Aarohi Pandit File |
15 अक्टूबर 1932
भारत की पहली कॉमर्शियल उड़ान
जेआरडी टाटा विमान उड़ा कर कराची से मुंबई डाक लाए
15 अक्टूबर 2021
आरोही पंडित ने उड़ाया स्पोर्ट्स लाइट एयरक्राफ्ट
गुजरात के भुज एयरपोर्ट से मुंबई के जुहू एयरपोर्ट तक उड़ान
नई दिल्ली (16 अक्टूबर)।
15 अक्टूबर 1932 भारतीय एविएशन के इतिहास की अहम तारीख है. इसी दिन टाटा एयरलाइंस के लिए जेआरडी टाटा ने कराची से मुंबई तक पहली कॉमर्शियल उड़ान भरी थी.
15 अक्टूबर 2021 को आरोही पंडित ने 89 साल पहले के उन्हीं यादगार लम्हों को दोहराया.भारत की पहली कॉमर्शियल फ्लाइट और जेआरडी टाटा को सम्मान देने के लिए इस उड़ान का आयोजन किया गया.
जेआरडी टाटा ने वो उड़ान कराची से मुंबई तक भरी थी. अब फर्क इतना है कि आरोही पंडित कराची की जगह गुजरात के भुज एयरपोर्ट से मुंबई के जुहू एयरपोर्ट तक उड़ान भरी.
Tata Power celebrates the spirit of JRD Tata who has inspired millions to believe in the power of their dreams. As a tribute, Capt. Aarohi Pandit will be re-enacting exact conditions that JRD Tata faced in 1932 - No GPS, No autopilot and only 60 Litres of petrol in same plane. pic.twitter.com/52F5s2DLam
— TataPower (@TataPower) October 13, 2021
आइए पहले बात करते हैं जेआरडी टाटा की पहली कॉमर्शियल उड़ान की. बता दें कि टाटा घराने ने 1932 में टाटा एयरसर्विसेज की शुरुआत की. इससे तीन साल पहले ही यानि 1929 में जेआरडी टाटा भारत के पहले क्वालिफाइड पायलट के तौर पर लाइसेंस मिला था.
15 अक्टूबर 1932 को 28 साल के जेआरडी कराची के दरीघ रोड एयरोड्रोम से मुंबई में जुहू एयरस्ट्रिप तक वाया अहमदाबाद विमान उड़ा कर लाए. इसमें चार आना एयरमेल की चिट्ठियां थीं जिनका वजन 25 किलोग्राम था. इस विमान में पैसेंजर के लिए सिर्फ एक सीट थी, जिसके लिए एक अमीर व्यापारी ने 50 रुपए का भुगतान किया था.
जेआरडी ने पहली कॉमर्शियल उड़ान की 30वीं सालगिरह और 50वीं सालगिरह पर फिर कराची से मुंबई तक विमान में उड़ान भर कर फिर उन्हीं लम्हों को याद किया. 1982 में जेआरडी उड़ान से एक मेलबैग लाए थे जिसमें पाकिस्तान के राष्ट्रपति का भारत के राष्ट्रपति के नाम संदेश भी शामिल था.
15 अक्टूबर को सब की नजरें आरोही पंडित पर थीं जब वो भुज से मुंबई के लिए अकेले विमान उड़ा कर ले गईं. आरोही पंडित के नाम अटलांटिक और प्रशांत महासागर को लाइट स्पोर्ट्स एयरक्राफ्ट के जरिए पार करने वाली दुनिया की पहली महिला पायलट होने का गौरव दर्ज है.
89 साल पहले 15 अक्टूबर को जेआरडी टाटा की फ्लाइट से आरोही की फ्लाइट का फर्क इतना रहा कि ये टेकऑफ कराची की जगह भुज से हुआ. आरोही रास्ते में अहमदाबाद में ईंधन लेने के लिए रुकीं ऐसा ही टाटा ने 1932, 1962 और 1982 में अपनी फ्लाइट्स के दौरान किया था. करीब 500 समुद्री मील के इस 5 घंटे के सफर में 60 लीटर से कम पेट्रोल इस्तेमाल हुआ. जेआरडी की फ्लाइट की तरह इस दौरान जीपीएस, ऑटो-पायलट या कंप्यूटराइज्ड उपकरणों का इस्तेमाल नहीं हुआ.
कैप्टन आरोही पंडित ने साइनस 912 पिपिस्ट्रेल में यह उड़ान भरी.
तब जेआरडी टाटा ने कराची से चार आना वाली 25 किलो भार की चिट्ठियां लेकर उड़ान भरी थी. 89 साल बाद आरोही भुज से मुंबई की बेटियों के लिए स्पेशल चिट्टियां लेकर उड़ी।इस अवसर पर भुज एयरपोर्ट पर माधापर गांव की उन महिलाओं को सम्मानित किया गया जिन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए रन-वे को 72 घंटों के भीतर तैयार कर दिया था.
भुज में 1971 में रनवे तैयार करने वाली महिलाओं के साथ आरोही पंडित (Supplied)
टाटा पावर और इंडियन वीमैन पायलट एसोसिएशन (आईडब्ल्यूपीए) की साझा मुहिम में आरोही पंडित की फ्लाइट से जुड़ी ये यह पहल की गई.