चलो इस बात की तसल्ली है कि भारतीय क्रिकेट टीम ने बड़ी उपलब्धि हासिल की, वो भी उस दिन जिस दिन भारतीय क्रिकेट की महान विभूति लाला अमरनाथ की 98वीं जयंती थी. वही लाला अमरनाथ जिन्होंने भारत को 1933 में उसका पहला टेस्ट शतक दिया...वही लाला अमरनाथ जिनकी कप्तानी में भारत को 1953 में पहली टेस्ट सीरीज जीत हासिल हुई...वही लाला अमरनाथ जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को मोहिंदर अमरनाथ जैसा हीरा दिया.
खैर ये तो हो गई क्रिकेट की बात...अब आता हूं, असली मुद्दे पर...कल सुबह अविनाश वाचस्पति जी के आदेश पर ब्लॉगर्स मीट में हिस्सा लेने फरीदाबाद जाना है......लेकिन ब्लॉगर्स मीट में जाने से पहले मैं अपनी समझ (जो थोड़ी-बहुत है) के अनुसार हिंदी ब्लॉगिंग के टॉप टेन आइकन का जिक्र जरूर करना चाहूंगा...दरअसल इनकी कल ब्लॉगर्स मीट में कमी बहुत खलेगी...इसलिए चाहता हूं कि इस पोस्ट के ज़रिए ही इन सभी आइकन का आशीर्वाद ब्लॉगर्स मीट के साथ रहे...दरअसल मुझे 25 दिन हो गए ब्लॉगियाते हुए...लेकिन पत्रकारिता का मेरा 15 साल का अनुभव है...उसके आधार पर आस-पास जो कुछ भी होता है, उसे थोड़ा-बहुत ऑब्सर्व करना तो सीख ही गया हूं...उसी तजुर्बे के आधार पर मैंने 25 दिन में दूसरों की जितनी भी पोस्ट पढ़ीं, उनमें से मैंने अपने टेन आइकन चुने हैं..यहां मैं साफ कर दूं कि दूसरी सारी पोस्ट न तो मैं पढ़ सका हं और न ही मेरे में इतना सामर्थ्य है...हां जितना पढ़ा उसी में से मैंने अपने लीडर चुन लिए..ये मुमकिन है कई दूसरे ब्लॉगर भाई भी बहुत अच्छा लिखते हो, जिन्हें पढ़ने का मुझे सौभाग्य ही प्राप्त नहीं हुआ...लेकिन जो भी मैं नाम लेने जा रहा हूं, उन पर शायद ही किसी को ऐतराज हो..ये चुनाव ज़्यादा पढ़ी जाने वाली, ज़्यादा पसंद वाली, ज़्यादा टिप्पणियों वाली पोस्ट के आधार पर नहीं है...ये चुनाव है सिर्फ एक शब्द पढ़ कर ही ये अंदाज लगा लेने का कि लिखने वाले की सोच की कितनी गहराई है...इंसान के नाते उसके कद की कितनी ऊंचाई है...मेरे इस चुनाव को लोकप्रियता के पैमाने से न लिया जाए, बल्कि इस आधार पर लिया जाए कि ब्लॉगर्स परिवार में इन आइकन का कितना सम्मान है...कैसे ये आइकन... परिवार में कोई नया सदस्य आता है तो उसका हौसला बढ़ाते हैं...ऊंच-नीच समझाते हैं....लिस्ट बताने के बाद मैं एक-दो उदाहरणों से अपनी बात स्पष्ट भी करूंगा...हां, एक बात और इस लिस्ट को 1 से 10 नंबर के पैमाने पर भी न आंका जाए...क्योंकि ये सभी नंबर वन है...बस नाम लिखने हैं तो किसी का नाम पहले-बाद में आएगा ही...
डॉ अमर कुमार जी
ज्ञानदत्त पाण्डेय जी
दिनेशराय द्विवेदी जी
संगीता गुप्ता जी
निर्मला कपिला जी
रंजना जी (संवेदना संसार)
अनूप शुक्ल जी
जी के अवधिया जी
शरद कोकास जी
और समीर लाल जी समीर (गुरुदेव क्लासेस और मासेस दोनों में ही एक जितने लोकप्रिय हैं)
हां तो मैं बात कर रहा था एक-दो उदाहरण दूंगा...जैसे आज ही मेरी पोस्ट पर संजय तिवारी सँजू जी की टिप्पणी आई...लेखनी प्रभावित करती है...डॉ अमर कुमार ने इसे पढ़कर अलग से मेरी पोस्ट पर टिप्पणी दी...सँजू जी, आज सुबह से यह तीसरी जगह आपको लेखनी से प्रभावित होते देखना अच्छा लग रहा है...दरअसल सँजू भाई ने आज तीन-चार अलग-अलग ब्लॉगर्स भाइयों की पोस्ट पर यही टिप्पणी- लेखनी प्रभावित करती है...भेज दी थी...इसमें सँजू भाई का कोई कसूर नहीं ...दरअसल हममें से कई के साथ ऐसा होता है...समय कम हो, और कुछ पोस्ट अच्छी लगे तो हम जल्दी में एक जैसे ही शब्द या मिलते जुलते शब्द टिप्पणी में भेज देते हैं... सँजू भाई, इसे अन्यथा न लेकर डॉक्टर साहब के प्यार भरे आशीर्वाद के रूप में ले...ज़रिया आप बने और डॉक्टर साहब ने कितने शालीन शब्दों के साथ हम सब ब्लॉगर्स को नसीहत दे दी कि टिप्पणी देते समय हमें क्या ध्यान रखना चाहिए..
ये जितने भी आइकन का जिक्र मैंने ऊपर किया है, उनका हर शब्द, हर कृत्य हमारे लिए प्रेरणा-स्रोत है...हां, इस मामले में गुरुदेव का ज़िक्र अलग से ज़रूर करना चाहूंगा...कोई भी नया ब्लॉगर अपनी पारी की शुरुआत करता है तो सबसे पहले उसका हौसला बढ़ाने के लिेए सर्र से उड़न तश्तरी से गुरुदेव ही पहुंचते हैं...
अब मैं नाम लेना चाहूंगा, हिंदी ब्लॉगिंग के कुछ सिपाहियों का...सेना के जवान जिस तरह निस्वार्थ भाव से कड़ाके की ठंड हो या झुलसाने वाली गर्मी, देश की सेवा करते हैं, उसी तरह ये सिपाही भी ब्लॉगिंग जगत और ब्लॉगर्स की मदद करने में जुटे रहते हैं...ये नाम हैं- पीएस पाबला, अजय कुमार झा, विनोद पांडेय और अविनाश वाचस्पति...अभी एक भाई ने अजय भाई पर ही चर्चा में अपना नाम न होने को लेकर उंगली उठा दी थी...उस भाई को मेरा जवाब है...न तो मेरा अजय भाई से पहले कोई संपर्क रहा है, और न ही मेरी उनसे कभी ईमेल, फोन या किसी दूसरे माध्यम से बात हुई है...मुझे जुम्मा-जुम्मा 20-21 दिन ही ब्लॉगिंग में हुए हैं...लेकिन मुझे अजय जी ने एक से ज़्यादा बार चर्चा में जगह दी...आरोप लगाने वाले भाई की भावना को मैं समझ सकता हूं...कभी भावावेश या नासमझी में हम ऐसी कोई बात कह जाते हैं जिसका कोई आधार नहीं होता...लेकिन हम ऐसा करके जिस पर आरोप लगा रहे हैं, उसका कद कम नहीं करते, बल्कि गलत साबित होने पर खुद ही बौने हो जाते हैं. ऐसा ही नहीं कि पाबलाजी या अजयजी को अपने कोई काम नहीं हो...वो भी अपने रूटीन में उतने ही बिज़ी है जितने कि हम और आप...लेकिन वो फिर भी हमारे लिेए टाइम निकालते हैं...मैं फिर कहूंगा कि दोबारा मत पूछना कि हम क्लोरोमिंट क्यों खाते हैं...
बस बहुत हो गया, सुबह जल्दी उठना है, नहीं तो अविनाश वाचस्पति जी को कान पकड़ने का अधिकार तो है ही...क्या कहा स्लॉग ओवर, अब वो कैसे भूल सकता हूं...
स्लॉग ओवर
एक बार जंगल में शेर महाराज सभी जानवरों को इकठ्ठा कर हेकड़ी जता रहे थे...हा...हा...हा...मैं कौन, इस जंगल का राजा...जब मैं दहाड़ता हूं तो पूरा जंगल थर्र-थर्र कांपने लगता है...तभी एक बारीक सी आवाज आई....ओए, शेर, ज़्यादा चौड़ा मत हो, तू क्या खाकर मेरा मुकाबला करेगा...मैं ज़रा सी छींक भी मारता हूं...जंगल तो क्या पूरी दुनिया सर पर पांव रखकर दौड़ने लगती है...(बारीक आवाज सुअर के बच्चे यानि मिनी स्वाइन की थी)
अब डेंगू के एस एम एस आने लगे है कल शेर को मच्छरो से भी डरना पडेगा।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी!
जवाब देंहटाएंआप की आइकॉन सूची आप की अपनी पसंद हो सकती है। लेकिन ब्लागरों को इस तरीके से तौलना मुझे रुचिकर नहीं लगा। बहुत से ब्लागर हैं जो बहुत बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और कर गए हैं। बहुत से हैं जिन में बहुत बहुत संभावनाएँ भरी पड़ी हैं और समय आने पर बहुत बड़े-बड़े काम कर जाएंगे। मेरा मानना है कि अधिकांश ब्लागर इस दुनिया और मानव समाज को खूबसूरत प्यार भरी दुनिया और समाज के रूप में देखना चाहते हैं। उन के नजरिए भिन्न भिन्न हैं। लेकिन वे अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार बने रहें तो मंजिल पर पहुँचने के पहले सब एक ही सड़क पर खड़े होंगे। सब अपना अपना काम कर रहे हैं। कोई टायर का तो कोई स्टेयरिंग का तो कोई हॉर्न का .....
सफर इन में से किसी भी एक के बिना पूरा नहीं होने का। आप की भावनाओं का सम्मान करता हूँ और आज होने वाली ब्लागर मीट के लिए मेरी शुभ-कामनाएँ भेजता हूँ। कुछ व्यस्तता में अटका हूँ वर्ना आज फरीदाबाद में होता। वहाँ भी मेरा एक घर है।
नौसिखिया हूँ क्या टिप्पणी करूँ!!
जवाब देंहटाएंपेशेनज़र है फिल्म 'यादों की बारात' का मशहूर गीत
'चुरा लिया है तुमने जो दिल को..' (अपनी लेखनी से)
बस जल्दबाजी में इतना ही कहूंगा कि खुशदीप सहगल भाई ने अपनी इस पोस्ट से खुशियों के जो दीप प्रज्वलित किए हैं, उनसे हमें प्रेरणा लेनी है और सीखना है तथा अब यह जिम्मेदारी बन जाती है हम सबकी ..... और जहां तक कान पकड़ने का प्रश्न है, एक बात और जोड़ना चाहूंगा कि कान चाहे अपना ही पकड़ लो परंतु भूलकर भी न तो किसी की नाक पकड़ो और न किसी को पकड़ने दो, नाक का पकड़ना सदैव घातक होता है और उसी पकड़ से बचने के लिए कान आगे कर दिए जाते हैं .... खैर ... सूअर फ्लू के बाद बंदर, कुत्ता, क्राकरोच जैसे फ्लू भी अपना सिर उठायेंगे परंतु हमें उससे पहले ब्लॉगसॅ स्नेह फ्लू को समूची शिद्दत से फैलाना है।
जवाब देंहटाएंMany Happy returns of the Blogger's meet. Bahut shubh kamanaen bhee iskee safalta ke liye.
जवाब देंहटाएंआपकी लेखन शैली का कायल हूँ. बधाई.
जवाब देंहटाएंब्लागर मीट के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंब्लॉगर मीट की शुभकामनायें । सूची में मेरी पसन्द के भी बहुतेरे नाम हैं ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिस्ट में आने वाले सभी ब्लोगर्स को बधाई...स्लोग ओवर जानदार है ..
जवाब देंहटाएंब्लोगर्स मीट की बहुत शुभकामनायें ..!!
आपके टॉपम टॉप आईकन्स को जानकर अच्छा लगा और शायद बहुत से लोगों के होंगे अपनी अपनी पसंद है। चलिये ब्लॉगर्स मीटिंग से आकर आपकी अपडेट का इंतजार है।
जवाब देंहटाएंकोई भी सूची न तो कभी मुकम्मल होती है, न ही स्थाई और न ही सर्वमान्य।
जवाब देंहटाएंआपने अपने 25 दिनों के ब्लॉगिंग काल में, विभिन्न कारणों से, जो नाम पसंद किए हैं वह ब्लॉग जगत को समझने की आपकी सराहनीय प्रक्रिया का एक अंग हैं।
निश्चित तौर पर कई ब्लॉगर अपने अपने संसाधनों से इस विधा में अपना-अपना योगदान दे रहे हैं, कुछ अपना ज्ञान दे नेपथ्य में जा चुके। युवा अपने नए विचारों को तकनीक के सहारे इसे और ऊँचाई पर ले जाने में सक्षम होंगे, उम्मीद है।
ब्लॉगर्स मीट हेतु शुभकामनाएँ। रिपोर्ट की प्रतीक्षा रहेगी।
बी एस पाबला
स्लॉग ओवर जबरदस्त है, बधाई.
जवाब देंहटाएंब्लागर मीट की शुभकामनाएं -कितने आईकन आयेगें वहां ?
जवाब देंहटाएंपत्रकारिता की पूरी छाप आपकी लेखनी मे दिखाई पड रही है। आज ब्लागर्ज़ मीट के लिये शुभकामनायें। काश कि समय पर पता चलता तो हम भी आ पाते। स्लाग ओवर हमेशा की तरह लाजवाब । एक पत्रकार की कलम से ब्लागर्ज़ मीट की अच्छी पोस्ट का इन्तज़ार रहेगा। शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंब्लागर मीट के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंregards
list ke kai naam mujhe bhi pasand hain aur rahi baat aek jaise comment ki to uska jawab to aapne khud hi de diya hai...itna to saaf hai ki aap waqai blogging dil se kar rahe hain
जवाब देंहटाएंदिनेशराय द्विवेदी जी से अक्षरशः सहमत...
जवाब देंहटाएं...आप की आइकॉन सूची आप की अपनी पसंद हो सकती है। लेकिन ब्लागरों को इस तरीके से तौलना मुझे रुचिकर नहीं लगा। बहुत से ब्लागर हैं जो बहुत बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और कर गए हैं। बहुत से हैं जिन में बहुत बहुत संभावनाएँ भरी पड़ी हैं और समय आने पर बहुत बड़े-बड़े काम कर जाएंगे। मेरा मानना है कि अधिकांश ब्लागर इस दुनिया और मानव समाज को खूबसूरत प्यार भरी दुनिया और समाज के रूप में देखना चाहते हैं। उन के नजरिए भिन्न भिन्न हैं। लेकिन वे अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार बने रहें तो मंजिल पर पहुँचने के पहले सब एक ही सड़क पर खड़े होंगे। सब अपना अपना काम कर रहे हैं। कोई टायर का तो कोई स्टेयरिंग का तो कोई हॉर्न का .....
Saleem Khan
http://hamarianjuman.blogspot.com
"मुझे जुम्मा-जुम्मा 20-21 दिन ही ब्लॉगिंग में हुए हैं"...और आइकन भी पहचान लिये! :) मैं आपकी प्रशंसा करता हूँ.
जवाब देंहटाएंआपकी चिट्ठाकारी चीरस्थाई हो...मेरी शुभकामनाएं.
धत तेरी के! लिस्ट में हमारा त कहीं नामे नहीं है... साला यही सोच कर पूरा पढ़ गए की कहीं हमरो नाम का जीकर होगा... खाया-पिया कुछ नहीं ग्लास तोडा बारह आना... :)
जवाब देंहटाएंयह तो हुई मज़ाक की बात
अब दिल की बात :-
पहले तो बधाई...
की समाचार की गंध आपको टाइम से लग जाती है... (निर्मला कपिला से सही लिखा है, पत्रकारीय छाप दिख रही है)
की आज ब्लोग्गेर्स मीट है इसलिए
की इसमें बहुत से नाम वाजिब हैं...
लेकिन...
इस तरह आप पॉलिटिक्स को बढावा दे रहे हैं... आपकी मंशा ना हो तो भी यह हो जायेगा... वज़ह साफ़ है की ज्यादातर का इगो हर्ट होगा और कुछ कलाकार टाइप के लोगों को यह नहीं पचेगा
डॉ. अनुराग आर्य का ब्लॉग 'दिल की बात' नहीं है... और ऐसे कई और तमाम नाम हैं जो होने चाहिए...(यह मासेस और क्लास्सेस दोनों में आते हैं...)
आपने अज़दक (प्रमोद सिंह) को नहीं देखा (क्लास यहाँ है अलबत्ता मॉस नहीं है क्योंकि लोग समझते नहीं हैं...)
अब जिनके नाम है तो तो विनम्रता से झुके होंगे,... (आरे नहीं आपने ऐसा समझा, आपकी मेहरबानी टाइप वाली बातें, और नो लिस्ट में नहीं है (हुम्म... ! यह भी कोई लिस्ट है... जुम्मा-जुम्मा चार दिन आये और चले है लिस्ट बनाने टाइप)
फिर हम जैसे झूठे भरम ले कर चलने वाले को बुरा लगेगा, लग भी रहा है, साला टाइम खोटी भी करो, कौनो जस नहीं...
एक ठो कहावत याद आया - जातो गवाए, भातो ना खाए...
सबकी एकही कोमप्लैन होगी 'साला अपन को समझताइच नहीं है...)
तो इसे मजाक में कही गयी सिरिअस बात लीजियेगा...!!! बांकी आपकी मर्ज़ी मुझसे उम्र में बड़े हैं... अनुभवी हैं, मैंने बेबाक बात कहीं है... माफ़ करना अगर कुछ गलत हो तो....
वैसे ब्लॉग की बड़ी खबर बन जायेंगे आप... कोई शक नहीं...
आप रत्नपारखी हैं।
जवाब देंहटाएंवाचस्पति जी का शुक्रिया जिन्होंने यह लिंक भेजा और अच्छी पोस्ट पढ़वाई।
ब्लागर मीट रिपोर्ट की प्रतीक्षा है।
द्विवेदी जी के कथन से सहमति.......खैर सबकी पसंद अपनी, सोच अपनी।
जवाब देंहटाएंब्लागर्स मीट की शुभकामनाऎं!!!!
नौसिखिया हूँ क्या टिप्पणी करूँ???
जवाब देंहटाएंसूची में मेरी पसन्द के भी नाम हैं !!
ब्लागर्स मीट की शुभकामनाऎं!!!!
भैया, लगता है अनायास ही आपने मधुमक्खियों के छत्ते में हाथ डाल दिया है. ये गलती हमसे भी एक बार हुई थी कोलिज के दिनों में, जब हमने जोश में आकर अपनी क्लास का मिस्टर क्लास चुनकर और दस सबसे स्मार्ट लड़कों की एक लिस्ट बनाकर नोटिस बोर्ड पर लगा दी. अब वो दस तो दोस्त बने नहीं, ऊपर से बाकी के ९० छात्र और नाराज़ हो गए.
जवाब देंहटाएंद्विवेदी जी की बात सही लगती है, ब्लॉग लिखने वाले तो सभी यही सोच कर लिखते हैं की जो वो लिख रहे हैं, वो सही है. अब कोई खामख्वाह तो अपना समय जाया करेगा नहीं. लेकिन ये भी सच है की बॉलीवुड में सब तो सुपरस्टार नहीं बन जाते, न ही सब क्रिकेटर टीम इंडिया में आ जाते. पर फिर भी खेलते तो सब हैं. और यही भावना होनी भी चाहिए.
वैसे ब्लोगर्स मीट को १०-३० पर रखने का औचित्य समझ नहीं आया. अगर दोपहर बाद होता तो दो चार हम जैसे भी वर्चुअल वर्ल्ड से निकलकर हककत की दुनिया में दोस्तों के दर्शन कर पाते.
खैर अब आप से ही किस्सा सुनेंगे.
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंपसन्द अपनी अपनी कोई भी ब्रान्ड की बनियन पहनो वो तन को ढकती ही है।
जवाब देंहटाएंआपका अभिनन्द!!!!!
♥♥♥♥♥♥
रामप्यारीजी से एक्सक्लुजीव बातचीत
Mumbai Tiger
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
आप ब्लागर्स ‘मीट’ के लिए जा रहे हैं! क्या आप नानवेजिटेरियन है? :)
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं.
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खुशदीप जी,
किसी लिस्ट-विस्ट का कायल मैं भी नहीं,
दिनेशराय द्विवेदी जी से अक्षरशः सहमत...
मीट की रिपोर्ट का ईंतजार रहेगा।
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमेरी इस पोस्ट पर सभी तरह की टिप्पणियां आईँ...एक बंधु ने यहां तक कहा कि मैंने प्रतिकूल टिप्पणी को हटाया क्यों नहीं...देखिए भाई...यही तो लोकतंत्र की खूबी है...हर एक को अपनी बात ऱखने का पूरा अधिकार है...अगर कोई आपकी आलोचना करता है तो उसे भी संयम के साथ सुनना चाहिए...अगर मीठा-मीठा गप गप और कड़वा-कड़वा थू-थू करेंगे तो ये अपने आपको ही धोखा देना होगा...ये हो सकता है कि मैं ही कहीं अपनी बात को ठीक तरह से रखने में चूक गया हूं...इसीलिए तो मैं कहता हूं कि दिनेशराय द्विवेदी जैसी हस्तियां मेरे लिए आइकन हैं...ऐसे सद्जन ठीक वैसी डाल के समान होते हैं जिनके जितने फल लगते है वो उतना ही झुकती हैं...वो अगर आपको कोई नसीहत देते हैं तो उसमें आपके लिए ही कोई भलाई छिपी होगी...ठीक वैसे ही जैसे घर के बड़े-बुज़ुर्ग हक के साथ आपसे कोई बात कहते हैं...रही बात टिप्पणी हटाने की तो मैं तब तक सेंसर के पक्ष में नहीं हूं जब तक कोई मर्यादा की सीमा न लांघे...बाकी फूलों के साथ आपके पत्थर भी मुझे बर्दाश्त हैं...
जवाब देंहटाएंमैं अपनी टिप्पणी पर अभी भी कायम हूँ,
जवाब देंहटाएंइसमें मैंने कटु शब्दों का प्रयोग किया हो ऐसा मैं नहीं मानता,
महेन्द्र मिश्र जी की पोस्ट लिखने की आवृति का मैं कायल हूँ,
मेरे उनसे कभी मतभेद रहे इसका मतलब यह नहीं कि हम आपस में दुश्मन हो गए,
यह तो लोगों की साजिश है हमें भिड़ाने की जिन्हें एक सच बात बेइज्जती नज़र आयी,
रही बात टिप्पणी डिलीट करने की ,तो अगर किसी को अपशब्द कहा गया हो तो टिप्पणी अवश्य डिलीट होनी चाहिए, जैसे एक छद्मनामी टिप्पणीकार ने मेरे लिए किया है,
sahgal ji ,maine to bas likhana shuru kita itana jald aapne mujhe is kabil samajha main aapka bahut aabhari hoon..bas sneh banaye rakhe..
जवाब देंहटाएंaapka anuj,
Vinod Pnadey
वकील लोग जब छ्द्म नाम से वकालत करने लगे तब तो हो चुका भैया!
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जवाब देंहटाएंखुशदीप जी, आपको अपनी आइकन सूची की समीक्षा समय समय पर करते रहना चाहिये, इसमें परिवर्तन होते रहेंगे, और होते रहना भी चाहिये ।
अपने लेखन शैली, अपने आग्रहों को साथ लेकर चलने वाले, और अपनी खुँदक को जीने वाले भी अपनी अपनी जगह पर आइकन ही हैं ।
इस प्रकार की समीक्षा सर्वग्राह्य ही हो, यह आवश्यक भी नहीं.. व्यर्थ ही इससे सहमति या असहमति जताना , अपनी नित बदलती चेतना के साथ खिलवाड़ होगा ।
भाई मेरे, ( बतर्ज़ स्व. मुकेश जी ) मुझे तुमसे कुछ भी न चाहिये.. मुझे आइकन बनने से रोक लो.. बस तुम रोक लो ।
जहाँ कुछ गलत दिखता है, मैं इंगित अवश्य कर देता हूँ । यह मेरा व्यक्तिदोष है । यही मैं अपने लिये भी चाहता हूँ ।
यह तो हर कोई मानेगा कि, भले ही एक अपरिचित मनुष्य गड्ढे में पैर डालने जा रहा हो.. आप हठात ही उसे रोक लेते हैं, क्यों ?
तो.. यह तय रहा कि, " मुझे तुमसे कुछ भी न चाहिये.. मुझे आइकन बनने से रोक लो.. बस तुम रोक लो " पर आप अमल करने जा रहे हैं ।
असीम शुभकामनायें !
hi hi hi hi hi hi hi ....sab kuchh theek hai.... kyunki sab kuchh theek hone ke liye hi hotaa hai...hi hi hi hi hi hi hi hi hi......!!
जवाब देंहटाएंखुशदीप जी,
जवाब देंहटाएंपता नहीं आपका यह पोस्ट मुझसे कैसे छूट गया। आज ही पढ़ पाया हूँ। ब्लोगिंग में हर किसी का समान महत्व है, कोई किसी से कम नहीं है। द्विवेदी जी के टिप्पणी के बाद अब आगे और क्या लिखूँ।
coffee house...
जवाब देंहटाएंmera matlab hai bloggers meet ke liye subhkamnaayien.
यहाँ से उपजे बवाल की खबर पाकर यहाँ तक आया।
जवाब देंहटाएंआपको कुछ और महीने बिताने के बाद यह प्रयास करना चाहिए था। ...लेकिन शायद तब आप ऐसा करते ही नहीं।
शुभ हो...!
सब पढ़ लिए ःः
जवाब देंहटाएं... down the memory lane...
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