकिन प्रोमो बड़े जानदार बनाए जाते हैं...याद है न...चांदनी चौक टू चाइना...नाम ही सुनकर कोई भी टिकट कटा ले...ये बात और है कि फिल्म देखने के बाद फिल्म बनाने वालों को साइकाइ्ट्रिस्ट के पास भेजने के लिए खुद अपने खर्चे पर पर्ची कटा कर देने का मन करे....तो ऐसी होती है नाम की महिमा...अब आपको मुफ्त में ही बताता हू पोस्ट को हिट कराने के लिए उसके नामकरण के हिट फंडे...
1. पोस्ट चाहे जिस विषय पर, टाइटल में ब्लॉग या ब्लॉग से जुड़ा कोई शब्द ज़रूर घुसेड़ दो...
2. किसी फलाने जी का नाम लेते हुए ललकारो, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई...
3. दूसरे के मज़हब से जुड़ी कोई तीखी बात मिर्च मसाला लगा कर टाइटल पेश करो...
4. सेक्स, पोर्न, टॉपलेस, अश्लील, वल्गर...ऐसे ही कोई टनटनाते शब्द टाइटल में डाल दिए जाएं
5. मैंने ऐसे पैसा कमाया, आप भी कमा सकते हो...इस तरह का कोई लॉलीपॉप टाइटल में फिट कर दो...
क्या कहा, आप अपने ब्लॉग पर ऐसा-वैसा कुछ नहीं कर सकते...तो फिर महान ब्लागर बनने का ख्याल भी दिल से निकाल दो...चलो अब सोचो अपनी नई पोस्ट का कोई फड़कता हुआ नाम...मैंने तो सोच लिया...पोस्ट हिट कराने के पांच फंडे
फिर स्ल़ॉग ओवर...अब रोज़-रोज़ कहां से लाऊं...क्या कहा, जहां से मर्जी लाओ, हमें नहीं पता...अब तो भईया लाना ही प़ड़ेगा...लीजिए झेलिए...
स्ल़ॉग ओवर
मक्खनी को पहली डिलीवरी होनी थी...मक्खन दिल्ली में था...मक्खन ने मक्खनी का हाल जानने के लिए मेट्रनिटी होम फोन मिलाया...लेकिन गलती से लाइन क्रिकेट स्टेडियम में मिल गई...
मक्खन ने पूछा...क्या हाल है...
दूसरी तरफ से जो जवाब मिला, उसे सुनकर मक्खन खुद गश खाकर गिर गया...
दरअसल जवाब मिला... 7 आउट हो गए हैं...उम्मीद है कि लंच तक कुछ और आउट हो जाएंगे...जो पहला आउट हुआ वो डक था...
(साभार-डॉ दिव्या सिकेरा, मुंबई)
इस पोस्ट को तो हिट होना ही है !
जवाब देंहटाएंमुफ्त की सलाह जो हुई......
हा हा हा हा हा हा हा हा हा
मक्खनी को पहली डिलीवरी की हार्दिक बधाई !
आपकी पोस्ट पर बाद में सोचेंगे पहली मक्खनी का हाल बताएं
जवाब देंहटाएंमै सोच रहा हूँ कि अगली पोस्ट का टाईटल ये रख देता हूँ:
जवाब देंहटाएं’खुशदीप सहगल, ये क्या लिख रहे हो?’
कैसा रहेगा? :)
स्लॉग ओवर की पहली डक...हा हा!!
बढिया व्यंग्य...स्लॉग ओवर का जवाब नहीं
जवाब देंहटाएंअच्छा खींचा ।
जवाब देंहटाएंपहले फंडे का उपयोग तो आपने भी कर लिया !!
जवाब देंहटाएंस्लाग ओवर तो गजब है । प्रविष्टि की चर्चा के कुछ सूत्र तो पकड़ा दिय आपने...।
जवाब देंहटाएंसंडे हो या मंडे,
जवाब देंहटाएंयूज करो ये फ़ंडे,
हमने भी खूब किये जी,
अब पड गये ठंडे...
लगे रहिये ...लपेटने में...बहुतों को रगडा है ......
मक्खनी जी की डिलेवरी..... ने श्रीलंका में श्रंखला जीत ली है...मक्खन जी को बता दें...
बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंआप वास्तव में माहिर हैं।
बढ़िया व्यंग्य !
जवाब देंहटाएंलेकिन इस तरह के फंडो से उस पोस्ट पर एक दो दिन तो पाठक आते है फिर इन पर कोई झांकता तक नहीं !
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंदेशनामा का एक नया नाम
जवाब देंहटाएंस्लॉग ओवर के चलते
ब्लॉग और ब्लॉगर के नाम को मिलाकर
खुशनामा बनता है
इंसान को यही जचता है
हर इंसान खुश रहना चाहता है
इसलिए सारे मंच रचता है।
सही कह रहे हो भैया, आंशिक रूप से. आजकल बदनाम में जो नाम छुपा है, लोग उसी का फायदा ज्यादा उठा रहे है. लेकिन काठ की हंडी, कब तक चलेगी?
जवाब देंहटाएंलेकिन जब ये हथकंडे एकाध बार प्रयोग हो जायेंगे तो कोई आयेगा नहीं कि ये तो ऐसे ही लिखता है।
जवाब देंहटाएंसमीरलाल जब अपना शीर्षक लिख लेंगे तो हम लिखेंगे समीरलाल खुशदीप सहगल के पीछे लगे- मामला गंभीर।
स्लाग ओवर सुने थे लेकिन फ़िर भी मौज तो है ही।
यह तो खूब रही अगले पोस्टों में यह भी ट्राय किया जायेगा। :)
जवाब देंहटाएंअरे आपने तो बड़ी ही तेजी दिखाई!
जवाब देंहटाएंएक ही महीने में इतने सारे फंडे कहाँ से सीख लिया भाई!!
god one sir ji....
जवाब देंहटाएंअच्छा है...आजमाना पड़ेगा...
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पढ़कर लगता भी है और विश्वास भी है........
जवाब देंहटाएंछोटी सी शुरुआत चमत्कार बनकर सामने आएगी......
जय माता दी
शुभकामनायें!
हथकंडे कुछ ही समय काम आते हैं। फिर स्थायित्व को कंटेंट से ही आता है।
जवाब देंहटाएंऐसे हथकंडों से दो दिन लोग आते है फ़िर उस ब्लोग और लेखक दोनो को भुल जाते है...
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई कुछ फंडे छूट गए... इसे भी जोड़ दीजिये...
जवाब देंहटाएं१- जैसे किसी के विचार से असहमत हो जाओ
२- बेहद इमोशनल कमेन्ट डाल दो
३- दर्द को हौवा बना कर लिख्खो पर वो दर्द जो दृष्टिगोचर न होता हो...
४- जरुरत से ज्यादा विनम्र बनो और अंत तक भोले बने रहो...
एक बात और आप जैसे टाइटल भी रख्खे को पोस्ट हित हो जायेगा... देखिये ११ बजे है और यह २१वां कमेन्ट....:) :):)
स्लोग ओवर आज क्रिकेट से जुड़ गया....:)
vv
गनीमत है स्टेडियम से मक्खन को ये नही बताया गया कि सेंचुरी पूरी हुई।बढिया हमेशा की तरह्।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया व्यंग्य किया है आपने! अच्छी लगी आपकी ये पोस्ट! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंout to 7 hue....
जवाब देंहटाएंchakke kitne pade ye nahi bataya?
hahahaha
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअपने बताए फंडे को तो आपने खुद पर ही आजमा लिया.....ओर दिखाई दे रहा है कि फंडा कामयाब रहा:)
जवाब देंहटाएंस्लॉग ओवर अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंनये प्रयोगो की बानगी, बहुत ही रोचक लेख है और कामयाब भी।
जवाब देंहटाएंcongrats sir . aapki to hit ho gai
जवाब देंहटाएंसंडे-मंडे-अंडे-फंडे
जवाब देंहटाएंक्या मुल्ला क्या प्यारे पंडे
पोस्ट पढ़ी बेहोश हो गये
हालांकि बांधे थे गंडे
बतलाऒ क्या करें रात भर हम बंधु
स्याणे जी के साथ झरें-झर हम बंधु
खुस्दीप भाई छा...... गये
जवाब देंहटाएंsahi hai .....
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी,
जवाब देंहटाएंबढ़िया है......
wah wah wah bahut khoob .sabhi ne bahut kuchh kah diya .
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जवाब देंहटाएंब्लागर आक्सफ़ोर्ड के नाम से एक ब्लाग ही न चला दिया जाये ?
जिसका यह टैगलाइन भी हिट होगा, यह तो पक्का मान लीजिये
" इत्थों वड्डे फ़ँडे वाले वड्डे फ़ँडाधीश महाराज़ दा अशीश पाओ जी "
इक पोस्ट नाल टिप्पण दे तिन फ़सलाँ दी गरँटी
इन जैसे नाम सरीखे स्थायी स्तँभ भी रहे, तो बुरा न लगेगा ।
खबीस जिनको बनाया हमने मठाधीश
सुरागिया के खुर्दबीन से
गिरती टी.आर.पी. को सँभाले रखने के लिये बीच बीच में ऎसी शीर्षकों वाले पोस्ट ठेले जाते रहें तो क्या बात है
उस पँक्चर साइकिल की याद में
पोस्ट वही जो लफ़ड़े करवाये
जो मैंने लिखा नहीं, वह किसी ने पढ़ा नहीं
खिसके हुये मगज़कर का फ़ालतूफ़ँडिया ’फ़र्ज़ी’ से नोंकझोंक
TRY NOW..
kamayabi ke fundde to theek the slogover bahut bhaya.
जवाब देंहटाएंमेरी अगली पोस्ट का नाम होगा *भाईयो और बहनो इस खुश्दीप को पकडो ये आप सब के बारे मे क्या कह रहा है यकीन नहीं तो मेरी पोस्ट पढें*
जवाब देंहटाएंअब बतओ क्या ये पिस्ट हिट होगी? एक स्लाग ओवर मुझे भी भेज देना वही पोस्ट मे लिख दूँगी । बहुत अच्छे जा रहे हो शुभकामनायें
सोच रहा हूँ ब्लॉग कबूतर /कबूतरी के नाम से एक नया छिठ्ठा खोलूं अजी "राम राम "में क्या रखा है ?.
जवाब देंहटाएंकृपया यहाँ भी पधारें -
"आतंकवादी धर्मनिरपेक्षता "-डॉ .वागीश मेहता ,डी .लिट .,/ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
ram ram bhai/
बृहस्पतिवार, 23 अगस्त 2012
Neck Pain And The Chiropractic Lifestyle
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नाइस
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