उड़न तश्तरी वाले गुरुदेव समीर लाल समीर जी...क्षमा कीजिएगा...मैं अपने सिद्धांत के खिलाफ जाकर अपनी पोस्ट के शीर्षक में आपके नाम का इस्तेमाल कर रहा हूं...लेकिन यहां ऐसा करना किसी सोचे समझे प्रायोजन के तहत नहीं बल्कि मेरी विवशता है...ज़्यादा बात को घुमाने की जगह मैं सीधे विषय पर आता हूं...
देश के नामचीन कार्टूनिस्ट इरफान भाई से एक गलती हुई...6 अक्टूबर शाम 7.49 पर उन्होंने अपनी कार्टून आधारित पोस्ट का शीर्षक दिया...उड़न तश्तरी के मुंह पर भी थूक दिया क्रिकेट ने...निश्चित तौर पर शीर्षक हम ब्लॉगर्स के लिए बड़ा झटका देने वाला था...पोस्ट को जिसने भी खोला, उसे समझ आ गया कि माज़रा क्या है...दरअसल इरफान भाई प्रसिद्ध धाविका पी टी उषा के लिए उड़नपरी की जगह उड़नतश्तरी का इस्तेमाल कर गए थे...मैं नहीं समझता कि इरफ़ान भाई ने जान-बूझ कर ये गलती की होगी...उन जैसे नामी कार्टूनिस्ट को ऐसा हथकंडा अपनाने की ज़रूरत नहीं थी...निश्चित तौर पर भूल से उनसे ऐसा हुआ...और इसका पता भी चल गया जब दो तीन सुधी ब्लागर्स ने टिप्पणियों के ज़रिए इरफान जी से भूल सुधारने को कहा...और उन्होंने पता चलते ही भूल सुधार कर अपनी पोस्ट पर उड़नतश्तरी की जगह उड़नपरी कर दिया...खुद समीर जी ने अपने स्वभाव के अनुसार इरफान भाई की पोस्ट पर बड़ी सयंत टिप्पणी में उड़नतश्तरी की जगह उड़नपरी होने पर राहत जताई...
अब जा के बेचैन दिल को करार आया. हमें लगा कि जाने कहाँ इरफान भाई की शान में गुस्ताखी हो गई हमसे. :)
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हो गई...ये ठीक है इरफ़ान भाई ने अपनी पोस्ट में शीर्षक बदल दिया...लेकिन ब्लॉगवाणी के लिंक में... पसंद, टिप्पणी, ज़्यादा पढ़े गए... वाले कॉलमों में वही आपत्तिजनक शीर्षक पूरे 24 घंटे चलता रहा... दरअसल ऐसी व्यवस्था ही नहीं है कि कोई ब्लॉगर गलती पाए जाने पर अपने शीर्षक या पोस्ट के पहले पैराग्राफ में कोई सुधार करता है तो वही सुधार लिंक पर भी दिखाई देने लगे...ब्लॉगर की पोस्ट में तो गलती सही हो जाती है, लेकिन एग्रीगेटर के लिंक पर वो गलती बनी रहती है...ये गलती हफ्ते, महीने, साल में ज्यादा पढ़े गए वाले कॉलम के हिसाब से देखे तो कितनी लंबी चल सकती है, इसका खुद ही अंदाज लगाया जा सकता है...
अनजाने में इरफ़ान भाई से गलती हुई...गलती वाला शीर्षक एग्रीगेटर के लिंक पर दिन भर चलता रहा...इरफ़ान जी की इस पोस्ट को रात पौने एक बजे तक एग्रीगेटर पर 77 पाठकों के साथ 5 पसंद मिली थी...जबकि इरफान जी की इससे पहले की 10 पोस्ट को क्रमश 18,19,26,20,71,21,14,9,12,6 ही पाठक मिले थे...इन दस पोस्ट में 1 अक्टूबर को उनकी की गई पोस्ट... चीन के मुंह पर एक तमाचा... को ही 71 पाठक मिले, बाकी ज्यादा से ज्यादा का आंकड़ा 26 तक ही गया...ज़ाहिर है गलत शीर्षक वाली उनकी पोस्ट को 76 पाठक मिले तो इसमें बड़ा हाथ उ़ड़नतश्तरी नाम का शीर्षक में होना रहा...ये ठीक है इरफान जी के ब्लॉग पर उड़नपरी हो चुका था लेकिन लिंक पर उड़नतश्तरी वाला शीर्षक बदस्तूर जारी रहने की वजह से जो भी नया पाठक उस शीर्षक को पढ़ता कौतुहलवश पोस्ट पर ज़रूर जाता...
कहने वाले कह सकते हैं कि ये कोई बड़ा मुददा नहीं है...जब खुद समीर जी राहत जता चुके हैं और इरफान भाई गलती सुधार चुके हैं तो बात वहीं खत्म हो जानी चाहिए थी...लेकिन मेरा सवाल ये है कि ब्लॉगवाणी के लिंक पर वो गलती अब भी मौजूद है...उसे सुधारने के लिए क्या किया जा सकता है...आज समीर जी के साथ ये हुआ है, कल किसी दूसरे ब्ल़ॉगर के साथ भी हो सकता है...एक छोटी सी शिकायत मुझे इरफान भाई से भी है...उन्होंने गलती तो सुधार ली लेकिन कहीं भी समीर जी से खेद नहीं जताया...अगर इरफान भाई अपनी पोस्ट पर ही टिप्पणी के ज़रिए ऐसा कर देते अपनी गलती की भरपाई कर देते...समीर जी तो ठहरे समीर जी... सागर की तरह शांत और गहरे...वो तो अपने मुंह से कोई शिकायत करने से रहे...लेकिन मुझ जैसे ब्ल़ॉगर के लिए तो वो हिंदी ब्लॉग जगत के सचिन तेंदुलकर से कम नहीं है...और मेरी इस बात का समर्थन करने वाले बहुत से साथी मुझे मिल जाएंगे...अब मेरी ब्लॉगवाणी से कोई शिकायत नहीं है...बस एक अनुरोध है क्या कोई ऐसा विकल्प नहीं तलाशा जा सकता कि अगर कोई ब्लॉगर अपनी पोस्ट के शीर्षक या लेख में एडिट के ज़रिए सुधार करता है तो वो ब्लॉगवाणी के लिंक पर भी स्वत हो जाए...मैं जानता हूं कि इतनी सारी पोस्ट रोज़ पब्लिश होने की वजह से आपके लिए ऐसा करना मुश्किल होगा...लेकिन मुझे एक रास्ता नज़र आता है जो ब्लॉगर अपनी पोस्ट में सुधार करता है वो ब्लॉगवाणी को फोन या ई-मेल के ज़रिए सूचित कर दे, जिससे लिंक पर भी गलती जल्दी से जल्दी सुधर जाए...आशा है मेरी बात को अन्यथा नहीं लिया जाएगा...लेकिन ऐसा करने से फिर उस असहज स्थिति से तो बचा जा सकेगा॥जैसे कि उड़नतश्तरी वाले इरफान जी के पोस्ट के शीर्षक को लेकर समीर जी को भुगतनी पड़ी..
अब भले ही लोग कहते रहे हैं कि मैं इसमें कोई पक्ष न होते हुए भी कैसे टांग अड़ाने लगा...लेकिन जो मुझे सही लगा वो मैंने लिख दिया...वैसे जो पाठक मेरी पोस्ट शुरू से पढ़ते आ रहे हैं, वो शायद जानते होंगे कि समीर जी को मैंने ब्लॉगिंग में गुरुदेव मान रखा है...और गुरुदेव भी मेरी इस भावना को शायद समझते हों...चाहे अनजाने में ही समीर जी के लिए कोई असहज बात लिखी गई...कम से कम मैं तो उस पर आंखों पर पट्टी बांधे नहीं रह सकता था...और ऐसा ही मैंने किया...
खैर छोड़िए, आइए स्ल़ॉग ओवर पर....
स्लॉग ओवर
15 साल का पप्पू और 6 साल का चप्पू एक ही स्कूल में दाखिला लेने गए...दाखिला लेने वाले टीचर को पप्पू ने बताया कि चप्पू रिश्ते में उसका दूर का भाई लगता है...टीचर ने पप्पू से पिता का नाम पूछा...जवाब मिला..गप्पू...
टीचर ने चप्पू से सवाल किया, तुम्हारे पिता का नाम...जवाब मिला...गप्पू...
टीचर थोड़ा हैरान हुआ..फिर दोनों से पता पूछा तो जवाब मिला...मकान नंबर 117, गली नंबर 6, प्रेम नगर...
टीचर ने फिर पप्पू से कहा कि जब तुम्हारे पिता का नाम एक, रहते एक मकान में ही हो तो फिर चप्पू तुम्हारा दूर का भाई कैसे हुआ....पप्पू ने जवाब दिया...मास्टर जी मैंने ये कब कहा कि चप्पू मेरा सगा भाई नहीं है...दरअसल उसके और मेरे बीच सात भाई-बहन और भी हैं...इस लिहाज से हुआ न वो दूर का भाई...
Baaki 7 bhai behno ka naam?
जवाब देंहटाएंand beside joke aapki baat se sehmat hoon kai bar is galti ki wajah se bahut nuksaan ho jata hai par shayd ise sahi ho jane ka koi pravdhaan nahi hai...
aur ye kewal blogvani ya kisi aggregator kr saath hi nahi kai widget jo bahut dher saari website se liye gaye hai unmein bhi prayh ye dosh paaya jata hai....
page rank, link within iske hi udharan hai...
kai baar post hjatane ke bavzood bhi unke link unki photos dikhti hain !!
aapki baat to sahi lag rahi hai ...
जवाब देंहटाएंदूर के रिश्ते के चप्पू गप्पू और पप्पू का रिश्ता तो बहुत नजदीकी निकला ..!!
जवाब देंहटाएंमुझे तो अनजाने में की गयी गलती नहीं लगी इस तरह की विवादस्पद गलतियाँ आजकल लोग जानबूझ कर रहे है ताकि ज्यादा से ज्यादा हिट मिल सके | ब्लॉग वाणी पर देख लीजिए और आपने इस ब्लॉग के आंकडे भी दिए है विवादास्पद शीर्षक वालों को कितने पाठक मिलते है | यही कारण है कि लोग जानबूझकर विवादास्पद लेख लिख रहे है |
जवाब देंहटाएंआपकी बात से पूर्णत्या सहमत लेकिन रतन सिंह शेखावत जी की बात भी सोचनीय है।मैँ ये नहीं कहता कि इरफान जी ने जानबूझ कर ऐसा किया होगा लेकिन आजकल की घटनाओं को देखते हुए मन में संशय तो उत्पन्न होता ही है...
जवाब देंहटाएंखैर!...
उनको रखे राम...उनको अल्लाह रखे....
बनेंगे बिगड़े काम सबको अल्लाह रखे
स्लॉग ओवर हमेशा की तरह चेहरे पे मुस्कान ले आता है...
आज कल कहां क्या और किस नजरिये से हो जाये? कहना बडा मुश्किल है. फ़िर भी बातों को सकारात्मक दृष्टिकोण से लेना ही उचित होगा. आगे सब अपनी मर्जी के मालिक हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सब जगह वही टीआरपी का खेल चल रहा है। राम और अल्लाह के बंदे ब्लॉग की दुनिया में आ गये हैं ऊपर वाला भी खुश होगा कि बस यही एक जगह रह गयी थी जहाँ पर फ़साद बाकी था। हे भगवान इनको सद़्बुद्धि दे।
जवाब देंहटाएंगप्पू, पप्पू मस्त रहा।
तुम्हारा स्नेह अभिभूत करता है. हम सभी इंसान हैं और गल्तियाँ हो जाना स्वभाविक है. जब तक किसी के खिलाफ ऐसा करने की मंशा न हो, इस तरह की भूलों को नजर अंदाज करना ही बेहतर रहता है. इंसानी फितरत है, सब कुछ जल्द भुला देता है. यह भी भुला दी जयेगी. निश्चित ही कोई तकनीकी अड़चन होगी, अन्यथा ब्लॉगवाणी न सुधारे, इसकी कोई वजह नजर नहीं आती. संचालको से तुम्हारे द्वारा बताई गई बातों पर चर्चा करता हूँ और देखते हैं कि क्या हो सकता है.
जवाब देंहटाएंएक बार पुनः सभी से आग्रह करना चाहूँगा कि अंततः आपका लेखन ही है जो लोगों को आकर्षित करेगा. किसी की भूल से हुए या जानबूझ कर हुए आपके उपर आक्षेप बहुत छोटी उम्र रखेंगे, यदि आप अपने लेखन पर, अपने व्यवहार पर, अपने नजरिये पर संयम बनाये रखें.
किसी से कोई शिकायत नहीं और किसी से कोई गिला नहीं,
मेरी हस्ति को जो मिटा सके, ऐसा अब तक कोई मिला नहीं.
-समीर लाल ’समीर’
-अपना स्नेह बनाये रखो. सब बढ़िया चलेगा. सब समझदार है, सब समझते हैं.
चप्पू गप्पू और पप्पू का रिश्ता भी दूर का होकर भी कितने पास का है. :)
शीर्षक सुधारे जाने पर वही पुराना शीर्षक फीड में चलता रहता है। उसे हटाने का एक ही उपाय है कि आप शीर्षक बदल कर उसी पोस्ट को नई पोस्ट के रूप में प्रकाशित करें। जब नई प्रकाशित हो जाए पुरानी को हटा दें।
जवाब देंहटाएंद्विवेदी सर, अगर शीर्षक बदल कर पुरानी पोस्ट हटाकर नई पोस्ट डाल भी दें तो भी पुरानी पोस्ट का पहला पैरा और शीर्षक फीड पर दिखता रहता है...बस इतना होगा कि कोई अगर पुरानी पोस्ट पर क्लिक करेगा तो वहां उसे पेज डिलीट दिखाई देगा...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
मैं तो कहूँगा कि आदमी गलतियों का पुतला है, अंग्रेजी कहावत प्रसिद्ध है "To err is human"। गलतियाँ भला किस से नहीं होती। यदि गलती करने वाले ने जानबूझ कर बदनीयती के साथ गलती नहीं की है तो हमें इन गलतियों को अनदेखा कर देना चाहिए। रही बात ब्लॉगवाणी में शीर्षक न बदलने की, तो यह एक तकनीकी मामला है, मैं आशा करता हूँ कि ब्लॉगवाणी टीम इस पर ध्यान देकर इसका भी जल्दी ही कोई हल निकाल लेगी।
जवाब देंहटाएंकिसी से ग़लती हो जाए इस बात का तूल नही देते जबकि वो खुद भी इस बात को स्वीकार कर रहा..और हाँ खुशदीप जी एक बात आपने बहुत बढ़िया कहीं की उड़नतश्तरी जी का नाम पाते ही सभी ब्लॉगर्स की नज़रें ज़रूर बार बार उस पोस्ट पर गयी और उसे एकदम उछाल दिया ब्लॉगवानी मे..बढ़िया परख आपकी...
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आपकी यह चर्चा पढ़कर..धन्यवाद...
Jai hind...........
जवाब देंहटाएंmujhe to pata hi nahi chala ....irfan bhai.... ne aisa kiya hai...... ? main do din se thoda busy chal raha tha..... aur thak ke so jaata tha.....to na to BV pe dekha na...irfan bhai cartoonist ki post..... abhi dekha to samajh mein aaya....... mujhe afsos to hua ki hamare GURUJI Shri. Sameer Lal ji ..... ke upar unhone aisa likha ...... GUSSA..... ..... bahut aaya.... Irfan bhai ko blog manch pe maafi maangni chahiye..... yeh waise anjaane mein hui galti nahi hai..... udantashtri aur udanpari type mein bahut difference hai..... jahan tashtri type karne mein ungliyan "W" ke shape mein ghoomtin hain...... wahi Pari type karne mein aasaani hoti hai..... isliye yeh galti ko main jaanboojh kar ki gayi galti maanata hoon taaki.....readership zyada ho jaye..... isliye irfaan bhai ko alag se maafi maangni chahiye.....
pappu bahut samajhdaar ho gaya hai...... abki baar pass zaroor ho jayega.....
जवाब देंहटाएंसमीर जी की गम्भीरता का जवाब नहीं. इरफ़ान जी को खेद जताना चाहिये था.
जवाब देंहटाएंगल्तियों के बारे मे क्या कहें सबने सब कुछ दिया बाकी हिट रहा स्लाग ओवर।
जवाब देंहटाएंसमीर अंकल से अक्षरशः सहमत...
जवाब देंहटाएंमजेदार रहा यह स्लाग ओवर ।
जवाब देंहटाएंक्या पापड़वाला शेर लिखा है समीर भाई ने।
जवाब देंहटाएंउड़न तश्तरी...गलती अब भी जारी है पर कोई धांसू लेख लिख सकता इसी तरह का कि खुशदीप सहगल को इस शीर्षक के लिये खेद प्रकट करना चाहिये। शीर्षक से लगता है कि समीरलाल ने कोई गलती की और उसको जारी रखे हुये हैं।
अपनी सेवाओं की फ़ेहरिस्त देते संकलकों की सीमायें भी समझनी चाहियें।
निश्चित ही कोई तकनीकी अड़चन होगी, अन्यथा ब्लॉगवाणी न सुधारे, इसकी कोई वजह नजर नहीं आती
जवाब देंहटाएंसमीर जी सही कह रहे हैं । शायद इस का भी हल निकल जाये। स्लागोवर अच्छा लगा वाकई सात बीच मे हैं तो दूर का रिश्ता ही हुआ। धन्यवाद और शुभकामनायें
bahut achhe ,aap bhi to vahi cheej kar rahe hai bhai.udan tashtari ka nam lekar post likh rahe ho.vaise bhi udan tashtari koi sameer lal ka copy right to nahi hai bhaiyye.
जवाब देंहटाएंSlog over achchha tha
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जवाब देंहटाएंमैं नहीं समझता कि इसे तूल दिया जाना चाहिये,
यदि समीर भाई का सँयत एतराज़ दर्ज़ हुआ
और इरफ़ान भाई ने गलती सुधार ली,
ब्लॉगवाणी की अपनी सीमायें हैं,
कभी कभी स्वचालित व्यवस्था के यह ख़ामिया़ज़े तो देखने को मिलते ही हैं ।
रही बात ट्रैफ़िक की.. तो यह पाठकों के गफ़लत और भेड़चाल की देन है, इसमें इरफ़ान भाई का दोष ?
चप्पू और गप्पू बढिया लगा:)
जवाब देंहटाएंआप ने सही लिखा है...लेकिन समीर जी की बात भी सही हो सकती है तकनीकी कारण हो सकता है।
@तीखी बात
जवाब देंहटाएंज़रा सामने तो आओ छलिए
छुप-छुप छलने में क्या बात है...
जय हिंद...
आपके उड़न तश्तरी वाले गुरुदेव समीर लाल समीर जी ने जो लिखा वह पढ़ कर दिल गद गद हुआ और उनकी गम्भीरता देखकर यह भी समझ में आया कि आप उनको गुरुदेव क्यों मानते हैं :) वह क्या कहते हैं अंग्रेजी में "हैटस औफ़ टू हिम"
जवाब देंहटाएंपप्पू चप्पू और गप्पू का रिश्ता.... अच्छा लगा:)