झुक झुक के डर डर के नहीं,
सामने से वार करना होगा
R R R
बोले तो
Rise...Roar...Revolt...
उठो, दहाड़ो, फिर बग़ावत
यही है उस फिल्म के टाइटल
के मायने, जिस फिल्म के लिए भारतीय सिनेमा के हाल-फिलहाल के इतिहास में दर्शकों को
सबसे ज़्यादा इंतज़ार रहा. फिल्म के लिए कितना क्रेज़ है इसका अंदाज़ इसी से
लगाया जा सकता है कि आंध्र प्रदेश में सिनेमाहाल्स में स्क्रीन के साथ कंटीली बाढ़
लगाई जा रही है, जिससे कि दर्शक स्क्रीन के नज़दीक तक न पहुंच सकें.
RRR को लेकर कितना क्रेज है, सिनेमा मालिकों ने स्क्रीन के साथ कंटीले तार लगाए है जिससे दर्शक नज़दीक तक न पहुंच सकें
आख़िर क्या है ऐसा फिल्म RRR में जो हर कोई इसी की बात कर रहा है. सबसे पहली बात इस फिल्म के डायरेक्टर एस एस राजमौली हैं जिन्होंने बाहुबली के तौर पर ऐसी ब्लॉकबस्टर फिल्म दी जिसे भाषा और क्षेत्र की सीमाओं को तोड़ कर पूरे देश के दर्शकों का प्यार मिला.
550 करोड़ रुपए की लागत से
बनी इस फिल्म की स्टार कास्ट भी इसकी यूएसपी है. तेलुगु सिनेमा के दो बड़े
स्टार्स एनटीआर जूनियर और रामचरण को एक साथ दर्शकों को सिल्वर स्क्रीन पर देखने का
मिलेगा. फिल्म को पैन इंडिया लुक देने के लिए आलिया भट्ट और अजय देवगन जैसे
बॉलिवुड स्टार्स भी ट्रिपल आर में चमकते नज़र आएंगे.
1920 के वक्त को दिखाती इस
फिल्म का तानाबाना तब के दो ऐसे युवा बाग़ियों के इर्दगिर्द बुना गया है जिन्होंने
मातृभूमि की आज़ादी और अपने लोगों को ज़ुल्म से बचाने के लिए तानाशाह हुक्मरानों
के खिलाफ़ बिगुल बजाया. इनमें आज़ादी के मतवाले एक युवा का नाम था अल्लुरी सीताराम
राजू, जिसने आंध्र की ज़मीन पर पैदा होकर ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया. फिल्म में
ये किरदार रामचरण निभा रहे हैं जो मेगास्टार चिरंजीवी के बेटे हैं. फिल्म में गोंड आदिवासी नेता कोमाराव भीम का
किरदार एनटीआर जूनियर ने निभाया है जो आंध्र प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री एनटी
रामाराव के पोते हैं. कोमाराव भीम ने हैदराबाद की आज़ादी के लिए निज़ामों की ईंट
से ईंट बजा दी.
फिल्म का हाईलाइट ये है कि अल्लुरी सीताराम राजू और कोमाराव भीम पहले दुश्मनी के बाद कैसे एक दूसरे के करीब आते हैं और अपने लक्ष्य पूरा करने के लिए एक दूसरे से हाथ मिलाते हैं और दोस्ती की मिसाल बन जाते हैं.
फिल्म के डायरेक्टर राजमौली
मानते हैं कि इतिहास में सीताराम राजू और कोमाराव भीम के कुछ अर्से तक अंडरग्राउंड
रहना कहीं डॉक्यूमेंटेड नहीं है, और यहां उन्होंने फिक्शन से काम लिया है. कैसे
1920 में दोनों अपने रहने वाली जगहों से दूर चले जाते हैं, और तीन चार साल ताक़त
बटोर कर फिर अपने मिशन में जुट जाते हैं. इस दौरान दोनों का आपस में टकराना और फिर
दोस्त बनना भी दर्शकों को देखने को मिलेगा.
एम एम करीम के म्युजिक से सजी फिल्म में साई माधव बुर्रा के लिखे डॉयलॉग भी भरपूर तालियां बटोरने का माद्दा रखते हैं. 2018 में इस फिल्म का एलान हुआ और नवंबर में शूटिंग शुरू हुई. हैदराबाद के साथ यूक्रेन और बुल्गारिया में भी फिल्म का कुछ हिस्सा शूट हुआ है. पहले इसे जुलाई 2020 में रिलीज़ होना था लेकिन कोरोना की वजह से इसकी रिलीज टलती रही और अब जाकर इसे दर्शकों को देखने का मौका मिला.
फिल्म के इस एक डायलॉग से ही इसकी तासीर का पता चल जाता है-
वीर इन टुच्चे राक्षसों को
छोड़ महासुर का संहार करना है तुझे