क्या आसान, क्या मुश्किल-1...खुशदीप
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रविवार, जून 06, 2010
टेलीफोन डायरेक्टरी में जगह बनाना आसान होता है...
किसी के दिल में जगह बनाना बहुत मुश्किल...
दूसरों की गलतियां निकालना आसान होता है...
अपनी गलतियों की पहचान करना बहुत मुश्किल...
जिन्हें आप प्यार करते हैं उन्हें आहत करना आसान होता है...
अपनों को दिए ज़ख्मों को भरना बहुत मुश्किल...
दूसरों को माफ़ करना आसान होता है...
अपने लिए दूसरों से माफ़ी मांगना बहुत मुश्किल...
बहुत अच्छे.
जवाब देंहटाएंवाह!
bilkul 16 aane sahi.
जवाब देंहटाएंबोलो खुशदीप बाबा की ..................जय !
जवाब देंहटाएंहर सूक्ति एक यथार्थ है , संकलन योग्य इन वाक्यों के लिए आपका आभार !
जवाब देंहटाएंकटु सत्य है यह! यहां उद्ध्रित करने के लिये शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंआभार इन सुक्तियों का,
जवाब देंहटाएंलगे रहिये. दूसरी कड़ी का इन्तजार है..
जवाब देंहटाएंआप कहाँ से इतनी बढ़िया बढ़िया नई बातें तलाश लाते हैं?
जवाब देंहटाएंहर पंक्ति में सत्य
जवाब देंहटाएंKhushdeep ji,
जवाब देंहटाएंaaj aapne wo baatein likhin hain jinse main guzar rahi hun...isliye dil se mahsoos kiya hai...
sach mein..
क्या बात है।
जवाब देंहटाएंसाधुवचन
जवाब देंहटाएंहाँ ...अपनों की दी हुई चोट ज्यादा तकलीफ देती है ...!!
जवाब देंहटाएंअगेन गुड है जी।
जवाब देंहटाएंप्रेरणास्पद!
जवाब देंहटाएंसत्यवचन
जवाब देंहटाएंलेकिन इन बातों को हम सुनते-पढते हैं और भूल जाते हैं।
प्रणाम
jay ho..
जवाब देंहटाएंसही है!
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा जी. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंसही है...
जवाब देंहटाएंबिल्कुल...