भगवान के दरबार में एक देवदूत आकर शिकायत करता है...स्वर्ग में कुछ भारतीय हैं और समस्याएं खड़ी कर रहे हैं..स्वर्ग के गेट को झूला बना कर झूल रहे हैं...सफेद लिबास की जगह एक से बढ़कर एक डिजाइनर कपड़े पहन रहे हैं...रथों पर घूमने की जगह मर्सिडीज़ और बीएमडब्लू को दनदनाते चला रहे हैं...अपनी चीज़ों को डिस्काउंट ऑफर कर बेच रहे हैं...जब देखो स्वर्ग की सीढ़ियों को ब्लॉक कर देते हैं...वहीं सीढ़ियों पर बैठकर चाय के साथ समोसे उड़ाना शुरू कर देते हैं...
ये सुनकर भगवान मुस्कुरा कर बोले...भारतीय हमेशा भारतीय ही रहते हैं...स्वर्ग मेरे सभी बच्चों के रहने के लिए है...देवदूत तुमने स्वर्ग का हाल तो बयां कर दिया, चलो नर्क में क्या हाल है, ये भी तुम्हे शैतान के ज़रिए सुना देते हैं...शैतान को कॉल लगाओ...
शैतान फोन पर आकर कहता है...हैलो, अरे...अरे..., ठहरिए मैं एक मिनट में आता हूं...
एक मिनट बाद फोन पर शैतान...हां तो मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं...
देवदूत...मैं जानना चाह रहा था कि नर्क में तुम्हे किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है..
शैतान....ओफ्फो...अब ये क्या...रुकिए...माफ कीजिए...ये नया पंगा देख कर अभी फोन पर आता हूं...
पांच मिनट बाद शैतान बदहवासी की हालत में लौटता है...कहता है...हां मैं लौट आया...तुम क्या सवाल पूछ रहे थे...
देवदूत...तुम्हे कैसी दिक्कतों...
शैतान...हूं...अरे बाबा...अब क्या हुआ...ओह...ये मेरी समझ से बाहर है...आप ज़रा ठहरो...
इस बार शैतान पंद्रह मिनट बाद आया...बोला...देवदूत माफ़ करना...अभी मैं बात करने की हालत में नहीं हूं....ये भारतीय नर्क को रहने के लिए बेहतर जगह बनाने की खातिर यहां की आग को बुझाकर एयरकंडीशनर फिट करने की कोशिश कर रहे हैं...टैकनीक के इतने जुगाड़ू हैं कि नर्क का सीधा स्वर्ग से कनेक्शन जोड़ने के लिए हॉट लाइन लगाने की जुगत लगा रहे हैं...इन्हें काबू में रखने में मुझे नानी याद आ गई है...कुछ तो चाय-पकोड़े की दुकान खोलने में ही लगे थे...बड़ी मुश्किल से रोका है...मैं तो भगवान से गुहार करने जा रहा हूं जैसे ही इन भारतीयों का धरती पर समय पूरा होने के बाद ऊपर आने का टिकट कटे, इन्हें पुनर्जन्म के रूप में रिटर्न टिकट थमा देना चाहिए....
स्लॉग ओवर
मक्खन बड़ा रूआंसा मुंह बनाकर बैठा हुआ था...
तभी ढक्कन आ गया...पूछा...क्या हुआ मक्खन भाई, सब खैरियत तो है...
मक्खन...क्या खैरियत...दो महीने पहले चाचा जी भगवान को प्यारे हो गए...वसीयत में मेरे नाम भी एक लाख रुपये छोड़ गए....
ढक्कन...बेचारे चाचा जी...
मक्खन...और पिछले महीने मेरी बुआ का निधन हो गया...वो भी आंखें मूंदने से पहले कह गई थी कि मरने के बाद उनकी कार मुझे दे दी जाए...
ढक्कन...अरे यार बड़ा दुख हुआ...दो महीने में तुम्हारे दो करीबियों की मौत...भगवान तुम्हें हौसला दे...
मक्खन...ख़ाक़ हौसला मिले...इस महीने की 28 तारीख हो गई है और अभी तक कहीं से कोई ख़बर नहीं आई है...
भारत के कश्मीर के बारे मे कहा गया है ...अगर बर्रुए जमीअस्त .. अगर दुनिया मे कहीं स्वर्ग है तो यहीं है यहीं है यहीं है ..अब आप खुद देख लीजिये इस स्वर्ग का हमने क्या हाल कर दिया है । सो आदत है ..कहाँ जायेगी हाहाहा ।
जवाब देंहटाएं.भारतीय हमेशा भारतीय ही रहते हैं.
जवाब देंहटाएंjawaab nahin bhaarteeyon ka
जवाब देंहटाएंjai hind !
भगवान ने सिर्फ़ यह व्यवस्था वाकई भारतीयों के लिए की है
जवाब देंहटाएंहां तो मक्खन की खबर ज़रूर बताइये जी
मेरी समस्या हल हो गई। मैं बरसों से सोच रहा था कि यहाँ भारत की ही आबादी इतनी क्यों बढ़ती है।
जवाब देंहटाएंअरे ढक्कन ने आगे जो कहा आपने लिखा ही नहीं
जवाब देंहटाएंढक्कन... दो दिन बचा है मेरे भाई, भगवान के घर देर है अंधेर नहीं
हा हा हा
भारतीय जिन्दाबाद!! :)
जवाब देंहटाएंमख्ख्नन बेचारा..महिना सूखा ही न निकल जाये.
Ise hi kahte hain JUGAD
जवाब देंहटाएंAur hann Makkhan bechara ........
सनद रहे जुगाड़ पर राजस्थान सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है।
जवाब देंहटाएंयह समाचार नर्क के शैतान तक पहुंचा दिया जाए ताकि आदेश
लागु हो सके। मक्खन तक भी समाचार पहुंचता ही होगा।:)
बहुत खूब ..भारतीयों के इसी जुगाड़ की वजह से तो ..सब घबराते है ऑस्ट्रेलिया /अमेरिका तो पता था स्वर्ग और नर्क के हाल चाल भी मिल गए
जवाब देंहटाएंआपने स्वर्ग का आँखों देखा हाल पूरा नहीं सुनाया । वहां कुछ भारतीय दिवार पर सू सू भी तो कर रहे थे । कुछ थूक रहे थे । कुछ कूड़ा फैला रहे थे । कुछ तो दिवार फांद कर यमराज के कक्ष में झांक रहे थे ।
जवाब देंहटाएंतभी तो वहां सभी हमसे डरने लगे हैं।
अच्छा है हमारी क्वालिटी हमें मालूम पड गई.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ये हैं खुशदीप जी का गीता पुराण ...इतनी दिनों तक कृष्ण की गीता का पाठ व्यर्थ ही गया ..:):)
जवाब देंहटाएंजापान को भारत बना देने वाला चुटकुला याद आ रहा है ...
शानदार धारदार व्यंग्य ...
ओये मक्खन ...राम राम जपना ...पराया माल अपना ...बुरी बात है ...
बढ़िया पोस्ट....वाकई भारतीय बहुत जुगाड़ू होते हैं....तभी ना हर जगह एडजेस्ट कर जाते हैं...:):)
जवाब देंहटाएंतभी तो कहते हैं इस्ट हो या वेस्ट,इंडिया इज़ बेस्ट्।
जवाब देंहटाएंआज पता चला खुशी के दीप भारत मे ही क्यो जलते है हर बार
जवाब देंहटाएंbharat jindabaad kahu ya jugaad jindabaad....
जवाब देंहटाएंkunwar ji,
भारतीय बेचारे तो कहीं भी जाए चाहे स्वर्ग-नरक या अमेरिका-यूरोप। सभी जगह चाय-पकोड़े खिलाने का ही काम करते हैं। खाने-पीने से तो ये बाहर निकल ही नहीं सकते। इनको वहाँ रखना ही पड़ेगा नहीं तो उन देवदूतों को कौन खिलाएगा? हा हा हा हा।
जवाब देंहटाएंहा हा हा ..बहुत ही मजेदार पोस्ट...भारतीय पानी भारतीयता कैसे छोड़ें
जवाब देंहटाएंअपनी *
जवाब देंहटाएंslogover aur post don achchhe hain bhaia, lekin aajkal ke halat dekh hansne ka man hi nahin kar raha... sabko apni-apni chinta kise desh ka dhyan(including me)
जवाब देंहटाएंहर जगह वाकई मक्खन दिखाई पड़ते हैं आजकल !
जवाब देंहटाएं:-)