आस्था पर BJP डबल स्टैंडर्ड क्यों...खुशदीप


इसे कहते हैं डबल स्टैंडर्ड...

केरल के सबरीमाला के अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बावजूद बीजेपी इसका विरोध कर रही है...'बीजेपी के शाह' कह रहे हैं कि कोर्ट ऐसे फैसले सुनाए कि जिनका पालन हो सके...

 
फोटो साभार...द हिन्दू


केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार है...वहां की चुनावी राजनीति में सिवाय एक विधानसभा सीट जीतने के बीजेपी का कोई वजूद नहीं रहा...जैसे कि पश्चिम बंगाल वैसे ही केरल में भी बीजेपी साम्प्रदायिकता के कार्ड को निर्लज्जता के साथ खेल कर हिन्दू वोटों में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है..इस रास्ते में उसे कोर्ट के फ़ैसलों की भी परवाह नहीं...

मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर इसी बीजेपी का रुख़ महाराष्ट्र में बिल्कुल दूसरा हो जाता है...क्योंकि वहां उसकी खुद की सरकार है...हाल के वर्षों में अहमदनगर का शनि शिंगणापुर मंदिर हो या कोल्हापुर का महालक्ष्मी देवी मंदिर, वहां क्या हुआ वो भी जान लीजिए...

कोर्ट के आदेश के बाद महिलाओं को शनि शिंगणापुर में शनिदेव पर तेल चढ़ाने और महालक्ष्मी देवी मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की इजाज़त मिली...यहां कोर्ट के आदेश को बीजेपी वाली फडणवीस सरकार ने ही लागू कराया...यहां वो भक्तों की आस्था का वो सवाल आड़े नहीं आया जिसका हवाला अमित शाह केरल में जाकर दे रहे हैं और उलटे सुप्रीम कोर्ट को ही नसीहत दे रहे हैं...

इसी तरह का कुछ मामला मुंबई में हाजी अली दरगाह का था...वहां भी दो साल पहले तक अंदरूनी हिस्से में प्रवेश पर पाबंदी थी, जो कोर्ट के आदेश के बाद हटी...

सवाल ये कि राजनीतिक सुविधा के मुताबिक कोर्ट के आदेशों पर स्टैंड क्यों? संविधान कहता है कि कोर्ट के फ़ैसलों को लागू कराना सरकारों की ज़िम्मेदारी है...फिर यहां आस्था के तर्क देकर ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश क्यों?


मान लीजिए कल को अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला बीजेपी की राजनीति के प्रतिकूल आया तो क्या अमित शाह फिर ये तर्क देंगे कि कोर्ट वही फैसले सुनाएं कि जिनका पालन हो सके...सबरीमाला पर ऐसा बयान दे कर क्या शाह ने अयोध्या पर कोर्ट को एडवांस में नसीहत देने की कोशिश की?

चलिए बीजेपी का स्टैंड तो उसकी राजनीति के आधार पर समझ आता है लेकिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को क्या हुआ है?

 खुद को सेकुलरिज्म का अलम्बरदार बताने वाली कांग्रेस पर इन दिनों सॉफ्ट हिन्दुत्व तारी है...इसी वजह से वो केरल में सबरीमाला जैसे मुद्दों पर खुल कर नहीं बोल रही है...केरल में फिलहाल सीपीएम की अगुआई वाला LDF और कांग्रेस के नेतृत्व वाला UDF, दो ही अहम पॉलिटिकल प्लेयर है...लेकिन कांग्रेस ने बीजेपी का सेकुलरिज्म के मोर्चे पर डट कर सामना नहीं किया तो इसका वहां भी बंगाल जैसा हाल ना हो जाए...

सॉफ्ट हिन्दुत्व का कार्ड कांग्रेस के लिए कहीं ऐसा साबित ना हो...."चौबे जी छब्बे जी बनने चले और दूबे जी भी नहीं रह गए."


#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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1 टिप्पणियाँ
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  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (29-10-2018) को "मन में हजारों चाह हैं" (चर्चा अंक-3139) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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