नेरेटिव कुछ भी हो, शिवसेना फिर से बाल ठाकरे के ‘ठोकशाही’ युग की ओर बढ़ चली है...हिन्दी बेल्ट में धारणा कुछ भी हो लेकिन महाराष्ट्र में ये घटनाक्रम शिवसेना को मजबूती देने वाला है...बहुत अर्से बाद शिवसैनिक वैसे ही दबंगई दिखा रहे हैं जैसे किसी जमाने में बाल ठाकरे के खिलाफ ज़रा सी भी चूं करने वाले लोगों के खिलाफ दिखाया करते थे...
फाइल फोटो- शिवसेना के फेसबुक पेज से साभार |
बाल ठाकरे की राजनीतिक ताकत का मुख्य आधार दूसरों के दिलों में डर बसा कर राज करना था...उनका कहना था- 'पहले अपना शत्रु चुनो, समर्थकों की सेना खुद-ब-खुद पीछे आकर खड़ी हो जाएगी'...शिवसेना में बाल ठाकरे ब्रैंड राजनीति के तेवर अब बहुत दिनों बाद देखने को मिले हैं....ये बात हिन्दीभाषियों या मुंबई में रहने वाले प्रवासियों को बेशक पसंद न आ रही हो लेकिन शिवसेना के कोर मराठी वोट बैंक को जरूर रास आ रही होगी...
राजनीति अब ये नहीं देखती कि उसमें नीति है या नहीं...इस सियासी हमाम में सभी नंगे हैं...तथाकथित शुचिता की बात करने वाले भी और धर्मनिरपेक्षता की दुहाई की लिप सर्विस करने वाले भी.. पैसे और सत्ता का लालच देकर, दलबदल का खुल कर खेल करने वाले आखिर किस मुंह से शिवसेना से नैतिकता की उम्मीद करते हैं...
शिवसेना अगर खुला खेल फर्रूखाबादी खेलने पर आ गई है, तो ज़रूर उसके पीछे कोई सोचीसमझी रणनीति काम कर रही है...रही बात बॉलीवुड के ड्रग्स और अंडरवर्ल्ड कनेक्शन की तो ये कोई नया किस्सा नहीं है...श्रमिक नेता से राजनेता के तौर पर बाल ठाकरे का जब से उदय हुआ, लगभग उसी कालखंड में मुंबई में अंडरवर्ल्ड ने विकराल रूप लेना शुरू किया...हाजी मस्तान सबसे बड़ा नाम था...उसी के मातहत करीम लाला, और वरदराजन मुदलियार ने भी अवैध शराब, वसूली, स्मगलिंग, रीयल एस्टेट जैसे काले साम्राज्य में धाक बनाई...
उद्धव ठाकरे क्या अब बाल ठाकरे वाले तेवरों की ओर बढ़ चले हैं? लेकिन विरोधाभास ये है कि बाल ठाकरे ने अपने जीवनकाल में जिस धर्मनिरपेक्षता की परवाह नहीं की और अधिकतर बीजेपी से ही हाथ मिलाए रखा...अब उन्हीं की स्थापित शिवसेना को कांग्रेस और एनसीपी की बैसाखियों के सहारे महाराष्ट्र में सत्ता चलानी पड़ रही है...अब देखना यही होगा कि ये विरोधाभास उद्धव ठाकरे और शिवसेना को ठोकशाही में कहां तक बढ़ने की इजाजत देता है...
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
तंत्र लोक की जय मतलब :)
जवाब देंहटाएंतंत्र ही तंत्र रह गया, लोक तो कहीं पीछे छूट गया...
जवाब देंहटाएंजय हिंद
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जवाब देंहटाएंबेबाक़ी से कह गए भाई जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस की अशेष शुभकामनाएँ।
हिन्दू समाज को बरसों से एक फ़िल्मी हीरो जैसी शख्शियत की तलाश है , जो बहादुरी में बेजोड़ हो जनता वहीँ टूट पड़ेगी !
जवाब देंहटाएंमराठी मानुष मजबूत हो रहा है ।
जवाब देंहटाएंकँगना आज पलायन कर गई। न जाने क्यों
बहुत सटीक विश्लेषण।
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