बेवक्त ये गाना मैं आपको सुना रहा हूं...ब्लॉगिंग के 14 महीने में आज एक ऐसी घटना मेरे साथ हुई जो पहले कभी नहीं हुई...इसलिए कभी सोचता हूं कि मैं कुछ कहूं...कभी सोचता हूं कि मैं चुप रहूं...अब रात को ही किसी नतीजे पर पहुंच पाऊंगा...तब तक इस गीत के ज़रिए ही अपने अंदर की कशमकश दिखाता हूं...
या दिल की सुनो दुनियावालों,
या मुझको अभी चुप रहन दो,
मैं गम को खुशी कैसे कह दूं,
जो कहते हैं, उनको कहने दो,
ये फूल चमन में कैसे खिला,
माली की नज़र में प्यार नहीं,
हंसते हुए क्या क्या देख लिया,
अब बहते हैं आंसू बहने दो,
ये ख्वाब खुशी का देखा नहीं
देखा जो कभी तो भूल गए,
मांगा हुआ तुम कुछ दे ना सके,
जो तुमने दिया वो सहने दो,
क्या दर्द किसी का लेगा कोई,
इतना तो किसी में दर्द नहीं,
बहते हुए आंसू और बहे,
अब ऐसी तसल्ली रहने दो,
या दिल की सुनो दुनियावालों,
या मुझको अभी चुप रहने दो...
बढ़िया प्रस्तुति..चिट्ठाजगत की बत्ती जली मिली ... चिट्ठाजगत टीम को बधाई.
जवाब देंहटाएंaisee bhee kya baat hai bhai........?
जवाब देंहटाएंshubhkamnae .
खुशदीप सर, चुप मत रहिये........... जो कहना हो वो कहिये.... बाकि रहे दुनिया वाले - उनका काम है कहना - कुछ तो वो जरूर कहेंगे.
जवाब देंहटाएंपर दिल में बात रखने से बंद ज्यादा परेशान होता है - मैं ये मानता हूँ.
दर्दनाक है खुशदीप भाई ......खुदा खैर करे :-)
जवाब देंहटाएंयह गीत बहुत ही प्यारा सन्देश दे रहा है!
जवाब देंहटाएंye to thik hai magar baat kya hai wo bhi to batate.
जवाब देंहटाएंइतना सस्पेंस काहे को..
जवाब देंहटाएंअब कह भी दीजिये....हाँ नहीं तो...!!
दिल की गिरह खोल दो……………॥
जवाब देंहटाएंकहूँ या
राज को राज रहने दो…………॥
कुछ समझ नहीं पाया।
शुभ हो, बस यही प्रार्थना है जी
प्रणाम
अब तो टेंशन हो रही है कि क्या हुआ...जल्दी बताओ.
जवाब देंहटाएंहमारे विचार से तो चुप रहने से कह देना बेहतर है।
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई , जब आप ऐसा कह रहे हैं तो इसका मतलब कि कुछ बहुत ही गंभीर अपने भीतर लिए बैठे हैं ....और हम तो यही कहेंगे कि ..ले आईये सब कुछ बाहर ..फ़िर जो भी उसका नतीजा
जवाब देंहटाएंयहाँ लिखा नहीं ..... फोन उठा नहीं रहे ....पता कैसे चले क्या हुआ है ???
जवाब देंहटाएंचुप हूं तो कलेजा जलता है
जवाब देंहटाएंबोलूं तो तेरी रुसवाई है :)
खुशदीप का काम है खुश रहना और दूसरों को खुश रखना दूसरों को खुश रखने के लिये आँसू तो पीने ही पदते है
जवाब देंहटाएंवो बस हसाना जानता है
सब को लुभाना जानता है।
जल्दी से कशमक्श से निकलो। आशीर्वाद।
बंद हो मुट्ठी तो लाख की
जवाब देंहटाएंखुल गई तो फिर खाक की
इशारों को अगर समझो....
कह ही डालिए अब :)
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई जो कहना है खुल कर कहॊ, डर किस बात का चलो इंतजार हे आप की बात का.....
जवाब देंहटाएंएक चुप सौ को हराता है . दिल की ही सुनिये .
जवाब देंहटाएं.
.
.
यह टंकी पर चढने वाली बात ना हो तो अच्छा
अब कह भी दीजिये
जवाब देंहटाएंकह देना चाहिये। अगर ब्लॉग एक परिवार की तरह है तो कहना गलत नहीं है।
जवाब देंहटाएंऐसा क्या हो गया, खुशदीप भाई...जो ये गाना याद आ गया?
जवाब देंहटाएंकह डालिए अपने मन की.
very good idea darling.
जवाब देंहटाएंइंतजार है ।
जवाब देंहटाएंगैरो में क्या दम था, हमें तो अपनों ने लूटा
जवाब देंहटाएंमेरी कश्ती तो वहां ढूबी जहां पानी कम था !!
किसी निकटतम बँधु ने दुख पहुँचाया है ॥ भाई खुशदीप जी खुश रहिए ।
क्या हुआ सर जी? ...
जवाब देंहटाएंkah daalo bhaai !
जवाब देंहटाएंमेरी मानो तो आप दिमाग की सुनो । दिल तो.... ।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंऒऎ खुशदीप पुत्तर, ठँड रख !
हलाल किया गया तेरा कॅमेन्ट मैं छापूँगा, क्योंकि मुझे बीस मिनट में ऑफ़िस पहुँचने की कोई जल्दी नहीं है ।
आज तक पूरा देश मलेरिया से ग्रस्त है, क्योंकि वह कुनैन की गोली से डरता है, और पड़ोसी के घर कूड़ा फ़ेंकता है ।
खुद को बुद्धिजीवी घोषित कर बाकियों को छद्म-बुद्धिजीवी करार देता है, और मुन्नी बदनाम का दागदार लहँगा पहन यहाँ भीड़ में घुस कर तमाशा देख रहा है, ऒऎ खुशदीप पुत्तर, ठँड रख !
क्या हुआ खुशदीप भाई? सब खैरियत तो है ना?
जवाब देंहटाएं