आज स्लॉग ओवर की बारी है...स्लॉग ओवर में आपको यही सुनाऊंगा...अब तंग करके देख...लेकिन उससे पहले गऊ माता पर लिखी कल वाली पोस्ट का जिक्र...मिथिलेश दूबे भाई के पास ज्ञान का कितना बड़ा खजाना है ये उन्होंने अपनी टिप्पणियों में अच्छी तरह दर्शा दिया...कुछ बिंदुओं पर प्रवीण शाह और मसिजीवी जी ने मिथिलेश से मत-भिन्नता दिखाई...प्रणीण भाई ने कुछ सवाल किए जिसका मिथिलेश ने विस्तृत और शोधपरक जवाब दिया...एस के राय साहब ने भी गाय को लेकर विचारोत्तजक टिप्पणी रखी...
भारत में गाय की दुर्दशा को लेकर अब ऐसी कोई बात या मुद्दा नहीं बचा जो मेरी कल वाली पोस्ट या टिप्पणियों में न उठा हो...
http://deshnama.blogspot.com/2009/11/blog-post_12.html
बस एक दो बात ही कहूंगा...गाय के पौराणिक या धार्मिक महत्व को छो़ड़ भी दिया जाए क्या ये इंसानियत के नाते सही है कि जो गाय दुधारू न रहें उन्हें सड़कों पर लावारिस छोड़ दिया जाए...पर्यावरण की दृष्टि से क्या ये सही है कि पॉलीथीन को कचरे में छोड़ दिया जाए और वो गाय या अन्य पशुओं के पेट में पहुंच कर उनकी मौत का सबब बनता रहे...क्या ऐसी संस्थाओं की मदद करना हमारा फर्ज नहीं बनता जो ऐसे पशुओं की देखभाल के लिए सामने आते हैं...वैसे ये हमारा देश ही है जहां नेता पशुओं का चारा तक खा जाते हैं....
गाय के संदर्भ में ये बताना आपको दिलचस्प होगा कि हमारे यहां शादी में सात फेरे लेने की परंपरा होती है...लेकिन कई जगह चार ही फेरे लिए जाते हैं...इसके पीछे राजस्थान में एक कथा बताई जाती है....राजस्थान के चुरू जिले के अमरपुरा धाम में पाबू जी महाराज की बड़ी मान्यता है कि पाबू जी लक्ष्मण के अवतार थे...बताते हैं कि उनका विवाह हो रहा था...और वो चार ही फेरे ले पाए थे कि किसी ने उन्हें जानकारी दी कि हज़ारों गायों को शत्रु ले जा रहे हैं...पाबू जी महाराज तत्काल उठ गए और युद्ध के लिए निकल पड़े...युद्ध में उनकी जीत हुई और गायों को छुड़ा कर वापस ले आए...तभी से चार फेरों को ही सात फेरे की मान्यता मिल गई...
दूसरी बात मेरे जानने वाले ने मुझे बताई थी....वो ब्लड प्रेशर के मरीज थे...किसी ने उन्हें बताया कि गाय की पीठ पर सिर से लेकर पूंछ तक दोनों हाथ फेरें...इस जगह गाय की सूर्य नाड़ी होती है...इस नाड़ी पर हाथ फेरने से जो घर्षण होता है उससे ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है... मेरे जानने वाले का दावा है कि ऐसा करने से उन्हें बहुत आराम मिला...अब इस दावे को लेकर क्या वैज्ञानिक पहलू हो सकता है, उस बहस में जाने का कोई फायदा नहीं...ये विश्वास या अंधविश्वास भी हो सकता है...लेकिन ऐसा करने से किसी को लाभ मिलता है तो आजमाने में हर्ज ही क्या है....चलिए बहुत हो गई गऊ-माता पर चर्चा....अब आता हूं स्लॉग ओवर पर...
स्लॉग ओवर
मक्खन को कोई सिरफिरा कई दिन से मोबाइल पर तंग कर रहा था...कभी अपशब्द कहता...कभी भद्दे मज़ाक करता..मक्खन बेचारा परेशान हो गया...इस बिन बुलाई मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए मक्खन तोड़ ही ढूंढ रहा था कि किसी ने उसे सिम कार्ड ही बदल देने की सलाह दे दी...मोबाइल में नया सिम कार्ड होगा तो कोई झंझट ही नहीं रहेगा..तंग करने वाले को नया नंबर पता ही नहीं होगा तो फिर वो मक्खन जी को तंग कैसे करेगा...
मक्खन को आइडिया जंच गया...बाज़ार जाकर नया सिम कार्ड खरीद लिया...मोबाइल में नया सिमकार्ड डल जाने के बाद मक्खन जी का चेहरा भी ट्यूब लाइट की तरह चमकने लगा...चलो मिला तंग करने वाले से छुटकारा...इसी खुशी में मक्खन ने नए सिमकार्ड से पहला नंबर ही उसी सिरफिरे को मिलाया जो उन्हें दिन-रात परेशान करा करता था...
सिरफिरे के मोबाइल पर आने पर मक्खन ने कहा...बेटा मैं भी तेरा बाप हूं...मैंने सिमकार्ड ही बदल दिया है...अब तंग करके देख...
मक्खन के कॉल कट करते ही उसके मोबाइल पर अगली कॉल तंग करने वाले सिरफिरे की ही थी....
स्लोग ओवर से तो अच्छा खेला आपने पहले के ओवरों में...खैर मैच दिलकश रहा लगभग हमेशा की तरह
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई हमारे देश में ब्लड-प्रेशर के बहुत मरीज़ हैं । इस बहाने गाय की सेवा भी हो जायेगी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर जी
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी,
जवाब देंहटाएंहाँ ....मक्खन नाम के idiot का फ़ोन मुझे आया था .....
नंबर 098738..... ये रहा....
हा हा हा हा हा
ह्म्म.... रोचक जानकारी पर स्लोग ओवर में रन कम बने ! खैर, अगले मैच में कसर निकल दीजियेगा !
जवाब देंहटाएंGustakhi maaf Khusdeep bhai, lekin agar slogover me last stanza na daalte to jyada khoobsoorat lagta( aap bhi sochte honge, ye lalloolaal roz bin maangi salah de jata hai... ha ha ha)
जवाब देंहटाएंJai Hind...
स्लॉगओवर बहुत मस्त!!
जवाब देंहटाएंभइ वाह! आपका मक्खन भी खूब है!!
जवाब देंहटाएंमक्खन रह ग्या ना बावळी बुच का बावळी बुच- हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई, आप चाहें तो गौ-पुराण का आरंभ कर सकते हैं। इतनी सामग्री कल एकत्र हो गई है।
जवाब देंहटाएंसमस्या कुछ और है। पहले बैल काम आते थे खेती में। वहाँ ट्रेक्टर ने उन्हें विस्थापित कर दिया। वे क्या करें। चोरी छुपे कटने जाते हैं। गाय रहेगी तो बैल भी होंगे। अब वे नगरों की सड़कों पर आवारा टहलते हैं। लोग इसी लिए गाय नहीं पालते कि इस ने बछड़ा दिया तो एक दिन कटेगा और पाप लगेगा। डेयरी चलाने वाले भी गाय नहीं पालते, वे बछड़ों का क्या करें? किसी दिन शिवसैनिक धावा बोल कर उन के साथ कुछ भी करते हैं। डेयरी उद्योग में गाय अनुपयोगी हो जाने से उस की नस्ल भी खराब हो गई और दूध कम देने लगी है। समस्या गाय की नहीं है बछड़े की है। अब बछड़े के लिए कोई रोजगार तलाशा जाए तो गौवंश बचाया जा सकता है। एक तरीका और है वह यह कि बछड़े पैदा ही नहीं हों केवल बछड़ियाँ ही पैदा हों तो भी काम चल सकता है। इस पर रिसर्च की जा सकती है।
खुशदीप भाई दुनिया भावना से नहीं चलती, वह भौतिक सत्यों पर चलती है। भौतिक सत्यों की अनदेखी धरती माता के लिए अभिशाप बनती जा रही है।
स्लाग औवर ठीक है। मुझे पहले ही पता था कि नया सिम लेते ही मक्खन क्या करने वाला है?
जवाब देंहटाएंमैने भी नम्बर बदला है,लेकिन मैं मक्खन की तरह नही हूं जो सीधे बात कर लूं,मैं तो सिर्फ़ मिस काल ही करूंगा।हा हा हा हा हा।बढिया रहा सुबह का हंसमोला।
जवाब देंहटाएंखुशदीप भाई बहुत अच्छा किया आपने, गाय के मु्द्दे को छोड़ दिया और स्लोग ओवर ले आये। कल का दिंन तो आप ने पूरी तरह से ले लिया था। ऐसे मुद्दे पर बहस छिड़वा दिया आपने प्रवीण भाई के साथ कि पूरा दिंन गाय माता के बारे में पढ़ने में ही बित गया । बहस काफी जोरदार रही प्रवीण भाई नें मुझे अन्त तक छोड़ा नहीं, इससे काफी कुछ जानने को भी मिला । प्रवीण जी का आभारी हूँ, प्रवीण जी भुल चुक माफ करियेगा।
जवाब देंहटाएंस्लाग ओवर जोरदार रहा आपका। बधाई
मक्खन जैसा उजला सा स्लागोवर बहुत खूब शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंइस बार का स्लॉगओवर दमदार रहा
जवाब देंहटाएंmajedaar chutkulaa
जवाब देंहटाएंहाँ तो खुशदीप जी गौ पुराण कब लिख रहे हो आप ? अगर कोई दिक्कत हो तो गौ वैज्ञानिक मिथिलेश से मदद ले लीजियेगा।
जवाब देंहटाएंमाफ़ कीजिये गौ वैज्ञानिक नहीं महान वैज्ञानिक और सर्वज्ञाता, महान पुराण ज्ञाता मिथिलेश जी से।
स्लागओवर अच्छा है।
The slog over was humourous.
जवाब देंहटाएंI read your previous post today to link it up with the current one but I differ with you on the issue of not finding any cow in your area inspite of putting in all your efforts.
"Bade bhai Dilli Aajao har chouple par ek group gaiyya ka mil jayega."
I live in Paschim Vihar, and in our area there are many illegal dairies which exist since I shifted to this area 15 yrs ago.The greatest irony of our faith in the holy cow is that one of my client friend Mr.Pathak lost his life in road accident right on the Meera Bagh red light about a decade ago due to a group of cows squatting on the road.
i think it is all in the mind and faith, otherwise a cow was and has always been and will remain a "cow" only.
अपना भी हाल तेरे जैसा है......
जवाब देंहटाएंदरअसल बच्चे बड़े हो गये यार मिस काल क्या अपने को तो मिसिज काल भी नहीं आती...
अरे,इस ब्लॉग के पाठक थोड़े ही मक्खन हैं, स्लॉग ओवर में आख़िरी लाइन नहीं लिखते तो भी अंजाम समझ जाते आपके पाठक।
जवाब देंहटाएंकुछ बातें कहने से उनका मज़ा ख़राब हो जाता है।
सुना है कि सिरफिरे ने भी अपने मोबाइल का सिमकार्ड बदल कर ही मक्खन को तंग करने लगा :)
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