Watch: बुद्ध की शरण में इमरान ख़ान?



स्वात में महात्मा बुद्ध की प्राचीन प्रतिमा के सहारे पाकिस्तान में पर्यटन को बढ़ाना चाहते हैं इमरान ख़ान, चट्टान पर उकेरी बुद्ध प्रतिमा को 2007 में पाकिस्तान तालिबान ने क्षतिग्रस्त किया था, 2017 में हुई बहाल, बुद्ध के शांति-अहिंसा के संदेश पर भी क्या ध्यान देंगे इमरान? जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को शह देना कब होगा बंद?



नई दिल्ली (21 अक्टूबर)। 

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश में बौद्ध टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहते हैं. इमरान चाहते हैं कि इसके लिए दूसरे देशों से भी टूरिस्ट पाकिस्तान में महात्मा बुद्ध से जुड़ी प्राचीन निशानियों को देखने के लिए आएं. इसी पहल के तहत इमरान ने 17 अक्टूबर को स्वात घाटी में चट्टान पर नक्काशी से उकेरी हुई बुद्ध की प्रतिमा की तस्वीर अपने ट्विटर हैंडल पर अपलोड की. इमरान ने साथ में कैप्शन में लिखा- बुद्ध की चट्टान पर उकेरी गई सबसे बड़ी प्रतिमाओं में से एक, लगभग 2000 साल पुरानी, स्वात के जहान आबाद में स्थित.

पिछले महीने भी इमरान ने खैबर-पख्तूनख्वा में तख्तभाई में स्थित बौद्ध मंदिर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की थी. इमरान ने साथ में लिखा था खैबर पख्तूनख्वा में तख्तभाई में बौद्ध मंदिर के प्राचीन अवशेष- पाकिस्तान की समृद्ध गांधारा विरासत का हिस्सा.

 

इमरान पाकिस्तान में टूरिज्म की काफी संभावनाएं मानते हैं, अगर पाकिस्तान के पर्यटन स्थलों को दुनिया भर में ठीक से प्रमोट किया जाए. इमरान मानते हैं कि अगर ऐसा होता हो तो पाकिस्तान को मोटे विदेशी कर्ज से निज़ात मिल सकती है. इमरान ने हाल में मानशेरा में एक सभा में कहा था, स्विट्जरलैंड पाकिस्तान के नॉर्दन एरियाज से साइज में आधा है और हमारे लैंडस्केप की कुदरती खूबसूरती से कहीं मेल नहीं खाता, इसके बावजूद वो टूरिज्म से 80 अरब डॉलर कमाता है और पाकिस्तान का कुल एक्सपोर्ट ही 25 अरब डॉलर का है.


 इसी साल अप्रैल में श्रीलंका से वरिष्ठ बौद्ध भिक्षुओं समेत 14 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान आया था. ये प्रतिनिधिमंडल एक हफ्ते तक पाकिस्तान में रह कर विभिन्न बौद्ध हेरिटेज साइट्स पर गया.  इन्होंने अपनी धार्मिक यात्रा की शुरुआत लाहौर स्थित म्यूजियम से की. यहां पर उपवास करते बुद्ध और सिकरी स्तूप जैसी प्राचीन बौद्ध निशानियां मौजूद हैं. इस दौरे का आयोजन श्रीलंका स्थित पाकिस्तान दूतावास ने अपने देश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया था.

 

बता दें कि स्वात घाटी में 2007 में पाकिस्तानी तालिबान ने जिस बुद्ध प्रतिमा को क्षतिग्रस्त किया था. उसे स्थानीय लोगों की कोशिशों से काफी हद तक पुराने स्वरूप में बहाल कर दिया गया. 7वीं सदी की इस 21 फीट ऊंची प्रतिमा को डायनामाइट से उड़ाने की कोशिश की थी. इससे बुद्ध प्रतिमा का चेहरा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. पाकिस्तान तालिबान ने इस घटना को 2001 में अफगानिस्तान के बामियान में तबाह की गई बुद्ध प्रतिमा की तर्ज पर ही अंजाम दिया था. स्वात में 2012 में बुद्ध प्रतिमा के दोबारा तैयार किए जाने की शुरुआत हुई. इटली की सरकार ने स्वात घाटी की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए पांच साल के भीतर 25 लाख यूरो करीब 20 करोड़ रुपए का निवेश किया.

 

6 साल तक पुरानी तस्वीरों और 3-डी प्रिंटिंग की मदद से इस प्रतिमा को मूल स्वरूप दिया गया. ये काम 2016 में पूरा हो गया था. इटली के विशेषज्ञों ने 3-डी लैब में बुद्ध का चेहरा तैयार किया. उनका कहना था कि रीस्टोरेशन में जानबूझकर कमी छोड़ी है, ताकि ये पता चल सके कि इसे कभी आतंकियों ने नुकसान पहुंचाया था. जानकारों का मानना है कि कभी स्वात घाटी में 1000 से ज्यादा बौद्ध मठ थे. चौथी शताब्दी में घाटी में बौद्ध धर्म अपने उत्कर्ष पर था लेकिन दसवीं सदी तक इसका वजूद वहां खत्म हो गया.

महात्मा बुद्ध को पूरी दुनिया में शांति और अहिंसा के सबसे बड़े प्रतीकों में से एक माना जाता है. इमरान खान बुद्ध के नाम पर पाकिस्तान में पर्यटन को बढ़ाना चाहते हैं. लेकिन क्या उनके शांति-अहिंसा के सिद्धांत की ओर ध्यान देते हुए जम्मू कश्मीर में आतंकियों की ओर से आए दिन किए जाने वाले कायराना हमलों को बंद कराने के लिए भी कोई ठोस पहल करेंगे. इस सवाल का जवाब मिलना मुश्किल है. 

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