लता युवा थीं तो PAK के क्लासिकल सिंगर गायक उस्ताद सलामत अली ख़ान से शादी करना चाहती थीं;1953 में उस्ताद सलामत भारत कंसर्ट के लिए आए तो लता से पहली बार मिले, दोनों देशों के तल्ख़ रिश्ते की वजह से उस्ताद सलामत शादी के लिए तैयार नहीं हुए
लता मंगेशकर अपने गानों में हमेशा
अमर रहेंगी... उनके प्रोफेशनल सिंगिंग करियर से जुड़ा कोई भी पहलू ऐसा नहीं जो
सार्वजनिक न हो... लेकिन उनकी निजी ज़िंदगी से जुड़े राज़ हमेशा राज़ ही रहे... न
ही लता ने कभी उन पर बोलना पसंद किया...
एक बार उनसे एक्ट्रेस-होस्ट तबस्सुम
ने उनसे सवाल किया था कि वो मांग में सिंदूर किस लिए लगाती हैं... इस पर लता जी का
जवाब था कि संगीत ही उनके लिए सब कुछ है, परमेश्वर है, इसलिए उसी के नाम का सिंदूर लगाती हैं...
वेलैन्टाइन्स डे के मौके पर देशनामा
लता जी से जुड़ी दो ऐसी कहानियां पेश कर रहा है जिनसे उनके दिल में दो अलग अलग
मौकों पर दो शख्सों के लिए सॉफ्ट कार्नर होने का पता चलता है...पहले थे पाकिस्तान
के मशहूर क्लासिकल सिंगर उस्ताद सलामत अली ख़ान और दूसरे थे डूंगरपुर घराने से
ताल्लुक रखने वाले राज सिंह डूंगरपुर...
पहली कड़ी में लता मंगेशकर और
उस्ताद सलामत की अधूरी कहानी...
लता मंगेशकर ने शादी क्यों नहीं की? ये सवाल उनके फैंस
के ज़ेहन में हमेशा आता रहा. लता ने एक बार हिन्दुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में
कहा था- कुछ ऐसी बातें होती हैं जिन्हें सिर्फ दिल जानता है. इन पर सवाल न कर मुझे
इन्हें वैसा ही रखने दीजिए.
रिसर्च से पता चलता है कि लता मंगेशकर के दिल में दो शख्सों के लिए अलग अलग दौर में सॉफ्ट कॉर्नर रहा. एक पहलू लता जब बहुत युवा थीं तब का है और एक जब वो मैच्योर हो गईं थीं तब का.
पाकिस्तान के सामा टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पत्रकार ताहिर
सरवर मीर लता और उस्ताद सलामत के बीच खूबसूरत रिश्ते की गवाही दी. मीर ने भारत और
पाकिस्तान दोनों की ही फिल्म इंडस्ट्री को कवर किया.
जिस तरह लता की गायकी का भारत में सम्मान करते हुए उन्हें देश के सर्वोच्च
नागरिक सम्मान भारतरत्न से नवाज़ा गया, इसी तरह उस्ताद सलामत का अपने दौर में
शास्त्रीय गायन में इतना नाम था कि उन्हें अपने दौर के तानसेन के टाइटल से बुलाया
जाता था.
उस्ताद विलायत अली ख़ान के बेटे उस्ताद सलामत वैसे लता से पांच साल छोटे
थे. उनका जन्म होशियारपुर में 1934 में हुआ. देश के बंटवारे के वक्त उनका परिवार
पाकिस्तान चला गया. 50 के दशक के शुरू में छोटी उम्र में ही उनकी क्लासिक सिंगिंग
की ख्याति पाकिस्तान के साथ साथ अन्य तमाम देशों में फैल गई थी. ये वो दौर था जब
हिन्दी सिनेमा ने परवान होना शुरू हुआ था. तब के फिल्म संगीत की बात की जाए तो
शास्त्रीय संगीत उसके लिए ऐसा होता था जैसे भक्त के लिए मंदिर.
1953 में मुंबई में कंसर्ट के दौरान उस्ताद सलामत और राज कपूर- फाइल |
पत्रकार ताहिर सरवर मीर के मुताबिक 1953 में उस्ताद सलामत अली खान और उनके
भाई उस्ताद नज़ाकत अली ख़ान भारत में म्यूज़िक कंसर्ट के लिए आए और कलकत्ता-मुंबई
का दौरा किया. तब मुंबई में ही लता और उस्ताद सलामत पहली बार आपस में मिले. एक
दूसरे की कला का सम्मान करने के साथ दोनों एक दूसरे की ओर आकर्षित हुए. बताते हैं
कि लता कंसर्ट में उस्ताद सलामत को सुनने के लिए अपनी रिकॉर्डिंग तक कैंसल कर देती
थीं. लता उनसे शादी करना चाहती थीं लेकिन उस्ताद सलामत की पहले ही रज़िया बेगम से
शादी हो चुकी थीं.
लता मंगेशकर उस्ताद सलामत अली ख़ान को कंसर्ट में सुनते हुए- फाइल |
उस्ताद सलामत ने लता से शादी क्यों नहीं की, इस पर एक बार उन्होंने खुद ही
कहा था कि लता भारतीय समाज के लिए देवी की तरह थीं और एक पाकिस्तानी मुस्लिम से शादी
होने पर दोनों को जान से मारे जाने और पाकिस्तान—भारत के बीच जंग की नौबत तक आ
सकती थीं.
लता और उस्ताद सलामत की शादी बेशक नहीं हो सकी लेकिन दोनों के दिलों में एक
दूसरे के प्रति सम्मान ताउम्र बना रहा. यही वजह है कि उस्ताद सलामत के पोते शुजात
अली ख़ान और शराफ़त अली खान मुंबई में कंसर्ट के लिए आए तो लता ने उन्हें अपने घर
के सदस्यों की तरह ही ट्रीट किया.
शुजात अली ख़ान ने 2021 में बीबीसी को दिए इंटरव्यू में बताया था कि उस्ताद सलामत अक्सर लता का गाया गीत लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो न हो गुनगुनाया करते थे.
उस्ताद सलामत की बेटी रिफ्फत सलामत ने भी एक बार लता और पिता के बीच
खूबसूरत रिश्ते की तसदीक की थी. रिफ्फत के मुताबिक वो अपनी मां और पिता के साथ लता
मंगेशकर से मिलने के लिए भारत आई थी लेकिन उन्होंने इस मुलाकात को निजी बताते हुए
उसका ब्यौरा शेयर नहीं किया था. रिफ्फत का कहना था कि अगर उनके पिता की लता से
शादी होती तो वो फख्र महसूस करतीं लेकिन साथ ही उन्हें अपनी मां के लिए बुरा भी
लगता.
ऐसी रिपोर्ट हैं कि 1978 में उस्ताद सलामत को लंदन में परफॉर्मेंस के दौरान
ही स्ट्रोक हुआ था तो अस्पताल के सारे बिल लता ने ही चुकाए थे. उस्ताद सलामत का
किडनी फेल होने की वजह से 11 जुलाई 2001 को लाहौर में इंतकाल हुआ. उस्ताद सलामत के
बेटे सखावत अली खान के मुताबिक उनके पिता ने लता को लाहौर ले जाने का वादा किया था
जो कभी पूरा नहीं हो सका. सखावत अली ख़ान खेद जताते हैं कि लता मंगेशकर को ज़िंदगी
में कभी पाकिस्तान आकर कंसर्ट करने का मौका नहीं मिला जिसकी पाकिस्तान में उनके
सभी मुरीदों के दिल में कसक हमेशा रहेगी. लाहौर ले कर जाएंगे जो वादा पूरा नहीं हो
सका उस्ताद सलामत अली ख़ान के बेटे सखावत अली खान खेद जताते हैं कि लता कभी
पाकिस्तान नहीं आ सकीं.