अभी हाल में कुत्ते को लीड में रखकर एक फिल्म आई थी- इट्स एंटरटेनमेंट। इस फिल्म में कुत्ते के साथ साइड रोल करने वाले अभिनेता अक्षय कुमार इतने अभिभूत थे कि उन्होंने कहा कि वो अब कुत्ता कहने को गाली नही समझेंगे। खैर ये तो रही फिल्म की बात। लेकिन चेन्नई में वाकई एक ऐसा वाक्या हुआ है कि आप भी अक्षय से इत्तेफ़ाक रखने लगेंगे। बहुत दिन से कहीं कुछ लिख नहीं रहा था, लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया में कुत्ते पर एक स्टोरी पढने के बाद लिखने को मजबूर हो गया। इसे पढ़कर आप भी मानेंगे कि ये कुत्ता ज़रूर है लेकिन इसका कद तथाकथित इनसानों से कहीं ऊंचा है।
चेन्नई में अवादी ब्रिज के पास खुले कब्रिस्तान में एक ताज़ा खुदी कब्र के पास एक कुत्ता 15 दिन तक भूखा-प्यासा कड़ी धूप-बरसात की परवाह किए बिना खुले में बैठा रहा। कुत्ते पर ब्लू क्रॉस संस्था के वॉलंटियर्स की नज़र पड़ी तो उन्होंने उसे खिलाने-पिलाने की कोशिश की। साथ ही सुरक्षित स्थान पर ले जाना चाहा। लेकिन कुत्ता टस से मस नहीं हुआ। बल्कि जो उसके पास आता, वो उस पर गुर्राता। साथ ही कब्र की मिट्टी पर पंजे मारता।
Blue Cross of India के जनरल मैनेजर Dawn Williams के मुताबिक जब आस-पास के लोगों से कुत्ते के बारे में पूछा गया तो सारा माज़रा समझ आया। दरअसल टॉमी नाम का ये कुत्ता 18 साल के किशोर भास्कर का था। भास्कर को बीती 2 अगस्त को एक तेज़ रफ्तार वाहन ने टक्कर मार दी थी, जिससे उसकी मौत हो गई। भास्कर की 50 वर्षीय मां सुंदरी के बारे में भी पता चला।
एक निर्माणाधीन इमारत में मजदूरी करने वाली भास्कर की मां साइट पर ही एक झुग्गी में बेटे के साथ रहती थी। जब सुंदरी को कब्र के पास लाया गया तो कुत्ता उसके पास आकर पांव चाटने लगा। सुंदरी ने कुत्ते को गले से लगा लिया। सुंदरी के मुताबिक टॉमी पिछले पांच साल से उसके बेटे के साथ खूब हिला हुआ था। जिस दिन से बेटे भास्कर की मौत हुई, उस दिन से ये कुत्ता भी कहीं नहीं दिख रहा था।
विधवा सुंदरी के मुताबिक बेटे के मौत की बाद उसे अपनी ज़िंदगी बेमायने लगने लगी थी। लेकिन अब टॉमी ने फिर उसे जीने का मकसद दिया है। सुंदरी फिर टॉमी को अपने साथ ले गई। जब टाइम्स ऑफ इडिया ने निर्माणाधीन इमारत के पास सुंदरी को ढूंढने की कोशिश की तो पता चला कि वो टॉमी को लेकर अपने मूल स्थान तिरुवन्नामलाई चली गई है।
बताइए अब आप टॉमी को क्या कहेंगे? कुत्ता या इनसानों से भी बढ़कर 'इनसान'....
चेन्नई में अवादी ब्रिज के पास खुले कब्रिस्तान में एक ताज़ा खुदी कब्र के पास एक कुत्ता 15 दिन तक भूखा-प्यासा कड़ी धूप-बरसात की परवाह किए बिना खुले में बैठा रहा। कुत्ते पर ब्लू क्रॉस संस्था के वॉलंटियर्स की नज़र पड़ी तो उन्होंने उसे खिलाने-पिलाने की कोशिश की। साथ ही सुरक्षित स्थान पर ले जाना चाहा। लेकिन कुत्ता टस से मस नहीं हुआ। बल्कि जो उसके पास आता, वो उस पर गुर्राता। साथ ही कब्र की मिट्टी पर पंजे मारता।
Blue Cross of India के जनरल मैनेजर Dawn Williams के मुताबिक जब आस-पास के लोगों से कुत्ते के बारे में पूछा गया तो सारा माज़रा समझ आया। दरअसल टॉमी नाम का ये कुत्ता 18 साल के किशोर भास्कर का था। भास्कर को बीती 2 अगस्त को एक तेज़ रफ्तार वाहन ने टक्कर मार दी थी, जिससे उसकी मौत हो गई। भास्कर की 50 वर्षीय मां सुंदरी के बारे में भी पता चला।
एक निर्माणाधीन इमारत में मजदूरी करने वाली भास्कर की मां साइट पर ही एक झुग्गी में बेटे के साथ रहती थी। जब सुंदरी को कब्र के पास लाया गया तो कुत्ता उसके पास आकर पांव चाटने लगा। सुंदरी ने कुत्ते को गले से लगा लिया। सुंदरी के मुताबिक टॉमी पिछले पांच साल से उसके बेटे के साथ खूब हिला हुआ था। जिस दिन से बेटे भास्कर की मौत हुई, उस दिन से ये कुत्ता भी कहीं नहीं दिख रहा था।
विधवा सुंदरी के मुताबिक बेटे के मौत की बाद उसे अपनी ज़िंदगी बेमायने लगने लगी थी। लेकिन अब टॉमी ने फिर उसे जीने का मकसद दिया है। सुंदरी फिर टॉमी को अपने साथ ले गई। जब टाइम्स ऑफ इडिया ने निर्माणाधीन इमारत के पास सुंदरी को ढूंढने की कोशिश की तो पता चला कि वो टॉमी को लेकर अपने मूल स्थान तिरुवन्नामलाई चली गई है।
बताइए अब आप टॉमी को क्या कहेंगे? कुत्ता या इनसानों से भी बढ़कर 'इनसान'....
वफादार को ही गाली मिलाती है। आदमी जानवर से ही सीख ले । शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंवफादार को ही गाली मिलाती है। आदमी जानवर से ही सीख ले । शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंकाश आदमी इनसे ही कुछ सीखता। शु का
जवाब देंहटाएंवफादार को ही गाली मिलाती है। आदमी जानवर से ही सीख ले । शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंवाकई में यह आज के इंसानों के लिए एक सीख है..
जवाब देंहटाएंइंसान इंसान को गाली के तौर पर कुत्ता कहता है लेकिन कुत्ते कभी अपने आपको इंसान नहीं कहते.. आज तो कई इंसानों से बढ़कर ऐसे कई जानवर हैं जो हमें कई मौको पर सीख देना नहीं भूलते ...
वे हमसे वाकई बहुत अच्छे हैं ! मंगलकामनाएं खुशदीप भाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पोस्ट. इसी से जुड़ा एक किस्सा. एक बार मुझे कुत्ते की मौत मारने की धमकी मिली. तब मैंने अपने अख़बार में छापकर उस धमकी देने वाले को कहा था कि मुझे फख्र होगा कुत्ते जैसे वफादार जानवर की मौत मरूँगा. लोग तो आज कीड़े-मकोड़े की मौत मर रहे हैं. यह अख़बार मेरे ब्लॉग पर पढ़ा जा सकता है. जिसका लिंक यह है.http://shakuntalapress.blogspot.in/2014/07/16-30-2008.html
जवाब देंहटाएंकुत्ते वास्तव मे बड़े प्यारे होते हैं ! इंसान को इंसानों से भी ज्यादा प्यार करते हैं !
जवाब देंहटाएंइंसान को अपनी ही पड़ी रहती है .पर पशु ,विशेष रूप से कुत्ता अपना जीवन स्वामी के लिए दाँव लगा देता है - यही है सच्ची निष्ठा .
जवाब देंहटाएंवफादार को ही गाली मिलाती है।
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