पीवी
सिंधू...साक्षी मलिक...दीपा कर्माकर...साइना नेहवाल, सानिया मिर्ज़ा...नाज़ हैं हमें देश की इन बेटियों पर...या
यूं कहे कि देश की सारी बेटियों पर...रियो ओलंपिक में साक्षी ने पहले कुश्ती में ब्रॉन्ज जीत कर मेडल का
सूखा मिटाया...और फिर सिंधू ने बैडमिंटन में सिल्वर जीत कर इतिहास रच दिया...देश
की पहली ओलंपिक सिल्वर मेडलिस्ट बेटी बनकर...शुक्रवार
को गोल्डन मुकाबले में भी उन्होंने पहला गेम जीतकर वर्ल्ड नंबर 1 कैरोलिना (स्पेन)
के एक बार तो छक्के छुड़ा दिए थे...सिंधू फाइनल में हारी ज़रूर लेकिन सवा अरब
देशवासियों का दिल जीत लिया...
क्रिकेट से इतर
किसी खेल में देश को इस तरह जश्न मनाने के मौके कम ही मिलते हैं...जिस तरह पूरा
देश सांस रोक कर सिंधू का फाइनल मुकाबला देख रहा था, वो क्रिकेट के रोमांच से कहीं कम नहीं था...बल्कि अधिक ही था...सिंंधू की उपलब्धि पर क्या मीडिया और क्या सोशल मीडिया, हर किसी ने अपनी
तरह से हर्ष व्यक्त किया...मैंने खुद भी तत्काल फेसबुक और ट्विटर पर खुशी
जताई...
ट्विटर पर ऐसा करते वक्त अचानक एक ट्वीट पर नज़र पड़ी...ये ट्वीट डॉ अरविंद
मिश्रा का था...बड़े विद्वान व्यक्ति हैं...हिंदी के अधिकतर ब्लॉगर इनसे परिचित
हैं...फेसबुक पर भी सक्रिय रहते हैं...सिंधू का ओलंपिक
फाइनल मुकाबला ख़त्म होने के तत्काल बाद डॉ मिश्रा ने ट्वीट किया...क्या ट्वीट
किया आप खुद ही पढ़ लीजिए...
"जय सिन्धू,
जय हिन्दू"...
अब इसे पढ़ने के
बाद कहने को कुछ रह जाता है क्या...बस सिर पीट लेना
ही बाक़ी रह जाता है... क्या खेल का भी कोई मज़हब हो सकता है...
सिंधू हो या
साक्षी पूरे देश को उन पर गुमान है...देश का हर नागरिक उनकी उपलब्धि पर गौरवान्वित
है...ठीक वैसे ही जैसे टेनिस में सानिया मिर्जा कई इंटरनेशनल टूर्नामेंट जीत कर
देश और देशवासियों का मान बढ़ाती रही है...
यहां डॉ मिश्रा
से मेरा एक सवाल है...जैसे कि उन्होंने सिंधू की जीत के साथ हिंदू शब्द जोड़ने की
कोशिश की...अगर ऐसे ही सानिया की हर जीत के बाद कोई ऐसा लिखे तो कैसा लगेगा...
“जय मिर्ज़ा, जय
मुसलमान”...
यक़ीनन ये पढ़ना
बहुत बुरा लगेगा...अगर ये बुरा है तो फिर डॉ मिश्रा ने जो लिखा तो वो बुरा क्यों
नहीं...निश्चित रूप से वो भी बहुत बुरा है...
सिंधू हो या
साक्षी या फिर सानिया, सभी देश की बेटियां हैं...वो बेटियां जिन्होंने पूरी दुनिया
में भारत का नाम ऊँचा किया है...खेल को, खिलाड़ियों को, भगवान के वास्ते, अल्लाह
के वास्ते, किसी खांचे में बांटने की कोशिश मत कीजिए...बांटने के खेल के लिए पहले
से ही इस देश की राजनीति कम है क्या...
सिन्धु से ही भारत का नामकरण हिन्दु और हिन्दुस्तान हुआ है। क्योंकि अरब व्यापारी स को ह कहते हैं। यहां किसी धर्म से कोई अभिप्राय नहीं है। अपने अध्ययन का दायरा बढ़ाईये। और नाहक दोषारोपण की ठेकेदार मत बनिये यहां।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (21-08-2016) को "कबूतर-बिल्ली और कश्मीरी पंडित" (चर्चा अंक-2441) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति सिल्वर मेडल जीतने वाली गोल्डन गर्ल - पीवी सिंधू और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी का स्पष्टीकरण स्पष्ट है...और वैसे भी मिर्ज़ा और मुसलमान की तुकबन्दी जम नहीं रही है...ये होगा...जय सानिया-जय इन्डिया...
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